Saturday, May 4, 2024
Homeरिपोर्टराष्ट्रीय सुरक्षा1959 के एकतरफा तरीके से परिभाषित LAC कभी स्वीकार नहीं: भारत ने चीन को...

1959 के एकतरफा तरीके से परिभाषित LAC कभी स्वीकार नहीं: भारत ने चीन को दिया दो टूक जवाब

“हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की स्थिति पर चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के हवाले से एक रिपोर्ट देखी है। भारत ने तथाकथित एकतरफा परिभाषित 1959 एलएसी को कभी स्वीकार नहीं किया। स्थिति आज भी वही, यह अच्छी तरह से सबको पता है, चीन के लोगों को भी।”

लद्दाख के पूर्वी क्षेत्र में भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) को लेकर गतिरोध बरकरार है। चीन ने एक बार फिर एलएसी के मसले पर नया विवाद खड़ा करने की कोशिश की है। लेकिन भारत ने पलटवार करते हुए चीन से सख्त अंदाज में कह दिया है कि बार-बार भटकाने की मंशा सफल नहीं होगी।

दरअसल, चीन एक बार फिर एलएसी को तय करने में 1959 के एकतरफा समझौते का हवाला दे रहा है, लेकिन भारत ने इसे मानने से साफ इनकार कर दिया है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने मंगलवार (सितंबर 29, 2020) को भारत-चीन सीमा विवाद के मुद्दे पर कहा, “हमने भारत-चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की स्थिति पर चीनी विदेश मंत्रालय के बयान के हवाले से एक रिपोर्ट देखी है। भारत ने तथाकथित एकतरफा परिभाषित 1959 एलएसी को कभी स्वीकार नहीं किया। स्थिति आज भी वही, यह अच्छी तरह से सबको पता है, चीन के लोगों को भी।”

विदेश मंत्रालय की तरफ कहा गया है, “1993 के बाद ऐसे कई समझौते हुए जिसका मकसद अंतिम समझौते तक सीमा पर शांति और यथास्थिति बनाए रखना था। 1996 में सैन्य क्षेत्र में विश्वास निर्माण उपायों (सीबीएम) पर समझौते, सीबीएम के कार्यान्वयन पर प्रोटोकॉल सहित विभिन्न द्विपक्षीय समझौतों के तहत 2005 भारत-चीन सीमा प्रश्न के निपटारे के लिए राजनीतिक पैरामीटर और मार्गदर्शक सिद्धांत पर समझौता, भारत और चीन दोनों ने एलएसी के संरेखण की एक आम समझ तक पहुँचने के लिए एलएसी के स्पष्टीकरण और पुष्टि के लिए प्रतिबद्ध हैं।”

विदेश मंत्रालय ने आगे कहा, “दोनों पक्ष 2003 तक एलएसी को स्पष्ट करने और पुष्टि करने की कवायद में लगे थे, लेकिन यह प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ सकी, क्योंकि चीन ने इच्छा नहीं दिखाई। इसलिए, अब चीन इस बात पर अड़ा है कि केवल एक एलएसी उनके द्वारा की गई प्रतिबद्धताओं के विपरीत है। हम उम्मीद करते हैं कि चीनी पक्ष पूरी ईमानदारी और विश्वासपूर्वक सभी समझौतों और समझ का पालन करेगा और एलएसी की एकतरफा व्याख्या को आगे बढ़ाने से बचना चाहिए।”

विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ने कभी भी 1959 में चीन की ओर से एलएसी की एकतरफा दी गई परिभाषा को स्वीकार नहीं किया। 1993, 1996 और 2005 में चीन के साथ दो पक्षीय बातचीत में सहमति बनी थी कि एलएससी पर दोनों देशों के बीच जिन बिंदुओं पर गतिरोध है उसे बातचीत के रास्ते सुलझाते रहेंगे और किसी तरह की एकतरफा कार्रवाई से बचेंगे। भारत ने कहा कि ऐसी परिस्थिति में चीन का इस तरह का बयान आपत्तिजनक है और दोनों देशों के बीच आपसी सहमति का घोर उल्लंघन भी है।

बता दें कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि भारत ने लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश की स्‍थापना अवैध तरीके से की है। वे इतने पर ही नहीं रूके, उन्होंने आगे कहा कि भारत और चीन के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल को लेकर हमारी स्थिति बहुत स्पष्ट है। हम 7 नवंबर 1959 को बताई गई सीमा को एलएसी मानते हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘गौकशी के बारे में कोई सोचेगा, तो उसके लिए जहन्नुम के द्वार पहले खुल जाएँगे, गौहत्या बाद में करेगा’: आँवला में दहाड़े यूपी के...

योगी आदित्यनाथ ने कहा, 'उत्तर प्रदेश में कानून का राज है। माफिया-गुंडों का राम नाम सत्य करना हमारी जिम्मेदारी है, जो कानून से खेलेगा सीधा ऊपर जाएगा।'

‘लालू यादव ने की गोधरा में रामभक्तों को जलाने वाले को बचाने की कोशिश’: दरभंगा पहुँचे PM मोदी ने RJD पर किया वार, कहा...

हमारी प्रेरणा कर्पूरी ठाकुर जी हैं, कुछ समय पहले जिन्हें भारत रत्न देने का सौभाग्य हमें मिला है। नेहरू ने भी मजहब के आधार पर आरक्षण का विरोध किया।"

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -