‘ब्लैक लाइव्स मैटर’ (black lives matter) आंदोलन को शांति के नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया है, जबकि इस आंदोलन के समर्थकों ने पूरे अमेरिका को हिंसा की आग में झोंक दिया था। इस आंदोलन की शुरुआत 2013 में पैट्रिस क्यूलर्स (Patrisse Cullors), एलिशिया गर्जा (Alicia Garza) और ओपल टॉमपेटी (Opal Tometi) ने की थी। मई 2020 में अफ्रीकी अमेरिकी व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद यह आंदोलन राष्ट्रीय विमर्श का विषय बना।
शनिवार (30 जनवरी 2021) को ब्लैक लाइव्स मैटर के आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने सूचना देते हुए बताया, “हमने वैश्विक इतिहास का सबसे बड़ा सामाजिक आंदोलन आयोजित किया। आज हमें शांति के नोबल पुरस्कार के लिए नामित किया गया है। लोग हमारी वैश्विक ख्याति के लिए जागरूक हो रहे हैं: नस्लीय न्याय के लिए और आर्थिक असमानता, श्वेत आधिपत्य, नस्लभेद ख़त्म करने के लिए। यह तो सिर्फ हमारी शुरुआत है।”
We hold the largest social movement in global history. Today, we have been nominated for the Nobel Peace Prize. People are waking up to our global call: for racial justice and an end to economic injustice, environmental racism, and white supremacy. We’re only getting started ✊🏾 pic.twitter.com/xjestPNFzC
— Black Lives Matter (@Blklivesmatter) January 30, 2021
द गार्डियन (The Guardian) में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक़ ब्लैक लाइव्स मैटर्स ने बताया, “जिस तरह हमारे प्रयासों की वजह से तमाम व्यवस्थित बदलाव आए हैं, उसकी वजह से ‘ब्लैक लाइव्स मैटर्स आंदोलन’ को नोबल पुरस्कार 2021 के लिए नामित किया गया।” सोशलिस्ट लेफ्ट पार्टी का प्रतिनिधित्व करने वाले सांसद (Norwegian MP) पीटर एड (Petter Eide) ने नामांकन दाखिल किया था।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ पीटर ने दावा किया कि इस आंदोलन ने नस्लीय अन्याय से लड़ने के लिए वैश्विक स्तर पर जागरूकता फैलाई। कई अध्ययन का हवाला देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि इस अभियान के तहत जितने भी विरोध-प्रदर्शन आयोजित किए गए उसमें अधिकांश शांतिपूर्ण थे। बेशक हिंसा की कुछ घटनाएँ हुई थीं, लेकिन उनके पीछे की वजह पुलिस थी या फिर आंदोलन का विरोध करने वाले।
अमेरिका में राष्ट्रीय स्तर की राजनीति में सेवा प्रदान करने वाले किसी भी राजनेता के पास शांति के नोबल पुरस्कार के लिए नामांकन करने का अधिकार होता है। उन्हें 2000 से कम शब्दों में अपना आवेदन प्रस्तुत करना होता है। नामांकन से जुड़े दस्तावेज़ जमा करने की अंतिम तिथि 1 फरवरी है, विजेता नामों का ऐलान अक्टूबर में किया जाएगा। इसके 2 महीने बाद दिसंबर की 10 तारीख को पुरस्कार वितरण समारोह होगा।
जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या और हिंसात्मक प्रदर्शन
46 वर्षीय अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड की एक मिनिपोलिस पुलिस अधिकारी के हाथों मौत हो गई थी। कथित तौर पर उस मिनिपोलिस पुलिस अधिकारी ने फ्लॉयड की गर्दन पर लगभग 9 मिनट तक अपना घुटना रखा। जॉर्ज फ्लॉयड इस दौरान घुटना हटाने की गुहार लगाता रहा।
उसने यह भी कहा कि वह साँस नहीं ले पा रहा है। लेकिन पुलिस अधिकारी नहीं पिघला और फ्लॉयड की मौत हो गई। इसके बाद लोगों का गुस्सा पुलिस के प्रति भड़क गया और हिंसक रूप ले लिया।
30 मई 2020 को यह विरोध-प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया, जिसके कारण कई शहरों में कर्फ्यू लगाना पड़ा। फिलाडेल्फिया में प्रदर्शनकारियों ने मियामी में राजमार्ग को यातायात को बंद करने के दौरान एक मूर्ति को गिराने की कोशिश भी की थी।