Sunday, May 5, 2024
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कॉन्ग्रेस की सरकार आई तो अनुच्छेद-370 फिर से: दिग्विजय सिंह ने पाक पत्रकार को दिया संकेत, क्लब हाउस चैट लीक

"अनुच्छेद-370 को रद्द करना और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा कम करना अत्यंत दुखद निर्णय है। हमें निश्चित रूप से इस मुद्दे पर फिर से विचार करना होगा।"

क्लब हाउस चैट का एक ऑडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। इसमें कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह एक पाकिस्तानी पत्रकार से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाए जाने के फैसले पर बोल रहे हैं।

दरअसल, राज्य सभा सांसद दिग्विजय सिंह देश-विदेश के कुछ पत्रकारों से वर्चुअली बात कर रहे थे। इस दौरान पाकिस्तानी पत्रकार शाहजेब जिल्लानी ने अनुच्छेद-370 से जुड़ा एक सवाल कॉन्ग्रेस महासचिव से पूछा था, ”अगर यह मौजूदा सरकार जाती है और भारत को पीएम मोदी से छुटकारा मिल जाता है, तो कश्मीर पर आगे का रास्ता क्या होगा? मुझे पता है कि अभी भारत में जो हो रहा है, उसके कारण यह हाशिये पर है। लेकिन यह एक ऐसा मुद्दा है जो दोनों देशों के बीच इतने लंबे समय से मौजूद है।”

वर्तमान में जर्मनी में रह रहे पाकिस्तानी पत्रकार शाहजेब जिल्लानी (Shahzeb Jillani) ने दावा किया कि वह मोदी के शासनकाल में राजनीति और भारतीय समाज के बदलते परिदृश्य से हैरान हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता सिकुड़ गई है। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 के निरस्त होने से भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए हैं। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह पिछले कुछ महीनों से देख रहे हैं कि कैसे मीडिया नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ बोल रहा है।

ट्विटर प्रोफाइल के अनुसार, जिल्लानी बीबीसी के पूर्व संवाददाता हैं। वह पाकिस्तान, बेरूत, वॉशिंगटन और लंदन में काम चुके हैं। इससे पहले वह डीडब्ल्यू न्यूज से जुड़े थे। हालाँकि, कॉन्ग्रेस नेता दिग्विजय सिंह को अपना परिचय देते हुए जिल्लानी ने कहा कि वह वर्तमान में डीडब्ल्यू न्यूज के साथ काम कर रहे हैं और उनका जन्म पाकिस्तान के सिंध में हुआ था।

शाहजेब जिलानी की ट्विटर प्रोफाइल का स्क्रीनशॉट

पाकिस्तानी पत्रकार के सवाल पर राज्यसभा सांसद ने कहा, ”मैं ईमानदारी से मानता हूँ कि जो चीज समाज के लिए खतरनाक है, वह है धार्मिक कट्टरवाद, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, सिख या कुछ भी हो। धार्मिक कट्टरवाद नफरत की ओर ले जाता है और नफरत से हिंसा फैलती है।”

उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे लगता है कि द्वेष, बीमारी और वायरस धार्मिक कट्टरवाद हैं। प्रत्येक समाज और धार्मिक समूह को यह समझना होगा कि हर व्यक्ति को अपनी परंपरा और विश्वास का पालन करने का अधिकार है। किसी को भी अपनी आस्था, भावनाएँ और धर्म किसी पर थोपने का अधिकार नहीं है।”

इसके अलावा कॉन्ग्रेस नेता ने ऑडियो में आरोप लगाया, “जब जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 को हटाया गया, तब कश्मीर में लोकतांत्रिक मूल्यों का पालन नहीं किया गया था। इस दौरान इंसानियत को ताक पर रखा गया और इसमें कश्मीरियत भी नहीं थी। सभी को काल कोठरी में बंद कर दिया गया था, क्योंकि मुस्लिम बहुल राज्य में एक हिंदू राजा था।” 

सिंह ने कहा, “दोनों ने साथ काम किया था। दरअसल, कश्मीर में सरकारी सेवाओं में कश्मीरी पंडितों को आरक्षण दिया गया था। इसलिए अनुच्छेद-370 को रद्द करना और जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा कम करना अत्यंत दुखद निर्णय है। हमें निश्चित रूप से इस मुद्दे पर फिर से विचार करना होगा।”

दिग्विजय सिंह ने पाकिस्तानी पत्रकार से मोदी सरकार के अनुच्छेद-370 को निरस्त करने के फैसले पर विचार करने का वादा किया। अनुच्छेद-370, जिसके कारण जम्मू-कश्मीर को स्वतंत्रता के बाद भी शेष भारत से अलग रखा गया, जिसके दम पर कॉन्ग्रेस या अन्य सरकारों ने वहाँ तनावपूर्ण माहौल पैदा किया। घाटी में हिंदुओं का नरसंहार हुआ।

दिग्विजय सिंह कहते हैं कि वे कश्मीरी पंडित ही थे, जिन्हें नौकरियों में आरक्षण मिला। यानी इससे उनका मतलब था कि राज्य के मुसलमानों द्वारा घाटी के हिंदुओं के साथ अच्छा व्यवहार किया गया था? जबकि सच्चाई यह है कि मुस्लिम कट्टरपंथी और जिहादियों ने हिंदु महिलाओं के साथ बलात्कार, हत्या और कश्मीर में नरसंहार कर उन्हें भगा दिया ​था।

बता दें कि अपने घोषणापत्र में भाजपा ने जम्मू-कश्मीर राज्य से अनुच्छेद-370 को निरस्त करने का वादा किया था। केंद्र की मोदी सरकार ने 5 अगस्त 2019 के दिन जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद-370 और 35-A को निरस्त कर दिया था। साथ ही राज्य का पुनर्गठन कर उसे दो केंद्रशासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बाँट दिया था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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