2024 में होने वाले लोक सभा चुनाव से पहले ही चुनावी रणनीतिकार और इंडियन पॉलिटिकल एक्शन कमेटी (आई-पैक) के प्रमुख प्रशांत किशोर के एक बयान ने सियासी गलियों में बड़ा धमाका किया है। प्रशांत किशोर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी का दबदबा बना रहेगा, बीजेपी आने वाले कई दशकों तक राजनीति में मजबूत ताकत बनी रहेगी। जिस तरह से 40 साल पहले तक कॉन्ग्रेस सत्ता का केंद्र रही, उसी तरह भाजपा भी सत्ता के केंद्र में बनी रहेगी। चाहे चुनाव हारे या जीते।
अंग्रेजी अखबार हिंदुस्तान टाइम्स से बात करते हुए प्रशांत किशोर ने ये बात गोवा में तृणमूल कॉन्ग्रेस के एक चुनाव कार्यक्रम के दौरान कहीं। गोवा संग्रहालय में प्रशांत किशोर ने कहा, “इस जाल में बिलकुल मत फँसिए कि लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नाराज हैं और उन्हें सत्ता से बाहर कर देंगे। हो सकता है लोग मोदी को सत्ता से बाहर कर भी दें, लेकिन भाजपा अभी कहीं नहीं जा रही है। आपको इससे अगले कई दशकों तक लड़ना होगा। जिस तरह से 40 साल पहले तक कॉन्ग्रेस सत्ता का केंद्र रही, उसी तरह भाजपा भी चाहे हारे या जीते, वह सत्ता के केंद्र में बनी रहेगी। एक बार जब कोई राष्ट्रीय स्तर पर 30 फीसदी वोट हासिल कर लेता है तो इतने जल्दी राजनीतिक तस्वीर से नहीं हटता।”
प्रशांत किशोर ने राहुल गाँधी की समझ पर कमेंट करते हुए कहा, “इस मामले में राहुल गाँधी के साथ दिक्कत है। शायद उन्हें लगता है कि बस कुछ समय में लोग उन्हें (नरेंद्र मोदी) को सत्ता से हटा देंगे लेकिन ऐसा नहीं होगा। जब तक आप मोदी की ताकत का अंदाजा नहीं लगा लेते, आप उन्हें हराने के लिए कभी भी काउंटर नहीं कर पाएँगे। ज्यादातर लोग उनकी ताकत को समझने में समय नहीं लगा रहे हैं। जब तक आप यह ना समझ जाएँ कि ऐसी कौन सी चीज है जो उन्हें लोकप्रिय बना रही है तब तक आप उनको काउंटर नहीं कर पाएँगे।”
किशोर ने यह भी कहा, “आप किसी भी कॉन्ग्रेस नेता या किसी भी क्षेत्रीय नेता से जाकर बात करें, वे कहेंगे, ‘बस कुछ समय की बात है। लोग इनसे नाराज हैं। सत्ता विरोधी लहर आएगी और लोग उन्हें सत्ता से बाहर कर देंगे’ लेकिन मुझे लगता है कि ऐसा नहीं होगा।”
प्रशांत किशोर ने आगे डिटेल में समझाते हुए कहा, “वोटर बेस देखें तो लड़ाई एक-तिहाई और दो-तिहाई के बीच की है। केवल एक तिहाई लोग भाजपा को वोट दे रहे हैं या भाजपा का समर्थन करना चाहते हैं। समस्या यह है कि दो-तिहाई हिस्सा इतना बिखरा हुआ है कि यह 10, 12 या 15 राजनीतिक दलों में विभाजित है और यह मुख्य रूप से कॉन्ग्रेस के पतन का कारण है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह इसलिए है क्योंकि कॉन्ग्रेस का समर्थन कम हो गया है। 65% जनाधार बिखर गया है। जिससे बहुत सारे लोग और छोटे-छोटे दल बन गए हैं।”