Sunday, September 8, 2024
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LOC के पास रखी गई शारदा मंदिर की आधारशिला, भूमि पूजन में बड़ी संख्या में जुटे लोग: शोध केंद्र भी बनेगा, POK में है शारदा पीठ

प्राचीन काल से तीतवाल शारदा पीठ की तीर्थयात्रा का एक पारंपरिक मार्ग था और यहाँ शारदा पीठ की आगे की यात्रा के लिए एक बेस कैंप था। अब यहीं एक भव्य शारदा मंदिर की आधारशिला रखी गई है।

पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) में स्थित शारदा पीठ मंदिर की तीर्थयात्रा शुरू करने के लिए अभियान चला रही सेव शारदा कमेटी (SSC) ने LOC के पास तीतवाल गाँव में एक शोध केंद्र के साथ ही माता शारदा देवी मंदिर की आधारशिला रखी।

टीटवाल जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले में स्थित है और शारदा पीठ इस गाँव से मुश्किल से 40 किमी दूर स्थित है। 3 दिसंबर को यहाँ भूमि पूजन के लिए बड़ी संख्या में लोग जमा हुए थे। इसने उनकी आशा को फिर से जगा दिया कि देर-सबेर हिंदू इस मंदिर में जा सकेंगे और माँ शारदा की पूजा कर सकेंगे।

मंत्रोच्चारण के बीच पवित्र जल को एलओसी पर किशन गंगा नदी में विसर्जित किया गया। केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की वक्फ विकास समिति के अध्यक्ष और भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य दरखशन अंद्राबी ने मंदिर की आधारशिला रखी।

SSC के प्रमुख रविंदर रैना पंडिता ने फोन पर ऑपइंडिया को बताया, “हम देवी शारदा का मंदिर बनाएँगे। साथ ही यहाँ शारदा लिपि के प्रचार-प्रसार, शारदा पीठ पर शोध, हिंदुत्व और संबंधित विषयों पर अध्ययन का एक केंद्र भी होगा। यह भक्तों के पीठ को फिर से खोलने के हमारे अंतिम उद्देश्य की दिशा में एक कदम है।”

यह पूछे जाने पर कि उन्होंने मंदिर और अनुसंधान और शिक्षा केंद्र के निर्माण के लिए तीतवाल गाँव का चयन क्यों किया, रविंदर रैना ने कहा कि प्राचीन काल से तीतवाल शारदा पीठ की तीर्थयात्रा का एक पारंपरिक मार्ग था और यहाँ शारदा पीठ की आगे की यात्रा के लिए एक बेस कैंप था।

POK स्थित शारदा पीठ

उन्होंने कहा कि मंदिर के दर्शन के लिए कई रास्ते थे। लेकिन तीतवाल सबसे महत्वपूर्ण था। उन्होंने कहा, “यहाँ एक बार एक धर्मशाला और गुरुद्वारा था जहाँ भक्त अपनी आगे की यात्रा के लिए आते और ठहरते थे। जमीन समतल करने के दौरान हमें जले हुए लकड़ी के लट्ठे मिले। लोगों ने कहा कि गहरी खुदाई से धर्मशाला के अवशेष मिल सकते हैं। हम यहाँ गुरुद्वारा भी बनाएँगे।” उन्होंने बताया कि उनकी संस्था ने धर्मशाला की 0.25 एकड़ भूमि को पुनः प्राप्त कर लिया है और जल्द ही निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि शारदा पीठ देवी के 18 महाशक्ति पीठों में से एक है। आज वह शारदा पीठ पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर में है और वहाँ जाने की अनुमति किसी को नहीं है। एक समय ऐसा भी था जब बैसाखी पर कश्मीरी पंडित और पूरे भारत से लोग तीर्थाटन करने शारदा पीठ जाते थे। आज वह शारदा पीठ उस क्षेत्र में है जिसे पाकिस्तान आज़ाद कश्मीर कहता है। आज़ाद कश्मीर मीरपुर मुज़फ्फ़राबाद का क्षेत्र है जो जम्मू कश्मीर राज्य का अंग है।

शारदा पीठ का उल्लेख सर्वप्रथम नीलमत पुराण में मिलता है। इसके अतिरिक्त कल्हण ने राजतरंगिणी में लिखा है कि सम्राट ललितादित्य के समय में शारदा विश्वविद्यालय में बंगाल के गौड़ समुदाय के लोग शारदा पीठ आते थे। संस्कृत समूचे कश्मीर की भाषा थी और शारदा विश्वविद्यालय में 14 विषयों की पढ़ाई होती थी। शारदा विश्वविद्यालय में ही देवनागरी से भिन्न शारदा लिपि का जन्म हुआ था।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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