Sunday, May 12, 2024
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‘क़तर में 2014 से अब तक 1611 भारतीय कामगारों की मौत, शव के लिए भी करवाते हैं इंतजार’: मजदूर संघ ने कहा – मानवाधिकार का घोर उल्लंघन

BMS ने कतर की सरकार और ट्रेड यूनियन के सामने इस मुद्दे को उठाया है। इसके अलावा भारत में कतर के राजदूत के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की ट्रेड यूनियन शाखा भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) ने कतर में प्रवासी कामगारों के साथ गुलामों जैसा व्यवहार किए जाने पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। बीएमएस ने मंगलवार (14 जून 2022) को आरोप लगाया कि कतर में प्रवासी श्रमिकों, विशेष रूप से भारतीयों के अधिकारों का घोर उल्लंघन हो रहा है।

एक बयान में बीएमएस महासचिव बिनॉय कुमार सिन्हा (BMS General Secretary Binoy Kumar Sinha) ने कहा, “हमें कई मानवाधिकार संगठनों ने इस बात की सूचना दी है कि जब से कतर ने फीफा विश्व कप के आगामी संस्करण की मेजबानी के लिए बोली जीती है, तब से वहाँ भारतीय कामगार गुलामों जैसी जिंदगी जी रहे हैं।”

भारत में सबसे बड़े केंद्रीय ट्रेड यूनियन बीएमएस ने कहा कि 2014 से कतर में 1611 भारतीय प्रवासी कामगारों की मौत हुई है। मृत परिवारों को अपने ही लोगों का शव लेने के लिए काफी इंतजार करना पड़ता है। यह चिंता का विषय है।

BMS ने कतर की सरकार और ट्रेड यूनियन के सामने इस मुद्दे को उठाया है। इसके अलावा भारत में कतर के राजदूत के सामने भी विरोध प्रदर्शन किया है। इस मुद्दे को श्रम और विदेश मंत्रालय के समक्ष भी उठाया गया था। बीएमएस ने माँग की कि कतर में सभी भारतीय कामगारों को सभी मूलभूत सुविधाएँ मुहैया करवाई जाएँ और उनके मानवाधिकारों का सम्मान किया जाए।

मृत के परिवार को भी मुआवजा देने की माँग करते हुए बीएमएस ने आगे कहा, “यदि कतर सरकार इन मोर्चों पर सकारात्मक कदम नहीं उठाती है, तो बीएमएस इस मुद्दे को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों मंचों पर जल्द से जल्द उठाने के लिए मजबूर होगी।”

बता दें कि कतर में काफिला प्रणाली भारत के साथ-साथ अन्य दक्षिण एशियाई देशों के श्रमिकों के लिए गंभीर आघात का कारण बना है। पासपोर्ट की जब्ती, ओवरटाइम काम, तंग आवास, यौन शोषण, विशेषज्ञता के क्षेत्र से बाहर जबरन काम करवा कर श्रमिकों को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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