Sunday, September 8, 2024
Homeदेश-समाज'बिना माँस खाए 1-2 दिन रहिए': गुजरात हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार को लगाई...

‘बिना माँस खाए 1-2 दिन रहिए’: गुजरात हाई कोर्ट ने मुस्लिम पक्षकार को लगाई फटकार, जैन पर्व पर बूचड़खाने बंद करने को बता रहा था मौलिक अधिकार पर रोक

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूरे अहमदाबाद शहर में एक ही बूचड़खाना है और इस बूचड़खाने के खुला रखने या बंद रखने से किसी व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

गुजरात हाईकोर्ट ने बूचड़खाने को लेकर कोर्ट पहुँचे मुस्लिम समुदाय के लोगों को फटकार लगाई और कहा कि क्या वे एक-दो दिन बिना माँस के जिंदा नहीं रह सकते? दरअसल, जैन धर्मांवलंबियों के पवित्र पर्युषण पर्व पर अहमदाबाद नगर निगम ने (AMC) ने बूचड़खाने को बंद रखने का आदेश दिया था।

AMC के आदेश के बाद ‘कुल हिंद जमीयत-अल कुरैश एक्शन कमिटी’ ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर निगम के आदेश को चुनौती दी थी। कमिटी की ओर से दानिश कुरैशी रजावाला और एक अन्य व्यक्ति द्वारा याचिका में कहा कि यह बूचड़खाना अहमदाबाद का इकलौता बूचड़खाना है और पर्व पर इसे खुला या बंद रखने से कोई फर्क नहीं पड़ता।

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट की जस्टिस संदीप भट्ट की एकल पीठ ने कहा, “आप लोग अंतिम समय में भागे चले आ रहे हैं? हम इस पर विचार नहीं करेंगे। जब भी प्रतिबंध लगाया जाता है तो आप लोग भागे-भागे कोर्ट आ जाते हैं। आप लोग एक-दो दिन माँस खाने से खुद को रोक सकते हैं।”

याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि अहमदाबाद नगर निगम (AMC) की स्थायी समिति ने 18 अगस्त को पारित एक प्रस्ताव में जैन त्योहार पर्युषण पर्व के दौरान बूचड़खाने को बंद रखने का आदेश दिया है।

मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में तर्क दिया कि पूरे अहमदाबाद शहर में एक ही बूचड़खाना है और इस बूचड़खाने के खुला रखने या बंद रखने से किसी व्यक्ति पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। मुस्लिम पक्ष ने कोर्ट में यह भी तर्क दिया कि राष्ट्रीय पोषण संस्थान (NIN) के दिशा-निर्देशों में कहा गया है कि प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए।

इस दौरान याचिकाकर्ताओं ने गुजरात हाईकोर्ट के दिसंबर 2021 के फैसले का उदाहरण दिया। इसमें कोर्ट ने AMC से कहा था कि किसी भी व्यक्ति के खान-पान की आदतों को नियंत्रित करने की कोशिश नहीं की जा सकती।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

असम के मुस्लिम बहुल इलाकों में जनसंख्या से अधिक आधार कार्ड: CM सरमा का ऐलान- जिसका NRC का आवेदन नहीं, उसे AADHAAR नहीं

असम के सीएम सरमा ने कहा है कि जिन लोगों ने NRC के लिए आवेदन नहीं किया है, उन्हें आधार कार्ड नहीं जारी किया जाएगा।

ग्रामीण और रिश्तेदार कहते थे – अनाथालय में छोड़ आओ; आज उसी लड़की ने माँ-बाप की बेची हुई जमीन वापस खरीद कर लौटाई, पेरिस...

दीप्ति की प्रतिभा का पता कोच एन. रमेश को तब चला जब वह 15 वर्ष की थीं और उसके बाद से उन्होंने लगातार खुद को बेहतर ही किया है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -