जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 का पॉवर खत्म करके प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने जो ऐतिहासिक फैसला लिया है उसकी खुशी पूरे देश में मनाई जा रही है। लेकिन पाकिस्तान इससे खुश नहीं है। होना भी नहीं चाहिए!! दशकों से चले आ रहा कश्मीर के इस विवाद को भारत सरकार बिना हिंसा के सुलझा दे, ये पाकिस्तान कैसे पचा सकता है। अब चूँकि पाकिस्तान भारत के इस फैसले पर मूक होने के सिवा कुछ नहीं कर सका तो वो संयुक्त राष्ट्र के नाम पर भारत को गीदड़-भभकी देने लगा।
पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 के निष्प्रभावी होने पर अलग-अलग देशों से अलग-अलग तरीकों से मदद माँगी। लेकिन जवाब में फजीहत के सिवाय उनके हाथ कुछ नहीं लगा। 5 अगस्त को भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 समाप्त करके एक राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बाँट दिया- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख। पाकिस्तान ने इसका विरोध किया और यूएन के आदेश का उल्लंघन बताया। पाकिस्तान ने भारत के फैसले को गैरजिम्मेदार बताया और कहा- “इस्लामाबाद भारत के इस अवैध फैसले का मुकाबला करने के लिए सभी संभावित विकल्पों का इस्तेमाल करेगा।”
इसके बाद पाकिस्तान के एक्शन पर पॉवरफुल देशों ने क्या रिएक्शन दिया, आइए संक्षेप में जानें…
- पाकिस्तान ने UNSC की अध्यक्षा को भारत द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने के संबंध में पत्र लिखा।
- अफसोस! UNSC की अध्यक्षा ने इस पर कोई भी टिप्पणी देने से मना कर दिया। उन्होंने इस पर सिर्फ़ ‘नो कमेंट्स’ कहा।
- वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेश ने भी गुरुवार (अगस्त 8, 2019) को जम्मू और कश्मीर में मौजूदा स्थिति पर अधिकतम संयम बरतने की अपील की और कश्मीर के समाधान के लिए पाकिस्तान को द्विपक्षीय शिमला समझौते का निर्देश दिया।
- अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने भी अपने जारी बयान में स्पष्ट किया कि कश्मीर मसले पर अमेरिका की नीतियों में कोई बदलाव नहीं होगा।
- अमेरिका ने इस मसले को भारत का आंतरिक मामला बताया है और पाकिस्तान से कहा है कि वह इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप नहीं करेंगे।
- भारत के विरोध में पाकिस्तान द्वारा भारतीय उच्चायुक्त को भेजने पर अमेरिकी सांसद रॉबर्ट मेनेनडेज और इलियट इनजेल ने बयान जारी कर पाकिस्तान की कड़ी आलोचना की थी।
- इस दौरान दोनों नेताओं ने पाकिस्तान को भारत पर कार्रवाई करने से ज्यादा उनके मुल्क की सरजमीं पर पल रहे आतंकी गुटों से निबटने की हिदायत दी थी।
- इधर, अमेरिका-आधारित समूह ‘वॉयस ऑफ कराची’ ने भी कहा था, “पाकिस्तान को कश्मीरियों के बारे में बोलने का कोई हक नहीं, क्योंकि उसने खुद अपने नागरिकों को मूलभूत अधिकारों से वंचित रखा।”
- इस मसले पर चीन ने भी पाकिस्तान का साथ देने से मना कर दिया। जिसकी जानकारी खुद पाकिस्तानी नेता शाहबाज शरीफ़ ने दी। उन्होंने बताया- ‘चीन आज तक हर मसले पर हमारे साथ खड़ा होता था उसने इस मसले पर एक शब्द भी प्रतिक्रिया देना मुनासिब नहीं समझा।’
- सऊदी अरब ने भी अपनी तरफ से पाकिस्तान के समर्थन में कोई प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया है।
- शाहबाज शरीफ़ ने अपने ही प्रधानमंत्री के बारे में कहा है,” इमरान खान तो ट्रंप से मध्यस्थता करने की बात ही करते रह गए, हिंदुस्तान के पीएम नरेंद्र मोदी ने जो करना था वो कर दिया।”