सुप्रीम कोर्ट ने हिज़्बुल मुजाहिदीन सरगना और आतंकवादियों की घोषित वैश्विक सूची में शामिल सैयद सलाउद्दीन के पुत्र शाहिद युसुफ़ की ज़मानत याचिका ख़ारिज कर दी है। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत द्वारा जाँच पूरी करने के लिए राष्ट्रीय जाँच एजेंसी को और समय दिए जाने के बाद अभियुक्त को ज़मानत नहीं दी जा सकती।
जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ और हेमंत गुप्ता की पीठ ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और दिल्ली उच्च न्यायालय के फ़ैसलों में कोई अवैधता नहीं है जिसने पहले उनकी ज़मानत याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया था।
फ़िलहाल युसुफ़ न्यायिक हिरासत में है जिसे राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने 24 अक्टूबर 2017 को सेंट्रल कश्मीर के बड़गाम से गिरफ़्तार किया था। राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि शाहिद युसुफ़ का संबंध प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन हिज़्बुल मुजाहिदीन से थे और वह अपने पिता के निर्देश पर सऊदी अरब में एक आतंकवादी संगठन से धन एकत्र कर रहा था। आतंकवाद फैलाने के लिए पाकिस्तान से जम्मू और कश्मीर तक हवाला के ज़रिए फंड भेजे जाने की सूचना के आधार पर यूसुफ़ के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया था।