Monday, December 23, 2024
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न्यूजीलैंड की जिस PM का कायल रवीश-राठी समेत लिबरल गिरोह, वो नहीं सँभाल पाई सरकार: देना पड़ा इस्तीफा, जनता में लोकप्रियता भी गिरी

"मैं अब जा रही हूँ। क्योंकि इस तरह के पद के साथ ही बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसके साथ ही यह भी जिम्मेदारी आती है कि आप ये भी तय करें कि आप लीडरशिप करने के लिए कब फिट हैं और कब नहीं?"

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री जैसिंडा अर्डर्न ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया। उन्होंने कहा है कि वह आगामी 7 फरवरी से पहले इस्तीफा दे देंगी। साथ ही, उन्होंने चुनाव लड़ने से भी इनकार किया है। अपने इस्तीफे का ऐलान करते हुए जैसिंडा अर्डर्न ने कहा है कि वह इसलिए इस्तीफा नहीं दे रही हैं कि उन्हें हारने का डर है। बल्कि, उन्हें अब भी विश्वास है कि आगामी चुनाव में उनकी ही पार्टी जीतेगी। हालाँकि, उन्होंने सांसद पद से इस्तीफा देने से इनकार किया।
 
अर्डर्न ने कहा है कि उनके इस्तीफे के पीछे कोई रहस्य नहीं है। बल्कि, वह साफ तौर पर कहना चाहती हैं कि वह भी इंसान हैं। वह जितना अच्छा कर सकतीं थीं, उतना करने का प्रयास किया है। लेकिन, अब यह समय उनके लिए फैसला लेने का है। उन्होंने कहा है, “मैं अब जा रही हूँ। क्योंकि इस तरह के पद के साथ ही बहुत बड़ी जिम्मेदारी होती है। इसके साथ ही यह भी जिम्मेदारी आती है कि आप ये भी तय करें कि आप लीडरशिप करने के लिए कब फिट हैं और कब नहीं?”

अर्डर्न ने आगे कहा है, “पिछले साढ़े पाँच साल मेरी जीवन के लिए सबसे संतोषजनक रहे हैं। लेकिन, इस दौरान चुनौतियों का भी सामना किया। आवास, बाल गरीबी और जलवायु परिवर्तन पर केंद्रित एजेंडे के बीच, हमें आतंकी घटनाओं, एक बड़ी प्राकृतिक आपदा (ज्वालामुखी), एक वैश्विक महामारी (कोरोना) और एक आर्थिक संकट का सामना करना पड़ा।”

न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री ने यह भी कहा है कि साल 2022 के अंत में उन्होंने अपने भविष्य को लेकर विचार किया। उन्हें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री पद पर बने रहने के लिए दिल और ऊर्जा दोनों मिल जाएँगे। लेकिन, अब उन्हें लगता है कि यदि वह इस पद पर बनी रहेंगी तो न्यूजीलैंड को नुकसान होगा। बता दें कि अर्डर्न साल 2017 में 37 साल की उम्र में न्यूजीलैंड की प्रधानमंत्री बनीं थीं। वह दुनिया की सबसे युवा प्रधानमंत्री थीं।

उनके द्वारा लिए गए कई फैसलों की चर्चा न केवल न्यूजीलैंड बल्कि भारत के लिबरल गिरोह में भी हुई। हालाँकि, किसी भी देश के मुखिया द्वारा किए गए कामों की सच्चाई वहाँ की जनता ही जानती है। भारत से काफी कम जनसंख्या वाले न्यूजीलैंड से तुलना कर-कर के वामपंथी गिरोह ने अपने ही देश को नीचा दिखाना शुरू कर दिया था।

दरअसल, यह इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि न्यूजीलैंड में इसी साल अक्टूबर में चुनाव होने हैं। इन चुनावों से पहले सामने आए सर्वे में अर्डर्न पिछड़ती हुई दिख रहीं हैं। सर्वे के अनुसार, न्यूजीलैंड में उनकी व्यक्तिगत लोकप्रियता न्यूनतम स्तर पर पहुँच गई है। पार्टी में भी अब उनके लिए पहले जैसा माहौल नहीं है। ऐसा माना जा रहा है कि इन सब चीजों को देखते हुए ही उन्होंने इस्तीफा देने का फैसला किया।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस कंट्रोल करने को लेकर भारतीय वामपंथी जैसिंडा अर्डर्न का गुणगान करते फिर रहे थे। चाहे वह यूट्यूब पत्रकार बन चुके रवीश कुमार हों या फिर वामपंथियों की सड़ी हुई मानसिकता का ढिंढोरा पीटने वाले ध्रुव राठी।

हालाँकि, जब न्यूजीलैंड की अर्थव्यवस्था डगमगा रही और लोग न्यूजीलैंड छोड़कर दूसरे देशों में बस रहे हैं, तब इन लोगों ने कुछ भी नहीं कहा। और अब, अर्डर्न के इस्तीफे के ऐलान के बाद भी लिबरल गैंग खामोश बैठी हुई है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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