Sunday, November 3, 2024
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ये सब फालतू बातें हैं… जानें कौन हैं वो जैन मुनि, जिन्होंने जमीयत के मंच से मदनी को लताड़ा: 20000 km की कर चुके हैं पदयात्रा

जमीयत के मंच से लोकेश मुनि ने कहा, "जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए। अरिष्टनेमि 14वें योगीराज कृष्ण के भाई थे। किंतु याद रखिए, उससे पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव थे, जिनके पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम पड़ा है। आप इसे नहीं मिटा सकते।"

इस्लामिक संगठन जमीयत-उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद महमूद मदनी द्वारा ‘अल्लाह और ॐ’ को एक बताने पर विवाद खड़ा हो गया है। इसको लेकर जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि ने मंच पर अरशद महमूद मदनी को जमकर लताड़ लगाई। इसके बाद जैन मुनि समेत अन्य धर्म के गुरुओं ने मंच छोड़ दिया।

जैन धर्मगुरु लोकेश मुनि ने मौलाना मदनी को फटकार लगाते हुए कहा, “मदनी ने जो कहा है, उससे कोई भी सहमत नहीं है। मैं आपसे निवेदन करता हूँ कि यदि लोगों को जोड़ने की बात आपको करनी है तो प्यार-मोहब्बत की बात कीजिए। आपने जितनी कहानी सुनाई है ॐ, अल्लाह, मनु ये वो उससे कहीं अधिक 4 गुना कहानी मैं सुना सकता हूँ। मदनी साहब को मैं शास्त्रार्थ के लिए बुला रहा हूँ। आप दिल्ली आइए या मुझे सहारनपुर बुलाइए।”

लोकेश मुनि ने कहा, “जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर हुए। अरिष्टनेमि 14वें योगीराज कृष्ण के भाई थे। किंतु याद रखिए, उससे पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव थे, जिनके पुत्र भरत के नाम पर इस देश का नाम पड़ा है। आप इसे नहीं मिटा सकते।”

उन्होंने मदनी की बातों का खण्डन करते हुए कहा, “चारों धर्म के संत या कोई भी अन्य इससे सहमत नहीं है। आप केवल आपस में मिलजुल कर रहने को लेकर सहमत हैं। ये जो कहानी है ओम, मनु अल्लाह, उसकी औलाद ये अब फालतू की बातें हैं। आपने सारा पलीता लगा दिया एकता और सद्भावना के सम्मेलन में।”

दरअसल, मौलाना अरशद मदनी ने कहा, “मैंने धर्मगुरुओं से पूछा कि जब कोई नहीं था… न श्रीराम थे, न ब्रह्मा थे और न शिव थे, जब कोई नहीं था तो मनु पूजते किसको थे। कोई कहता है कि शिव को पूजते थे। बहुत कम लोग ये बताते हैं कि मनु ॐ को पूजते थे। ॐ कौन है? बहुत से लोगों ने कहा कि उनका कोई रूप-रंग नहीं है। वो दुनिया में हर जगह हैं। अरे बाबा… इन्हीं को तो हम अल्लाह कहते हैं। इन्हें ही आप ईश्वर कहते हैं।”

मौलाना ने आगे कहा, “इन्हें ही फारसी बोलने वाले खुदा और अंग्रेजी बोलने वाले गॉड कहते हैं। इसका मतलब यह है कि मनु ही आदम थे और वे ॐ यानी अल्लाह को पूजते थे। हजरत आदम जो नबी थे, सबसे पहले उन्हें भारत की धरती के भीतर उतारा। अगर चाहता तो आदम को अफ्रीका, अरब, रूस में उतार देता। वो भी जानते हैं, हम भी जानते हैं कि आदम को दुनिया में उतारने के लिए भारत की धरती को चुना गया।”

यही नहीं, मौलाना ने संघ प्रमुख मोहन भागवत की घर वापसी वाले बयान पर मदनी ने कहा है कि इस्लाम भारत के लिए कोई नया मज़हब नहीं है। अल्लाह ने पैगंबर आदम यानी मनु को यहीं उतारा, उनकी पत्नी हव्वा को उतारा, जिन्हें वे (हिंदू) हमवती कहते हैं। वे सारे नबियों, मुसलमानों, हिंदुओं, ईसाइयों के पूर्वज हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा कि बहुसंख्यक समाज के पूर्वज हिंदू नहीं, बल्कि आदम थे, अल्लाह की इबादत करने वाले थे।

ओम को अल्लाह और मनु को आदम बताने वाले महमूद मदनी ने अपने संबोधन में कहा कि इस्लाम के पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ किसी भी तरह की कोई भी बयानबाजी मुस्लिमों को मंजूर नहीं है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम अपने पैगंबर के विरूद्ध कुछ भी गलत नहीं सुन सकता। 

कौन हैं आचार्य लोकेश मुनि…

जैन धर्म के प्रसिद्ध संत आचार्य डॉक्टर लोकेश मुनि एक धर्मगुरु, विचारक, लेखक, कवि और समाज सुधारक हैं। वे बीते 33 वर्षों से राष्ट्रीय चरित्र निर्माण, मानवीय मूल्यों के विकास और भारतीय समाज में अहिंसा, शांति और आपसी सहयोग स्थापित करने के लिए अनवरत प्रयास कर रहे हैं।

आचार्य लोकेश मुनि ने सामाजिक बुराइयों को दूर करने और समाज सुधारने के लिए पूरे भारत में लगभग 20,000 किलोमीटर की पैदल यात्रा की है। यही नहीं, उन्होंने समाज को जागरूक करने और शांति व्यवस्था बनाने के लिए ‘अहिंसा विश्वभारती’ नामक संस्था की स्थापना की है। बालिकाओं भ्रूण हत्या, नशाखोरी, पर्यावरण प्रदूषण जैसी कुरीतियों के खिलाफ उन्होंने सशक्त आंदोलन शुरू किया है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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