Thursday, May 2, 2024
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पाकिस्तान सहित 155 देशों की नदियों-समुद्रों के जल से रामलला का होगा जलाभिषेक: अयोध्या में CM योगी करेंगे पूजा, जानिए तारीख

योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ राम मंदिर के लिए लगभग 200 वर्षों से लड़ाई लड़ने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। नाथ संप्रदाय ने इस लड़ाई को पूरी तन्मयता से साथ लड़ी। गोरक्षपीठ और योगी आदित्यनाथ भगवान राम के प्रति गहरी आस्था के लिए जाने जाते हैं।

वैश्विक हिंदू एकता के संकेत के रूप में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) 155 विभिन्न देशों की नदियों के जल से अयोध्या में राजा रामचंद्र का ‘जलाभिषेक’ करेंगे। यह समारोह 23 अप्रैल 2023 को भगवान राम के जन्म के उपलक्ष्य में आयोजित किया जाएगा।

समारोह की तैयारियाँ जोरों पर हैं और प्रशासन 155 अलग-अलग देशों की नदियों से पानी इकट्ठा कर रहा है। इन नदियों के पानी को एक विशेष कंटेनरों में एकत्र किया जाता है। इसके बाद इस जल से रामलला का वैदिक मंत्रोच्चार से जलाभिषेक किया जाएगा।

बता दें कि राममंदिर के पहले फेज का काम खत्म करने की समय सीमा दिसंबर 2023 है। यह काम लगभग पूरा होने वाला है। कहा जा रहा है कि दिसंबर 2023 में मंदिर का काम पूरा होने के बाद जनवरी 2024 में मकर संक्राति के दिन मंदिर के गर्भगृह में रामलला को प्रतिष्ठित किया जाएगा।

जलाभिषेक समारोह धार्मिक आयोजन होने के साथ-साथ शांति, सद्भाव और वैश्विक हिंदू एकता को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है। इससे दुनिया भर के लोगों को समावेशी और भाईचारे का एक शक्तिशाली संदेश भेजने की उम्मीद है।

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के महासचिव चंपत राय के अनुसार, योगी आदित्यनाथ 23 अप्रैल को अयोध्या के मनीराम दास छावनी सभागार में भाजपा नेता विजय जॉली के नेतृत्व वाली टीम से कलश प्राप्त करेंगे। इसमें 155 विभिन्न देशों की नदियों का पानी है। इस दौरान सभागार में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ ‘जल कलश’ की पूजा करेंगे।

इस कलश में पाकिस्तान की रावी नदी समेत 155 देशों की नदियों का पानी शामिल होगा। चंपत राय ने कहा कि पाकिस्तान से हिंदू रावी नदी का पानी दिल्ली लाने से पहले दुबई भेजा गया। इसके बाद वहाँ से भारत लाया गया। पाकिस्तान के अलावा तिब्बत, चीन, सूरीनाम, यूक्रेन, रूस, कजाकिस्तान, कनाडा आदि देशों की नदियों से भी पानी लाया गया है।

श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के लिए नदियों और समुद्रों से जल एकत्र करने की पहल दिल्ली स्थित एक गैर-सरकारी संगठन, दिल्ली स्टडी ग्रुप द्वारा की गई थी। दिल्ली के पूर्व भाजपा विधायक विजय जॉली संगठन के अध्यक्ष हैं। जॉली ने कहा कि उन्हें स्वर्गीय अशोक सिंघल और पीएम मोदी से दुनिया भर से पानी इकट्ठा करने और भगवान राम का जलाभिषेक करने की प्रेरणा मिली थी।

राम मंदिर आंदोलन की गोरक्षपीठ ने की थी अगुवाई

बताते चलें कि योगी आदित्यनाथ यूपी के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ राम मंदिर के लिए लगभग 200 वर्षों से लड़ाई लड़ने वाले गोरखपुर स्थित गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। नाथ संप्रदाय ने इस लड़ाई को पूरी तन्मयता से साथ लड़ी। गोरक्षपीठ और योगी आदित्यनाथ भगवान राम के प्रति गहरी आस्था के लिए जाने जाते हैं।

सन 1855 से 1885 तक गोरक्षनाथ पीठ के पीठाधीश्वर रहे महंत गोपालनाथ महाराज ने 1850 से 60 के बीच राम जन्मभूमि विवाद लगभग हल करने की ओर थे। क्रांतिकारी अमीर अली और आंदोलन में सक्रिय रहे बाबा रामचरण दास को साथ लेकर विवाद हल करने की पहल शुरू की। अमीर अली जन्मभूमि हिंदुओं को सौंप देना चाहते थे।

अंग्रेजों को जब इसके बारे में पता चला तो उन्होंने इस विवाद को बनाए रखने के लिए दोनों को फाँसी दे दिया। इसके बाद आगे चलकर नाथ पंथ के ही योगीराज बाबा गंभीर नाथ और ब्रह्मनाथ जी महाराज ने भी राममंदिर विवाद को सुलझाकर राम मंदिर बनाने की कोशिश की।

साल 1935 से 1969 तक गोरखनाथ मंदिर के मठाधीश रहे महंत दिग्विजय नाथ को राम मंदिर निर्माण आंदोलन का सूत्रधार कहा जाता है। 23 सितंबर 1949 को बाबरी ढाँचे के नीचे जब रामलला की मूर्ति प्रकट हुई थी, उस दौरान महंत दिग्विजय नाथ साधु संतों के साथ भजन कीर्तन कर रहे थे।

मंहत दिग्विजय नाथ के परमधाम जाने के उनके शिष्य और पीठ के महंत अवैद्यनाथ ने कमान संभाली। उनकी अगुवाई में 1984 में राम जन्मभूमि न्यास का गठन हुआ था। महंत अवैद्यनाथ न्यास के पहले अध्यक्ष चुने गए। महंत अवैद्यनाथ के ब्रह्मलीन होने के बाद आंदोलन की कमान योगी आदित्यनाथ के हाथों में आ गई। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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