Sunday, November 17, 2024
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अंतरिक्ष के बाद अब समुद्र की गहराइयों में उतरेगा भारत, 6 किलोमीटर गहराई में जाने के लिए बनाया ‘MATSYA 6000’, वैज्ञानिक जाकर करेंगे अध्ययन

भारत के पास 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा, जो नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का घर है। भारत ने साल 2047 तक विकसित देशों की वर्ग में आने का गोल सेट किया है। इसके लिए भारत अपनी शक्ति और क्षमता का लगातार प्रदर्शन कर रहा है। 

अंतरिक्ष के साथ-साथ भारत ने समुद्र की अनंत गहराइयों में भी मिशन की शुरुआत करने का निर्णय लिया है। समुद्र की गहराई के रहस्यों पर से पर्दा उठाने के लिए भारत द्वारा शुरू किए जाने वाले अपने पहले समुद्री ‘समुद्रयान मिशन’ में तीन लोगों को 6,000 मीटर की गहराई तक भेजा जाएगा।

समुद्रयान परियोजना भारत का पहला मानवयुक्त समुद्री मिशन है, जो समुद्र की गहराई में जाकर संसाधनों एवं जैव विविधता का अध्ययन एवं मल्यांकन करेगा। इसे केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा शुरू किए किया गया है। इस मिशन की 2026 तक पूरे होने की संभावना है।

इस मिशन में सबमर्सिबल वाहन का उपयोग किया जाएगा। इसका उपयोग केवल एक्सप्लोरेशन के लिए किया जाएगा, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र को न्यूनतम या शून्य क्षति पहुँचेगी। इस मिशन पर चेन्नई का राष्ट्रीय महासागर प्रौद्योगिकी संस्थान (NIOT) काम कर रहा है।

समुद्रयान मिशन पर काम करने के लिए जिस वाहन को तैयार किया जा रहा है, उसे ‘MATSYA 6000’ नाम दिया गया है। बता दें कि केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने 29 अक्टूबर 2021 को इस मिशन को लॉन्च किया था।

इस मिशन के लॉन्च के साथ ही भारत अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे देशों के विशिष्ट क्लब में शामिल हो गया है। इन देशों ने समुद्र की गहराई में अध्ययन करने के लिए खूब काम किया है। इस मिशन से समुद्र में भारत की क्षमता बढ़ेगी।

केंद्र ने पाँच वर्षों के लिए 4,077 करोड़ रुपए के कुल बजट पर गहरे महासागर मिशन को मंजूरी दी थी। तीन वर्षों (2021-2024) के लिए पहले चरण की अनुमानित लागत 2,823.4 करोड़ रुपए है। इसमें समुद्र में 6 किलोमीटर की गहराई में जाकर तीन व्यक्ति वहाँ की पारिस्थितिकी तंत्र का अध्ययन करेंगे।

बताते चलें कि आमतौर पर पनडुब्बियाँ केवल 200 मीटर गहराई तक ही जाती हैं। हालाँकि, इस मिशन के लिए पनडुब्बी को बेहतर तकनीक के साथ बनाया जा रहा है। इससे स्वच्छ ऊर्जा, पेयजल और नीली अर्थव्यवस्था के लिए समुद्री संसाधनों का पता लगाने के लिए और अधिक विकास के रास्ते खुलेंगे।

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय को उम्मीद है कि 1000 से 5,500 मीटर के बीच गहराई पर स्थित गैस हाइड्रेट्स, पॉलिमेटेलिक मैंगनीज नोड्यूल्स, हाइड्रो-थर्मल सल्फाइड और कोबाल्ट क्रस्ट्स जैसे संसाधनों की खोज में सहायता मिलेगी। इसके अलावा, निकल, कोबाल्ट, मैंगनीज आदि खनिज मिलने की संभावना है।

सबमर्सिबल को 12 घंटे की परिचालन क्षमता और 96 घंटे तक आपातकालीन सहनशीलता का वाली प्रणालियों के साथ विकसित किया गया है। सबमर्सिबल वाहन MATSYA 6000 समुद्र तल पर 6 किलोमीटर की गहराई में 72 घंटे तक तैरने में सक्षम है।

भारत के पास 7,517 किलोमीटर लंबी तटरेखा, जो नौ तटीय राज्यों और 1,382 द्वीपों का घर है। भारत ने साल 2047 तक विकसित देशों की वर्ग में आने का गोल सेट किया है। इसके लिए भारत अपनी शक्ति और क्षमता का लगातार प्रदर्शन कर रहा है। 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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