Friday, September 20, 2024
227 कुल लेख

अजीत झा

देसिल बयना सब जन मिट्ठा

एक थी रामगोपाल वर्मा की आग और एक है कॉन्ग्रेस अध्यक्ष की कुर्सी, दोनों में बस धुआँ ही धुआँ है

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष पद से जब भी पर्दा उठेगा तो गाँधी ही निकलेंगे। या तो कुर्सी पर बैठा गाँधी या फिर पर्दे के पीछे से कुर्सी को नचाता गाँधी। 'गैर गॉंधी अध्यक्ष' महज जुमला है।

‘वहॉं नुकीले पत्थर निकले हैं… तो जमीन को समतल करना पड़ेगा, बैठने लायक करना पड़ेगा’

आज NRC और CAA पर जिस तरह भ्रम का माहौल बनाने की कोशिश हो रही। समुदाय विशेष को उकसाया जा रहा। ऐसा ही कभी अयोध्या में राम मंदिर को लेकर कॉन्ग्रेसियों और वामपंथियों ने किया था। तब संसद में वाजपेयी ने कहा था...

राम मंदिर भूमिपूजन के बाद पहली स्वतंत्रता दिवस के मायने, क्योंकि अयोध्या से आगे मथुरा-काशी भी है…

एक तरफ है करीब 1000 साल से चल रहा छल, प्रपंच और जोर। दूसरी तरफ है हिंदुओं का वह नैतिक बल, जिसका पहला पड़ाव सोमनाथ का पुनरुद्धार था। वह भारतीय चेतना, जिसकी अप्रतिम ऊर्जा अयोध्या है। वह सनातनी संस्कृति, जिसका प्रकाश पुंज मथुरा-काशी है।

‘मथुरा-काशी बाकी है’: 1947 का वो यज्ञ जब 3 दोस्तों ने खींचा हिंदुओं के 3 पवित्र स्थल को वापस पाने का खाका

यह तो पहली झाँकी है, मथुरा-काशी बाकी है। ये नारा तो बहुत बाद में बुलंद हुआ। उससे बरसों पहले तीन दोस्तों ने अयोध्या के साथ-साथ इन दो हिंदू पवित्र स्थलों को वापस पाने का एक विस्तृत खाका तैयार कर लिया था।

उनके प्रपंच का गुंबद था अयोध्या, ढह गया, पर राम मंदिर के उत्साह में मथुरा-काशी का दर्द न दबे

आज भले अयोध्या पर उनके प्रपंच का गुम्बद ढह गया है। लेकिन बाबरी मस्जिद बनाने के बाद से करीब 500 साल का इतिहास जोर, छल और प्रपंच का ही गवाह रहा।

जब हुआ मंदिरों का ध्वंस, तब किस दोजख में था सौहार्द? – यह ‘हिंदू’ बनने का वक्त, ‘सेकुलर’ नौटंकी से बचो

क्या UP और केंद्र में BJP की सरकार न होती, तब भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यह सब इतना ही आसान होता? 'अच्छा हिंदू' कहेगा कि क्यों नहीं?

भए प्रगट कृपाला: 70 साल पहले आधी रात हुई अलौकिक रोशनी, भाइयों संग प्रकट हुए रामलला

सुबह चार बजे के आसपास रामजन्मभूमि स्थान में मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा हो गई। खबर आई कि भगवान प्रकट हो गए हैं। तड़के साढ़े चार बजे घंटे-घड़ियाल बजने लगे, साधु शंखनाद करने लगे और लोग जोर-जोर से गाने लगे, भए प्रगट कृपाला...

एक थे नेहरू, एक हैं मोदी: वे राम को अयोध्या से बेदखल करना चाहते थे, ये भव्य मंदिर की शिला रखेंगे

आजाद भारत में भी राम के खिलाफ साजिशें बंद नहीं हुईं। इसके अगुवा खुद नेहरू थे। लंबे संघर्ष के बाद 5 अगस्त का वो दिन आ रहा है जब पीएम मोदी खुद मंदिर की शिला स्थापित करेंगे।