24 फरवरी की रात को जब दिलबर नेगी दुकान की बेकरी के गोदाम में सो रहा था, उसी समय दंगाइयों ने गोदाम में आग लगा दी। दंगाइयों ने दिलबर के हाथ-पैर काटे और अधमरी अवस्था में ही उसे आग के हवाले कर दिया। दिलबर के साथी श्याम का कहना था कि दंगाइयों ने उस पर भी हमला किया, जिससे वो गंभीर रूप से घायल हो गया।
आसमानी गुलेलों और पेट्रोल बम की पड़ताल करना न्यूज़लॉन्ड्री जैसों के लिए अपने अन्नदाताओं को निराश करने वाली बात होगी। इसलिए अपने अन्नदाताओं के खिलाफ जाकर पतझड़ कुमार को कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, ऐसा न हो कि उनके खिलाफ जाते ही भारत में बेरोजगारी के आँकड़ों में पतझड़ कुमार भी योगदान करते हुए नजर आएँ।
सर्वेक्षण में पाँच हजार से अधिक पाठकों ने हिस्सा लिया। 38% से ज्यादा मत पाने वाले रणजीत सिंह की सहिष्णु साम्राज्य बनाने के लिए प्रशंसा की गई। दूसरे स्थान पर अफ्रीकी स्वतंत्रता संग्राम के सेनानी अमिलकार काबराल रहे।
शाहीन बाग़ ने अपने चहेते मीडियाकारों के साथ मिलकर रोज थोड़ा-थोड़ा प्रयासों से दिल्ली में हिन्दुओं के खिलाफ नरसंहार की तैयारियाँ शुरू की। बीस साल के दिलबर नेगी की मौत हो, चाहे आईबी अधिकारी अंकित शर्मा का चार सौ बार चाकुओं से गोदा गया शरीर हो, इस सबकी पटकथा शाहीनबाग ने ही आधार दिया इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए।
यह संभव नहीं है कि एक समुदाय विशेष हिन्दुओं के घरों को जलाने के लिए उन्हें चिन्हित करे, जलाए और बदले में हिन्दू जाकर उसे गले लगा आए। यह दंगा-साहित्य कुछ पुरस्कार जीतने के लिए लिखी गई किताबों तक सीमित रहे, मानवता के लिए उनका योगदान उतना ही काफी माना जाएगा।
23 फ़रवरी की शाम दंगाई शाहदरा में घुसे। दिलबर सिंह नेगी को निशाना बनाया। हाथ, पैर काट दिए। फिर पास की दुकान में लगी आग में झोंक दिया। इसके बाद वहॉं भगदड़ मच गई। नेगी के परिजन इतने दहशत में हैं कि अब भी मौके पर जाने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे।
दंगाई मोहम्मद शाहरुख जब बन्दूक से फायरिंग करते हुए आगे बढ़ रहा था, तब एक जाँबाज पुलिसकर्मी को उसकी बन्दूक के सामने आकर उसे रोकने का प्रयास करते हुए देखा गया। बावजूद इसके शाहरुख गोलियाँ बरसता रहा।
अक्ल वितरण के कुछ दिन बाद अचानक 'इंटरनेट लिबरल्स' बिरियानी बाग़ में धरना देते देखे गए। जब पत्रकार उन तक पहुँचे तो लेफ्ट-लिबरल्स गिरोह ने कहा- "हमारा मकसद नागरिकता कानून नहीं, बल्कि कॉमन सेन्स और अक्ल वितरण में किया गया पक्षपात का विरोध है।"