Friday, April 26, 2024
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आशीष नौटियाल

पहाड़ी By Birth, PUN-डित By choice

‘उरी’ से हमारी जली, ‘मणिकर्णिका’ से हुए धुआँ-धुआँ: कट्टर वामपंथी गिरोह एवं एकता मंच

आज तक इस निर्धारित पैटर्न में होता यह था कि 'संप्रदाय विशेष' हमेशा दोस्ती के लिए जान देने को तैयार दिखाया जाता था। ब्राह्मण और पुजारी को व्यभिचारी, बनिया को हेरफ़ेर करने वाला दिखाया जाता रहा था। तब तक इस गिरोह को कभी समस्या नहीं हुई थी।

अस्त होती सभ्यता का सूर्य हैं सरस्वती पुत्र ‘पद्मश्री’ प्रीतम भरतवाण

देवताओं की इस धरती पर यदि सबसे पहले किसी को नमन किया जाना चाहिए तो वह यह ‘दास समुदाय' है जिन्हे स्थानीय भाषा में ‘औजी’ कहा जाता है, जिनके आवाह्न से ही किसी भी शुभ कार्य या समारोह में सर्वप्रथम देवी-देवताओं का स्मरण किया जाता है।

अगर ‘JNU कांडियों’ और नम्बी नारायणन में से आप सिर्फ़ पहले वालों को जानते हैं, तो समस्या आपके साथ है

नम्बी नारायणन को प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से अपनी डिग्री पूरी करने में मात्र 10 महीने लगे थे। मात्र 10 महीने? जेएनयू के ‘सेलेब्रिटी छात्रों’ ने अकेले टीवी स्टूडियो में ही 10 महीने से अधिक समय बिता दिया होगा।

भारत के इतिहास में पहला जौहर करने वाली उत्तराखंड की जिया रानी

लूटेरे तैमूर ने एक टुकड़ी आगे पहाड़ी राज्यों पर भी हमला करने के लिए भेजी, जब ये सूचना जिया रानी को मिली तो उन्होंने फ़ौरन इसका सामना करने के लिए कुमाऊँ के राजपूतो की एक सेना का गठन किया।

मजबूरी का नया नाम – प्रियंका गाँधी

प्रियंका गाँधी की सबसे बड़ी खूबी है कि वो ऑड डेज़ पर गाँधी और इवन डेज़ पर वाड्रा बनकर रह सकती हैं।

जब सूट-बूट वाली सरकार ने आम आदमी को वो दिया जो उन्हें 50 साल पहले मिलना था

लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता है, जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।

शाह फैसल! भाई साब किस लाइन में आ गए आप?

सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि शाह फ़ैसल ने यह निर्णय ट्विटर पर चल रहे #10YearsChallenge की वजह से लिया है। 10 साल पहले जो हालात राजनीति में थे, वो उनको ही ‘रीस्टोर’ करने के मकसद से शायद राजनीति में उतरना चाह रहे हों।

परमादरणीय रवीश कुमार! अपना ‘कारवाँ’ रोक दीजिए, आपको हिंदी पत्रकारिता का वास्ता

अपने पिछले तमाम एजेंडों में मोदी सरकार और उससे सम्बंधित पदाधिकारियों को नीचा दिखाने और अपमानित करने के तमाम नाकाम प्रयासों के बाद रवीश कुमार एक बार फिर से एक काल्पनिक वाकया लेकर जनता के सामने आए हैं।

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