राजनीति
राहुल गाँधी की आँखो में सेक्युलर सितारा बनने की चाह में हरीश ‘फ़ूड ब्लॉगर’ रावत ने उत्तराखंड की पारंपरिक टोपी को संघी टोपी बताया
बाइस इंची इस पहाड़ी टोपी को स्वयं हरदा कई बार पहन चुके हैं। लेकिन जिसकी अपनी टोपी में 'छेद ही छेद' हों उनको दूसरों की टोपी पर बात नही करनी चाहिए।
मीडिया फ़ैक्ट चेक
राहुल-प्रियंका की उल्टी समेटने के चक्कर में मोहम्मद जुबैर-प्रतीक सिन्हा के ऑल्टन्यूज ने फिर रायता फैलाया
ऑल्टन्यूज ने चालाकी से मुद्दा तो हँसने का उठाया, लेकिन फैक्टचेक किसी और फोटो का किया जो एक दो लोग, इस कारण ही शेयर कर रहे थे कि उन्हें भी पता चला राहुल-प्रियंका हँसते हुए जा रहे थे।
देश-समाज
राजस्थान: मंदिर पर अवैध कब्जे का विरोध करने वाले पुजारी को 6 लोगों ने पेट्रोल से आग लगा कर मार डाला
अवैध कब्जे का विरोध करने पर राजस्थान में राधा गोविन्द मंदिर के एक 50 वर्षीय पुजारी बाबूलाल वैष्णव को एक भू-माफिया और उसके साथियों ने जिन्दा जला दिया।
सामाजिक मुद्दे
चे ग्वेरा: रक्तपिपासु, होमोफ़ोबिक, नस्लवादी.. मार्क्सवादी क्रांति व लिबरल्स के रूमानी नायक से जुड़े वो खौफनाक तथ्य जिन्हें सभी नकारना चाहते हैं
'ग्वेरावादियों' ने ऐसी किसी भी चीज़ से मुँह मोड़ लिया, जो ग्वेरा की आदर्श छवि के साथ फिट नहीं बैठती। ग्वेरा निश्चित ही एक जल्लाद था। उसकी नजरों में इंसानों की मौत कुछ भी नहीं थी।
सामाजिक मुद्दे
मिर्जापुर: हिन्दू-घृणा से भरा पैकेज लेकर आया है 53 लाशों का जश्न मनाने वाला विषैला गैंग
जिहाद-परस्त व जिहाद-समर्थ इसी तर्ज पर नए दौर में तलवार, पेट्रोल बम के साथ साथ मनोरंजन के नाम पर सांस्कृतिक जिहाद पर बढ़-चढ़कर भागीदारी कर रहे हैं।
भारत की बात
सुपर कम्युनिस्ट शास्त्री: बेटी इंदिरा के हाथ में देश सौंपने के लिए नेहरू ने मृत्यु से पहले ही कर लिए थे पूरे इंतजाम
"..अपनी बेटी को PM पद के लिए तैयार किया जाना था, फिर मोरारजी देसाई और जगजीवन राम – दो महत्वाकांक्षी, सक्षम और प्रभावशाली प्रतिद्वंद्वियों को हटाना, और अंत में.."
मीडिया हलचल
अजेंडा-परस्त ‘ब्लस्टर ब्लफ कॉर्पोरेशन’ उर्फ़ BBC को मिला ‘बिफिटिंग रिप्लाई’
1942 में आज़ाद हिन्द रेडियो के एक प्रसारण से नेताजी द्वारा 'ब्लस्टर ब्लफ कॉर्पोरेशन' का तमगा BBC को मिला, अर्थात धमकियाँ देकर ठगी करने वालों का समूह। तब परिस्थितियाँ कुछ और थी अब कुछ और हैं।
कला-साहित्य
मैं मुन्ना हूँ: कहानी उस बच्चे की जो कभी अंधेरी कोठरी में दाखिल होकर अपनी आँखें मूँद उजाले की कल्पना में लीन हो गया...
उपन्यास के नायक मुन्ना की कहानी आरंभ होती है उसके श्रापित बचपन से जहाँ वह शारीरिक, मानसिक झंझावतों से जूझता किशोरवय के अल्हड़पन को पार कर प्रेम की अनकही गुत्थियों को सुलझाता जीवन यात्रा में आगे बढ़ता रहा।