Friday, May 17, 2024
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गोधरा में हिंदुओं को जलाना Milli Gazette के लिए ‘जायज’, इसके फाउंडर जफरूल इस्लाम को केजरीवाल ने दिया था ओहदा

हिन्दू देवी-देवताओं का मजाक उड़ाने वाले स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी के बचाव में मीडिया का एक हिस्सा इतना पागल हो गया है कि अब गोधरा में रामभक्तों को ट्रेन में ज़िंदा जलाए जाने वाली घटना का भी समर्थन कर रहा है। ये करतूत ‘मिली गैजेट’ नाम के एक मीडिया संस्थान ने की है, जिसके संस्थापक डॉक्टर जफरुल इस्लाम खान दिल्ली सरकार की ‘दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग’ के अध्यक्ष रह चुके हैं। वो फ़िलहाल इस वेबसाइट के ‘संस्थापक संपादक’ के पद पर भी हैं।

असल में ये सब आनंद रंगनाथन के एक ट्वीट से शुरू हुआ, जिसमें उन्होंने कहा कि इजरायल में यहूदी एक वेब सीरीज को काफी पसंद कर रहे हैं, जिसमें अडोल्फ हिटलर के ‘मानवीय पक्ष’ को दिखाया गया है। उसके ‘शाकाहार’ और ‘कुत्तों के प्रति प्यार’ को भी इसमें दर्शाया गया है। उन्होंने लिखा कि इस वेब सीरीज का नाम ‘The Empire’ रखा जाना था, लेकिन फिर किसी ने इसका नाम ‘The Reich’ रखना पसंद किया। उन्होंने लिखा कि अगर आप यहूदी हैं तो इस वेब सीरीज को ज़रूर देखें।

इसके बाद JNU के प्रोफेसर आनंद रंगनाथन ने लिखा, “मुनव्वर फारुकी के लिए 59 हिन्दू पुरुषों-महिलाओं-बच्चों-शिशुओं को को गोधरा में ज़िंदा जलाया जाना ऑशविच कैंप में नाजियों द्वारा यहूदियों के नरसंहार के समान ही है। अगर वो सोचते हैं कि ऐसी घटनाओं का अमानवीयकरण करना मजाक-मस्ती है, तो फिर आप एक मानसिक पागल हैं। आपको मेडिकल मदद की ज़रूरत है।” ज़फरुल इस्लाम द्वारा संचालित ‘मिली गैजेट’ ने इसी ट्वीट पर प्रतिक्रिया दी।

मीडिया संस्थान ने संवेदनहीनता का परिचय देते हुए लिखा, “क्या मुनव्वर फारुकी ने इस तरह की टिप्पणी की कि अगर उनकी कार के नीचे एक कुत्ता भी आ जाता है तो वो दुःखी हो जाते हैं। इससे ज्यादा अमानवीयकरण क्या हो सकता है? क्या गोधरा और ऑशविच समान हैं? वाऊ, यहूदी ट्रेन में ठेले वालों और लोगों पर हमले कर रहे थे। साथ ही वो रेलवे स्टेशनों पर हमले कर के एक धार्मिक इमारत को गिराए जाने का जश्न मना रहे थे?” लोगों ने ‘मिली गैजेट’ से पूछा कि क्या हिन्दुओं को ज़िंदा जलाया जाना उसके लिए एक दुःख भरी घटना नहीं है?

ज़फरुल इस्लाम हैं ‘मिली गैजेट’ के संस्थापक-संपादक

दिल्ली के पूर्व मंत्री कपिल मिश्रा ने मीडिया संस्थान के बयान की आलोचना करते हुए लिखा, “59 मासूम, जिनसे 27 महिलाएं और 10 छोटे बच्चे थे, उनकी हत्या को सही साबित किया जा रहा हैं इस मिल्ली गैजेट का संपादक जफरुल इस्लाम जिसको दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग का अध्यक्ष बनाया गया।” लोगों ने मीडिया संस्थान को हिन्दूफोबिक करार दिया। लोगों ने पूछा कि मुस्लिम भीड़ द्वारा हिन्दुओं को ज़िंदा जलाए जाने की घटना को वो जायज क्यों ठहरा रहा है?

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को जफरुल इस्लाम ने ट्वीट कर कहा था कि कट्टर हिन्दुओं को शुक्र मनाना चाहिए कि भारत के समुदाय विशेष ने अरब जगत से कट्टर हिन्दुओं द्वारा हो रहे ‘घृणा के दुष्प्रचार, लिंचिंग और दंगों’ को लेकर कोई शिकायत नहीं की है और जिस दिन ऐसा हो जाएगा, उस दिन अरब के लोग एक आँधी लेकर आएँगे, एक तूफ़ान खड़ा कर देंगे। जफरुल खान के समर्थन में 8 मई को 20 मौलवियों और नेताओं ने एक संयुक्त बयान जारी करते हुए उनके खिलाफ दर्ज देशद्रोह के मुकदमे को वापस लेने की माँग की थी।

₹10 लाख लेकर तस्करों को भगाने का आरोप, अपनी शादी में जमकर नाची बर्खास्त SHO: खोजती रही राजस्थान पुलिस

राजस्थान के सिरोही जिले में 10 लाख रुपए लेकर तस्करों को भगाने के आरोप में बर्खास्त एसएचओ सीमा जाखड़ पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है। इसी बीच उनका एक वीडियो सोशल मीडिया पर सामने आया है। बताया जा रहा है कि वायरल वीडियो उनकी शादी का है। हैरानी की बात तो यह है कि राजस्थान पुलिस को भी इसकी कानों कान खबर नहीं हुई।

रिपोर्ट्स के मुताबिक, शादी का निमंत्रण कार्ड भी सामने आया है। रविवार (28 नवंबर 2021) को SHO सीमा जाखड़ ने सुखराम कालीराणा के साथ सात फेरे लिए। जोधपुर के मंडोर रोड क्षेत्र के किशोरबाग में निजी गार्डन में दोनों का विवाह संपन्न हुआ। विवाह के दौरान बड़ी संख्या में मेहमान भी शामिल हुए थे।

शहर के किशोर बाग स्थित एक विवाह स्थल पर चल रहे कार्यक्रम में सीमा जाखड़ शनिवार रात अपने परिवार वालों के साथ डांस करती नजर आई थीं। बताया गया था कि सिरोही पुलिस सीमा की तलाश में यहाँ भी आई थी, लेकिन वह उन्हें नहीं मिली, जबकि वह बीते कुछ दिनों से उसी विवाह स्थल पर रस्में निभा रहीं थी। सीमा जाखड़ के खिलाफ भले ही विभागीय कार्रवाई हुई है, लेकिन उसके घर और ससुराल में खुशी का माहौल है। 

बता दें कि बरलूट थाने में जो एफआईआर सीमा जाखड़ ने तस्करों के फरार होने की दर्ज कराई थी, उसमें वही आरोपित हैं। जाँच में यह साबित होने के बाद 26 नवंबर को ही जोधपुर के विद्यानगर की रहने वाली सीमा जाखड़ के साथ 3 अन्य कॉन्स्टेबलों सुरेश विश्नोई, हनुमान विश्नोई और ओम प्रकाश विश्नोई को भी बर्खास्त कर दिया गया था। मामले की जाँच कर रहे सिरोही के स्वरूपगंज थाना अधिकारी हरि सिंह राजपुरोहित ने बताया कि सभी आरोपित अभी फरार हैं। उनकी तलाश की जा रही है। डीएसपी मदन सिंह ने भी फरार होने की पुष्टि की है।

‘कॉन्ग्रेस में अब योग्य लोगों को नहीं मिल रहा स्थान, पार्टी से दूर हो रहा मुसलमान’: उपेक्षित महसूस कर रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री के रहमान खान

पूर्व केंद्रीय मंत्री और कॉन्ग्रेस पार्टी के सीनियर नेता के. रहमान खान ने अपनी ही पार्टी पर मुस्लिमों को नजरअंदाज़ करने का आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि अब कॉन्ग्रेस में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व पहले जैसा नहीं रहा। इसीलिए देश के सबसे पुराने दल को मुस्लिम अपना नहीं मान पा रहे। इसी के साथ उन्होंने पार्टी में मौजूद मुस्लिम पदाधिकरियों की क़ाबलियत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। यह बात उन्होंने PTI भाषा को दिए एक इंटरव्यू में कही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक के.रहमान खान ने कहा है कि कॉन्ग्रेस में अब योग्य लोगों को स्थान नहीं मिल रहा। ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी में कितने मुस्लिम प्रतिनिधि हैं? ये स्वीकार करना होगा कि पार्टी के संगठन के ढाँचे में बदलाव बहुत जरूरी है। देश के 20 करोड़ मुस्लिमों को अपना राजनैतिक नेतृत्व पाने की आशा कॉन्ग्रेस से ही होती है। इसके बाद भी पार्टी ने योग्य मुस्लिम चेहरों को वरीयता नहीं दी। किसी को पार्टी में लाने से पहले समाज में उसका कद देखना चाहिए।

कॉन्ग्रेस में कोई मुस्लिम चेहरा भी उभर कर आगे नहीं आ पाया। कॉन्ग्रेस की छवि मुस्लिम पार्टी की बनती जा रही थी जिस से हिन्दू उस से दूर होने लगा था। इसी वजह से अब कॉन्ग्रेस खुल कर मुस्लिमों के पक्ष में बोल भी नहीं पाती। इसे पार्टी का अपने सिद्धांतों से समझौता ही कहा जाएगा।

रहमान ने आगे कहा कि 70 सालों तक कॉन्ग्रेस के साथ खड़े अल्पसंख्यकों ने कई बार सरकार बनवाई। लेकिन अब मुस्लिमों को पार्टी के खुद से दूर जाने का शक होने लगा है। इसी शक के चलते ओवैसी जैसे नेता उभर कर सामने आ रहे हैं। मुसलमान अपनी सुरक्षा चाहता है। जब उसकी इन जरूरतों पर पार्टी खामोश रहती है तब टकराव पैदा होता है। मुसलामानों के मुद्दे पर अब लम्बे समय तक उनसे वोट लेने वाली सपा, बसपा जैसी पार्टियाँ भी बैकफुट पर हैं।

रहमान के मुताबिक अगर कॉन्ग्रेस फिर से मुस्लिम समाज को खुद से जोड़ना चाहती है तो उसे मुस्लिमों में भरोसा जगाना होगा। अपने आस-पास घूमने वालों को टिकट दे देने से कोई फर्क नहीं आने वाला। मेरा ही अनुभव कईयों के काम आएगा। मैं ओवैसी जैसे नेताओं की राजनीति से सहमत नहीं हूँ। मेरी प्रशांत किशोर से कोई मुलाक़ात नहीं है। मैंने सब कुछ कॉन्ग्रेस को दे दिया फिर भी उपेक्षित महसूस करता हूँ। हालाँकि, इसके बाद भी मैं हमेशा कॉन्ग्रेसी बना रहूँगा। मुझे कई मौके मिले लेकिन ये पार्टी मैं कभी नहीं छोड़ने वाला। फिर भी पार्टी के जिम्मेदार लोगों को विचार जरूर करना चाहिए कि लोग दूसरी पार्टियों में क्यों जा रहे हैं। के. रहमान खान राज्यसभा के पूर्व उपसभापति भी हैं।

स्कॉटलैंड में लड़कियों ने ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ के इस्तेमाल से किया इनकार: सेनेटरी पैड्स लहराते हैं लड़के, करते हैं छेड़छाड़

स्कॉटलैंड के एक सेकेंडरी स्कूल में लड़कियों ने ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ का प्रयोग करने से इनकार कर दिया है, क्योंकि उन्हें वहाँ लड़के परेशान करते हैं। उनका कहना है कि ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ में लड़के उनके साथ छेड़छाड़ करते हैं और और बर्बरता पर भी उतारू हो जाते हैं। बता दें कि उन टॉयलेट्स को ‘जेंडर न्यूट्रल’ कहते हैं, जिनमें लड़के और लड़की दोनों ही प्रयोग में ला सकते हैं। आमतौर पर पुरुषों एवं महिलाओं के लिए हर जगह अलग-अलग टॉयलेट्स ही रहते हैं।

यहाँ तक कि ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ में लड़के अक्सर सैनिटरी के लिए प्रयोग में लाने वाली वस्तुएँ हाथ में लेकर झंडे की तरह सार्वजनिक रूप से लहराते हुए नजर आते हैं, जिससे लड़कियाँ खासी असहज हो जाती हैं। साथ ही लड़के सेनेटरी बीन में पेशाब कर देते हैं। वो लड़कियों के सामने ही इस तरह की हरकतों को अंजाम देते हैं। एक अधिकारी ने बताया कि पिछले कई दिनों से लड़कियों ने इन टॉयलेट्स का प्रयोग करना बंद कर दिया है। वो शौच या यूरिनेटिंग के लिए इन सार्वजनिक शौचालयों का प्रयोग नहीं कर रही हैं।

लड़के अक्सर सैनिटरी पैड्स से भी खेलते हुए नजर आते हैं। बता दें कि अक्सर रुपए बचाने के लिए, समावेशी माहौल बनाने के लिए, विविधता को बढ़ावा देने की बातें कर के कई विद्यालयों, संस्थाओं और सार्वजनिक कारोबारों ने ‘जेंडर न्यूट्रल टॉयलेट्स’ बनाने शुरू कर दिए हैं। स्कॉटलैंड में यूनिसेक्स सैलूनों का चलन आजकल जम कर बढ़ रहा है और नए बनने वाले इंफ्रास्ट्रक्चर में इसे बड़ी संख्या में देखने को मिलता है। सेकेंडरी स्कूल में इसके प्रयोगों के विरुद्ध बच्चों के अभिभावकों ने भी आवाज़ उठाया है।

हालाँकि, स्कॉटलैंड की जनसंख्या भी इस तरह के टॉयलेट्स के खिलाफ है। वहाँ की 56% जनसंख्या इसके खिलाफ हैं, वहीं 21% ने इसका समर्थन किया है। वहाँ के स्कूलों में 12 साल की बच्चियों और 18 साल के लड़कों को भी इन टॉयलेट्स का प्रयोग करने की अनुमति है। बता दें कि भारत में भी NCERT में जेंडर को लेकर की गई अजीबोगरीब बातों के बाद ‘राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग (NCPCR)’ ने संस्था के निदेशक को नोटिस भेजा था। ये शिकायत ‘इन्क्लूजन ऑफ ट्रांसजेंडर चिल्ड्रन इन स्कूल एजुकेशन: कन्सर्न्स एन्ड रोडमैप’ नामक चैप्टर को लेकर किया गया था।

महाराष्ट्र: मातोश्री वृद्धाश्रम में ‘कोविड ब्लास्ट’, 5 स्टाफ सहित 67 मिले कोरोना पॉजिटिव

कोरोना के नए वेरिएंट ‘ओमीक्रोन’ के कारण खतरे उपजे के बीच महाराष्ट्र के ठाणे में कोरोना का भयंकर विस्फोट हुआ है। ठाणे के भिवंडी के पढ़घा गाँव में बनाए गए ‘मातोश्री वृद्धाश्रम’ में 67 लोग कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। इनमें पाँच वृद्धाश्रम के स्टाफ हैं। इन सभी को ठाणे के अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ठाणे सिविल अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. कैलाश पवार ने बताया कि इनमें से 59 लोग ऐसे हैं जो कोविड वैक्‍सीन की दोनों खुराक ले चुके हैं।

इधर कल्याण-डोंबिवली नगर निगम (केडीएमसी) के एक अधिकारी ने बताया कि महाराष्ट्र के ठाणे जिले के डोंबिवली में साउथ अफ्रीका से लौटा एक शख्स रविवार (28 नवंबर 2021) को कोरोना पॉजिटिव पाया गया। हालाँकि अभी ये साफ नहीं है कि इस शख्स में नया वेरिएंट पाया गया है या नहीं। ये शख्स 24 नवंबर को केपटाउन से लौटा था। फिलहाल उसे कल्याण-डोंबिवली म्युनिसिपल हॉस्पिटल में रखा गया है और वो किसी के संपर्क में नहीं आया है।

एक अधिकारी ने सोमवार को बताया कि ठाणे ने कोरोना वायरस के 108 नए मामले दर्ज किए, जिससे जिले में संक्रमण की संख्या बढ़कर 5,69,161 हो गई है। उन्होंने कहा कि ये नए मामले रविवार को दर्ज किए गए। एक अन्य अधिकारी ने कहा कि पड़ोसी पालघर जिले में, सीओवीआईडी​-19 मामले की संख्या 1,38,589 हो गई है, जबकि मरने वालों की संख्या 3,298 है।

इससे पहले विशेषज्ञों ने चेतावनी जारी की थी कि महाराष्ट्र में दिसंबर तक कोरोना की तीसरी लहर आ सकती है। राज्य के स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री राजेश टोपे ने कहा था कि कोविड-19 की तीसरी लहर दिसंबर में महाराष्ट्र में आने की आशंका है, लेकिन यह हल्की होगी। उन्‍होंने कहा कि राज्य में टीकाकरण की दर अधिक है और इसलिए यह लहर हल्की होने की उम्मीद है।

विशेषज्ञों ने भी यह भी कहा है कि लहर समय-समय पर अपनी निश्चित फ्रीक्‍वेंसी में आती हैं। पहली वेव सितंबर 2020 में आई थी। दूसरी लहर अप्रैल 2021 में आई थी। अब तीसरी लहर दिसंबर में आने की आशंका है।

शादी के लिए हिंदू बना फहीम, फिर इस्लाम कबूल करने का पत्नी पर बनाने लगा दबाव: गर्भपात करवाया… एक दिन छोड़कर भाग गया

उत्तर प्रदेश से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसमें आरोपित ने हिंदू बनकर शादी की और फिर पत्नी पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाने लगा। सुल्तानपुर जिले के फहीम कुरैशी पर पत्नी ने गर्भपात करवाने, बेसहारा छोड़कर भाग जाने और दूसरी शादी करने का भी आरोप लगाया है। उसे 28 नवम्बर 2021 (रविवार) को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया।

पीड़िता का आरोप है कि विवाह के बाद फहीम उस पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाने लगा। इनकार करने पर उसको धमकी देता। धोखे से कई बार उसका गर्भपात करवाया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक फहीम कुरैशी सुल्तानपुर जिले के नार्मल चौराहा का रहने वाला है। पीड़िता सुल्तानपुर के दरियापुर की रहने वाली है। उस पर पीड़िता का 10 साल तक यौन शोषण का आरोप है। कथित तौर पर पहले वह अपनी बहनों की निकाह का हवाला देकर शादी की बात टालता रहा। बाद में दबाव डालने पर वह उसने 2018 में हिन्दू धर्म स्वीकार कर शादी कर ली। साल 2019 में जब पीड़िता गर्भवती हुई तब फहीम ने उसे धोखे से गर्भपात की दवा खिला दी।

कुछ समय बाद फहीम पीड़िता पर इस्लाम कबूल करने का दबाव बनाने लगा। इस बात को लेकर वो पीड़िता को मारने-पीटने के साथ धमकियाँ भी देता था। जब पीड़िता ने इसकी शिकायत पुलिस में की तब दोनों के बीच समझौता करवा दिया गया। इसके बाद फहीम पीड़िता के साथ जौनपुर चला गया। वहाँ एक बार फिर पीड़िता गर्भवती हुई तो फहीम ने बच्चे को अपना मानने से इनकार कर दिया। उसने पीड़िता को चरित्रहीन कहना शुरू कर दिया। आखिर में उसे जौनपुर में ही छोड़ कर भाग गया।

सुल्तानपुर लौटने के बाद पीड़िता ने फहीम कुरैशी के खिलाफ पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने आरोपित पर अपराध संख्या 1082/2021 में धारा 498 A / 313 / 494 / 506 के तहत कार्रवाई की है। फहीम कुरैशी पुत्र सुल्तान कुरैशी पर यह मुकदमा सुल्तानपुर की कोतवाली नगर में दर्ज है।

लोकसभा में पास हुआ कृषि कानूनों की वापसी वाला बिल, कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित

संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के पहले ही दिन सोमवार (29 नवंबर, 2021) को लोकसभा में कृषि कानूनों की वापसी वाला बिल पास कर दिया गया। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में कृषि कानूनों की वापसी वाले बिल को विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच टेबल पर रखा। हालाँकि, नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इस बिल पर पहले चर्चा कराए जाने की माँग की। बिल पास होने के बाद लोकसभा की कार्यवाही को दोपहर 2 बजे तक के के लिए स्थगित कर दी गई।

वहीं लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि विपक्षी सांसदों को अगर चर्चा करनी है तो उसके लिए उन्हें हंगामा रोकना होगा। इसी दौरान पश्चिम बंगाल के आसनसोल से सांसद और हाल ही में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) से भाजपा में शामिल होने वाले बाबुल सुप्रियो का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया गया। TMC के सदस्यों ने महात्मा गाँधी की प्रतिमा के सामने प्रदर्शन किया और आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बहस से भाग रहे हैं। वहीं सत्तापक्ष के सांसदों का कहना है कि जब प्रधानमंत्री ने ही माफ़ी माँग ली है तो विपक्ष और क्या चाहता है?

PM मोदी ने कहा- सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार, फिर भी नहीं सुधरा विपक्ष: संसद का शीत सत्र शुरू होते ही हंगामा

संसद के शीतकालीन सत्र की शुरुआत सोमवार (29 नवंबर 2021) से हुई। शुरुआत से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार हर मसले पर खुली चर्चा के लिए तैयार है। साथ ही विपक्ष को हंगामा नहीं करने की नसीहत दी। लेकिन विपक्ष पर इसका असर नहीं हुआ। सत्र शुरू होते ही विपक्ष दोनों सदनों में हंगामे पर उतारू हो गया। इसके चलते लोकसभा की कार्यवाही 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। बाद में राजयसभा की कार्यवाही भी स्थगित करनी पड़ी।

इस सत्र में 26 बिल पेश किए जाएँगे। आज ही सरकार कृषि कानूनों की वापसी का बिल पेश करेगी। सत्र शुरू होने से पहले मीडिया को संबोधित करते हुुए पीएम ने संसद के शीतकालीन सत्र को अत्यंत महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा, “देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। हिंदुस्तान में चारों दिशाओं में से इस आजादी के अमृत महोत्सव के निमित्त रचनात्मक, सकारात्मक, जनहित के लिए, राष्ट्रहित के लिए, सामान्य नागरिक अनेक कार्यक्रम कर रहे हैं, कदम उठा रहे हैं और आजादी के के दीवानों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों को पूरा करने के लिए सामान्य नागरिक भी अपना कोई ना कोई दायित्व निभाने का प्रयास कर रहा है। ये खबरें अपने आप में भारत के उज्जवल भविष्य के लिए शुभ संकेत हैं।”

उन्होंने कहा, “भविष्य में संसद को कैसा चलाया, कितना अच्छा योगदान दिया, कितना सकारात्मक काम हुआ, उसे तराजू पर तोला जाए। न कि मापदंड ये होना चाहिए कि किसने कितना जोर लगाकर सत्र को रोका। ये मानदंड नहीं हो सकता है। मानदंड ये होगा कि संसद में कितना सकारात्मक काम हुआ।”

पीएम ने आगे कहा, “सरकार हर विषय पर खुली चर्चा करने को तैयार है, सरकार हर सवाल का जवाब देने के लिए तैयार है और आजादी के अमृत महोत्सव में हम ये भी चहेंगे कि संसद में सवाल हो और साथ में शांति भी हो। हम चाहते हैं कि संसद में सरकार के खिलाफ, सरकार की नीतियों के खिलाफ जितनी आवाज प्रखर होनी चाहिए हो, लेकिन संसद की गरिमा, स्पीकर की गरिमा, चेयर की गरिमा, इन सबके विषय में हम वो आचरण करें जो आने वाले दिनों में देश की युवा पीढ़ी को काम आए।”

पीएम मोदी ने कहा, “पिछले सत्र के बाद कोरोना की विकट परिस्थिति में भी देश ने 100 करोड़ से अधिक कोरोना वैक्सीन डोज लगा दी है और हम 150 करोड़ की तरफ तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। नए वेरिएंट की खबरें भी हमें और सतर्क करती हैं और सजग करती हैं। हम संसद के साथियों को भी सतर्क रहने की प्रार्थन करता हूँ। ऐसे संकट की घड़ी में देश का उत्तम स्वास्थ्य हमारी प्राथमिकता है।”

माँग में सिंदूर, साइकिल की सवारी: कौन हैं मतिल्दा कुल्लू, Forbes ने ताकतवर महिलाओं की सूची में क्यों दी जगह

फोर्ब्स (Forbes) की सबसे ताकतवर भारतीय महिलाओं की सूची में ओडिशा की एक आशा कार्यकर्ता ने भी जगह बनाई है। फोर्ब्स इंडिया डब्ल्यू-पॉवर 2021 सूची में अमेजन प्राइम की हेड अपर्णा पुरोहित और सेल्सफोर्स इंडिया की सीईओ अरुंधति भट्टाचार्य जैसी शख्सियतों के साथ ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की 45 वर्षीय आदिवासी आशा कार्यकर्ता मतिल्दा कुल्लू का नाम भी शामिल है। कुल्लू ने फोर्ब्स इंडिया महिला सशक्तिकरण की सूची में देश में तीसरा स्थान बनाया है।

मतिल्‍दा बड़ागाव तहसील के गर्गडबहल गाँव में काम कर रही हैं। इनका अब तक का सफर काफी संघर्ष और दिक्‍कतों भरा रहा है। कभी लोग इनकी सलाह और इनकी बातों का मजाक उड़ाते थे। वहीं, अब इन्‍हें सम्‍मान देते हैं।

जानिए कौन हैं मतिल्दा कुल्लू

मतिल्दा कुल्लू ओडिशा के सुंदरगढ़ जिले की बारागाँव तहसील की निवासी हैं। सुंदरगढ़ जिले के गर्गडबहल गाँव में 15 साल पहले मतिल्दा बतौर आशा कार्यकर्ता नियुक्त हुईं थी। उसके बाद से आज तक वह लगातार लोगों को जागरुक कर रही हैं। मतिल्दा के प्रयासों का ही असर है कि बारागाँव तहसील के लोग अब बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल जाने लगे हैं। दरअसल पिछड़ेपन के कारण पहले लोग बीमारी को काले जादू का असर मानते थे और तांत्रिक-ओझा के पास जाते थे। इस पर मतिल्दा ने लोगों को जागरुक करना शुरू किया और धीरे-धीरे उनके प्रयासों का फल मिला। अब लोगों में जागरुकता आ चुकी है और लोग काले जादू के चंगुल से मुक्त हो गए हैं। 

ग्रामीणों को सेहतमंद रखना इनका लक्ष्‍य

मतिल्‍दा के दिन की शुरुआत सुबह 5 बजे से होती है। मवेश‍ियों की देखभाल और घर का चूल्‍हा-चौका सँभालने के बाद गाँव के लोगों को सेहतमंद रखने के लिए घर से निकल पड़ती हैं। मतिल्‍दा साइकिल से गाँव के कोने-कोने में पहुँचती हैं। गाँव में घर-घर पर जाकर नवजात और किशोर-किशोरियों को वैक्‍सीन लगाना, महिलाओं की प्रसव से पहले और बाद की जाँच कराना इनके काम का हिस्‍सा है। इसके अलावा बच्‍चे के जन्‍म की तैयारी, हर जरूरी सावधानी की जानकारी देना, एचआईवी और दूसरे संक्रमण से गाँव वालों को दूर रखने की सलाह देना भी इनका काम है। यह जिम्‍मेदारी म‍त‍िल्‍दा पूरी शिद्दत से निभा रही हैं। 

कोरोना महामारी के दौरान भी मतिल्दा ने बेहतरीन काम किया और इलाके में टीकाकरण के काम में जमकर मेहनत की। कोरोना महामारी के दौरान भी मतिल्दा रोजाना 50-60 घरों में जाकर लोगों के टेस्ट करती थीं। 4500 रुपए कमाने वाली मतिल्दा कुल्लू ने अपना जीवन बारागाँव तहसील के 964 लोगों की देखभाल के लिए समर्पित कर दिया है। मतिल्दा इन लोगों के लिए कोरोना वॉरियर हैं। मतिल्दा का कहना है कि उन्हें अपने काम पर गर्व है क्योंकि इससे वह लोगों की जान बचा पाती हैं। 

ग्रामीणों को वैक्‍सीन के लिए राजी करना बड़ी चुनौती थी

मतिल्दा कहती हैं कि कोरोना काल में हालात बिगड़ने के कारण जिम्‍मेदारी बढ़ गई थी। रोजाना कोरोना के लक्षण वाले 50 से 60 मरीजों की जाँच के लिए उनके घर जाती थीं, लेकिन इससे बड़ी चुनौती थी लोगों को वैक्‍सीन लगाने के लिए तैयार करना। गाँव में जब वैक्‍सीन लगाने की शुरुआत हुई तो गाँव वालों को इसे लगवाने के लिए बमुश्‍क‍िल राजी किया। धीरे-धीरे लोगों को इसके लिए जागरुक किया। मतिल्‍दा कहती हैं कि उनके लिए गाँव वालों की सेवा से बढ़कर कुछ भी नहीं।

कभी लोग उड़ाते थे मजाक

मतिल्‍दा कहती हैं, “शुरुआती सफर संघर्ष भरा रहा है क्‍योंक‍ि बीमार होने पर यहाँ के लोग अस्‍पताल नहीं जाते थे। जब मैं उनसे अस्‍पताल से इलाज कराने के लिए कहती थी तो वो मेरा मजाक उड़ाते थे। जैसे-जैसे समय बीता, लोगों को मेरी बात समझ आई। अब गाँव वाले अपनी सेहत के लिए जागरुक हो गए हैं। हर छोटी-छोटी बीमारी का इलाज कराने अस्‍पताल पहुँचते हैं।”

मतिल्‍दा को गाँव में इसलिए भी अध‍िक संघर्ष करना पड़ा क्‍योंकि उस दौर में लोग इलाज के लिए अस्‍पताल जाने की बजाय काले जादू का सहारा लेते थे। लोगों की यह सोच बदलना मतिल्‍दा के लिए काफी चुनौती भरा रहा है। मतिल्‍दा के प्रयास से ही गाँव में काले जादू जैसे सामाजिक अभिशाप को जड़ से खत्‍म किया जा सका। गाँव में यह बड़ा बदलाव लाने और लोगों को सेहतमंद रहने के इनके योगदान के कारण ही फोर्ब्‍स ने इन्‍हें दुन‍ि‍या की शक्‍त‍िशाली महिलाओं की लिस्‍ट में शामिल किया। बता दें कि हाल ही में फोर्ब्स इंडिया ने भारत की महिला शक्ति 2021 की सूची जारी की है। इस सूची में उन महिलाओं को शामिल किया गया है, जो अपने दम पर सफलता की सीढ़ियाँ चढ़ी हैं।

दलित पवन ने दलित परिवार के 4 लोगों को कुल्हाड़ी से काटा, कॉन्ग्रेस और उसकी ‘पालतू मीडिया’ ने जाति का एंगल जोड़ा

प्रयागराज में एक परिवार के चार लोगों की हत्या के मामले में पुलिस ने पवन कुमार सरोज को गिरफ्तार किया है। बताया है कि एकतरफा प्यार में उसने इस घटना को अंजाम दिया। खास बात यह है कि आरोपित पवन भी पीड़ित परिवार की तरह दलित ही है। लेकिन, कॉन्ग्रेस, सपा, बसपा जैसे विपक्षी दलों और मीडिया ने इस घटना में जाति का एंगल ठूँस दिया। उत्तर प्रदेश की योगी सरकार को बदनाम करने के लिए इस घटना की आड़ में दलितों पर अगड़ी जाति के अत्याचार के प्रोपेगेंडा को बढ़ाया।

पुलिस के मुताबिक पवन ने इस घटना को एकतरफा प्यार में असफल रहने के चलते अंजाम दिया। उसके मोबाइल से मृतका को भेजे गए मैसेज इस खुलासे में अहम सुराग बने हैं। पुलिस ने पूरे घटनाक्रम का खुलासा 28 नवम्बर 2021 (रविवार) को किया।

पुलिस द्वारा जारी बयान के मुताबिक मृतका के मोबाइल की जाँच के दौरान आरोपित पवन के मैसेज मिले। पवन ने मृतका का नंबर गौरी मैडम के नाम से सेव किया था। उसने कई बार पीड़िता को प्रपोज किया, लेकिन उसका ऑफर ठुकरा दिया गया। इससे नाराज हो उसने अपने साथियों संग घटना को अंजाम दिया। यह भी सामने आया कि पीड़िता बालिग थी, जिसकी आयु 20 वर्ष से अधिक है। एक अन्य मृतका पीड़िता की माँ के साथ दुष्कर्म नहीं किया गया था। BBC व अन्य कई मीडिया रिपोर्टो में पीड़िता को नाबालिग और उसकी माँ के साथ दुष्कर्म की बात कही गई थी।

आरोपित पवन गाँव कोरसंड, थाना थरवई प्रयागराज का ही रहने वाला है जो मृतका के घर से लगभग 8 किलोमीटर दूर है। पवन द्वारा उस रात पहने गए कपड़ों पर लाल रंग के दाग मिले हैं। इन्हे वो पान की पीक बता रहा पर पुलिस को ख़ून के धब्बे होने का शक है। मृत लड़की के साथ दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। पवन के कपड़े और अन्य साक्ष्यों को लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया है। पुलिस ने बताया कि आरोपित जाँच में सहयोग नहीं कर रहा और बार-बार बयान बदल रहा। जल्द ही उसके साथियों के नाम आदि की जानकारी हासिल कर ली जाएगी और इस घटना से जुड़े बाकी अन्य आरोपित भी गिरफ्तार किए जाएँगे।

पुलिस प्रेसनोट

गौरतलब है कि यह घटना 25 नवम्बर 2021 की है। गाँव मोहनगंज गोहरी, थाना फाफामऊ प्रयागराज में एक दलित परिवार के 4 सदस्यों की हत्या कर दी गई थी। मृतकों में परिवार का मुखिया व लड़की के पिता 50 साल के फूलचंद, उनकी 45 वर्षीया पत्नी मीनू देवी, बेटी सपना और एक नाबालिग बेटा शामिल था। हमला घर में घुस कर कुल्हाड़ी जैसे हथियार से किया गया था। इन सभी के लहूलुहान शव बिस्तर पर ही पाए गए थे। तब इस मामले में क्षत्रिय समाज के 11 लोगों को नामजद किया गया था। इनमे से एक आरोपित ऐसा भी था जो लम्बे समय तक अस्पताल में था और चलने-फिरने में असमर्थ है। इनके साथ पीड़ित परिवार से पुरानी रंजिश बताई गई थी। आनन फानन में 8 लोगों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था। पुलिस ने सभी पर धारा 147, 148, 149, 302, 376 D IPC के साथ 3/4 पॉक्सो एक्ट और SC/ST एक्ट के तहत कार्रवाई की थी।

एफ़आईआर में गाँव के आकाश सिंह, उनके पिता अमित सिंह, अमित सिंह की पत्नी बबली सिंह और आठ अन्य लोगों को आरोपित किया गया था। पहले इस घटना में पुलिस पर दलितों का साथ न देने का आरोप लगाया गया था। इसके चलते इंस्पेक्टर और सिपाही को तुरंत सस्पेंड कर दिया गया था। कुछ ही समय में इस मामले ने राजनैतिक तूल पकड़ लिया था। घटना में कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ बसपा, सपा, भीम आर्मी ने बयानबाजी शुरू की। इसमें कई पत्रकार भी शामिल हो गए। तमाम लोगों ने इस घटना को जातीय रंग देना शुरू कर दिया था।

कथित पत्रकार प्रशांत कनौजिया ने ट्वीट कर कहा कि मृतक पासी (दलित) हैं और पुलिस कार्रवाई नहीं कर रही क्योंकि आरोपित ठाकुर हैं।

प्रियंका गाँधी ने इस घटना को सरकारी संरक्षण में दलितों का नरसंहार बताया।

प्रियंका गाँधी

दिग्विजय सिंह ने भी इस घटना पर अपनी प्रतिक्रिया दी थी।

दिग्विजय सिंह

यूथ कॉन्ग्रेस के आधिकारिक हैंडल ने “सामंती गुंडे” जैसे शब्द का प्रयोग किया।

यूथ कॉन्ग्रेस

भीम आर्मी के मुखिया ने “बौराए गुंडे” कहा।

भीम आर्मी

अखिलेश यादव ने इस हत्या को “दबंगों” द्वारा की गई बताया था।

अखिलेश यादव

मायावती ने उस क्षेत्र में “दबंगो का आतंक” लिखा था।

मायावती

पत्रकार रोहिणी सिंह ने तो इस घटना में 2019 और 2021 का इतिहास भी जोड़ दिया था और लिखा कि UP में दलित होना आसान नहीं है।

रोहिणी सिंह

आज़ाद समाज पार्टी के गुलज़ार सिद्दीकी ने जातिवादियों से सुरक्षा के लिए ‘बंदूकों’ की माँग कर डाली।

गुलज़ार सिद्दीकी

आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने राष्ट्रपति से समय माँग कर मामले में हस्तक्षेप की बात कही।

संजय सिंह