अब उत्तर प्रदेश का मेरठ नया कैराना बन रहा है। यहाँ से हिन्दू पलायन करने को मज़बूर हैं। स्थिति भयावह है क्योंकि लोग अपने घरों को छोड़-छाड़ कर जा रहे हैं और अपनी संपत्ति को औने-पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। कैराना में हिन्दुओं के पलायन की ख़बर राष्ट्रीय मुद्दा बनी। दैनिक जागरण ने आज (गुरुवार, जून 27, 2019) को एक विस्तृत ग्राउंड रिपोर्ट प्रकाशित की है। हम आपको संजीव तोमर की इस व्यापक रिपोर्ट की मुख्य बातें बताते हैं, जिससे आप भी सोचने को विवश हो जाएँगे।
लिसाड़ी गेट थाना क्षेत्र के भीतर आने वाले प्रह्लाद नगर में कुल 125 परिवारों द्वारा पलायन की ख़बरें सामने आई हैं। यह मुस्लिम बहुल इलाक़ा है, जहाँ 425 बहुसंख्यक परिवार रहते थे। मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुँच चुकी है। लोगों का साफ़ कहना है कि एक विशेष समुदाय के लोगों द्वारा ऐसी परिस्थितियाँ पैदा की गई कि वे पलायन को मजबूर हुए।
स्थिति यह है कि स्थानीय पार्षद भी लाचार नज़र आ रहे हैं। भाजपा पार्षद जीतेन्द्र पाहवा ने अधिकारियों को स्थिति से बार-बार अवगत कराया लेकिन अभी तक कोई ठोस क़दम नहीं उठाया गया है। बूथ अध्यक्ष महेश मेहता ने नमो ऐप पर शिकायत की है। पीएमओ ने उत्तर प्रदेश मुख्यमंत्री कार्यालय को उचित क़दम उठाने को कहा है।
इसके बाद हरकत में आए मुख्यमंत्री कार्यालय ने मेरठ के डीएम व वरिष्ठ एसपी को विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है। पार्षद पाहवा ने आरोप लगाया कि पुलिस सिर्फ़ खानापूर्ति कर रही है। मेरठ के सांसद राजेंद्र अग्रवाल ने कहा कि संसद सत्र के बाद मेरठ पहुँचते ही वे इस मामले को देखेंगे। सांसद ने स्वीकार किया कि कुछ शरारती तत्वों द्वारा सामाजिक ताना-बाना बिगाड़ने की कोशिश की जा रही है।
सांसद अग्रवाल ने कहा कि वे इस सम्बन्ध में अधिकारियों से बात करेंगे। मेरठ के जिलाधिकारी ने कहा कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा रिपोर्ट माँगे जाने की जानकारी नहीं है। उन्होंने बताया कि अगर ऐसा है तो स्थानीय थाना व प्रशासन से बातचीत कर के सीएमओ को सही जानकारी से अवगत कराया जाएगा।
एसएसपी ने कहा कि पुरानी शिकायतों को खंगाल कर यह देखने की कोशिश की जाएगी कि उन मामलों में पुलिस ने अब तक क्या कार्रवाई की है, और उसके बाद सीएमओ को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। स्थानीय लोगों ने कहा कि बहू-बेटियों का बाहर बैठना तक दूभर हो गया है क्योंकि उन पर अश्लील कमेंट किए जाते हैं। यह सिलसिला आज से नहीं, बल्कि पिछले 5-6 वर्षों से चला आ रहा है।
स्थानीय जनता को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार से उम्मीद है कि वो सब ठीक कर देगी। पब्लिक का कहना है कि किसी भी सांप्रदायिक तनाव वाली घटना के बाद पुलिस तो आती है लेकिन फिर 2-3 दिन बाद हालात वही हो जाते हैं। समुदाय विशेष के शरारती तत्व स्टंटबाजी, लूटपाट, छेड़छाड़ जैसी हरकतें कर के लोगों को परेशान करते हैं।
विधायक सोमेंद्र तोमर ने कहा कि कॉलोनी में गेट लगाने को कहा गया है। सीओ कोतवाली ने कहा कि मुख्यमंत्री कार्यालय द्वारा एक्शन में आने के बाद पिकेट लगा दिया गया है, जहाँ दो पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। वहाँ नियमित जाँच की जाएगी। इसके अलावा एंटी-रोमियो स्क्वाड को भी काम पर लगा दिया गया है।
स्थानीय लोगों ने कहा कि पुलिस सिर्फ़ अस्थायी पिकेट लगाती है, जिसे एक दिन बाद हटा लिया जाता है। लगभग हर रोज़ लोग मकान बेचने को विवश हैं और आए दिन लोगों के पलायन की ख़बर आ रही है। एक स्थानीय व्यक्ति ने कहा कि छात्राएँ स्कूल और ट्यूशन तक नहीं जा पा रही हैं और स्थिति भविष्य में विकराल रूप ले सकती है।
लोगों ने कहा कि थोड़ी-थोड़ी सी बात पर शरारती तत्व भीड़ लगा देते हैं और हुड़दंग चालू कर देते हैं। समुदाय विशेष के लोग बहुसंख्यकों के मकान के सामने अपनी गाड़ी खड़ी कर देते हैं और मना करने पर गाली-गलौज करते हैं। एक स्थानीय महिला ने कहा कि विरोध करने पर वो कहते हैं कि यह सब उनका अधिकार है। पलायन से दस गलियाँ अब तक सुनसान हो गई हैं।
शाहरुख़ खान की फिल्म चेन्नई एक्सप्रेस में ‘तितली’ गाना गाने वाली गायिका चिन्मयी श्रीपाद उत्तर प्रदेश पुलिस के खिलाफ फर्जी खबर फैलाते हुए पकड़ी गईं। दरअसल मामला यह है कि चिन्मयी ने ट्विटर पर एक न्यूज़ रिपोर्ट का लिंक शेयर किया जिसमें कहा गया था कि एक 37 वर्षीय महिला के साथ गैंगरेप हुआ और जब वह पुलिस के पास शिकायत लेकर गई तो शिकायत दर्ज कराने के एवज में पुलिस अधिकारी ने उसके साथ सेक्स की माँग की।
चिन्मयी ने यह ट्वीट करने की जल्दीबाजी में यह भी ध्यान नहीं दिया कि उक्त घटना 2017 की है न कि 2019 की। दूसरी बात यह कि जिस केस की बात चिन्मयी कर रही थीं वह अपने परिणाम तक पहुँच चुका है और उस महिला की सच्चाई भी सामने आ चुकी है जिसकी बात न्यूज़ रिपोर्ट में कही जा रही थी।
चिन्मयी के ट्वीट पर उत्तर प्रदेश पुलिस ने आकर जवाब दिया। पुलिस ने भी ट्वीट कर केस से संबंधित तथ्य रखे और बताया कि उक्त घटना रामपुर में हुई थी। एक महिला ने अमीर अहमद और सत्तार अहमद पर गैंगरेप का आरोप लगाया था। रामपुर के गंज पुलिस थाने के सब इंस्पेक्टर जय प्रकाश ने जाँच के दौरान पाया कि महिला द्वारा लगाए गए आरोप गलत और फर्जी थे। इसके बाद अधिकारी जय प्रकाश ने गैंगरेप फाइल बंद कर दी।
-Meanwhile it is not expected of celebrities to post a #FakeNews of 2017 in 2019. -Meanwhile the victim had lodged a fake gang rape case which the SI had exposed hence revengeful. -Meanwhile t charges against SI were found false after proper investigation & voice sampling test pic.twitter.com/CidRGdJ1XE
— UPPOLICE FACT CHECK (@UPPViralCheck) June 26, 2019
गैंगरेप का आरोप झूठा सिद्ध होने के बाद महिला ने सब इंस्पेक्टर से बदला लेने की ठानी। महिला ने अपने एक अन्य मित्र मोहम्मद रफ़ी के साथ मिलकर जय प्रकाश के विरुद्ध षड्यंत्र रचा। महिला ने जय प्रकाश के खिलाफ केस दर्ज कराने का षड्यंत्र रचा कि जब वह गैंगरेप की शिकायत दर्ज करने आई थी तब इसके एवज में जय प्रकाश ने उसके साथ संभोग की माँग की थी।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने जब महिला द्वारा जय प्रकाश पर लगाए आरोपों की जाँच की तो पाया कि महिला ने जय प्रकाश पर फर्जी केस करने के लिए आवाज बदल कर कॉल की थी। महिला के मित्र मोहम्मद रफ़ी ने पुलिस के सामने कबूल किया था कि उसने महिला के साथ मिलकर जय प्रकाश से बदला लेने के लिए षड्यंत्र रचा था।
Meanwhile u hav not bothered to read the template of 2017 which contains t gist of investigation.T lady alleges a call from SI who was allegedly demanding sexual favours. The concerned mobile number turned out to be her friend’s, who confessed to his crime hence both were booked
— UPPOLICE FACT CHECK (@UPPViralCheck) June 27, 2019
उत्तर प्रदेश पुलिस के आधिकारिक ट्विटर हैंडल द्वारा सारे तथ्य रखे जाने के बावजूद चिन्मयी श्रीपाद ने पुलिस की जाँच प्रक्रिया को ही कठघरे में रखना चाहा। जिसपर पुलिस ने उत्तर दिया कि महिला आरोप लगाती थी उसे सब इंस्पेक्टर से फोन आते थे, लेकिन जब उन फोन कॉल की जाँच की गई तो नंबर महिला के मित्र मोहम्मद रफ़ी का पाया गया। जिसके बाद मामले की पूरी सच्चाई सामने आई।
केंद्र और दिल्ली सरकार एक बार फिर आमने-सामने है, और इस बार वजह है राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में महिलाओं को दी जाने वाली ’फ्री मेट्रो राइड’ के रूप में केजरीवाल सरकार की लोकलुभावन चुनावी योजना।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री हरदीप सिंह पुरी से आज लोकसभा में टीएमसी सांसद सौगता रॉय ने फ्री दिल्ली मेट्रो योजना पर सवाल पूछा था। जिसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि सरकार के पास दिल्ली मेट्रो में महिलाओं फ्री सेवा से जुड़ा कोई प्रस्ताव नहीं है।
Union Housing & Urban Affairs Minister Hardeep Singh Puri in Lok Sabha denies that Union Government has any proposal for free rides for women in Delhi Metro, the question was asked by TMC MP Saugata Roy. (file pic) pic.twitter.com/kOAgSBnfzy
कुछ मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, लोकसभा में पूछे गए एक अन्य सवाल के जवाब के रूप में, केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने स्पष्ट रूप से यह भी कहा कि केंद्र सरकार का कोई विचार नहीं है कि दिल्ली मेट्रो में किसी को भी मुफ्त सवारी मिलनी चाहिए। बता दें कि दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन केंद्र और दिल्ली सरकार दोनों के स्वामित्व में है, जिसमें दोनों पक्षों का इस सार्वजनिक मेट्रो परिवहन सेवा में प्रत्येक 50% स्टैक हैं।
बता दें कि इससे पहले हरदीप सिंह पुरी और ‘मेट्रोमैन’ व लखनऊ मेट्रो रेल कारपोरेशन के प्रधान सलाहकार इंजीनियर ई श्रीधरन ने केजरीवाल के फ्री मेट्रो योजना पर विरोध जताया था। इस सम्बन्ध में 10 जून को श्रीधरन ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा था, “दिल्ली सरकार के प्रस्ताव पर सहमत न हों। जब मेट्रो शुरू हुई थी तब यह निर्णय लिया गया था कि किसी को भी यात्रा के लिए मेट्रो में किसी तरह की कोई छूट नहीं दी जाएगी। दिल्ली मेट्रो केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार का संयुक्त उपक्रम है। कोई एक हिस्सेदार किसी एक हिस्से को रियायत देने का एकतरफा निर्णय नहीं ले सकता है।” इसके आलावा भी उन्होंने फ्री मेट्रो राइड से होने वाले अन्य नुकसान को गिनाते हुए, इस योजना को भविष्य के लिए त्राषद बताया था।
उन्होंने दोबारा सिसोदिया के लिखे पत्र का जवाब देते हुए लिखा था, “यहाँ तक कि मेट्रो का अपना स्टाफ और प्रबंध निदेशक भी जब यात्रा करते हैं तो टिकट खरीदते हैं। इस योजना में 1566 करोड़ रुपए के खर्च का अनुमान व्यक्त किया गया था। और यह भी कहा गया कि यह खर्च साल दर साल बढ़ता ही जाएगा, क्योंकि मेट्रो बढ़ेगी और किराए बढ़ेंगे। समाज के एक हिस्से को रियायत दी जाएगी, तो बाद में दूसरे भी रियायत देने की माँग करेंगे जैसे कि छात्र, विकलांग, वरिष्ठ नागरिक आदि जो कि इस रियायत के ज़्यादा हकदार हैं। दिल्ली की यह बीमारी देश की दूसरी मेट्रो में भी फैलती जाएगी। इस कदम से दिल्ली मेट्रो अक्षम और कंगाल हो जाएगी। अगर दिल्ली सरकार महिला यात्रियों की मदद करना ही चाहती है तो उनके खातों में सीधा पैसा डाल दे।”
वहीं इससे पहले केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने भी मेट्रो के फ्री राइड पर आपत्ति दर्ज करते हुए बयान दिया था। उन्होंने यह भी कहा था कि बीजेपी पूरी तरह से महिलाओं के प्रति समर्पित है। हमलोग महिलाओं के लिए कुछ भी करेंगे, जो संभव है। उन्होंने कहा कि योजनाएँ इस तरह से नहीं बनाई जाती है कि पहले घोषणा करें फिर प्रोपोजल तैयार करें।
पुरी ने इससे पहले अपने एक बयान में यह भी कहा कि केजरीवाल पहले भी प्रक्रिया का पालन किए बिना ही लोकलुभावनी योजनाओं की घोषणा करते रहे हैं। गौरतलब है कि केजरीवाल की कई बार दिल्ली के लेफ्टिनेंट गवर्नर से ठन चुकी है जिसके बाद वे आरोप लगाते रहे हैं कि केंद्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही है।
सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक एर्टिगा कार पर दिल्ली पुलिस लिखा हुआ है और कार में पुलिस का सायरन (बेकन लाइट) लगी हुई है। टिकटॉक नामक एप्प के इस वीडियो में बिना कमीज पहने हुए एक शख्स चलती हुई कार से उतरता है और फिर दिल्ली पुलिस की उसी कार की छत पर चढ़ जाता है।
इस वीडियो को देखकर लोगों ने दिल्ली पुलिस की लापरवाही को लेकर सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी और विरोध व्यक्त किया। कुछ ट्विटर यूज़र्स ने दिल्ली पुलिस से शिकायत करते हुए लिखा कि यह शर्मनाक है, करदाताओं के रुपयों का इस तरह से गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।
इस यूज़र ने यह वीडियो टिकटॉक पर पोस्ट करने के लिए बनाया था, जो काफी वायरल होने के बाद लोगों के नजर में आया। शख्स कार के ऊपर चढ़कर कोई स्टंट कर रहा था। वीडियो में जो कार नजर आ रही है, इस तरह की गाड़ी अक्सर दिल्ली पुलिस के ACP प्रयोग करते हैं।
क्या है सच्चाई?
टिकटॉक वीडियो में गाड़ी का जो नम्बर है, वो एक एर्टिगा कार है और जेपी शर्मा के नाम पर रजिस्टर्ड है। यह वाहन एक ठेकेदार का है, जिसे पुलिस ने कॉन्ट्रैक्ट पर ले रखा था। इस टिकटॉक वीडियो पर दिल्ली पुलिस जाँच कर रही है। पुलिस पीआरओ मधुर वर्मा का कहना है कि दिल्ली पुलिस को कॉन्ट्रैक्ट पर गाड़ियाँ दी जाती हैं। जेपी शर्मा नाम के कांट्रेक्टर की ये गाड़ी है, जिसे दिल्ली पुलिस के इस्तेमाल के लिए लगाया गया था। जो शख्स इस पर स्टंट कर रहा है उसका नाम रवि है, जो जेपी शर्मा का ड्राइवर है। स्टंट कब बनाया गया है इसकी जाँच की जा रही है।
Is this even a police vehicle? The RC check shows it belongs to an individual. pic.twitter.com/o0NIXA0hC1
— Amit Mitra ??♂️??♂️??♂️??♂️ (@amit2648) June 26, 2019
पुलिस ने इस मामले में कहा, “टिकटॉक वीडियो क्लिप में स्टंट करने वाला शख्स कोई पुलिसवाला नहीं है। ठेकेदार को नियम के उल्लंघन के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उसके खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
बिहार के वैशाली में भगवानपुर थानाक्षेत्र से इंसानियत को शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार यहाँ कुछ बदमाशों ने घर में घुसकर एक लड़की और उसकी माँ के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया, जब माँ-बेटी ने इसका विरोध किया तो बदमाशों ने पहले उनसे मारपीट की और फिर उनका सिर मुंडवाकर सड़क पर घुमाया।
खबरों के मुताबिक लड़की अपनी माँ के साथ गाँव में अकेली रहती है। उसके पिता भिक्षाटन कर अपने परिवार का पालन-पोषण करते हैं। बुधवार (जून 26, 2019) की शाम 5 बदमाश दुष्कर्म करने की नीयत से उनके घर में घुसे, लेकिन माँ-बेटी के विरोध के कारण वह अपने मनसूबों में सफल नहीं हो पाए। इसके बाद गुस्से में उन्होंने माँ बेटी को पीटा और फिर बदचलनी का आरोप लगाकर नाई को बुलाया और उनके बाल मुंडवा दिए। इसके बाद उन्हें सड़क पर भी घुमाया गया।
Bihar: Heads of a mother & daughter tonsured allegedly for resisting molestation in Bhagvanpur, Vaishali. SHO says,”Some men entered victims’ home & tried to molest the daughter, when victim resisted, a ward member Khurshid called a barber & shaved their heads. 2 people arrested” pic.twitter.com/uuWhGEr35n
हैरानी की बात यह है कि सभी आरोपित उसी गाँव के रहने वाले हैं। आरोपितों में एक वार्ड सदस्य खुर्शीद भी शामिल है। फिर भी गाँव के किसी व्यक्ति ने इन दोनों माँ-बेटी पर हुए अत्याचार का विरोध नहीं किया और सिर्फ़ तमाशबीन बने तमाशा देखते रहे। इस मामले में 5 लोगों को नामजद अभियुक्त बनाया गया और पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए मुख्य आरोपित खुर्शीद समेत 2 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है।
न्यूज़ 18 की खबर के मुताबिक पीड़ित माँ-बेटी का कहना है कि पड़ोस की रहने वाले बदमाशों ने उनके साथ मनमानी और छेड़खानी करने की कोशिश की, उनके विरोध पर उनके साथ सरेआम अत्याचार हुआ। पुलिस ने इस मामले को गंभीर बताया है और आश्वासन दिया है कि आरोपितों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।
अमेरिका में डलास की एक अदालत ने तीन साल की भारतीय बच्ची शेरिन मैथ्यूज की मौत के मामले में उसके भारतीय-अमेरिकी पिता वेस्ली मैथ्यूज को बुधवार (26 जून) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। 39 वर्षीय मैथ्यूज को सोमवार को शेरीन की मौत के मामले में बच्ची को चोट पहुँचाने के मामले में दोषी ठहराया गया था। ख़बर के अनुसार, 12 सदस्यीय जूरी ने बुधवार की दोपहर को अपनी गोद ली हुई बेटी शेरिन की मौत के मामले में मैथ्यूज को उम्रक़ैद की सजा सुनाने से पहले लगभग तीन घंटे तक विचार-विमर्श किया। वह 30 साल की सज़ा काटने के बाद वो पैरोल के लिए अनुरोध कर सकता है।
अमेरिकी मीडिया के अनुसार, जब मैथ्यूज को सज़ा सुनाई जा रही थी तब वो जूरी के सदस्यों या न्यायाधीशों की तरफ़ न देखकर सामने की ओर देख रहा था। बता दें कि वर्ष 2016 में मैथ्यूज परिवार ने बिहार के एक अनाथालय से बच्ची को गोद लिया था। अभियोजकों की दलील थी कि केरल के रहने वाले मैथ्यूज ने अक्टूबर 2017 में शेरिन की हत्या की है।
मैथ्यूज ने ख़ुद को बचाने के लिए एक के बाद एक कई झूठे दावे पेश किए। कभी उसने कहा कि बच्ची दूध नहीं पी रही थी इसलिए उसकी मौत हुई, तो कभी कहा कि वो कहीं ग़ायब हो गई थी। मैथ्यूज ने यह भी दावा किया कि अपनी बेटी की आकस्मिक मौत के बाद घबरा गया था और उसने बच्ची के शरीर को नीले कचरे के थैले में लपेटा और पुलिया में फेंक दिया ताकि वह घर के पास रहे। शुरू में मैथ्यूज ने पुलिस को बताया कि शेरिन 7 अक्टूबर, 2017 को लापता हो गई थी। 15 दिन बाद उसका बुरी तरह से क्षत-विक्षत शरीर घर के पास पुलिया में मिला।
इसके अलावा, 3 साल की मासूम बच्ची की मौत पर एक नई कहानी भी गढ़ी गई। इस कहानी के अनुसार, जब बच्ची दूध नहीं पी रही थी तो उसे सज़ा के तौर पर सुबह 3 बजे घर के पिछले हिस्से में पेड़ के पास खड़ा रहने को कहा गया। 15 मिनट बाद जब बच्ची को वहाँ चेक किया गया, तो वो वहाँ से ग़ायब थी। मैथ्यूज ने जाँचकर्ताओं को यह नहीं बताया कि उनकी बेटी का शरीर कहाँ था। बच्ची का मृत शरीर जिस अवस्था में पाया गया, वो इतनी बुरी तरह क्षत-विक्षत हो चुका था कि पोस्टमॉर्टम में बच्ची की मृत्यु का कारण ही स्पष्ट नही हो सका था। उसके शरीर में कुछ भी शेष नहीं बचा था, उसके दांत बाहर गिर गए थे।
इसके अलावा अभियोजक पक्ष ने यह भी तर्क दिया कि तीन साल की मासूम शेरिन ने अमेरिका में रहने के दौरान हर समय दुर्व्यवहार का सामना किया। मेडिकल रिकॉर्ड से यह पता चलता है कि उसके शरीर में पाँच टूटी हड्डियाँ थीं जिसका उपचार हो रहा था।
सिनी जोकि पंजीकृत नर्स भी हैं, उन्होंने गोद ली हुई बेटी को रात के अँधेरे में अकेला छोड़ दिया और अपनी ख़ुद की बेटी के साथ खाना खाने चली गई थीं। इसके लिए पुलिस ने उन्हें भी दोषी ठहराया। शेरिन की मौत ने भारत सरकार का ध्यान अपनी तरफ़ खींचा और तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि भारतीय बच्ची (शेरीन) को न्याय मिलना चाहिए। भारत ने शेरिन की दु:खद मौत के बाद गोद लेने की प्रक्रिया को और कड़ा कर दिया है।
पिछले काफ़ी समय से सुनैना रोशन और उनके परिवार से जुड़ी ख़बरें सुर्ख़ियों में छाई रहीं। इन ख़बरों में उनके प्रेम-संबंध और पिता राकेश रोशन व भाई ऋतिक रोशन को लेकर बहुत कुछ लिखा गया। सुनैना ने दावा किया था कि एक मुस्लिम शख़्स (रुहैल अमीन) से प्यार करने की वजह से रोशन परिवार द्वारा उनका मानसिक शोषण किया जा रहा है।
इससे पहले सुनैना ने ट्वीट किया था कि वो ‘एक नरक में रह रही थीं’ और उनका परिवार उनके जीवन को ‘असहनीय’ बना रहा था। सुनैना ने यह भी दावा किया था कि अभिनेत्री कंगना रनौत और उनकी बहन रंगोली चंदेल उसे न्याय दिलाने में मदद करने की कोशिश कर रही थीं।
ख़बर के अनुसार, रोशन के एक क़रीबी सूत्र ने बॉलीवुड हंगामा को बताया कि सुनैना रोशन जिससे प्यार करती हैं वो रुहैल अमीन कथित तौर पर पहले से ही शादी-शुदा है और उसके बच्चे भी हैं। रोशन के क़रीबी सूत्रों ने यह भी बताया कि सुनैना के माता-पिता बस अपनी बेटी की रक्षा करना चाहते हैं। ताकि वो कोई ऐसा फैसला न ले लें जिससे जिंदगी भर उन्हें पछताना पड़े।
बॉलीवुड हंगामा ने सूत्र के हवाले से लिखा कि सुनैना ने अपने विवाह को लेकर पहले ही भयंकर गलतियाँ की हैं। उनके माता-पिता यह नहीं चाहते कि वो अपने जीवनसाथी के तौर पर ग़लत निर्णय लेकर कोई और ग़लती करें।
कथित तौर पर सुनैना और रुहेल पहली बार तब मिले थे जब वो टाइम्स नाउ के लिए मनोरंजन बीट कवर करते थे। इसके बाद सोशल मीडिया के माध्यम से दोनों का पुनः सम्पर्क हुआ। रूहैल ने कहा कि जब उन्होंने सुनैना के माता-पिता से एक बार बात की थी, तो वे ख़ुश नहीं थे। रुहैल ने बताया, “उन्हें हमारी दोस्ती मंज़ूर नहीं थी।”
इंदौर से आई एक वीडियो पूरे सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय एक नगर निगम के अधिकारी को बल्ले से पीटते हुए नज़र आ रहे हैं। इस वीडियो के सामने आने के बाद उनकी आलोचना हुई और पुलिस ने कार्रवाई करते हुए आकाश को गिरफ़्तार कर लिया। आकाश द्वारा इस प्रकार के व्यवहार का समर्थन नहीं किया जा सकता। क़ानून अपने हाथ में लेना किसी का भी अधिकार नहीं है, चाहे वह जनप्रतिनिधि ही क्यों न हो। लेकिन, हमें इंदौर के ही रहने वाले अभिषेक सचान ने कुछ ऐसा बताया, जो आपलोगों को जानना ज़रूरी है।
सिर्फ अभिषेक सचान ही नहीं, बल्कि अभी-अभी यह भी ख़बर आई है कि इंदौर म्युनिस्पल कॉर्पोरेशन (IMC) के अधिकारी भी आकाश विजयवर्गीय के समर्थन में उतर आए हैं। कुल 21 कर्मचारियों को आईएमसी ने निलंबित कर दिया है क्योंकि उन्होंने आकाश द्वारा नगर निगम के अधिकारी को पीटे जाने का समर्थन किया है। निगम कमिश्नर ने इस काण्ड की जाँच भी शुरू कर दी है। ऐसे में, यह सवाल उठता है कि क्या कारण है कि कुछ आम लोग और ख़ुद नगर निगम के अधिकारी इसका समर्थन कर रहे हैं, जबकि क़ानून हाथ में लेना ग़लत है, चाहे वह कोई भी हो? इसी कारण को समझने के क्रम में हमें अभिषेक सचान का फेसबुक पोस्ट दिखा।
#NewsAlert – 21 employees of Indore Nagar Nigam have been terminated for supporting @BJP4India MLA Akash Vijayvargiya while he was assaulting municipal official yesterday. Nigam Commissioner has also started probing the incident. pic.twitter.com/QpNBoB5VNG
इंदौर में लम्बे समय से रह रहे अभिषेक ने इस मामले में फेसबुक पर आकाश विजयवर्गीय का समर्थन किया। इसके पीछे उनके कुछ व्यक्तिगत अनुभव थे, जो इंदौर नगर निगम के अधिकारीयों की सच्चाई को बयाँ करते हैं। आकाश विजयवर्गीय की कार्रवाई का समर्थन किए बिना हम आपको अभिषेक से ऑपइंडिया की हुई बातचीत और उनके फेसबुक पोस्ट के आधार पर एक आम आदमी का पक्ष रखना चाहते हैं, ताकि आपको भी पता चले कि आखिर अभिषेक ने आकाश विजयवर्गीय की इस कार्रवाई का समर्थन क्यों किया। जैसा कि मीडिया का काम है, हम ग़लत को ग़लत कहते हुए सभी पक्षों को जनता के सामने रख रहे हैं।
सबसे पहले देखिए कि अभिषेक ने अपने फेसबुक पोस्ट में क्या लिखा है। उन्होंने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा कि उनका एक काम जो नियमानुसार नगर निगम द्वारा 6 महीने में किया जाना था, उसमें 9 महीने लगाए गए और काम भी नहीं हुआ। उन्होंने स्क्रीनशॉट्स शेयर करते हुए लिखा कि 10 हज़ार रुपए का रसीद जमा कराने के बावजूद उनका कम्पाउंडिंग का कार्य नहीं किया गया। उन्हों लिखा कि इस स्थिति में अगर आकाश जैसा कोई व्यक्ति बल्ला चलाता है तो उनके जैसे आम आदमी को, होली-दीवाली पर बेघर कर दिए गए लोगों को और सड़क पर ठेला लगा कर अपना भरण पोषण करने वाले व्यक्ति को ख़ुशी होती है।
मामले की तह तक जाने के लिए ऑपइंडिया ने अभिषेक सचान से संपर्क किया और उनके व्यक्तिगत अनुभव को विस्तृत रूप से समझ कर यह जानने की कोशिश की कि आखिर इंदौर नगर निगम के अधिकारियों ने उन्हें क्या पीड़ा दी, जिसके कारण वे आकाश विजयवर्गीय द्वारा अधिकारी की पिटाई से ख़ुश हुए। उनसे हुई बातचीन के आधार पर उनके व्यक्तिगत अनुभव को हम नीचे साझा कर रहे हैं। ध्यान दीजिए, यह एक आम आदमी का पक्ष है, जिसे हम हूबहू बिना छेड़छाड़ किए आपके सामने रख रहे हैं। नीचे पढ़िए उनका अनुभव अभिषेक सचान के ही शब्दों में:
“मेरा इंदौर में एक मकान है, जिसे बिल्डर ने कुछ अच्छा नहीं बनाया तो उसे रिपेयरिंग की ज़रूरत थी। जैसा कि हर आम आदमी अपने घर में हुई कमी-बेशी को ठीक करता है, हम लोग भी अपने घर का रिनोवेशन करवा रहे थे। हमें अपनी बालकनी में कुछ काम कराने थे। नियमानुसार, हमें इसके लिए नगर निगम से अनुमति की ज़रूरत पड़ती है। जब हम परमिशन लेने गए तो हमें अधिकारियों ने सीधा कहा कि तुम यहाँ से भाग जाओ क्योंकि हाउसिंग के मकान में परमिशन नहीं मिलती। जब मेरे साथ नगर निगम के अधिकारियों ने ऐसा व्यवहार किया तो मैंने समाज के लोगों से राय ली। बुद्धिजीवियों ने कहा कि जब उनका व्यवहार ऐसा है तो आप अपना काम करा लो, छोटा-मोटा ही काम तो है।”
“जब मैंने काम कराना शुरू कर दिया तो मेरे पड़ोसी को इससे आपत्ति हो गई। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से तुम्हारा मकान ज्यादा सुन्दर हो जाएगा और उनका ठीक नहीं दिखेगा। उन्होंने नगर निगम में इसकी शिकायत कर दी कि मैं बिना अनुमति कार्य करा रहा हूँ। इसके बाद नगर निगम के अधिकारी नोटिस के साथ मेरे घर पहुँचे। उन्होंने कहा कि तुम अपना मकान बिना अनुमति बना रहे हो, इसे तोड़ दिया जाएगा। इसके बाद मेरी भाग-दौड़ शुरू हुई। मैं आवेदन लिख कर सारे अधिकारियों के पास जाना शुरू किया। मैं काम क्यों करा रहा हूँ, मेरी स्थिति क्या है?- मैंने ये सारी चीजें उस आवेदन में लिखी और अधिकारियों को दिया। यहाँ तक कि कमिश्नर को भी मैंने 4 बार पत्र लिख कर स्थिति से अवगत कराया।”
“ऊपर जो कम्पाउंडिंग का जिक्र किया गया है, उसका अर्थ हुआ कि अगर किसी ने अपने घर में बिना अनुमति कुछ ज़रूरी फेरबदल किया है तो उस व्यक्ति का अधिकार है कि वह कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया के लिए आवदेन करे। इसके बाद नगर निगम वाले 6 महीने के भीतर इस प्रक्रिया को पूरी करते हैं, ऐसा मध्य प्रदेश का नियम कहता है। नियमानुसार, अगर किसी व्यक्ति ने अपने मकान में 10% फेरबदल किया है तो 6 महीने के भीतर कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया पूरी करनी है। मेरे फेसबुक पोस्ट में उस नियम का स्क्रीनशॉट आप देख सकते हैं। इसके बाद सारा खेल शुरू हुआ। इंदौर के अधिकारी पीएस कुशवाहा का मेरे पास फोन कॉल आया। वो इंदौर से बड़े अधिकारी हैं।”
“कुशवाहा इंदौर के भवन अधिकारी हैं और कमिश्नर के बाद सबसे ताक़तवर अधिकारियों में उनका नाम गिना जाता है। उन्होंने कहा कि पहले आप अपने पड़ोसी के विवाद सुलझाएँ, उसके बाद ही हम कोई कार्रवाई कर पाएँगे। मैंने अपने घर में एक रेनवाटर हार्वेस्टिंग शेड बनाया था क्योंकि हमारे यहाँ फरवरी-मार्च में पानी ख़त्म हो जाता है। पड़ोसी ने मुझे वह भी हटाने को कहा, ऐसे में विवाद कैसे सुलझाया जा सकता है? नगर निगम ने मुझे साफ़-साफ़ कह दिया कि जब तक आप अपने पड़ोसी की ‘टर्म्स एन्ड कंडीशन’ पर नहीं आ जाते, आपका मकान तोड़ना ही पड़ेगा। इसके अलावा उन्होंने मेरे कम्पाउंडिंग के आवेदन को प्रोसेस करने से मना कर दिया।”
“यह सब नियम के ख़िलाफ़ हुआ क्योंकि कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया को अधिकारी 6 महीने से ज्यादा नहीं खींच सकते, अपने फेसबुक पोस्ट में मैंने इसका सबूत भी पेश किया है। अर्थात, अधिकारीगण अपने हाथ में क़ानून लेकर बैठे हैं। ऐसे में अगर कुछ लोग कह रहे हैं कि आकाश विजयवर्गीय ने सही किया, तो इसमें क्या ग़लत है? पिछले साल सितंबर में ही मैंने आवेदन किया था, आप गिन लीजिए कितने महीने हो गए? अब नियम यह है कि अगर अधिकारी ऐसा करने में विफल रहते हैं तो उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ेगा। मैं अपनी शिकायत लेकर सीएम हेल्पलाइन में गया।”
@CMMadhyaPradesh@OfficeOfKNath I gave compounding application 5042 on 27/Sep/18 at Indore Ngr Nigm. Officer P.S Kushwah has put a red tape. Sir, MP Municipality act 2016 gives 6 M to give decision. CM helpline complaint 8082591 also ignored, is PS kushwah above law? Help ?
“सीएम हेल्पलाइन में किसी भी शिकायत को 15 दिनों के भीतर निपटाना होता है नहीं तो वो एक लेवल ऊपर चली जाती है और अगर फिर देर हुई तो उसका लेवल बढ़ता चला जाता है। मेरी कंप्लेंट फाइनल और चौथे लेवल पर पहुँच गई लेकिन नगर निगम ने लिखा कि विधि अनुसार कार्रवाई हो रही है, इसीलिए इस कंप्लेंट को ‘फ़ोर्स क्लोज़’ किया जाए। विधि तो कहता है कि 6 महीने में कम्पाउंडिंग की प्रक्रिया पूरी करनी है, तो कैसी विधि अनुसार कार्रवाई? नगर निगम किसी क़ानून से नहीं चल रहा है बल्कि दादागिरी से चल रहा है। पैरवी से काम होता है। मेरे पड़ोसी का रिश्तेदार कमिश्नर था तो उसके फोन कॉल से काम हो सकता है लेकिन मेरे जैसे आम आदमी का काम नहीं हो सकता।”
“मेरा केस नगर निगम की दादागिरी का जीता-जागता सबूत है। ये रहा मेरा मामला, अब कुछ और बातें भी हैं जो आपके जानने लायक है। इंदौर में अधिकतर अतिक्रमण हटाने का कार्य होली और दिवाली में किया जाता है। आपको पता है क्यों? क्योंकि इस दौरान अदालतें बंद रहती हैं। रविवार के आसपास पर्व-त्योहारों के होने से वकील भी छुट्टी पर होते हैं और अदालतें भी 4-5 दिन बंद रहती हैं। अगर किसी का घर टूट रहा है और वो कोर्ट से स्टे लेना चाहे, तो वो नहीं ले सकता। इसीलिए नहीं ले सकता क्योंकि कोर्ट तो बंद है। रंगपंचमी भी मनाया जाता है, अतः ये सब त्यौहार लम्बे खिंच जाते हैं। ऐसे में नगर निगम का सीधा 3 दिन का नोटिस आता है कि घर तोड़ दिया जाएगा। लोगों के पास कोर्ट जाने का भी विकल्प नहीं बचता।”
“अब सबसे महत्वपूर्ण बात। अगर हिन्दू पर्व-त्योहारों पर लोगों के घर तोड़ दिए जाएँ तो जनता गुस्सा कहाँ निकालेगी? जो लोग महीनों से इन पर्व-त्योहारों को लेकर इन्तजार में रहते हैं, प्लानिंग करते हैं- उनका घर इन्हीं पर्व-त्योहारों के दौरान तोड़ डाला जाता है। स्पष्ट है, उनका गुस्सा हिंदूवादी नेताओं पर निकलेगा। जनता सोचेगी कि हिंदूवादी नेताओं के रहते उनके घर तोड़ दिए जा रहे हैं। इसके बाद जनता स्थानीय नेताओं पर दबाव बनाना शुरू करती है। स्थानीय पार्षद से लेकर विधायक तक के पास लगातार शिकायतें पहुँचती रहती हैं। और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इज़्ज़त यह है कि उन्हें अधिकारियों के सामने हाथ जोड़ कर निवेदन करना होता है कि फलाँ काम ज़रूरी है, इसे निपटाया जाए।”
“लोगों को ऐसा लगता है कि स्थानीय विधायक बहुत मजबूत है, उसके हाथ में सब कुछ है। लेकिन, ऐसा कुछ नहीं है। कैलाश विजयवर्गीय के ख़ास लोग भी अगर नगर निगम में बात करते हैं तो कुछ नहीं होता है। अधिकारियों के सामने नेताओं की इज़्ज़त धूल बराबर भी नहीं रह गई है। ऐसा नहीं है कि मैंने कोशिश नहीं की। मैंने कैलाश विजयवर्गीय की तरफ़ से भी अधिकारियों को फोन करवाया लेकिन फिर भी मेरी शिकायत पर कोई सुनवाई नहीं हुई- रत्ती भर भी नहीं। इससे पहले कॉन्ग्रेस के भी कई नेताओं ने अतिक्रमण हटाने गए अधिकारियों को भगाने का काम किया है, यह पहली बार नहीं हुआ है।”
Akash Vijayvargiya, BJP MLA on thrashing a Municipal Corporation officer in Indore: This is just the beginning, we will end this corruption & goondaism. ‘Aavedan, nivedan aur fir dana dan’ this is our line of action. #MadhyaPradeshpic.twitter.com/xYLqJnpWdZ
“इंदौर स्वच्छता रैंकिंग में देश में नंबर एक है, क्योंकि यहाँ कॉन्ट्रैक्ट पर साफ़-सफाई के लिए कर्मचारी रखे गए हैं, बहुत सी चीजें प्राइवेट हाथों में दी गई हैं। इसमें किसी भी कार्य के लिए सीधा 30-40 लोग भेजे जाते हैं, वो लोग आकर आपका घर तोड़ देंगे और आप कुछ नहीं कर सकते। इसके अलावा एक मानवीय पहलू भी है। जो भी ठेला लगाने वाले हैं, उन्हें भी नगर निगम द्वारा परेशान किया जाता है। उनके ठेले को सीधा पलट दिया जाता है। रोज़ दिन भर मेहनत कर के घर चलाने वाले लोगों से भी अमानवीय व्यवहार कहाँ तक उचित है? इंदौर से तीसरी बार विधायक बने रमेश मंडोला ने एक ठेले वाले को पत्र लिख कर दिया था ताकि वह नगर निगम की कार्रवाई से बच सके।”
“उस पत्र में लिखा था कि अमुक ठेले वाले के दिल में छेद है, अतः उसे ठेला लगाने दिया जाए। यह उसके भरण-पोषण के लिए ज़रूरी है। उस व्यक्ति के पास आय कमाने का कोई दूसरा स्रोत नहीं था। जब उसने नगर निगम के अधिकारियों को विधायक की चिट्ठी दिखाई तो भी उसके ठेले को पलट दिया गया और उसका सामान बिखेड़ दिया गया। ग़रीबों से इस प्रकार के व्यवहार के कारण इंदौरवासी नगर निगम के अधिकारियों से क्रोधित हैं। इसी से समझ लीजिए कि वहाँ जनप्रतिनिधियों की इज़्ज़त क्या है? इंदौर में साफ़-सफाई का सिस्टम प्राइवेट हाथों में है, जिस कारण स्वच्छता के मामले में यह नंबर एक है।”
“जो सही है, उसे सही कहना चाहिए। नगर निगम ने स्वच्छता के मामले में अच्छा काम किया है। अगर किसी के घर के बाहर कचरा पड़ा हुआ है तो उसके एक फोन कॉल से उसे हटा दिया जाता है। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कर्मचारियों व निचले लेवल के अधिकारियों पर कार्रवाई हो जाती है। इस कारण वे काफ़ी तेज़ी से कार्य निपटाते हैं। अगर एक बार साफ़-सफाई का अच्छा माहौल बना दिया जाए तो उसके बाद आम नागरिक भी जागरूक हो जाता है और जनता भी सहयोग करने लगती है, गंदगी नहीं फैलाती। लेकिन, इसका अर्थ ये नहीं कि नगर निगम भ्रष्टाचार से परे है। मकान बनवाने के लिए और मकान टूटने से बचाने के लिए, इन दोनों ही स्थितियों में नगर निगम के अधिकारी घूस से अच्छा-ख़ासा रुपया कमाते हैं।”
“स्थिति यह है कि बिना घूस खिलाए आप न नया मकान बनवा सकते हैं और न पुराने मकान को टूटने से बचा सकते हैं। अगर आपको एक खिड़की तक बनवानी है (ऐसे जो भी कार्य, जिसमें सीमेंट और ईंट का प्रयोग किया जाता है), तो आपको घूस देना होगा। अगर आप बिल्डिंग परमिशन के लिए नगर निगम जाते हैं तो वहाँ आपसे नक्शा माँगा जाएगा और कहा जाएगा कि बाहर सिविल इंजीनियर बैठे हैं, उनसे नक्शा बनवा कर लाओ। जब आप बाहर जाते हैं तो सिविल इंजीनियर आपके मकान का पूरा पता पूछेगा, जिसके बाद यह कि किस-किस को रुपए खिलाने हैं। 10-15 हज़ार रुपए तो सिविल इंजीनियर अपनी फी बोल कर ही ऐंठ लेते हैं।”
“बाकी जिसको भी लगता है कि मैं ग़लत बोल रहा हूँ, वो इंदौर आए और मेरा अधूरा कार्य करवा दे, मैं मान जाऊँगा कि मैं ग़लत हूँ। इसीलिए मैं कहता हूँ- ‘वेल डन आकाश विजयवर्गीय’। मैं इसीलिए हवा में न्यूज़ देख कर अपना ओपिनियन नहीं बनाता हूँ। यह मेरा व्यक्तिगत अनुभव है, जिसके कारण मैंने विधायक आकाश की इस कार्रवाई को जायज ठहराया है।”
19वीं सदी में पंजाब पर शासन करने वाले महाराजा रणजीत सिंह की 180वीं पुण्यतिथि (जो कि 29 जून को है) के मौक़े पर लाहौर में आज (जून 27, 2019) उनके स्मारक का अनावरण होगा। महाराजा ने 40 साल तक शासन किया था।
यह स्मारक लाहौर किले में माई जिंदियन हवेली के बाहर एक खुली जगह में बना है, जहाँ रणजीत सिंह की समाधि और गुरु अर्जुन देव के गुरुद्वारा डेरा साहिब की इमारत भी है। यह हवेली रणजीत सिंह की सबसे छोटी रानी के नाम पर है जहाँ पर सिख कलाकृतियों की एक स्थायी प्रदर्शनी है, जिसे सिख गैलरी कहा जाता है।
आयोजन के निमंत्रण पत्र के अनुसार, रणजीत सिंह की 8 फीट ऊँची प्रतिमा, जिसमें उन्हें घोड़े पर चढ़ा हुआ दिखाया गया है वह लाहौर के Walled City of Lahore Authority (WCLA) के तत्वाधन में स्थापित किया जा रहा है और यह सब ब्रिटेन स्थित सिख संस्था, एसके फाउंडेशन के सहयोग से हो रहा है।
दैनिक जागरण खबर के मुताबिक शहर के महानिदेशक कामरान लशैरी ने बताया है, “जैसा कि आप जानते हैं धार्मिक पर्यटन हमारी सरकार के मुख्य विषयों में से एक है। करतारपुर साहिब, ननकाना साहिब को इस सरकार से अधिक ध्यान मिला है। रणजीत सिंह की प्रतिमा भी उसी का एक हिस्सा है।”
लशैरी ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई फोन पर बातचीत में बताया कि यह सही है कि प्रतिमा का अनावरण लाहौर में किया जा रहा है, जहाँ रणजीत सिंह ने 1801-1939 तक पंजाब पर शासन किया। इसके आयोजन में पाकिस्तान सरकार ने रणजीत सिंह की पुण्यतिथि के लिए भारत के सिख तीर्थ यात्रियों को 450 से अधिक वीजा भी जारी किए हैं। जबकि खबरों के अनुसार इस्लामाबाद में मौजूद इंडियन हाई कमीशन के किसी भी प्रतिनिधि को आयोजन में आमंत्रित नहीं किया गया है।
बता दें रणजीत सिंह का स्मारक फ़कीर सैयद सैफ़ुद्दीन के निर्देशन में लाहौर के नेशनल कॉलेज ऑफ आर्ट और नक़्श स्कूल ऑफ़ आर्ट के तीन कलाकार-मूर्तिकारों द्वारा बनाया गया था। सैफ़ुद्दीन के मुताबिक यह स्मारक कोल्ड ब्रोंज तकनीक के इस्तेमाल से बनाया गया है, जिसे बनने में लगभग 8 महीने लगे और जो अमृतसर और दिल्ली में मौजूद रणजीत सिंह के स्मारकों से भी ज्यादा खूबसूरत है।
महाराजा रणजीत सिंह से जुड़ा एक किस्सा बहुत फेमस है। उन्हें होली मनाना अच्छा लगता था। इसके लिए बाग में बड़े-बड़े टेंट लगाए जाते थे, इन टेंट्स को काफ़ी अच्छे से सजाया जाता था और दोनों तरफ से सैनिकों से सुसज्जित रखा जाता था। उस दिन बाग की शोभा देखते ही बनती थी। रणजीत सिंह की होली पर अंग्रेज अधिकारी भी आमंत्रित रहते थे। अक्सर होली पर महाराजा सर हेनरी नाम के एक अंग्रेज अफसर के टकले पर गुलाल मल दिया करते थे।
हजारों करोड़ रुपये के घोटाले के आरोपी हीरा व्यापारी नीरव मोदी को बड़ा झटका लगा है। नीरव मोदी और उसकी बहन के चार बैंक खातों को स्विट्जरलैंड में फ्रीज कर दिया गया है जिनमें अरबों रुपये जमा हैं।
स्विस अधिकारियों ने नीरव मोदी और उसकी बहन पूर्वी मोदी के खातों को फ्रीज किया है जिनमें करीब 283.16 करोड़ रुपये की राशि जमा है। स्विट्जरलैंड ने यह कार्रवाई भारतीय एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अपील पर की है। ED ने कहा था कि इन खातों में भारतीय बैंकों से अवैध तरीके से धन ट्रांसफर किया गया है।
देश के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले का आरोपी नीरव मोदी इस समय ब्रिटेन की जेल में बंद है। उसे मार्च में गिरफ्तार किया गया था। भगोड़े हीरा कारोबारी को आज लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत में नियमित हिरासत पर सुनवाई के लिए पेश किया जाएगा।