Friday, May 3, 2024
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फ़र्ज़ी ख़बर गिरोह सक्रिय, राफ़ेल पर बिलकुल नया झूठ: फ़्रांस 28 राफ़ेल ख़रीदेगा आधी क़ीमत पर

राफ़ेल सौदे के ख़िलाफ़ काल्पनिक आरोपों की लंबी सूची में एक और कोण जोड़ते हुए, कुछ लोगों ने आज एक ख़बर प्रसारित की है कि फ़्रांस ने 28 राफ़ेल विमानों को दसाँ (Dassault) एविएशन से €2 बिलियन का ऑर्डर दिया है। उनके अनुसार, ये विमान अगली पीढ़ी के F4 स्टैंडर्ड के होंगे और इस सौदे की प्रति यूनिट कीमत भारत F3R मानक के 36 राफ़ेल जेट विमानों के लिए चुकाए जा रहे क़ीमत की लगभग आधी है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि F4 कॉन्फ़िगरेशन के 28 राफ़ेल जेट 2023 तक फ़्रांस को सौप दिए जाएँगे। लेकिन तथ्य यह है कि, यह पूरी तरह से फ़र्ज़ी ख़बर है। यह दिखाने के लिए दो असंबद्ध सौदे को, दुर्भावनापूर्ण मंशा से इसलिए जोड़ा जा रहा है कि लोगों को यह लगे भारतीय राफ़ेल सौदा बहुत महँगा है।

राफ़ेल लड़ाकू विमान के लिए F4 कॉन्फ़िगरेशन अभी भी ड्राइंग बोर्ड में है। यह वर्तमान में विकास के प्रारंभिक चरण में है। और 2023 तक F4 राफ़ेल को वितरित करना संभव नहीं है। क्योंकि F4 स्टैण्डर्ड कल 14 जनवरी 2019 को ही शुरू किया गया है। राफ़ेल को फ़्रांस सरकार से मिला €2 बिलियन का अनुबंध F4 मानक के विकास के लिए है। फ्रांसीसी सरकार ने दसाँ (Dassault) एविएशन की आरएंडडी गतिविधियों की फ़ंडिंग की है। राफ़ेल के F4 मानक के विकास के लिए यह अनुबंध तब कंपनी को प्रदान किया गया जब सशस्त्र बल के फ्रांसीसी मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने 14 जनवरी, 2019  को फ़्रांस के मेरिग्नैक में कंपनी के संयंत्र का दौरा किया। यह अनुबंध केवल उन्नत F4 कॉन्फ़िगरेशन के विकास के लिए है। इसमें विमान उत्पादन शामिल नहीं है

दसाँ (Dassault) एविएशन के अनुसार, F4 मानक को विकसित करने की अंतिम अवधि 2024 तक है। हालाँकि, इसके कुछ फ़ंक्शन 2022 तक उपलब्ध हो जाएँगे। इसका मतलब है, F4 मानक राफ़ेल जेट 2024 से पहले उत्पादन के लिए नहीं जा सकता। इसलिए यह असंभव है कि फ्रांस 2023 तक इस मानक के 28 राफ़ेल जेट प्राप्त कर लेगा।

2022-2024 में फ़्रांस को 28 राफ़ेल जेट मिलेंगे। लेकिन, यह वर्तमान में उपलब्ध मानकों का होगा, न कि F 4 मानक का जो अभी तक विकसित ही नहीं हुआ है। फ़्रांस सरकार ने अब तक 180 राफ़ेल विमानों का आदेश दिया है। आख़िरी में, नौसेना के लिए 2009 में 60 विमानों का ऑर्डर है। जुलाई 2018 में दसाँ एविएशन के अनुसार, कंपनी ने फ़्रांस के रक्षा बलों को अब तक 151 राफ़ेल की आपूर्ति की है। 1 राफ़ेल को 2018 की दूसरी छमाही के दौरान वितरित किया जाना था। कंपनी ने कहा कि शेष 28 विमानों को 2022 और 2024 के बीच वितरित किया जाएगा।


दसाँ (Dassault) की स्लाइड बता रही है कि 2022-24 में डिलीवर किए जाने वाले 28 राफ़ेल जेट पहले से ही 180 जेट विमानों के अनुबंध में से हैं।

इसका मतलब है, फ़्रांस को 2022-24 में 28 राफ़ेल फाइटर जेट मिलेंगे। क्योंकि, विमान का आखिरी बैच 2009 में ही आर्डर कर दिया गया था। राफ़ेल विमानों के इस डिलीवरी का, F4 स्टैंडर्ड के विकास के लिए किए गए अनुबंध से कोई संबंध नहीं है।

यहाँ ध्यान दिया जा सकता है कि भारत F3R स्टैण्डर्ड का जेट ख़रीद रहा है। जो वर्तमान में उपलब्ध विमान का नवीनतम मानक है। फ़्रांस सरकार ने इस मानक के विकास के लिए भी वित्त पोषित किया था। क्योंकि, सरकार ने 2014 में चौथी पीढ़ी के राफ़ेल विमानों के विकास के लिए €1 बिलियन के अनुबंध से वित्तपोषित किया गया था। वर्तमान अनुबंध की तरह, यह भी R&D के लिए दिया गया धन था। इसमें नए विमानों के लिए एक भी आदेश शामिल नहीं था। राफ़ेल का F3R मानक की वैधता नवंबर 2018 तक था। इसलिए यह उस विमान का नवीनतम संस्करण है जिसे भारत ने ऑर्डर किया है।

रिपोर्ट के अनुसार, फ़्रांस द्वारा 2023 में F4 मानक के 30 राफ़ेल का ऑर्डर देने की उम्मीद है। जब तक मानक लगभग तैयार नहीं हो जाएगा, तब तक इस मानक के लिए कोई वर्तमान ऑर्डर नहीं है। दसाँ का अनुमान है कि F4 मानक राफ़ेल जेट 2030 तक वितरित किए जाएँगे।

यह फ़र्ज़ी ख़बर सबसे पहले ट्विटर पर रवि नायर द्वारा फ़ैलाई गई थी। जो ‘द वायर’ और ‘जनता का रिपोर्टर’ जैसी प्रोपेगैंडा वेबसाइटों से जुड़े हैं। राफ़ेल सौदे को लेकर फ़र्ज़ी ख़बरें फ़ैलाने में ये वेबसाइटें सबसे आगे रही हैं। 2 नवंबर को प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, अब तक राफ़ेल सौदे पर ये प्रोपेगंडा वेबसाइटें 40 से अधिक लेख प्रकाशित कर चुके थे।

गुजरात के बाद झारखंड ने समान्य वर्ग के लिए 10% आरक्षण लागू किया

गुजरात के बाद दूसरे भाजपा शासित राज्य झारखंड ने समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों के लिए आरक्षण लागू कर दिया है। झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार द्वारा समान्य वर्ग के आर्थिक रूप से कमज़ोर लोगों को सरकारी नौकरी व शिक्षा में दिए जाने वाले 10% आरक्षण को लागू कर दिया है। राज्य सरकार के इस फ़ैसले के बाद अब झारखंड में रहने वाले समान्य वर्ग के लोगों को 15 जनवरी 2019 के बाद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। झारखंड सरकार ने अपने घोषणा पत्र में कहा – “15 जनवरी 2019 के बाद ज़ारी होने वाली बहाली में समान्य वर्ग के लोगों को 10 फ़ीसद आरक्षण का लाभ मिल सकेगा।”  

गुजरात ने समान्य वर्ग के लिए सबसे पहले लागू किया आरक्षण

सामान्य वर्ग (आर्थिक रूप से कमजोर) आरक्षण बिल के तहत शिक्षा और रोज़गार के क्षेत्र में मिलने वाले आरक्षण को गुजरात की भाजपा सरकार ने लागू किया। इस फ़ैसले के साथ ही गुजरात देश का पहला राज्य बन गया, जहाँ पर सामान्य वर्ग आरक्षण बिल को सबसे पहले लागू किया गया हो।

राज्य के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने रविवार (जनवरी 13, 2019) को ट्वीट के जरिए इस बात की घोषणा की थी। उन्होंने कहा था कि 14 जनवरी 2019 को मकर संक्रांति के अवसर पर आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग के लोगों के लिए लाए गए आरक्षण बिल को सभी सरकारी नौकरियों में और उच्च शिक्षा में लागू कर दिया जाएगा।

जानकारी के लिए बता दें कि आर्थिक रूप से कमज़ोर सामान्य वर्ग की सूची में आने वाले लोगों के लिए आरक्षण पर केंद्रीय मंत्रीमंडल ने 7 जनवरी को मुहर लगाई गई थी। लोकसभा व राज्यसभा में चली लंबी बहस के बाद यह विधेयक दोनों सदनों में बहुमत से पास हुआ। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के हस्ताक्षर के बाद यह अब कानून बन गया है।

कश्मीरी आतंकी ‘मिट्टी के लाल’ हैं, हमें उन्हें बचाने की जरूरत है: महबूबा

जम्मू-कश्मीर के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीरी आतंकी के समर्थन में विवादास्पद बयान दिया है। अपने बयान में महबूबा ने कहा, “मैं हमेशा से कहती रही हूँ कि कश्मीरी आतंकी (लोकल मिलिटेंट) मिट्टी के लाल हैं। हमलोगों का प्रयास हर हाल में लोकल मिलिटेंट को बचाने का होना चाहिए। मैं न सिर्फ़ हुर्रियत बल्कि जम्मू-कश्मीर के ‘बंदूकधारी लड़ाकों’ के साथ भी बातचीत के पक्ष में हूँ। लेकिन इसके लिए यह समय सही नहीं है।” महबूबा का बयान ऐसे समय में आया है, जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा हुआ है। राज्य में आतंकी गतिविधियों को रोकने के लिए सेना लगातार छापेमारी कर रही है। पिछले साल सेना ने 250 से ज़्यादा आतंकियों को मार गिराया था।

हालाँकि, इससे पहले भी 30 दिसंबर 2018 को मुफ़्ती ने एक संदिग्ध आतंकी के परिवार से मिलकर भारतीय सेना व गवर्नर को चेतावनी दी थी। महबूबा ने कहा था कि यदि आतंकवादियों के परिजनों के साथ उत्पीड़न नहीं रुका तो इसके ‘ख़तरनाक परिणाम’ होंगे।

राज्यपाल ने महबूबा को दिया था जवाब

महबूबा मुफ़्ती के ‘गंभीर परिणाम’ वाले चेतावनी के बाद जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल सतपाल मलिक ने उन्हें करारा जवाब दिया। सतपाल मलिक ने जम्मू-कश्मीर विश्वविद्धालय में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से कहा – “मुझे महबूबा के बयान से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता है। वो मेरे दोस्त स्वर्गीय मुफ़्ती मुहम्मद सईद की बेटी हैं इसलिए मुझे बुरा नहीं लगा। लेकिन एक बात साफ़ है कि आगामी लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखते हुए आतंकी के समर्थन में बोलना उनकी मज़बूरी है।” राज्यपाल ने यह भी कहा था कि आतंकियों के परिवार से सेना या पुलिस की कोई दुश्मनी नहीं है। यदि कुछ गलत होगा तो सरकार उच्च स्तरीय जाँच कराएगी।

आतंकी को शहीद बता चुकी है महबूबा

मुफ़्ती महबूबा इन दिनों अपने पिता के विरासत को सँभालने में लगी हुई है। पिछले दिनों अपने पिता मुफ़्ती मुहम्मद सईद के मज़ार पर उनके आत्मा की शांति के लिए वो दुआ करने पहुँची थीं। बिजबिहाड़ा में अपने पिता के आत्मा कि शांति के लिए आयोजित इस कार्यक्रम में सेना की कार्रवाई में मारे गए आतंकी को महबूबा ने शहीद बताया। उन्होंने नौजवानों से कहा था, “मैं आपकी माँ समान ही हूँ। कुछ नौजवानों को जिन्हें बंदूक उठाकर मरने के लिए मजबूर किया गया, उनकी मौत से मुझे बहुत पीड़ा हो रही थी।”

2014 में 56%, तो 2018 में 90% गाँव सड़क से जुड़े; PM मोदी के कोल्लम भाषण की मुख्य बातें

आज (जनवरी 15, 2019) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केरल का दौरा किया जहाँ उन्होंने 13 किलोमीटर लम्बे कोल्लम बाईपास के उद्घाटन के मौके पर अपने भाषण में अपने कार्यकाल की उपलब्धियाँ गिनाते हुए कई बातें कहीं। “जब हमने सरकार बनाई थी, उस समय केवल 56% गाँव सड़क से जुड़े थे। आज 90% से अधिक गाँव सड़क से जुड़े हुए हैं। मुझे यकीन है कि हम निश्चित रूप से जल्द ही 100% का लक्ष्य प्राप्त कर लेंगे”।

नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में विदेशी पर्यटकों द्वारा भारत में आने वाले विदेशी धन के बारे में बताते हुए कहा कि 2013 में यह आँकड़ा 18 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था, जबकि 2017 में यह बढ़कर 27 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया है। उन्होंने कहा कि 2013 में 70 लाख से बढ़कर 2017 में 1 करोड़ हो चुकी है विदेशी पर्यटकों की संख्या।

मोदी ने अपने भाषण में बताया कि 2017 में भारत दुनिया में सबसे अधिक विकसित पर्यटन स्थलों में से एक था। “मेरी सरकार ने पर्यटन क्षेत्र में कड़ी मेहनत की है। वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल की 2018 की रिपोर्ट में नई पावर रैंकिंग में भारत को तीसरे स्थान पर रखा गया है। WEF के ट्रैवल एंड टूरिज्म कॉम्पिटिटिव इंडेक्स में भारत की रैंकिंग 65 वें से 40 वें रैंक पर पहुँच गई।”

प्रधानमंत्री ने सड़कों की उपयोगिता पर कहा, “जब हम सड़कों और पुलों का निर्माण करते हैं, तो हम केवल शहरों और गाँवों को ही नहीं जोड़ते हैं, बल्कि हम आकांक्षाओं को उपलब्धियों से, आशाओं को अवसरों के साथ और आशा को ख़ुशी से जोड़ते है।”

हवाई और रेल परिवहन पर अपने सरकार की उपलब्धियों पर PM मोदी ने कहा कि पिछले 4 वर्षों में क्षेत्रीय हवाई संपर्क में भी काफी सुधार हुआ है। नई पटरियों के दोहरीकरण, विद्युतीकरण और उन्हें बिछाने की दर में बड़ा सुधार हुआ है। यह सब तेजी से रोज़गार सृजन की ओर बढ़ रहा है।

पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी को स्मरण करते हुए नरेंद्र मोदी ने कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी जी कनेक्टिविटी की ताक़त में विश्वास करते थे और हम उनकी दूरदर्शिता को आगे ले जा रहे हैं। पिछली सरकार की तुलना में राष्ट्रीय राजमार्गों से लेकर ग्रामीण सड़कों तक के निर्माण की गति लगभग दोगुनी हो गई है।”

“हमने अक्सर देखा है कि विभिन्न कारणों से बुनियादी ढाँचा संबंधित परियोजनाएँ ठप हो जाती हैं। लागत और समय से अधिक देरी तक चलने वाली परियोजनाओं के कारण जनता का पैसा बर्बाद होता है। हमने तय किया कि सार्वजनिक धन की बर्बादी अब और नहीं। PRAGATI के माध्यम से हम परियोजनाओं में तेजी ला रहे हैं और समस्याओं का समाधान निकाला जा रहा है।”

“मुझे यह देखकर आश्चर्य होता है कि कुछ परियोजनाओं में 20 से 30 साल तक की देरी होती है। आम आदमी को किसी परियोजना के लाभ से इतने लंबे समय तक वंचित रखना एक अपराध है। अब तक मैंने PRAGATI के तहत लगभग ₹12 लाख करोड़ की 250 से अधिक परियोजनाओं की समीक्षा की है।”

केरल राज्य के कोल्लम जिले के मेवाराम से काँवड़ तक बना यह कोल्लम बाईपास ₹352 करोड़ की लागत से बना है। 13 किलोमीटर लम्बे कोल्लम बाईपास के उद्घाटन के साथ, कोच्चि और अलाप्पुझा से राष्ट्रीय राजमार्ग 66 पर जाने वाले लोग कोल्लम शहर में प्रवेश किए बिना तिरुवनंतपुरम की ओर बढ़ सकते हैं। कोल्लम बाईपास परियोजना को 4 चरणों में संपन्न किया गया है और इसमें 1,540 मीटर की कुल लंबाई के साथ अष्टमुडी झील पर तीन प्रमुख पुल शामिल हैं। ये परियोजना 1972 में प्रस्तावित हुई थी, और अब जाकर पूरी हुई है।

SC में जस्टिस खन्ना व दिनेश माहेश्वरी की नियुक्ति पर दिल्ली HC के पूर्व जज ने उठाया सवाल

दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज कैलाश गंभीर ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर कॉलेजियम के फ़ैसले का विरोध किया है। पूर्व जज ने अपने पत्र में जस्टिस संजीव खन्ना व जस्टिस दिनेश माहेश्वरी के सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति का विरोध किया है। राष्ट्रपति को लिखे अपने पत्र में कैलाश गंभीर ने लिखा – “राष्ट्रपति महोदय एक और ऐतिहिसिक भूल होने से रोकें।” अपने पत्र में पूर्व जज ने यह भी लिखा कि दिल्ली हाई कोर्ट में वरिष्ठता के क्रम में जस्टिस संजीव खन्ना से अधिक सीनियर तीन जज हैं।

यही नहीं अपने पत्र में पूर्व जज ने यह दावा किया कि कॉलेजियम के इस फ़ैसले के बाद देश भर के तीस वरिष्ठ जजों के साथ अन्याय होगा। कैलाश गंभीर ने यह भी कहा कि यह सभी वरिष्ठ जज जस्टिस खन्ना और दिनेश माहेश्वरी की तुलना में ज्यादा अनुभवी और काबिल हैं। ऐसे में कॉलेजियम के इस फ़ैसले के आधार पर यदि जस्टिस खन्ना और दिनेश माहेश्वरी की नियुक्ति हो जाती है, तो यह बड़ी ऐतिहासिक भूल होगी।

कॉलेजियम पर जस्टिस चेलमेश्वर उठाते रहे हैं सवाल

संविधान पीठ कॉलेजियम में रहते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कॉलेजियम द्वारा जजों को नियुक्त करने की प्रक्रिया पर सवाल खड़ा किया था। चेलमेश्वर ने कॉलेजियम के बारे में सितंबर 2016 को अपने बयान में कहा, “मुझे अपने अनुभवों के आधार पर यह लगता है कि कॉलेजियम में लोग गुट बना लेते हैं। राय व तर्क रिकॉर्ड किए बिना ही चयन हो जाता है। दो लोग आपस में बैठकर नाम तय कर लेते हैं और बाक़ी से ‘हाँ’ या ‘ना’ के लिए पूछ लेते हैं। कुल मिलाकर कॉलेजियम सबसे अपारदर्शी कार्यप्रणाली बन गई है, इसलिए मैं अब कॉलेजियम की मीटिंग में शामिल नहीं हो पाऊँगा।” कॉलेजियम के मामले में ऐसा पहली बार नहीं हुआ पहले भी कई जजों ने नियुक्ति की प्रक्रिया पर सवाल उठाया है।

कॉलेजियम को सरकार बता चुकी है अवैध

भाजपा सरकार ने कॉलेजियम के ख़िलाफ़ मार्च 2015 में सुप्रीम कोर्ट में दावा पेश किया था कि इस व्यवस्था में सबकुछ सही नहीं है। इस मामले में सरकार ने अपने पक्ष को रखते हुए कोर्ट को कॉलेजियम व्यवस्था की ख़ामियाँ गिनाई थी। हालाँकि, सरकार के राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (NJAC) के गठन को कोर्ट द्वारा झटका लग चुका है। कॉलेजियम की वजह से केएम जोसेफ़ की नियुक्ति के समय सरकार और कॉलेजियम में टकराव देखने को मिला था। इससे पहले भी कॉलेजियम द्वारा जजों की नियुक्ति में वरिष्ठ जजों के बीच आपसी असहमति देखने को मिली है।

ओडिशा लेकर पहुँचे PM मोदी ₹1,550 करोड़ की सौग़ात

लोकसभा के चुनाव नज़दीक आते-आते बीते तीन सप्ताह में प्रधानमंत्री ओडिशा का तीन बार दौरा कर चुके हैं। आज सुबह पीएम मोदी ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में ₹1,550 करोड़ के कई परियोजनाओं का अनावरण करने पहुँचे।

ओडिशा में मंगलवार (जनवरी 15, 2019) को नरेंद्र मोदी ने पिछली सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा कि केंद्र में रहकर पिछली सरकार ने देश में सिर्फ़ ‘सुल्तानों’ की तरह राज किया और देश की विरासत को लगातार नकारते रहे। लेकिन, NDA सरकार ने न केवल देश की संपदा को संरक्षित और सुरक्षित किया है बल्कि उन्हें आधुनिकता के साथ आगे बढ़ाया है।

पश्चिमी ओडिशा में भाजपा की एक रैली में जनता को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा, “पिछली सरकार ने हमारे देश पर ‘सुल्तानों’ की तरह राज किया और लगातार हमारी संपदा को, हमारी गौरवशाली सभ्यता को दरकिनार करते रहे। इसके अलावा कुछ लोगों ने तो अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाने से भी आपत्ति जताई थी, बिना जाने की योग भारत की प्राचीन सभ्यता की धरोहर है।”

उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार अपने कार्यकाल में देश में उन सभी कीमती ‘एंटीक पीसों’ को दोबारा से वापस लेकर आई है, जिन्हें बीते समय में हमारे भारत से ले जाया गया था। इसके अलावा पीएम मोदी ने ओडिशा में कई परियोजनाओं का उद्घाटन किया।

पीएम मोदी ने झारसुगुड़ा मल्टी-मोडल लॉजिस्टिक पार्क राष्ट्र को समर्पित किया, जिसको बनाने में ₹100 करोड़ लगे। उन्होंने झारसुगुड़ा-विजयनगरम और संबलपुर विद्युतीकरण को राष्ट्र के लिए समर्पित किया। जिसकी पूरी लागत ₹1,085 करोड़ की है।

थेरुवली और सिंगापुर रोड स्टेशन के बीच बना ब्रिज, जिसको बनाने की लागत ₹27.4 करोड़ है, उसका शिलान्यास भी इस मौक़े पर किया गया।

इस दौरान पीएम ने बारपाली-दुंगारीपाली की 14.2 किमी और बलांगिर-देवगांव की 17.354 किमी वाली दो रेलवे लाइनों का उद्घाटन किया। इन्हें बनाने में कुल लागत ₹189.3 करोड़ है। इसके अलावा 15 किमी लंबी बलांगिर और बिच्छुपाली रेलवे लाइन का भी उद्घाटन किया, जिसकी लागत ₹115 करोड़ की है। बता दें कि ये 289 किमी की बलांगिर-खुरदा रोड लाइन का ही हिस्सा है। जो हावड़ा और चेन्नई की मेन लाइन को खुरदा रोड और तीतलागढ़-संबलपुर लाइन को बलांगिर पर जोड़ता है।

पीएम ने अपने इस दौरे पर 6 नए पासपोर्ट सेवा केन्द्र खोले हैं- जगतसिंहपुर, केंद्रपारा, पुरी, फुलबानी, बारगढ़ और बलांगिर। इसके अलावा मोदी ने केंद्रीय विद्यालय, सोनेपुर, की स्थाई बिल्डिंग का भी शिलान्यास किया। जिसे बनाने में ₹15.81 करोड़ का खर्च आएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने रोका BJP का रथ, कहा बंगाल सरकार की चिंता बेवजह नहीं

मंगलवार (जनवरी 15, 2018) को सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में पश्चिम बंगाल में भाजपा की रथयात्रा को अनुमति देने से मना कर दिया है। हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बीजेपी की स्टेट यूनिट राजनीतिक बैठकें और रैलियाँ कर सकती है।

क्या था मामला?

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार ने सौहार्द्र बिगड़ने की दलील देकर बीजेपी की रथयात्रा को मंजूरी देने से मना कर दिया था। बाद में बीजेपी ने इस फ़ैसले को कलकत्ता हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने रथयात्रा के लिए भाजपा को मंजूरी दे दी थी, लेकिन डिविजन बेंच ने रथयात्रा को मंजूरी देने से मना कर दिया था। इसके बाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ बीजेपी ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

SC ने कहा चिंता बेवजह नहीं

मंगलवार को इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने ममता बनर्जी सरकार की तरफ़ से रथयात्रा पर प्रतिबंध के फैसले पर किसी तरह की दखल देने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि रथयात्रा को लेकर ममता बनर्जी सरकार और राज्य पुलिस की चिंता बेवजह नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर बीजेपी रथयात्रा को लेकर नई योजना लेकर आती है, तो उस पर नए सिरे से विचार किया जा सकता है।

चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता में बेंच ने भाजपा से रथयात्रा का नया शेड्यूल पश्चिम बंगाल सरकार को देने का निर्देश दिया। बेंच ने पश्चिम बंगाल सरकार से कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार को ध्यान में रखते हुए रथयात्रा के लिए बीजेपी के आवेदन पर निर्णय करे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार भाजपा के नए यात्रा शेड्यूल पर संवैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखकर फ़ैसला ले, जिससे कि इनके बोलने और अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार प्रभावित ना हों।

2019 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले भाजपा पश्चिम बंगाल के 42 संसदीय क्षेत्रों से यह यात्रा निकालना चाहती है। अपनी याचिका में भाजपा ने कहा कि शांतिपूर्ण यात्रा के आयोजन के उनके मौलिक अधिकार की अवहेलना नहीं की जा सकती। पार्टी ने राज्य के 3 ज़िले से यह यात्रा शुरू करने की योजना बनाई थी।

राज्य सरकार की गतिविधियों को लेकर भाजपा द्वारा दायर याचिकाओं में कहा गया था कि भाजपा पश्चिम बंगाल में 2014 से ही ऐसे राजनीतिक प्रतिशोध का सामना कर रही है।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य पुलिस की ओर से पेश हुए वकील आनंद ग्रोवर ने कहा था कि बीजेपी की रथ यात्रा की व्यापकता को लेकर भारी संख्या में सुरक्षाकर्मियों की ज़रूरत पड़ेगी। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी कुछ ज़िलों में सभाएँ आयोजित कराना चाहती है तो इसकी अनुमति दी जा सकती है, लेकिन इतने व्यापक स्तर की रैलियों को मंजूरी नहीं दी जा सकती है।

धोनी ने दिखाया पुराना रंग, कंगारुओं के पाउच से छीनी जीत

पिछले कुछ समय से भारतीय क्रिकेट टीम में धोनी की उपयोगिता पर लगातार सवाल उठाने वाले लोगों को धोनी की आज की पारी ने थोड़ा शांत जरूर कर दिया होगा, जब उन्होंने 50वें ओवर की पहली गेंद पर छक्का जड़ा और निराश होते समर्थकों का दिल जीत लिया। धोनी ने 54 गेंदों पर 2 छक्कों के साथ 55 रन बनाए।

2019 की शुरुआत लगातार दो अर्धशतकों से करने वाले धोनी पर पिछले मैच में बहुत धीमे खेलने के कारण वही पुराना राग छेड़ा जाने लगा था: वो बूढ़े शेर हैं, अब वो बात नहीं रही, टीम में पंत को लाओ, धोनी को संन्यास ले लेना चाहिए, हम उसे रनों के लिए ऐसे संघर्ष करते नहीं देख सकते आदि।

लेकिन आज धीमी शुरुआत के साथ, कोहली के जाने के बाद धोनी ने वही किया जिसके लिए उन्हें उनके असली फ़ैन जानते हैं, पूजते हैं। पहले टीम के हिसाब से थोड़े समय पिच पर होना, और बाद में चेज़िंग रेट को बढ़ने न देना। आज की इनिंग बिलकुल वैसी ही थी, जब लगभग आठ की गति से चेज़ करना था और धोनी ने अंतिम के ओवरों में दिनेश कार्तिक के साथ मिलकर लगातार स्ट्राइक रोटेट किया।

अंतिम ओवर में जब सात रनों की दरकार थी, और धोनी समर्थक दिल में सोच रहे थे कि ‘यार, एक छक्का मार दो अंतिम ओवर में’, तो धोनी ने पहली ही गेंद पर लम्बा छक्का जड़ा और स्कोर को बराबरी पर ले आए।

पंत भले ही आज क्रिकेट में जलवे काट रहे हों, और टेस्ट सिरीज़ में कीपिंग के रिकॉर्ड भी बना रहे हों, पर धोनी का अनुभव, उनकी क्रिकेटिंग ब्रेन और स्टम्प के पीछे से गेंदबाज़ों को गाइड करते रहना उन्हें ऐसे तमाम कीपरों में सर्वश्रेष्ठ बनाता है।

संक्षिप्त स्कोर:
ऑस्ट्रेलिया: 298/9 (मार्श  131, मैक्सवेल 48, भुवनेश्वर 4-45)
भारत: 299/4 (कोहली 104, धोनी 55, मैक्सवेल 1-16)

सरकारी कर्मचारी को गाली व धक्का देती BSP विधायक रामबाई का वीडियो वायरल

मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी की दबंग विधायक रामबाई का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इस वीडियो में रामबाई एक सरकारी कर्मचारी को गाली व धक्का देते हुए दिख रही हैं। इस वीडियो में यह देखा जा सकता है कि रामबाई मंडी के एक कर्मचारी को धक्का देते हुए गाड़ी तक ले जाती हैं। बसपा विधायक रामबाई यहीं नहीं रूकीं। उन्होंने मंडी कर्मचारी को धमकी देते हुए कहा, “यदि किसानों को परेशान किया आगे से तो पीटूंगी भी।”

इसके बाद विधायक मंडी कर्मचारी को लेकर पुलिस थाने पहुँच गईं। दरअसल पिछले कुछ दिनों से विधायक के पास मंडी कर्मचारी के ख़िलाफ़ शिकायत आ रही थी। इसके बाद विधायक ने मंडी पहुँचकर कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार किया।

कमलनाथ को अल्टीमेटम देने के बाद लाइम-लाइट में आई थीं रामबाई

मध्य प्रदेश में सरकार बनाने के बाद कमलनाथ को पहली बार गठबंधन दल की तरफ़ से विधायक रामबाई ने अल्टीमेटम दिया था। मध्य प्रदेश में इन दिनों सपा-बसपा की मदद से कॉन्ग्रेस की सरकार चल रही है। ऐसे में बसपा विधायक का अल्टीमेटम कमलनाथ सरकार के लिए किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।

पिछले दिनों मध्य प्रदेश के पथरिया की विधायक रामबाई ने कहा, “कॉन्ग्रेस की तरफ से मुझे मंत्री बनाने का वादा किया गया है, मैं 20 जनवरी तक इंतज़ार करूँगी।” जब पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या उनके बयान को सरकार के लिए ख़तरे के संकेत के रूप में देखा जाए तो इस सवाल के जवाब में रामबाई ने कहा कि सरकार को पता है कि उनकी सरकार अगले पाँच साल तक ऐसे ही चलेगी।

मध्य प्रदेश के 230 सीटों वाली विधानसभा में कॉन्ग्रेस के 114 सदस्य हैं जबकि भाजपा के 109 सदस्य।

भाजपा के लखन सिंह को हराकर रामबाई बनीं विधायक

पथरिया विधानसभा से बसपा प्रत्याशी रामबाई गोविंद सिंह ने भाजपा के लखन पटेल को 2205 वोटों से हरा दिया था। रामबाई इससे पहले जिला पंचायत की सदस्य थीं। विधायक बनने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जिला पंयाचत अध्यक्ष पद के लिए चुनाव में रामबाई ने भाजपा उम्मीदवार शिवचरण पटेल को समर्थन दिया था।

अंतरिम बजट में सरकार किसानों को दे सकती है राहत

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी 2019 को अपना अंतरिम बजट पेश करने वाले हैं, मोदी सरकार के कार्यकाल का यह अंतिम बजट होगा। उम्मीद लगाई जा रही हैं कि इस अंतरिम बजट में किसानों के मुद्दे को प्राथमिकता दी जाएगी। देश में किसानों का मुद्दा सरकार के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील रहा है। एक ओर जहाँ कॉन्ग्रेस पार्टी किसानों की ऋण माफ़ी को चुनावी हथियार की तरह इस्तेमाल कर रही है, वहीं NDA सरकार के लिए अंतरिम बजट में किसानों की माँगों और लम्बे समय से चली आ रही नाराज़गी को दूर करना प्राथमिकता हो सकती है।

मोदी सरकार किसानों को राहत देने के लिए कई बड़े फ़ैसले इस बजट में ला सकती है। इसमें फ़सल के लिए लिया जाने वाला ऋण ब्याज-मुक्त करना और ओडीशा तथा कर्नाटक की तरह ही छोटे किसानों को आर्थिक मदद देना भी शामिल हो सकता है। इस प्रकार संकेत मिल रहे हैं कि सरकार किसानों के साथ उनके परिवारों को भी लाभान्वित करने के उद्देश्य से ‘पैकेज फ़ॉर्मूला’ ला सकती है। इसमें किसानों के साथ साथ आर्थिक रूप से पिछड़े हुए परिवारों को भी मदद पहुँचाने के लिए योजना बनाई जा रही हैं।

‘इंडिया फर्स्ट’ बनाम ‘भारत’

2014 में अपने ‘इंडिया फर्स्ट’ के नारे के साथ आगे बढ़ने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ‘भारत’ के साथ तालमेल मिलाना 2019 के लोकसभा चुनावों में चुनौती बन सकता है। इस कार्यकाल में समय-समय पर किसानों को मुद्दा बनाकर विपक्ष ने भी सरकार को घेरने की कोशिश की है।

गुजरात में पाटीदार समाज, जो मुख्यतः कृषि प्रधान है, उसके युवाओं ने रोजगार न मिलने को कारण बताकर आरक्षण के लिए आंदोलन चलाया। कहीं न कहीं महाराष्ट्र के दलित और मराठा आन्दोलन भी इसी माहौल की परिणिति हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने जून 2017 में ₹34,022 करोड़ की वृहद कृषि ऋण माफ़ी योजना की शुरूआत की थी। इस योजना के जरिए भाजपा सरकार ने किसानों के ग़ुस्से को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की है। मध्यप्रदेश में किसान आन्दोलन ने हिंसक रूप लिया। हालाँकि, शिवराज सरकार किसानों की मदद के लिए भावान्तर योजना भी लेकर आई, जिसकी तर्ज़ पर केंद्र सरकार किसानों को लेकर अंतरिम बजट बनाने का विचार कर रही है।

कुछ सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार किसानों की हालात में सुधार के लिए तेलंगाना और ओडिशा सरकार द्वारा शुरू की गई योजनाओं की भी समीक्षा कर रही है और इस योजना के लागू होने से राजस्व पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का अध्ययन किया जा रहा है। अंतरिम बजट में किसानों को ज्यादा से ज्यादा राहत पहुँचाने के लिए विभिन्न सरकार द्वारा की गई ऋण माफ़ी के साथ-साथ किसान हित में लिए गए अन्य निर्णयों की भी समीक्षा की जा रही है।

एक नज़र किसानों को लेकर चल रही विभिन्न राज्यों की योजनाओं पर

कॉन्ग्रेस सरकार की ऋण माफ़ी के चुनावी हथियार से निपटने के लिए भाजपा सरकार विभिन्न राज्यों के किसानों को लेकर चल रही योजनाओं पर निरंतर मंथन कर रही है। देखना यह है कि किस राज्य का मॉडल सरकार द्वारा चुना जाता है।

मध्यप्रदेश भावान्तर योजना

पिछले साल मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने जिस भावांतर योजना के ज़रिए 15 लाख किसानों की मदद की थी, केंद्र की मोदी सरकार भी उसी की तर्ज़ पर किसानों को फ़सल के न्यूनतम समर्थन मूल्य और बिक्री मूल्य के अंतर को सीधे खाते में भेजने पर विचार कर रही है।

ओडिशा का ‘कालिया’ (KALIA) फ़ॉर्मूला

कर्ज़ के बोझ तले दबे किसानों की मदद के लिए ओडिशा सरकार ने ‘जीविकोपार्जन एवं आय वृद्धि के लिए कृषक सहायता’ (KALIA) योजना चालू की है। इस स्कीम के तहत किसानों की आय बढ़ाकर उन्हें आर्थिक रूप से समृद्ध किया जाएगा। ओडिशा सरकार ने ₹10,000 करोड़ की ‘जीविकोपार्जन एवं आय वृद्धि के लिए कृषक सहायता’ (KALIA) को मंजूरी दी है। इस स्कीम के द्वारा किसानों को कर्ज़माफ़ी के बजाय सीमांत किसानों को दायरे में लाकर फ़सल के लिए आर्थिक मदद देने का ज़रिया बनाया गया है। ‘KALIA’ के तहत छोटे किसानों को रबी और खरीफ में बुआई के लिए प्रति सीजन ₹5-5,000 की वित्तीय मदद मिलेगी, अर्थात सालाना ₹10,000 दिए जाएंगे।

झारखंड मॉडल

झारखंड की रघुवर दास सरकार भी मध्यम और सीमांत किसानों के लिए ₹2,250 करोड़ की योजना की घोषणा कर चुकी है। झारखंड में 5 एकड़ तक खेत पर सालाना प्रति एकड़ ₹5,000 मिलेंगे, एक एकड़ से कम खेत पर भी ₹5,000 की सहायता मिलेगी। इस योजना की शुरुआत झारखंड सरकार 2019-20 के वित्त वर्ष से करेगी जिसमें लाभार्थियों को चेक या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफ़र के ज़रिए दिए जाएँगे।

तेलंगाना का ऋतु बंधु मॉडल

ओडीशा और झारखंड के साथ ही केंद्र सरकार तेलंगाना सरकार द्वारा शुरू की गई किसान योजनाओं की भी पड़ताल कर रही है। तेलंगाना सरकार ने किसानों के लिए ऋतु बंधु योजना शुरू की है। यहाँ के किसानों को प्रति वर्ष प्रति फ़सल ₹4000 प्रति एकड़ की रकम दी जाती है। दो फ़सल के हिसाब से किसानों को हर साल ₹8000 प्रति एकड़ मिल जाते हैं।

लगातार घट रही कृषि योग्य भूमि है चुनौती

कृषि ऋण और कर्ज़ माफ़ी जैसी योजनाएँ कहीं ना कहीं सरकारी राजस्व पर दबाव बनाती हैं, फिर भी सरकार के लिए किसान प्राथमिकता रहे हैं और उसे मध्यम मार्ग तो निकालना ही होगा। समय के साथ-साथ कृषि योग्य भूमि भी देश में निरंतर घट रही है। इस तरह की कुछ तमाम चुनौतियाँ हैं, जिनसे होकर सरकार अपना अंतरिम बजट पेश करेगी। मोदी सरकार का यह आख़िरी बजट है, इस कारण सभी वर्गों की निगाह इस बजट पर रहनी सामान्य बात है।

आम धारणा है कि देश के चुनावों का मिज़ाज काफी हद तक देश का किसान तय करता है। देश में ज्यादातर लोग कृषि पर आश्रित हैं, तो यह ज़ाहिर सी बात है कि सरकार उसकी बनती है जिसके साथ देश का किसान रहता है। वर्तमान सरकार किसानों की दशा सुधारने के लिए निरंतर रूप से महत्वपूर्ण प्रयास करती आ रही है। लेकिन सच्चाई यह भी है कि पिछले 60 वर्षों की क्षतिपूर्ति करिश्माई तरीके से कर देना अपने आप में एक बड़ी चुनौती है।