एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (AES) के कारण बिहार में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी है। अस्पतालों में सुविधाओं की कमी है और राज्य सरकार के स्तर पर फिलहाल जो प्रयास हुए भी हैं, वे नाकाफी हैं। इन सबके बीच नेताओं के बयानों ने भी पीड़ितों का दर्द और बढ़ाया है और अब जिला प्रशासन ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिस पर चौतरफा सवाल उठ रहे हैं। जिला प्रशासन ने बच्चों की मौत और जल आपूर्ति को लेकर प्रदर्शन कर रहे 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।
Bihar: Relatives of persons against whom FIR has been registered say ,”Our children have died. We did road gherao, but administration has filed FIR against us. Men against whom FIR has been registered have left the village & gone away. They were the only breadwinners.” pic.twitter.com/E0hEhmYwKH
— ANI (@ANI) June 25, 2019
दरअसल, एईएस के कारण बच्चों की मौत और जल आपूर्ति में कमी को लेकर वैशाली जिले के हरिवंशपुर में लोग सड़क पर उतर आए थे। लोगों ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और जल आपूर्ति बेहतर करने और बीमारी के खिलाफ जल्द ठोस कदम उठाने की माँग की। जिला प्रशासन ने इनकी माँगें तो नहीं मानीं, मगर प्रदर्शन कर रहे 39 लोगों के खिलाफ एफआईआर जरूर दर्ज करा दी।
जिन लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है, उनके रिश्तेदारों ने कहा कि जब उनके बच्चे मर रहे हैं और उनके पास पीने तक के लिए पानी नहीं है तो हम विरोध क्यों ना करें? उन्होंने कहा, “हमारे बच्चे मर रहे हैं। पानी नहीं है। हमने इसके खिलाफ रोड घेराव किया तो प्रशासन ने हम पर केस दर्ज कर दिया। केस दर्ज होने के बाद हमारे परिवारों के पुरुष गाँव छोड़कर भाग गए हैं। घर में कमाने वाले वही थे और अब उनके न होने से हमें और दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा।”
गौरतलब है कि, रविवार (जून 23, 2019) को हरिवंशपुर पहुँचे हाजीपुर के सांसद पशुपति कुमार पारस और लालगंज के लोजपा विधायक राजकुमार साह को ग्रामीणों के भारी विरोध का सामना करना पड़ा। बच्चों की मौत से लोग इतने गुस्से में थे कि कोई सांसद को दरवाजे पर कुर्सी तक देने को तैयार नहीं था। उग्र ग्रामीणों ने तो विधायक को बंधक भी बना लिया था। फिर बाद में जब शाह ने पीड़ित परिवारों को ₹5,000 की आर्थिक सहायता दी और साथ ही जरूरी दवाओं का वितरण किया, तब जाकर लोगों ने विधायक को जाने दिया।