Sunday, November 17, 2024
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Akshay-Patra को मिला ग्लोबल अवॉर्ड, द हिंदू खोजता रह गया लहसुन-प्याज

भारत के स्कूलों में छात्रों को मुफ्त में भोजन उपलब्ध करवाने वाली अक्षय पात्र योजना को बीबीसी वर्ल्ड सर्विस ग्लोबल चैंपियनशिप अवार्ड मिला है। ब्रिस्टल में इस सप्ताह आयोजित हुए बीबीसी फूड एंड फार्मिंग अवार्ड समारोह में ‘अक्षय पात्र’ को यह पुरस्कार दिया गया। बता दें अक्षय पात्र बच्चों को भोजन उपलब्ध कराने वाली दुनिया की सबसे बड़ी गैर लाभकारी योजना है।

यह पुरस्कार देने के दौरान निर्णायक पैनल के प्रमुख शेफ़ सामीन नोसरात ने कहा कि स्कूलों में भोजन उपलब्ध कराना अद्भुत और शानदार कार्य है। बच्चों को भोजन करवाना सबसे महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के प्रयासों की सराहना की जानी चाहिए। अक्षय पात्र के सीईओ ने इसे गर्व का विषय बताया है।

जानकारी के मुताबिक यह पुरस्कार उस संस्था या व्यक्ति को दिया जाता है जो दुनिया में खाद्यान्न उगाने, तैयार करने और बेहतर ढंग से इस्तेमाल में लाने के लिए अच्छा काम करते हैं। याद दिला दें कुछ दिन पहले अक्षय पात्र फाउंडेशन पर द हिंदू के एक लेख ने कीचड़ उछालने की कोशिश की थी, उस दौरान लेखक, वैज्ञानिक और स्वराज्य पत्रिका के स्तम्भकार आनंद रंगनाथन की अपील पर 510 लोगों ने 11 घंटे में अक्षय पात्र फाउंडेशन को ₹21 लाख का दान दिया था।

उस समय कुछ ने तो अपनी पॉकेट मनी तक दान कर दी थी। ब्रिस्टल में मिला अक्षय पात्र को यह अवार्ड उस लेख पर किसी तमाचे से कम नहीं हैं, जिसमें सिर्फ़ The Hindu ने दो-चार बच्चों की प्याज-लहसुन के बिना पकाए गए खाने की नापसंदगी को पूरे कर्नाटक के बच्चों द्वारा अक्षय पात्र के मिड डे मील को ख़ारिज करने की कहानी रचते हुए लेख छापा था। इस पर ऑपइंडिया समेत देश के अधिकाँश हिस्सों से तीखी प्रतिक्रिया हुई थी।

डॉक्टर के साथ मारपीट पर हो सकती है 12 साल की जेल, नहीं मिलेगी जमानत

पश्चिम बंगाल में दो जूनियर डॉक्टरों पर मरीज के परिजनों द्वारा किए गए हिंसक हमले के बाद से छिड़ा आंदोलन लगातार तेज हो रहा है। दिल्ली मेडिकल एसोसिएशन (डीएमए) के अध्यक्ष डॉ गिरीश त्यागी ने डॉक्टरों पर हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए हड़ताल कर रहे डॉक्टरों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की। डीएमए, डॉक्टरों पर हो रही हिंसा के खिलाफ राष्ट्रीय कानून बनाने की माँग कर रहा है।

साथ ही ऑर्गेनाइजेशन ने डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों पर हिंसा के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की बात कही है। वहीं, वर्ल्ड मेडिकल एसोसिएशन ने भी स्वास्थ्य सेवा प्रतिष्ठानों पर हिंसा के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है और इस खतरे के खिलाफ मजबूत कानून लाने का आग्रह किया है।

इण्डिया टुडे से बात करते हुए एक अधिकारी ने इस बारे में बताया कि डॉक्टरों के खिलाफ हो रही हिंसा के खिलाफ ऐसे कानून लाना चाहिए, जिसमें दोषी को कम से कम 7 साल की सजा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि इसमें दोषी के खिलाफ मामले दर्ज करना, उसे दोषी ठहराना और फिर उसे गिरफ्तार करने के अनिवार्य प्रावधान शामिल होना चाहिए, जैसा कि POCSO एक्ट में किया जाता है। अस्पताल को स्पेशल जोन घोषित करना चाहिए और उपयुक्त सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होनी चाहिए।

जानकारी के अनुसार, केंद्र सरकार डॉक्टरों की सुरक्षा को लेकर बड़े कदम उठा सकती है। डॉक्टरों को सुरक्षा देने के लिए केंद्र सरकार एक बड़ा कानून ला सकती है। इस कानून के अंतर्गत डॉक्टरों के साथ मारपीट या फिर उनके ऊपर हमला करने की घटना संगीन अपराध की श्रेणी में आ सकता है और इस अपराध के लिए दोषियों को कम से कम 12 वर्ष तक की सजा मिल सकती है। इसके साथ ही इस बात पर भी विचार किया जा रहा है कि इस कानून को गैर-जमानती रखा जाए।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्ष वर्धन से सभी राज्य सरकारों से इस पर विचार करने के लिए कहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जल्द ही सभी राज्य सरकारों के साथ बैठक करेंगे और खबर है कि इस बैठक में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए सख्त कानून के अलावा क्लिनिक्ल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट में भी बदलाव किया जा सकता है। सभी राज्यों से विचार-विमर्श करने और उनके अंतिम प्रस्ताव आने के बाद ही इस पर अंतिम फैसला लिया जाएगा।

कॉन्ग्रेस नेता के भाई ने बीच सड़क पर महिला को बेरहमी से पीटा, VIDEO हुआ वायरल

पंजाब के मुक्तसर में कॉन्ग्रेस पार्षद के भाई राकेश चौधरी ने कुछ गुंडों के साथ मिलकर बीच सड़क में एक महिला की बेरहमी से पिटाई की। महिला को इस दौरान बदमाशों ने लात-घूसों के अलावा बेल्ट और जूतों से भी मारा।

खबरों के मुताबिक मामला पैसे उधार देने से जुड़ा हुआ था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक मुक्तसर के एसएसपी मंजीत ढेसी ने घटना को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। इस मामले में अभी तक 6 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पीड़ित महिला को अस्पताल में भर्ती करवा दिया गया है।

गौरतलब है कि राजनैतिक पार्टियों से जुड़े लोगों का किसी महिला को पीटने का यह पहला मामला नहीं हैं। इससे पहले भी गुजरात के नरोदा से भाजपा विधायक बलराम थावनि द्वारा एनसीपी महिला नेता को पीटे जाने का मामला सामने आया था। इस दौरान थावनि ने उस महिला को बीच सड़क लातों से पीटा था।

TMC कार्यकर्ता के घर पर बमबारी, मृतक के बेटे ने लगाया कॉन्ग्रेस पर आरोप

लोकसभा चुनाव 2019 के बाद से ही पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा हो रही है। इन घटनाओं में तृणमूल के गुंडों द्वारा भाजपा कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बरें सुर्ख़ियाँ बनी हुईं थी और अब कॉन्ग्रेस और तृणमूल के कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़प की ख़बरें आ रही हैं। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के तीन कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बर सामने आई है।

यह घटना शुक्रवार (14 जून) रात की है। TMC के कार्यकर्ता खैरुद्दीन शेख़ और सोहेल राणा की मुर्शिदाबाद में उनके घर पर कल रात बम फेंके जाने के बाद मौत हो गई। खैरुद्दीन के बेटे मिलन शेख़ ने बताया, “हम सो रहे थे, अचानक हमारे घर पर बमबारी हुई। मेरे पिता को गोली मार दी गई। कुछ दिन पहले मेरे चाचा की भी मौत हो गई थी। इसके पीछे कॉन्ग्रेस है।”

इस घटना के बाद से ही पूरे इलाक़े में तनाव का माहौल बना हुआ है। इससे पहले राज्य के उत्तर 24 परगना में गुरूवार (13 जून) की रात को एक महिला बीजेपी नेता सरस्वती दास की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। महिला नेता के बारे में कहा जाता है कि वो उत्तर 24 परगना के हन्नीबल में अमलानी ग्राम पंचायत की सक्रिय कार्यकर्ता थीं। इसके अलावा, दमदम और कूचबिहार में भी TMC के दो कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बर सामने आई थी। इसके ख़िलाफ़ बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि यदि ख़ून बहता है तो हम भी इसका जवाब देंगे।

भारत ने पाकिस्तानी ट्रेन को प्रवेश देने से किया इंकार, सिख समुदाय गुस्से में

शुक्रवार (जून 14, 2019) को पाकिस्तान ने भारत पर आरोप लगाया कि भारत ने विशेष ट्रेन को सीमा पार करने और ‘जोर मेला’ उत्सव के लिए आ रहे करीब 200 श्रद्धालुओं को पाकिस्तान आने की इजाजत ही नहीं दी। खबरों के मुताबिक, इवैक्यूई ट्रस्ट प्रॉपर्टी बोर्ड (ईटीपीबी) के प्रवक्ता आमिर हाशमी ने बताया कि पाकिस्तान ने करीब 200 भारतीय सिखों को जोर मेला में शामिल होने के लिए वीज़ा जारी किया था। ये श्रद्धालु एक विशेष पाकिस्तानी ट्रेन से शुक्रवार को पाकिस्तान पहुँचने वाले थे, ट्रेन उन्हें लेने भारत आने वाली थी, लेकिन भारत सरकार ने ट्रेन को अपनी सीमा में प्रवेश देने से इंकार कर दिया।

हाशमी का कहना है कि भारत ने अनुमति न देने की कोई वजह नहीं बताई है, जबकि अन्य जानकारी एवं खबरों के अनुसार बताया जा रहा है कि इन श्रद्धालुओं को वीजा होने के बाद भी पाकिस्तान इसलिए जाने से रोका गया क्योंकि ये एसजीपीसी (शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी) के माध्यम से नहीं जा रहे थे। इसी कारण इनको अटारी रेलवे स्टेशन पर दाखिल नहीं होने दिया गया। बता दें सिख श्रद्धालुओं को एसजीपीसी की निगरानी और उसकी अगुवाई में ही पाकिस्‍तान जाने दिया जाता है। 

सिखों के इस जत्थे में देश के विभिन्न राज्यों के 200 (कुछ खबरों के मुताबिक 130) सिख श्रद्धालु शामिल थे, इन लोगों ने पाकिस्तान जाने नहीं देने पर रेलवे स्टेशन के बाहर ही नारेबाजी की। दैनिक जागरण में प्रकाशित खबर के अनुसार जत्थे की अगुआई परमजीत सिंह जिजेआनी कर रहे थे। परमजीत ने बताया कि गुरु अर्जुन देव जी के शहीदी दिवस पर गुरुधामों के दर्शन के लिए पाकिस्तानी दूतावास द्वारा इन श्रद्धालुओं को वीजा दिया गया था। इन सिख श्रद्धालुओं को विशेष ट्रेन से पाकिस्तान जाने की मंजूरी दी गई थी। इस जत्थे में बच्चे और 60-70 वर्ष के बुजुर्ग भी थे। उन्होंने बताया कि भारत सरकार द्वारा सुरक्षा का हवाला देकर स्पेशल ट्रेन को भारत में दाखिल नहीं होने दिया गया।

इसके बाद ये श्रद्धालु रेलवे स्टेशन के मुख्य द्वार पर बैठकर ट्रेन का इंतजार करने लगे। इस दौरान सिख श्रद्धालुओं को रोकने के लिए आरपीएफ, जीआरपी व कई सुरक्षा एजेंसियों के जवानों का पहरा गेट पर लगाया गया। जत्थे की अगुआई कर रहे जिजेआनी मुताबिक सिख श्रद्धालुओं को बिना वजह ही परेशान किया गया। उन्हें संघर्ष करने पर मजबूर किया गया। जब ट्रेन के सीमा के अंदर न आने की बात उन्हें पता चली तो उन्होंने अपना गुस्सा दिखाया और नारेबाजी की। रेलवे के कुछ अधिकारियों ने उन्हें कहा कि वे अटारी सीमा पर बनी इंटरग्रेटिड चेकपोस्ट के रास्ते पाकिस्तान जा सकते है। जब श्रद्धालु चेकपोस्ट पर पहुँचे तो उन्‍हें वहाँ भी निराशा हाथ लगी।

पाकिस्तान में ईटीपीबी जो कि एक सरकारी विभाग है और पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के धार्मिक स्थलों एवं मामलों को देखता है, उसने भारतीय निर्णय का विरोध किया है। उनका कहना है पाकिस्तानी उच्चायोग ने जब सिख यात्रियों के लिए वीजा जारी किया था तो उन्हें लाहौर आने से रोकने की कोई वजह ही नहीं थी। पाकिस्तान ने इस मुद्दे को सरकारी स्तर पर उठाने की बात की है। पाक सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष तारा सिंह का कहना है कि भारत के इस फैसले ने सिख समुदाय को निराश किया है।

बंगाल में 700 डॉक्टरों का इस्तीफा, AIIMS ने दिया ममता को 48 घंटे का अल्टीमेटम

पश्चिम बंगाल के सरकारी अस्पताल के 700 से ज्यादा डॉक्टरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। ऐसा उन्होंने हड़ताल कर रहे जूनियर डॉक्टरों के प्रति एकजुटता दिखाने के लिए किया। कोलकाता स्थित नील रतन सरकार मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में सोमवार (10 जून) को दो जूनियर डॉक्टरों के साथ हुई मारपीट के बाद से शुरू हुआ डॉक्टरों का विरोध प्रदर्शन लगातार तेज होता जा रहा है। इस विरोध प्रदर्शन में डॉक्टरों को दिल्ली, मुंबई, कर्नाटक समेत कई बड़े शहरों के डॉक्टरों का साथ मिला। इससे पूरी स्वास्थ्य व्यवस्था चरमरा गई है। ममता की जिद की वजह से लोगों की जान पर बन आई है। मगर ममता की असंवेदनशीलता बरकरार है और वो अपनी जिद पर कायम हैं।

डॉक्टरों ने काम पर वापस लौटने के लिए माँग की है कि उन्हें पर्याप्त सुरक्षा दी जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई हो, साथ ही सीएम ममता बनर्जी बिना शर्त डॉक्टरों से माफी माँगे। यही नहीं, दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों की असोसिएशन ने भी ममता सरकार को दो दिन (48 घंटे) का अल्टीमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि दो दिनों में पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की माँगें स्वीकार नहीं की, तो फिर एम्स में भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

गुरुवार (जून 13, 2019) को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एसएसकेएम अस्पताल पहुँची और उन्होंने विरोध प्रदर्शन कर रहे डॉक्टरों को 4 घंटे में काम पर वापस आने का अल्टीमेटम दिया और कहा कि अगर वो 4 घंटे में काम पर नहीं लौटते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इसने डॉक्टरों में व्याप्त गुस्से को शांत करने की बजाए भड़काने का काम किया। इसी का नतीजा है  कि एक ही दिन में 700 से ज्यादा डॉक्टरों ने इस्तीफा दे दिया। ममता के बयान के बाद डॉक्टरों में हलचल और तेज हो गई और सीनियर डॉक्टर उनके समर्थन में खड़े हो गए। इससे पहले, गुरुवार को एनआरएस अस्पताल के प्रिंसिपल और वाइस प्रिंसिपल ने पद से इस्तीफा दिया था। वहीं, कॉलेज ऑफ मेडिसिन एंड सागोर दत्ता अस्पताल के 21 सीनियर डॉक्टर भी इस्तीफा दे चुके हैं।

शुक्रवार (जून 14, 2019) को सबसे पहले आरजी कार मेडिकल कॉलेज के 107 डॉक्टरों ने इस्तीफा दिया। इसके बाद तो इस्तीफों का दौर शुरू हो गया। मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 100, एसएसकेएम के 175, चित्तरंजन नेशनल मेडिकल कॉलेज के 16, एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के 100 और स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन के 33 डॉक्टरों से पद से त्यागपत्र दे दिया। जिन लोगों ने इस्तीफा दिया है उसमें सीनियर डॉक्टरों के अलावा विभागाध्यक्ष भी शामिल हैं। मंगलवार (जून 11, 2019) से ही राज्य की स्वास्थ्य सेवा चरमराई हुई है। शुक्रवार को भी सरकारी अस्पतालों की ओपीडी बंद रहीं।

झारखंड फिर दहला लाल आतंक से, नक्सल आतंकियों ने की पाँच पुलिस वालों की हत्या

लगातार सिमटता जा रहा माओवाद झारखंड में फिर सर उठाने की कोशिश कर रहा है। वामपंथी चरमपंथियों ने हमला कर 3 कॉन्स्टेबलों और 2 सब-इंस्पेक्टरों की हत्या कर दी है। सरायकेला-खरसावां जिले में हुए इस हमले में पुलिस के हथियार भी लूट लिए। हमला तब हुआ जब पुलिस टीम स्थानीय साप्ताहिक बाजार में तलाशी अभियान चलाने के लिए जा रही थी।

अपने आतंकवाद के समर्थन में नारे भी लगाए

पुलिस टीम तिरुलडीह पुलिस थाने के पास स्थित कुडू बाज़ार जैसे ही पहुँची, वहाँ पहले से मौजूद माओवादियों के दस्ते ने उन पर भारी गोलीबारी शुरू कर दी। पाँच पुलिसकर्मी मारे गए और चालक सुकलाल कुदड़ा ने भाग कर अपनी जान की हिफाज़त की। इस नृशंस हत्याकांड के बाद पाँच से दस मोटरसाइकिलों पर सवार नक्सल आतंकियों ने ‘माओवाद जिंदाबाद’ और ‘नक्सलवाद जिंदाबाद’ के नारे भी लगाए। हमले के बाद उन्होंने हथियार लूटे और नारे लगाते हुए फरार हो गए। प्रत्यक्षदिर्शियों के अनुसार नक्सली बुंडू क्षेत्र की तरफ भागे थे

मुख्यमंत्री ने जताया शोक, 28 मई के हमले में घायल जवान की मृत्यु

झारखंड के मुख्यमंत्री रघुबर दास ने घटना पर शोक जताते हुए कहा कि समस्त राज्यवासी और सरकार हमले के हताहतों के परिवार के साथ हैं। उन्होंने कहा कि इस हमले से राज्य के सुरक्षाकर्मी विचलित नहीं होंगे और कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने घटना के पीछे कारण वामपंथी आतंकियों की अपनी विचारधारा की अंतिम साँसें लेने से उत्पन्न हताशा को बताया। इस बीच 28 मई को हुए पिछले हमले में घायल कोबरा फ़ोर्स के कांस्टेबल सुनील कलिता की मौत दिल्ली के ईएमएस में हो गई। वह 28 मई को हुए आईईडी धमाके में बुरी तरह ज़ख़्मी हो गए थे।

प्रचंड गर्मी से उड़ते हुए मर रहे हैं पक्षी, पर्यावरण के लिए गंभीर चिंता का विषय

साल-दर साल जिस तरह मौसम का मिजाज बदलता जा रहा है उसका असर न सिर्फ इंसानों पर बल्कि पूरे के पूरे जैवमंडल से लेकर पारिस्थितिकी तंत्र पर दृष्टिगत हो रहा है। लेकिन, पिछले कई सालों में मौसम की अनिश्चितता ने यदि सबसे ज़्यादा किसी को प्रभावित किया है तो वह है माइग्रेटरी बर्ड्स। इस समय कुछ शहरों का तापमान 45-47 डिग्री है। जहाँ सबसे ज़्यादा उड़ते हुए पक्षी गिरकर घायल होने या हीटस्ट्रोक के कारण मर जा रहे हैं।

द हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार, गर्मी से बेहाल होकर, बुरी तरह थककर कई पक्षियों को गिरते हुए कई लोगो द्वारा देखा गया है। जिसकी सूचना एनिमल वेलफेयर संस्था को दे दी जा रही है। भारतीय प्राणी मित्र संघ के महेश अग्रवाल ने बताया कि कल ही उन्हें हैदराबाद के दिलसुखनगर से ऐसे ही एक गर्मी से बेहाल पक्षी के गिरने की सूचना मिली, जिसे प्राथमिक चिकित्सा देकर बचा लिया गया।

साथ ही, उन्होंने यह भी बताया की नजदीकी पक्षियों को तो बचा लिया जा रहा है लेकिन दूर के पक्षी तक हमारे स्वयंसेवकों को पहुँचने से पहले ही वो दम तोड़ दे रहे हैं।

एक वेटनरी डॉक्टर ने बताया, “इतनी गर्मी में क्रेन और स्टॉर्क जैसे पक्षी उतने प्रभावित नहीं हो रहे हैं क्योंकि ये वॉटर बॉडीज में रहते हैं। लेकिन ऊँची उड़ान भरने वाले दूसरे पक्षी इतनी अधिक गर्मी को बर्दास्त न कर पाने के कारण बुरी तरह थककर गिरने से दम तोड़ दे रहे हैं।”

गिद्ध भी ऊँचा उड़ते हैं लेकिन आमतौर पर ये बादलों से ऊपर उड़ान भरते हैं और ये 50 डिग्री तक के तामपान को सहने में सक्षम होते हैं। इन पर गर्मी का प्रभाव उतना नहीं देखने को मिल रहा है।

कारणों की पड़ताल में विशेषज्ञ लगे हुए हैं लेकिन प्राथमिक कारण गर्मी में पक्षियों के लिए शेल्टर का अभाव और वाटर बॉडीज का सुख जाना भी एक कारण बताया जा रहा है। ज़्यादातर पक्षी गर्मी में हार्टस्ट्रोक से भी मर रहे हैं।

यह सब देखकर पर्यावरणविद चिंतित हैं। साथ ही उनका कहना है कि आने वाले समय अगर पर्यावरण पर ध्यान नहीं दिया गया तो पर्यावरणीय क्षति पक्षियों के साथ-साथ मनुष्यों के लिए भी घातक परिणाम लेकर आने वाला है।

3 दिन का बच्चा इलाज के अभाव में मरा, ममता का हठ और डॉक्टरों की हड़ताल कायम

पश्चिम बंगाल में डॉक्टरों की जारी हड़ताल और उनकी सुरक्षा आश्वासन देने की माँग न मानने के ममता बनर्जी के हठ ने एक मासूम को लील लिया। बंगाल में 3 दिन के एक बच्चे की जान इलाज के अभाव में चली गई है। उसके पिता के अनुसार वह उसे जहाँ-जहाँ लेकर गए, डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। खबर सोशल मीडिया पर सबसे पहले आनंद बाजार पत्रिका की फोटो जर्नलिस्ट ने ब्रेक की है।

मासूम का शव हाथ में ले फफकता पिता

आनंद बाजार पत्रिका की छायाकार दमयंती दत्ता ने सफ़ेद कफ़न में लिपटे मासूम के शव को लिए हुए फफकते पिता की फ़ोटो शेयर करते हुए लिखा, “#Savethedoctors और #SaveBengal के बीच यह एक पिता है जिसने अपने नवजात को इसलिए खो दिया क्योंकि डॉक्टरों ने शिशु का इलाज नहीं किया। आज का @MyAnandBazar चित्र।” (अनूदित)

फर्स्टपोस्ट की खबर के अनुसार शिशु के पिता अभिजित मलिक का बयान है, “उसे (उनके बेटे को) डॉक्टरी सहायता की ज़रूरत थी। मैं उसे कई अस्पतालों में लेकर गया। किसी ने सहायता नहीं की। उसकी गलती क्या थी? इस हड़ताल ने मेरे बेटे की जान ले ली।”

मालूम हो कि पश्चिम बंगाल में एनआरएस अस्पताल में एक समुदाय विशेष मरीज की हृदयघात से मृत्यु हो जाने के बाद उसके तीमारदारों द्वारा भीड़ जुटाकर जूनियर डॉक्टरों पर हमला बोल दिया गया था। पुलिस ने भी सक्षम तरीके से डॉक्टरों की सहायता नहीं की (जिसके पीछे कारण ममता बनर्जी की मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति माना जा रहा है), और दो डॉक्टरों को इतनी गंभीर चोटें आईं कि उन्हें आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। इसके बाद इसके विरोध में पहले तो एनआरएस के और फिर पूरे प्रदेश में जूनियर डॉक्टर बड़ी तादाद में हड़ताल पर चले गए हैं। डॉक्टरों की माँग है कि ममता बनर्जी हमले के आरोपितों को तुरंत गिरफ़्तार करवाएँ और डॉक्टरों की अस्पताल में सुरक्षा सुनिश्चित करें।

वहीं मुख्यमंत्री ने उनकी माँगें माँगने की बजाय पहले तो उन्हें हड़ताल से दिक्कतें और इलाज के आभाव में मौत का खतरा झेल रहे मरीजों का हवाला दे कर मनाने की कोशिश की। लेकिन जब वह नहीं माने तो बनर्जी ने उन्हें हड़ताल खत्म करने का अल्टीमेटम और न करने पर गंभीर परिणाम की चेतावनी दी। इसके अलावा पूरे मामले में उन्होंने भाजपा और माकपा पर भी प्रदेश में साजिश करने का आरोप लगाया है

उच्च न्यायालय की अपील

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले में एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए तरफ़ डॉक्टरों को मरीज की भलाई को सर्वोपरि रखने की अपनी व्यवसायिक शपथ (हिप्पोक्रेटिक ओथ) याद दिलाई, और दूसरी ओर सरकार से आग्रह किया कि डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करे और मामले का शांतिपूर्ण हल निकाले। उच्च न्यायालय ने जनहित याचिका की सुनवाई के लिए एक हफ़्ते बाद 21 जून की तारीख़ मुकर्रर की है।

NDTV के प्रणय रॉय और राधिका रॉय को झटका, SEBI ने 2 साल के लिए किया बैन

NDTV पिछले कई सालों से वित्तीय अनियमितताओं और टैक्स फ्रॉड के कारण जाँच एजेंसियों के रडार पर थी। NDTV प्रमोटर्स प्रणय रॉय और उनकी वाइफ राधिका रॉय को एक बड़ा झटका देते हुए सेबी ने सिक्योरिटी एक्सचेंज मार्केट में लेन-देन और NDTV मैनेजमेंट में किसी भी पोस्ट से 2 साल के लिए बाहर कर दिया है। 2009-10 से ही विभिन्न जाँच एजेंसियाँ प्रणय और राधिका के कई टैक्स फ्रॉड और वित्तीय अनियमितताओं की जाँच कर रही थी। इससे पहले प्रणय और राधिका रॉय को सेबी ने 10 सितम्बर 2018 को कारण बताओ नोटिस भेजा था।

BSE द्वारा दी गयी सूचना के अनुसार, प्रणय रॉय और राधिका रॉय को, जो NDTV के प्रमोटर हैं, 10 सितम्बर 2018 को कारण बताओ नोटिस मिला था। यह नोटिस 31 अगस्त 2018 को SEBI द्वारा SEBI एक्ट के सेक्शन
11(1), 11(4) और 113 के तहत भेजा गया था जिसमें इसी एक्ट के सेक्शन 12A (d)और (e) के उल्लंघन के मामले का ज़िक्र है। इस नोटिस में SEBI (Prohibition of lnsider Trading) Regulations, 1992 के रेगुलेशन 3(i) और 4 का उल्लंघन भी शामिल है।

SEBI एक्ट का सेक्शन 12A इनसाइडर ट्रेडिंग से ताल्लुक रखता है जिसका मतलब है कि वैसे व्यक्ति कंपनी के शेयर/सिक्योरिटी आदि खरीद-बेच नहीं सकते जिनके पास कंपनी की भीतरी जानकारियाँ उपलब्ध होती हों। इससे पहले भी NDTV का पाला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से पड़ चुका है।

इससे पहले, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट द्वारा भेजा गया कारण बताओ नोटिस 2009-10 में IT डिपार्टमेंट द्वारा
436.80 करोड़ रुपए की पैनल्टी के सन्दर्भ में था। NDTV ने उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्होंने इस मामले में दखल देने से मना कर दिया था और कहा था कि चैनल इनकम टैक्स कमिशनर (अपील) के पास जाए। कमिशनर ने उनकी अपील ठुकरा दी और पूरा फाइन भरने के लिए 15 जून, 2018 तक की मोहलत दी थी।