कुछ समय पहले एक नामी रियल एस्टेट कंपनी आम्रपाली से फ्लैट ख़रीदने वालों के साथ धोखाधड़ी का मामला सामने आया था जिसकी पूरी जाँच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऑडिटर्स को नियुक्त किया था।
इस मामले में हुई जाँच के बाद एक बेहद हैरान करने वाली जानकारी सामने आई है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए ऑडिटर्स ने बुधवार (जनवरी 16, 2019) को कोर्ट में जानकारी दी है कि आम्रपाली ने 500 से अधिक लोगों के नाम पर सिर्फ़ 1, 5 और 11 रुपए प्रति वर्ग फुट की दर से फ्लैट बुक किए थे।
इस जाँच में ये भी मालूम चला कि फ्लैट ख़रीदने वालों के पैसों की हेराफेरी करने के लिए 23 बोगस कंपनियाँ बनाई गई थीं। हैरानी वाली बात ये है कि ये कंपनियाँ सिर्फ़ ऑफिस बॉय, चपरासी और ड्राइवरों के नाम पर बनाई गई थीं।
इस जाँच में दो फॉरेंसिक ऑडिटर्स ने कोर्ट में जानकारी दी है कि उन्होंने 655 ऐसे लोगों को नोटिस भेजा था जिनके नाम पर बेनामी फ्लैट बुक हुए थे लेकिन इन 655 में से 122 स्थान ऐसे थे जहाँ पर उन्हें कोई भी नहीं मिला।
इस पूरे मामले की अंतरिम रिपोर्ट फॉरेंसिक ऑडिटर्स द्वारा जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस यू यू ललित की संयुक्त बेंच को सौंपी गई। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि चीफ फाइनेंशियल ऑफिसर चंद्र वाधवा के खाते में साल 2018 में ₹ 12 करोड़ थे। 12 करोड़ में से एक करोड़ उन्होंने अपनी पत्नी के अकॉउट में ट्रांसफर किए। इसके बाद 26 अक्टूबर 2018 को पहली बार न्यायालय में पेशी से ठीक एक दिन पहले कुछ अंजान लोगों को ₹4.75 करोड़ ट्रांसफर किए हैं।
वाधवा की इस हरक़त पर न्यायाधीशों की बेंच ने उन्हें अदालत की अवमानना की चेतावनी दी है। बेंच ने कहा कि वाधवा इस पूरी न्याय प्रकिया में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं। कोर्ट ने वाधवा से कहा कि उन्हें पता था कि कोर्ट उनसे इस मामले पर सवाल पूछेगा इसलिए उन्होंने पहले ही पैसे ट्रांसफर कर दिए। बेंच ने कहा कि वो सारे पैसे 7 दिन के अंदर वापस चाहते हैं। इस पूरे मामले की अगली सुनवाई 24 जनवरी को तय की गई है।
केंद्र सरकार के ताज़ा निर्णय के बाद अब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फ़ाइल करना और आसान हो गया है। बुधवार को कैबिनेट ने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट के इंटीग्रेटेड ई-फाइलिंग और सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर 2.0 परियोजना के लिए खर्च को मंजूरी दे दी, जिसके बाद अब आपका IT रिटर्न सिर्फ़ एक दिन में प्रोसेस हो जाएगा। इस प्रोजेक्ट को पूरा होने में 18 महीने का समय लग सकता है। इसके बाद तीन महीने की टेस्टिंग होगी, जिसके बाद इसे लागू कर दिया जाएगा।
अभी इनकम टैक्स रिटर्न की प्रोसेसिंग और रिफंड में औसतन 63 दिनों का समय लगता है। इसे कम करने के लिए नया रिटर्न फाइलिंग सिस्टम डेवेलप किया जाना है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत ₹4242 करोड़ होगी। इसे पूरा करने का जिम्मा देश की दूसरी सबसे बड़ी आईटी कम्पनी इनफ़ोसिस को सौंपा गया है। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि बिडिंग के बाद इनफ़ोसिस का चयन किया गया।
केंद्रीय मंत्री ने इस बारे में अधिक जानकारी देते हुए मीडिया से कहा:“इनकम टैक्स रिटर्न की मौजूदा प्रक्रिया भी काफी सफल रही है। नई व्यवस्था करदाताओं के लिए और ज्यादा उपयोगी होगी। कैबिनेट ने मौजूदा सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) आईटीआर 1.0 प्रोजेक्ट के लिए भी 1,482.44 करोड़ रुपए मंजूर किए हैं। यह खर्च वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए है। नई व्यवस्था ज्यादा पारदर्शी होगी।”
आँकड़ों की बात करें तो 30 दिसंबर 2018 तक 6.21 करोड़ इनकम टैक्स रिटर्न फाइल किए गए थे। यह पिछले वर्ष की तुलना में 43 प्रतिशत ज़्यादा है। कुल मिला कर देखें तो चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.83 लाख करोड़ रुपये का टैक्स रिफंड किया गया है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने को लेकर लोगों में बढ़ती जागरूकता को सरकार अपनी सफलता के रूप में देख रही है।
सरकार द्वारा नए प्रोजेक्ट को मंजूरी देने के पीछे ये चार प्रमुख उद्देश्य हैं:
करदाताओं को तेज़ और सटीक परिणाम उपलब्ध कराना
‘यूजर एक्सपीरियंस’ में सुधार कर उसे और बेहतर बनाना
करदाताओं को और जागरूक करना, और
वॉलेंटरी टैक्स कंप्लायंस का प्रचार-प्रसार करना।
सरकार के ताजा निर्णय के बाद नागरिकों को आईटी रिटर्न फाइल करने में और आसानी होगी। सरकार द्वारा अपनी टैक्स नीति और अधिक सटीक बनाने के लिए आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल करना एक सुखद बदलाव है।
हिन्दू तीर्थ परम्परा में कुम्भ एक सर्वाधिक पवित्र पर्व है। करोड़ों महिलाएँ, पुरूष, आध्यात्मिक साधकगण और पर्यटक आस्था एवं विश्वास की दृष्टि से शामिल होते हैं। यह विद्वानों के लिये शोध का विषय है कि कब कुम्भ के बारे में जनश्रुति आरम्भ हुई थी और कब इसने तीर्थयात्रियों को आकर्षित करना आरम्भ किया। किन्तु, यह एक स्थापित सत्य है कि प्रयाग कुम्भ सनातन परम्परा का केन्द्र बिन्दु रहा है और ऐसे विस्तृत पटल पर एक घटना एक दिन में घटित नहीं होती है बल्कि धीरे-धीरे एक लम्बी कालावधि में विकसित होती है।
भारत सदैव से सनातन परम्परा का वाहक रहा है। सनातन परम्परा ही है जिसने भारतीय मनीषियों को ही नहीं बल्कि जो भी यहाँ आया उसे उसके प्रश्नों का समुचित उत्तर मिला। ऐसा कोई इतिहास नहीं मिलता कि सनातन परम्परा में किसी को सवाल पूछने या प्रश्न खड़ा करने के लिए जान से मार दिया गया हो। सत्य की ख़ोज ही सनातन का मूल रहा है।
यहाँ ऋषि-मुनि, साधु-संत और गृहस्थ भी धर्मलाभ के लिए, आत्मिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के लिए हज़ारों-लाखों की सँख्या में पवित्र तीर्थों में निष्पाप होने के लिए जाते रहे हैं। ऐसी स्थिति में मुक्तिप्रद कुम्भयोग में अनगिनत लोगों का समावेश हो, तो ये भारतीयों के लिए कोई अकल्पनीय घटना नहीं है।
कुम्भ मेला कितना प्राचीन है, इस बारे में कोई निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता। कौन इसके प्रथम उद्घोषक थे कौन आयोजक? इसका पता लगाना भी कठिन है। अमृत कुम्भ के बारे में शास्त्रों में विस्तृत चर्चा है। संभवत:, सनातन धर्म जितना पुराना है, उतना ही प्राचीन कुम्भ मेला भी है।
फिर भी इतिहास के आईने में अगर देंखे तो कुम्भ मेला का मूल को 8वीं सदी के महान दार्शनिक शंकर से जुड़ती है। जिन्होंने वाद विवाद एवं विवेचना हेतु विद्वान सन्यासीगण की नियमित सभा परम्परा की शुरुआत की थी। आदिगुरु शंकर कुम्भ मेला के संगठक भी थे।
कहते हैं, बौद्ध धर्म के विस्तृत फैलाव के दौर में जब देश में अनाचार, व्यभिचार, कदाचार तेजी से फैलने लगा। जब वैदिक धर्म-परम्परा को नष्ट करने की पुरज़ोर कोशिश होने लगी तब वैदिक धर्म के मूर्त विग्रह महान प्रणेता श्रीमत शंकराचार्य ने अपनी अपूर्व प्रतिभा तथा आध्यात्मिक शक्ति के बल पर समस्त भारत में वेदांत की विजय पताका फहराई।
उत्तर-दक्षिण-पूर्व-पश्चिम, भारत के चारों दिशाओं में चार मठ स्थापित कर उन्होंने संन्यासी-संघ का उद्घाटन किया। जो आज शंकराचार्य पीठ के नाम से प्रसिद्द है। शंकराचार्य ने ही सनातन धर्म के महात्म्य की पुनर्स्थापना के लिए लोगों को उपस्थित हो शास्त्र चर्चा का आदेश दिया। उसी समय से ही वर्तमान कुम्भ मेला की प्रतिष्ठा मानी जाती है। आगे चलकर धीरे-धीरे सभी संप्रदायों का समागम होकर यह महोत्सव महिमान्वित होकर वर्तमान समय में विराट रूप धारण कर चुका है।
कहा गया है, साधु-महापुरूषों के पदार्पण से ही तीर्थ पवित्रता तथा अपने नाम की योग्यता को प्राप्त करता है। लाखों-करोड़ों की संख्या में साधु-संन्यासी जहाँ उपस्थित होते हैं। वहाँ आकाश-पाताल, जल-वायु, धूलकण से लेकर सभी पञ्च महाभूत तक मुक्तिप्रद और धर्म भाववर्धक बन जाते हैं।
साधु-सम्मेलन ही कुम्भ मेला की जीवनी-शक्ति हैं। यहाँ नर-नारियों का जो विशाल समूह आता है, वह सिर्फ़ तीर्थस्थान के निमित्त नहीं आते जितना कि पुन्यात्मा साधु-महात्माओं के दर्शन की लालसा लेकर आते हैं। उनका चरण स्पर्श और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं।
ये जो करोड़ों की संख्या में सर्वत्यागी, तपस्वी साधु-महात्मा, जो लोग मृत्यु पर जय प्राप्त करने के उपरान्त अमृतत्व की तलाश के व्रती हैं। उनका विराट समावेश जहाँ भी है। वहीं तो अमृत है। कुम्भ स्वयं अमृतवर्षी है। पौराणिक कहानी का रहस्यमय रूपक आज इसी प्रकार वास्तविकता ग्रहण कर चुका है।
ऐतिहासिक साक्ष्य कालनिर्धारण के रूप में इस बात के प्रमाण हैं कि राजा हर्षवर्धन का शासन काल (664 ईसा पूर्व) में कुम्भ मेला को विभिन्न भौगोलिक स्थितियों के मध्य व्यापक मान्यता एवं प्रसिद्धि प्राप्त हो गयी थी। प्रसिद्व यात्री व्हेनसांग ने अपनी यात्रा वृत्तांत में कुम्भ मेला की महानता का उल्लेख किया है। व्हेनसांग का उल्लेख राजा हर्षवर्धन की दानवीरता का सार संक्षेपण भी करती है।
राजा हर्ष प्रयाग की रेत पर एक महान पंचवर्षीय सम्मेलन का आयोजन करते थे, जहाँ पवित्र नदियों का संगम होता है और अपनी धन-सम्पत्ति को सभी वर्गों के गरीब एवं धार्मिक लोगों में बाँट देते थे।
प्रयागराज में कुम्भ मेला को ज्ञान एवं प्रकाश के श्रोत के रूप में सभी कुम्भ पर्वों में व्यापक रूप से सर्वाधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य जो ज्ञान का प्रतीक है, इस पर्व में उनकी अपार महिमा है।
कुम्भ का तात्विक अर्थ
कुम्भ सृष्टि में सभी संस्कृतियों का संगम है। कुम्भ आध्यत्मिक चेतना मानवता, नदियों, वनों एवं ऋषि संस्कृति का प्रवाह है। कुम्भ जीवन की गतिशीलता एवं मानव जीवन का संयोजन है। कुम्भ ऊर्जा का श्रोत एवं आत्मप्रकाश का मार्ग है।
पूर्व RBI गवर्नर रघुराम राजन को उनके कार्यकाल के दौरान आर्थिक नीति के मुद्दों पर केंद्र सरकार के साथ लगातार असहमति के लिए जाना जाता रहा है। ज्ञात हो कि राजन मोदी सरकार के विमुद्रीकरण (नोटबंदी) के निर्णय की भी आलोचना कर चुके हैं। इसी तरह के बयानों के चलते भाजपा पार्टी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने रघुराम राजन की देशभक्ति पर भी सवाल उठाए थे, जिस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आपत्ति जताई थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने भारत में रोज़गार की स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट लिखी है, जिसे चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस अपने 2019 लोकसभा चुनावों के ‘विज़न डॉक्यूमेंट’ में शामिल करने वाली है।
रघुराम राजन की विवादित स्थिति में रिजर्व बैंक से विदाई हुई थी। अब रोज़गार के मुद्दे पर कॉन्ग्रेस पार्टी को अपनी रिपोर्ट देने के बाद पूर्व गवर्नर और मशहूर अर्थशास्त्री को लेकर सियासी अटकलें तेज हो गई हैं।
हालाँकि, राजन कॉन्ग्रेस के माध्यम से राजनीति में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से प्रवेश करेंगे या नहीं, इस बारे में अभी कोई स्पष्ट दवा नहीं किया गया है। रघुराम राजन की रिपोर्ट से कॉन्ग्रेस के घोषणापत्र का एक प्रारूप तैयार किया जाएगा, जो रोज़गार की स्थिति को लेकर मोदी सरकार को निशाना बनाने की कोशिश करेगा।
इससे पहले पिछले महीने, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल ने संकेत देते हुए कहा था कि रघुराम राजन राजनीतिक करियर की तलाश कर रहे थे। राजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, “इन्हें अपने राजनीतिक करियर की घोषणा जल्द कर देनी चाहिए।”
आगामी लोकसभा चुनावों के लिए कॉन्ग्रेस के घोषणापत्र में एक समिति बनाई गई है, जिसमें पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम, केरल के सांसद शशि थरूर और सैम पित्रोदा जैसे नेता शामिल हैं।
#MeToo मामले में फँसे राजकुमार हिरानी के समर्थन में फ़िल्मी दुनिया के मशहूर पटकथा लेखक एवं गीतकार जावेद अख़्तर ने ट्वीट किया है। अपने ट्वीट में जावेद ने लिखा, “मैंने 1965 में फ़िल्म इंडस्ट्री में एंट्री किया है। इतने सालों तक काम करने के बाद यदि कोई मुझसे पूछे कि इन पाँच दशकों में आपको फिल्म इंडस्ट्री में सबसे डिसेंट व्यक्ति कौन लगा। इस सवाल के जवाब में मेरे दिमाग में सबसे पहला नाम राजकुमार हिरानी का आएगा। जी बी शॉ ने कहा था: बहुत अच्छा होना बहुत ख़तरनाक होता है।”
जानकारी के लिए आपको बता दें कि राजकुमार के साथ फिल्म ‘संजू’ में काम करने वाली महिला ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
I had come to the film industry in 1965. After so many years if I am asked who are the most decent people you met in this industry over almost 5 decades, perhaps the first name that will come to my mind is RAJU HIRANI. G.B Shaw has said . “ it is too dangerous to be too good”
हफ़्फिंगटन पोस्ट में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार पीड़िता ने राजकुमार पर यह आरोप लगाया है। पीड़िता ने कहा कि पोस्ट प्रोडक्शन के दौरान इस सच को सबके सामने लाने का साहस नहीं कर पाईं क्योंकि राजू हिरानी इंडस्ट्री में एक बड़े नाम हैं और वो उसे बदनाम कर सकते थे। साथ ही हिरानी ने पीड़िता को नौकरी से निकालने तक की धमकी भी दे डाली थी। ये सारे ख़ुलासे नवंबर 3, 2018 को फ़िल्म निर्माता विधु विनोद चोपड़ा को भेजे गए एक ईमेल से हुए हैं।
इस ईमेल में पीड़िता ने कहा था वो अपने से 30 साल बड़े हिरानी को पिता-तुल्य मानती थी लेकिन उन्होंने उनके दिल, दिमाग और शरीर के साथ खिलवाड़ किया। उस महिला ने हिरानी पर अपने ऑफिस में बुला कर बदसलूकी करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वो हिरानी की प्रताड़ना को सिर्फ इसलिए सहती रही क्योंकि उनके पिता गंभीर रोग से पीड़ित थे और वो अपनी नौकरी नहीं छोड़ सकती थी।
2019 लोकसभा चुनाव से पहले कॉन्ग्रेस को ओडिशा में जोरदार झटका लगा है। ओडिशा के कॉन्ग्रेस प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नबा किशोर दास ने पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया है। नबा किशोर दास ने कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी को पत्र लिखकर अपना इस्तीफ़ा दिया। अपने इस्तीफ़ा पत्र में दास ने लिखा है, “मेरे क्षेत्र को लोग यह चाहते हैं कि मैं बीजू जनता दल (BJD) की टिकट पर चुनाव लडूँ। यही वजह है कि मैंने नवीन पटनायक के पार्टी के साथ जाना स्वीकार कर लिया।”
जानकारी के लिए आपको बता दें कि दास वर्तमान समय में ओडिशा के झारसुगुड़ा विधानसभा से विधायक हैं। वो यहीं से बीजेडी प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ सकते हैं।
Odisha Congress Working President and Jharsuguda MLA, Naba Kisore Das resigns from party. In a letter written to Rahul Gandhi he said “The people and voters of my area want that I should contest the next election from BJD.” pic.twitter.com/3xhv33ph5a
कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी 25 फरवरी को ओडिशा में रैली करने वाले हैं। ऐसे में रैली से ठीक पहले एक तरह से कॉन्ग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष का पार्टी छोड़कर जाना कॉन्ग्रेस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं है। दास झारसुगुडा जिले के लोकप्रिय नेता हैं और उन्होंने बीजद उम्मीदवार को 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में हराया था।
राहुल के महागठबंधन को पहले भी लग चुका है झटका
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा के ख़िलाफ़ सभी विरोधी दलों को एक साथ संगठित करने के राहुल के प्रयास को पहले ही झटका लग चुका है। आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह के बयान के बाद अखिलेश यादव और मायावती ने भी महागठबंधन से किनारा कर लिया है।
पिछले दिनों आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने एक इंटरव्यू के दौरान महागठबंधन को ख़ारिज कर दिया था। इस इंटरव्यू में संजय सिंह ने कहा था कि उनकी पार्टी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और गोवा में किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं करेगी। इस तरह आम आदमी पार्टी की तरफ से यह बयान आने के बाद महागठबंधन पर संकट के बादल साफ़ दिखने लगे थे।
फ़िल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, जो कि बिहार की पटना साहिब सीट से भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री भी हैं, ने मोदी सरकार से नाराज़गियों के चलते एक निजी समाचार चैनल के कार्यक्रम में केन्द्रीय कपड़ा मंत्री स्मृति ईरानी को निशाना बनाते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक टेलिविज़न एक्ट्रेस को मानव संसाधन विकास मंत्रालय देकर गलत किया।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर पिछले कुछ समय से शत्रुघ्न सिन्हा लगातार हमला करते आए हैं, विवादित बयानों से चर्चा में रहने वाले शत्रुघ्न सिन्हा अटल बिहारी वाजपेई सरकार के समय स्वास्थ्य मंत्री भी रह चुके हैं। उन्होंने अपने बयान में कहा, “मंत्री बनाना प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, लेकिन किसी टेलीविज़न एक्ट्रेस को सीधे मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ज़िम्मेदारी दे देना कहाँ तक उचित है?”
शत्रुघ्न सिन्हा ने भाजपा को अपनी पार्टी बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं बोला और अब भी पार्टी के ख़िलाफ़ नहीं बोल रहे हैं, बल्कि पार्टी को आईना दिखा रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैं सच बोलता रहा हूँ और बोलता रहूँगा।” अगला लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश के वाराणसी क्षेत्र से लड़ने का संकेत देते हुए उन्होंने कहा, “सिचुएशन चाहे जो भी हो, लोकेशन यही होगा।”
फ़िल्म अभिनेता सिन्हा ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी की तारीफ़ करते हुए कहा कि उनमें बहुत कम समय में जो परिपक्वता आई है, उससे अन्य पार्टी के अध्यक्षों को भी सीख लेनी चाहिए। शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा, “मैं शुरू से ही गाँधी परिवार का फ़ैन रहा हूँ। मैं नेहरू से लेकर सोनिया गाँधी तक का प्रशंसक रहा हूँ और अब राहुल गाँधी का भी प्रशंसक हूँ।”
मंत्रालय ना मिलने का दुःख प्रकट करते हुए शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि उन्होंने 2014 के चुनावों में सर्वाधिक वोट शेयर हासिल किया था, फिर भी उन्हें मंत्रालय नहीं दिया गया।
क्या महिलाओं को अपमानित करने वाले गुटों का प्रभाव दिखने लगा है शत्रुघ्न सिन्हा पर?
केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को टेलिविज़न एक्ट्रेस कहकर उनकी योग्यता पर सवाल उठाने वाले शत्रुघ्न सिन्हा शायद मोदी सरकार में कोई मंत्रालय ना मिलने से इतने बौख़ला गए हैं कि हर दिन वो अपनी मर्यादा भूलते जा रहे हैं। शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने इसी बयान में यह भी ज़िक्र किया है कि वो नेहरू से लेकर सोनिया गाँधी तक के प्रशंसक रहे हैं और अब राहुल गाँधी के भी प्रशंसक हैं।
ये सिर्फ इत्तेफ़ाक ही हो सकता है कि कुछ दिन पहले ही राहुल गाँधी को राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा केन्द्रीय रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमन के ख़िलाफ़ आपमानजनक बयान देने के लिए नोटिस भेजा गया है। मोदी विरोध में अक्सर देखा जा रहा है कि विपक्ष में मानो प्रतिदिन मोदी सरकार में मौज़ूद महिलाओं के ख़िलाफ़ अपमानजनक बयान देने की होड़ लग चुकी है। शायद शत्रुघ्न सिन्हा भी अपने प्रेरणाश्रोतों के ही क़दमों पर आगे बढ़ रहे हैं।
2017 में दिया था बयान, ‘मुझमें कम्पाऊंडर बनने की काबिलियत भी नहीं थी, लेकिन मैंने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम किया’
मोदी सरकार में मंत्रालय ना मिलने से दुखी शत्रुघ्न सिन्हा शायद कुछ साल पहले दिया गया अपना ही एक बयान भूल गए हैं, जिसमें उन्होंने कहा था, “मुझमें कम्पाउंडर बनने की काबिलियत भी नहीं थी, लेकिन मैंने स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर काम किया।
सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई) निदेशक पद के लिए सेलेक्शन पैनल की बैठक 24 जनवरी को होगी। इस बैठक में देश के अगले सीबीआई निदेशक के बारे में फ़ैसला लिया जाना है। अगले सीबीआई निदेशक की नियुक्ति होने तक अतिरिक्त निदेशक नागेश्वर राव को इस पद की जिम्मेदारी दी गई है। हालाँकि, आलोक वर्मा को सीबीआई निदेशक पद से हटाए जाने के बाद अंतरिम निदेशक के रूप में नागेश्वर राव की नियुक्ति को कॉमन कॉज नाम के एक एनजीओ ने कोर्ट में चुनौती दी है। इस मामले पर अगले सप्ताह सुप्रीम कोर्ट में फ़ैसला होना है।
पूर्व सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा पर भष्टाचार के मामले में कई सारे आरोप लगे थे। उनपर लगाए गए आरोपों में नीरव मोदी मामला और विजय माल्या के केस भी शामिल था। आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार 26 दिसंबर 2018 को सीबीआई से एक ख़त के ज़रिए, इन मामलों से जुड़े हर दस्तावेज़ पेश करने को कहा गया था, ताकि पूरी जाँच को तार्किकता के धरातल पर सँभव किया जा सके।
आलोक वर्मा पर आरोप था कि उन्होंने नीरव मोदी के मामले में जाँच बिठाकर छानबीन कर अपराधियों को पकड़ने से ज्यादा मामला को रफ़ा-दफ़ा करने का प्रयास किया था। इसके बाद आलोक पर सी शिवशंकरन का मामला समेट कर उन्हें बचाने का भी आरोप था। बता दें कि सी शिवशंकरन पर IDBI बैंक के साथ 600 करोड़ रुपए के लोन फ्रॉड का आरोप है।
मोइन कुरैशी केस में भी आयोग की रिपोर्ट में आलोक वर्मा पर संदेह जताया गया कि उन्होंने सतीश साना से 2 करोड़ की रिश्वत ली थी। इस रिपोर्ट के सबूतों (circumstantial evidence) के आधार पर पूरा सच सामने आ सकता है, अगर कोर्ट के द्वारा जांच का आदेश मिले।
आईआरसीटीसी केस में भी आलोक वर्मा पर आरोप है। इस केस में उन्होंने संदिग्ध राकेश सक्सेना का नाम FIR से नाम हटवा दिया था। जिसके पीछे कारण बताया गया कि राकेश सक्सेना उनके करीबियों में से एक थे।
पशु तस्करी के मामले से भी आलोक अछूते नहीं हैं। इस मामले में भी उन पर कई आरोप लगे हैं, हालांकि इनकी अभी पुष्टि नहीं हुई है।
हरियाणा में भूमि अधिग्रहण के खिलाफ चल रही जाँच में पुख़्ता सबूत के लिए समय और रिसोर्सेज की जरूरत पर आयोग ने बल दिया। हालाँकि आयोग का कहना है कि अगर इस पर उन्हें कोर्ट से जाँच का आदेश मिलेगा तो वो इसका निष्कर्ष दो हफ्तों में जरूर निकाल देंगे।
कुंभ हिन्दुओं का सबसे बड़ा समागम है। इतना बड़ा कि मुग़ल बादशाह और अंग्रेज़ी हुकूमत ने भी हमले और कर आदि लगाकर इस मेले को बंद करने के प्रयास किए थे। करोड़ों हिन्दुओं के इतने बड़े जमावड़े को आज भी विदेशी बुद्धिजीवी एक समुदाय के शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखते हैं जबकि कुंभ में आने वाले सभी सनातनधर्मी ही होते हैं जो बिना किसी निमंत्रण के इतनी बड़ी संख्या में एकत्रित होकर विविध प्रकार के शांतिपूर्वक अनुष्ठान करते हैं।
यह सुनने में अटपटा लगता है लेकिन कुंभ में हिन्दुओं के अतिरिक्त कुछ ऐसे भी लोग आते हैं जो या तो हिन्दू नहीं हैं या सनातन धर्म की अन्य शाखाओं को मानने वाले हैं। इनमें सिख, जैन, बौद्ध और कुछ मजहब विशेष के लोग भी हैं।
श्री नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी हाल ही में प्रकाशित पुस्तक Kumbha: The Traditionally Modern Mela में लिखा है कि सिख, जैन, बौद्ध और सम्प्रदाय विशेष के अतिरिक्त ईसाई भी कुंभपर्व में अपनी आध्यात्मिक क्षुधा शांत करने आते हैं।
पुस्तक के अनुसार सिखों का निर्मल अखाड़ा कुंभ में स्नान करने जाता है। 2013 के प्रयागराज कुंभ में निर्मल अखाड़े ने शिविर लगाया था जिसमें गुरु ग्रन्थ साहिब की आरती की गई थी। यह दिखाता है कि सनातन के वृक्ष से उसकी डालें कितनी मजबूती से जुड़ी हुई हैं। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल हरिद्वार में स्थित है और इसमें लगभग 15,000 साधु सम्मिलित हैं।
निर्मल अखाड़े के साधु गुरु नानक जी को अपने सम्प्रदाय का प्रणेता मानते हैं। सन 1686 में गुरु गोबिंद सिंह जी ने 5 संतों को पेओंटा साहिब से काशी संस्कृत पढ़ने भेजा था। निर्मल अखाड़े के साधु इसी परंपरा को अपने समुदाय का आरंभ मानते हैं। 2013 प्रयाग और 2016 उज्जैन कुंभ में सिख समुदाय के कई लोग आए थे।
सिखों के अतिरिक्त जैन समुदाय के लोग भी 2016 के उज्जैन कुंभ में आए थे। 2016 के कुंभ में एक जैन साध्वी को जूना अखाड़ा का महामंडलेश्वर बनाया गया था। स्वामी अवधेशानंद गिरी ने साध्वी चन्दनप्रभा गिरी के कानों में मंत्र बोले और उन्हें महामंडेलश्वर बनाया। महामंडलेश्वर बनने के पश्चात जैन गुरु आचार्य तुलसी की शिष्या रहीं चंदनप्रभा गिरी ने नया नाम ‘चंदन प्रभानंद गिरी’ धारण किया। उज्जैन कुंभ में 1008 जैन जोड़ों ने एक साथ देवी पद्मावती की पूजा की थी।
नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी पुस्तक में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वॉटरलू के ईसाई प्रोफ़ेसर डैरल ब्रायंट के अनुभव के बारे में लिखा है। प्रो ब्रायंट ने कुंभ पर्व के बारे में अपने अनुभव बताते हुए लिखा, “संभवतः हिन्दुओं का कोई अन्य आयोजन इतना विराट नहीं होता जितना कुंभ मेला। एक ईसाई होने के बावजूद मैं इस धर्म को समझना चाहता हूँ। इस पर्व में सम्मिलित होने पर सभी ने मेरा स्वागत किया। कुंभ में सम्मिलित होकर मैंने उस धर्म को जानने की चेष्टा की जिसमें मेरी आस्था नहीं है। इस प्रयास में मैं हिन्दू तीर्थयात्रियों के आंतरिक विश्वास के बेहद करीब चला गया। जिस खुलेपन से हिन्दुओं ने मुझे सम्मिलित होने दिया उसके लिए मैं उनके प्रति आभारी हूँ।”
नित्यानंद मिश्रा जी ने अपनी पुस्तक में दो लोगों का उल्लेख किया है जो कुंभ में जाते हैं। आज़मगढ़ के शमीम अहमद 1983 से कुंभ में डुबकी लगाते रहे हैं। वे किसी आस्थावान हिन्दू की भाँति गंगाजल को अपने घर में रखते हैं। अनवर मोहम्मद ने कई वर्षों तक निरंजनी अखाड़े के स्नान के समय शहनाई बजाई थी। उन्हें 2013 कुंभ में निरंजनी अखाड़े ने साधु बनाकर सम्मिलित किया था।
वैसे तो बौद्ध मतावलंबी कुंभ में सम्मिलित नहीं होते किंतु शांतुम सेठ 2013 कुंभ में एक महीने के लिए भगवान बुद्ध की प्रेरणा से आए थे। उनका कहना था कि बुद्ध ने सदैव तीर्थयात्रा पर जाने का उपदेश दिया जिसे मानकर वह कुंभ में आए हैं। परम पावन दलाई लामा तेनज़िंग ग्यात्सो कई कुंभ मेलों में सम्मिलित हो चुके हैं। उन्होंने 2001 में प्रयाग कुंभ में माँ गंगा की आरती की थी।
इस प्रकार कुंभ केवल हिन्दुओं का नहीं बल्कि समूची मानव जाति के कल्याण पर्व के रूप में प्रतिष्ठित है।
डिस्क्लेमर:- प्रस्तुत लेख में सभी जानकारी नित्यानंद मिश्रा जी की 2019 में प्रकाशित पुस्तक Kumbha: The Traditionally Modern Mela (Bloomsbury Publishers) से ली गई हैं।
केंद्रीय कैबिनेट ने देश में 13 नए केंद्रीय विश्वविद्यालयों की स्थापना को हरी झंडी दिखा दी है। कैबिनेट मंत्री पीयूष गोयल ने इसी विषय पर प्रेस कॉन्फ़्रेन्स के दौरान कहा कि सरकार ने इन विश्वविद्यालयों के निर्माण के लिए ₹3,639.32 करोड़ अप्रूव किया है। केंद्रीय मंत्री ने अपने बयान में यह भी कहा कि सरकार ने इन विश्वविद्यालयों को बनाने के लिए 36 महीने की समय-सीमा तय की है।
Coal & Railway Minister Piyush Goyal: Central Cabinet has given its approval for incurring an expenditure of Rs 3639.32 crore for 13 new central universities for recurring cost & creation of necessary infrastructure for completion of campuses. It’ll be completed within 36 months. pic.twitter.com/LNDaFeUGqY
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार ने शिक्षा के क्षेत्र में युवाओं के लिए कई बड़े और महत्वपूर्ण फ़ैसले लिए हैं। शिक्षा के क्षेत्र में देश को आगे बढ़ाने के लिए मोदी सरकार के इसी तरह के फ़ैसले का उदाहरण इशान उदय, इशान विकाश व प्रगति जैसी स्कॉलरशिप योजनाएँ हैं। यही नहीं, सरकार उच्च शिक्षा के क्षेत्र में नई एजुकेशन पॉलिसी लाने के लिए भी प्रतिबद्ध है।
ब्याज मुक्त स्टूडेंट लॉन के बजट को भी बढ़ाया गया
भाजपा सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावडेकर ने सितंबर 2018 में कहा था कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में पढ़ाई करने वाले छात्रों को बिना ब्याज दिए जाने वाले कर्ज के बजट को ₹800 करोड़ से बढ़ाकर आगामी तीन साल में ₹2,200 करोड़ कर दिया जाएगा। जानकारी के लिए आपको बता दें कि जब केंद्र में मोदी के नेतृत्व में 2014 में सरकार बनी थी, तो उस समय उच्च शिक्षा के क्षेत्र में 4 से 5 लाख छात्रों को ब्याज मुक्त कर्ज देने के लिए ₹800 करोड़ का बजट होता था। जबकि, अब अगले तीन साल में इस बजट में ₹1,400 करोड़ बढ़ाकर ₹2,200 करोड़ रपए करने का लक्ष्य सरकार ने तय किया है।
शिक्षा में 10% आरक्षण कोटा लागू
मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले दिनों कहा कि देश भर के 40,000 कॉलेज व 900 यूनिवर्सिटी में इसी साल से सामान्य वर्ग के छात्रों के लिए 10% आरक्षण कोटा लागू किया जाएगा। मंत्री ने अपने बयान में कहा कि छात्रों को सरकारी व ग़ैर-सरकारी, दोनों ही तरह के, संस्थानों में आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके आलावा मंत्री ने यह भी कहा कि वर्तमान कोटे में किसी तरह से छेड़छाड़ किए बिना 10% अतिरिक्त कोटा के ज़रिए इस कैटेगरी के छात्रों को आरक्षण का लाभ दिया जाएगा। प्रकाश जावड़ेकर ने यह भी कहा कि आरक्षण कोटा को लागू करने के लिए कॉलेज व यूनिवर्सिटी में 25% सीटों में भी वृद्धि की जाएगी।