Monday, November 18, 2024
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प्रियंका गाँधी ने खूब मेहनत की, हार के लिए कार्यकर्ता ज़िम्मेदार: राज बब्बर

उत्तर प्रदेश कॉन्ग्रेस कमिटी के अध्यक्ष राज बब्बर ने पार्टी महासचिव प्रियंका गाँधी के बचाव किया है। राज बब्बर ने कहा कि हार के लिए प्रियंका नहीं बल्कि कार्यकर्ता और स्थानीय नेतागण ज़िम्मेदार हैं। राहुल और प्रियंका की तारीफ करते हुए राज बब्बर ने कहा कि उन दोनों ने ख़ूब मेहनत की। प्रियंका गाँधी को लोकसभा चुनाव से ऐन पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में पार्टी का प्रभारी बना कर भेजा गया था। इसके बाद मीडिया के हलकों में यह चर्चा थी कि प्रियंका संगठन में नई जान फूँकेंगी और राज्य में कॉन्ग्रेस का जीर्णोद्धार होगा, लेकिन चुनाव परिणाम आने के बाद पार्टी का प्रदर्शन बदतर रहा।

यहाँ तक कि ख़ुद कॉन्ग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी अपने परिवार की पारंपरिक सीट अमेठी से हार गए। प्रियंका गाँधी द्वारा धुआँधार प्रचार करने का पार्टी को कोई फायदा नहीं मिला और भाजपा ने बड़ी बढ़त बनाई। पूर्व सांसद राज बब्बर ने प्रियंका का बचाव करते हुए कहा:

“प्रियंका गाँधी ने अपना काम किया। लेकिन, पार्टी कार्यकर्ताओं, स्थानीय नेताओं, प्रत्याशियों और संगठन उनसे चुनावी लाभ नहीं ले सके। राहुल जी ने इस चुनाव के बहुत कड़ी मेहनत की और प्रियंका जी ने भी उसी दमखम के साथ उनसे ताल मिलाई। हम लोग (पार्टी कार्यकर्ता, स्थानीय नेता और उम्मीदवार) ख़ुद को साबित करने में नाकाम रहे। अमेठी को उन्होंने कभी भी अपना संसदीय क्षेत्र नहीं माना बल्कि परिवार माना। अब, घरवालों (अमेठी की जनता) ने इस तरह का निर्णय दे दिया है।”

राज बब्बर ने ख़ुद फतेहपुर सिकरी से चुनाव लड़ा था, जहाँ उन्हें बुरी हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के राजकुमार चाहर ने उन्हें लगभग 5 लाख मतों के भारी अंतर से बुरी तरह मात दिया। चाहर को कुल मतों का 64% प्राप्त हुआ जबकि बब्बर को सिर्फ़ 16% से संतोष करना पड़ा। राज बब्बर ने कहा कि राहुल गाँधी के मन में एक पीड़ा है, जो साफ़ नज़र आ रही है। उन्होंने अमेठीवासियों के मन में भी पीड़ा होने का दावा किया। बब्बर ने कहा कि राहुल भले ही वायनाड से सांसद बन गए हों, लेकिन उनके मन में कहीं न कहीं एक टीस ज़रूर है।

उत्तर प्रदेश में इस बार कॉन्ग्रेस का प्रदर्शन पिछले चुनाव के मुक़ाबले भी बहुत बुरा रहा। हालाँकि, कॉन्ग्रेस की पूरे देश में जितनी सीटें आई हैं, उससे ज्यादा भाजपा को अकेले यूपी से मिल गई। यूपी में वोटरों ने जातीय अंकगणित के आधार पर बने महागठबंधन को भी नकार दिया और चुनाव परिणाम के बाद अब सपा-बसपा की राहें भी जुदा हो गई हैं। राज बब्बर ने हार की ज़िम्मेदारी लेते हुए प्रदेश अध्यक्ष पद से अपना इस्तीफा भी सौंपा था। हालाँकि, कई राज्यों में कॉन्ग्रेस के पदाधिकारियों ने अपना इस्तीफा सौंपा था।

राज बब्बर ने कहा कि जीते हुए 52 कॉन्ग्रेस सांसदों से बातचीत कर यह जानना पड़ेगा कि उनकी रणनीति क्या रही। उन्होंने कहा कि मौका मिलने पर वे इस काम को करेंगे। राज बब्बर ने कहा कि इस हार के मंथन के लिए ऊपर से नीचे तक, सभी को बैठ कर विचार करना पड़ेगा। बब्बर ने कहा कि किसी को दोष देने के बजाए अपनी हार को स्वीकार करना ज्यादा बेहतर है। ये सारी बातें उन्होंने पीटीआई को दिए इंटरव्यू में कही।

100 दिनों में भारत में शुरू हो जाएगा 5G का ट्रायल, BSNL-MTNL को दौड़ में वापस लाएँगे: रविशंकर

भारत में अब ज़ल्द ही 5G इन्टरनेट की सुविधा मिलने लगेगी। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इसकी पुष्टि की है। भारत जल्द ही 5G के लिए फील्ड ट्रायल शुरू करने वाला है। इस प्रक्रिया को पूरे देश में 100 दिनों के भीतर शुरू किया जाएगा। इसके अलावा 5G की सर्विस के लिए एक मेगा स्पेक्ट्रम ऑक्शन भी होगा। इसमें 5G के अलावा अन्य रेडियो वेव भी शामिल होंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि एक बार ट्रायल सही से ख़त्म हो जाए, फिर आम जनता के प्रयोग के लिए भी 5G उपलब्ध हो जाएगा।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि Huwaei कम्पनी के 5G ट्रायल में हिस्सा लेने के बारे में अभी कुछ तय नहीं है और वह इस मामले में गंभीरता से विचार करेंगे। बता दें कि Huwaei और इसकी अन्य सहयोगी कम्पनियों को अमेरिका की ट्रम्प सरकार ने ब्लैकलिस्ट कर दिया है, जिसके बारे में बात करते हुए प्रसाद ने कहा कि किसी कम्पनी को परीक्षण में भागीदारी लेने की इजाजत देना या नहीं देना सेफ्टी का मुद्दा है। बता दें कि Huwaei टेलीकॉम सेक्टर में 5G की अग्रणी कम्पनी मानी जाती है।

दैनिक जागरण में प्रकाशित ख़बर के अनुसार, टेलीकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) ने टेलीकॉम फ्रीक्वेंसी के लगभग 8,644 एमएचजेड की नीलामी की सिफारिश की है, जिसमें 5G सर्विस के लिए 4.9 लाख करोड़ रुपए की अनुमानित क़ीमत है, लेकिन टेलीकॉम कंपनियों का कहना है कि वे क़ीमत का जोखिम नहीं उठा सकते हैं। केंद्रीय मंत्री प्रसाद को उम्मीद है कि क़ीमत को लेकर टेलीकॉम पर संसद की स्टेंडिंग कमेटी या फाइनेंस कमेटी कोई न कोई समाधान ज़रूर निकाल लेगी।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि सरकार 5G का प्रयोग विकासोन्मुखी कार्यों के लिए करने का पूरा प्रयास करेगी। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग वंचित वर्गों और ग्रामीणों के हित में होगा। साथ ही उन्होंने शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न प्रकार के जनहितकारी कार्यों के लिए 5G तकनीक का इस्तेमाल करने की बात कही। सरकारी कम्पनियों बीएसएनएल और एमटीएनएल का जिक्र करते हुए प्रसाद ने कहा कि सरकारी कम्पनियों को वापस प्रतिस्पर्धा में लाना उनका उद्देश्य है। साथ ही उन्होंने इन कम्पनियों को प्रोफेशनल तरीका अपनाने की सलाह भी दी।

पशुओं के अवशेष, गोहत्या का आरोप: UP के बागपत से शाहरुख़, इनाम, कल्लू गिरफ़्तार

उत्तर प्रदेश के बागपत में एक बार फिर से गोहत्या के आरोप का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में शाहरुख़, इनाम, और कल्लू नाम के 3 आरोपितों को गिरफ्तार किया है। इन तीनों को सोमवार (जून 3, 2019) को बागपत जिले के सिटी कोतवाली थाना अंतर्गत पुराण कस्बा इलाके से गिरफ्तार किया गया। इलाके में गोहत्या के शक और पशुओं के अवशेष मिलने की खबर से तनाव का माहौल पैदा हो गया है।

जानकारी के मुताबिक, पुलिस को पुराना कस्बा इलाके के 3 घरों में पशुओंं के अवशेष रखने की खबर मिली थी, जिसके बाद पुलिस वहाँ पहुँची। यहाँ इन तीनों घरों में ताला लगा हुआ था। जब पुलिस इन घरों के ताले तोड़कर अंदर गई तो वहाँ से 40 पशुओं की खाल, हड्डियाँ और अवशेष बरामद हुए। ये तीनों घर इनाम, शाहरुख और कल्लू के थे। तीनों के घरों से पशुओं के अवशेष मिलने की वजह से इनको हिरासत में लिया गया है। तीनों आरोपितों का कहना है कि वो लोग पशुओं के ये अवशेष मेरठ के बूचड़खानों से लेकर आए हैं और ज्यादा कीमत पर बेचने के लिए स्टोर करके रखा था।

फिलहाल, पुलिस ने इन आरोपितों के ऊपर गोहत्या और पशुओं के साथ क्रूरता से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया है। सर्किल ऑफिसर ओमपाल सिंह ने बताया कि इन आरोपितों ने पशुओं की खाल को सुरक्षित रखने के लिए केमिकल का प्रयोग किया था। इसके साथ ही उनका कहना है कि बरामद अवशेषों में से अधिकतर खाल भैंसों की है। बागपत के चीफ वेटनरी ऑफिसर डॉक्टर रवींद्र कुमार का कहना है कि बरामद की गई खालों में 7 नई खालें हैं। फिलहाल खालों और हड्डियों के सैंपल लैब में भेज दिए गए हैं। इसके अलावा एक बछड़े का सिर भी बरामद हुआ है। सर्किल ऑफिसर के अनुसार, लैब रिपोर्ट से ही इस बात की पुष्टि हो पाएगी कि इनमें गाय के अवशेष हैं या नहीं।

इस बारे में जब ओमपाल सिंह ने वहाँ के स्थानीय लोगों से बात की, तो उन्होंने बताया कि पिछली सरकार में यहाँ पर पशुओं की कटाई का काम अवैध रुप से जारी था, लेकिन भाजपा सरकार के आने के बाद गैरकानूनी बूचड़खानों पर रोक लगा दी गई, जिसके बाद से ये काम रुक गया। वहीं, भारतीय जनता युवा मोर्चा और विश्व हिंदू परिषद के कार्यकर्ताओं का आरोप था कि पशुओं की अवैध रूप से कटाई पुलिस की मिलीभगत से हो रही है। हालाँकि, बागपत के एसपी शैलेश कुमार पांडेय ने आश्वासन देते हुए कहा कि वो इस बात की जाँच करेंगे कि पुलिसवालों को इन गतिविधियों के बारे में जानकारी थी या नहीं।

…तो अच्छा ही है कि अलग-अलग होकर चुनाव लड़ा जाए: मायावती ने लगाया महागठबंधन पर ब्रेक

उत्तर प्रदेश में करारी शिकस्त पाने के बाद महागठबंधन की मजबूती कुछ ही दिनों में कमजोर हो गई है। खबर के मुताबिक बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने घोषणा की है कि सपा-बसपा का महागठबंधन आने वाले चुनावों में एक होकर चुनाव नहीं लड़ेगा।

मंगलवार को मीडिया से बातचीत के दौरान मायावती ने कहा कि फिलहाल राज्य की स्थिति देखते हुए उनके लिए बेहतर है कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़े। मायावती के मुताबिक प्रदेश में लोकसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर इस बात का सबूत हैं कि यादव समुदाय के लोगों ने ही पार्टी का साथ नहीं दिया। मायावती का मानना है कि सपा की सबसे मजबूत प्रत्याशी डिंपल यादव तक इन चुनावों में कन्नौज से जीत हासिल नहीं कर पाईं। ऐसी स्थिति में पार्टी बहुजन समाज पार्टी की क्या सहायता कर पाएगी।

हालाँकि, गठबंधन को लेकर दिए स्पष्ट बयान के बाद मायावती ने ये भी कहा कि समाजवादी पार्टी और बसपा के बीच के रिश्तों पर इस फैसले से कोई फर्क़ नहीं पड़ेगा। वो हमेशा अखिलेश यादव के साथ सौहार्दपूर्ण रिश्ता निभाएँगी।

मायावती का कहना है कि अखिलेश यादव और डिंपल यादव ने उन्हें बहुत इज्जत दी है और उन्होंने भी राष्ट्रहित के लिए अपने मतभेदों को भुलाकर उन्हें सम्मान दिया। बसपा सुप्रीमो का कहना है कि उनका रिश्ता सिर्फ़ राजनैतिक नहीं था, ये आगे भी इसी तरह का रहेगा। लेकिन, इन अच्छे संबंधों के बावजूद वो लोकसभा चुनावों में आए नतीजों को भूल नहीं सकती हैं। इसी वजह से उन्हें अपने फैसले पर दोबारा सोचना पड़ा।

मायावती ने इस बातचीत में ये भी साफ़ किया कि गठबंधन पर लगा ब्रेक स्थायी (पर्मानेंट) नहीं है। अगर उन्हें आने वाले समय में लगेगा कि राजनैतिक कार्यों में सपा अध्यक्ष अच्छा कर रहे हैं, तो वे दोबारा साथ काम करेंगी। लेकिन अगर वो राजनीति में अच्छा काम नहीं कर पाते हैं, तो अच्छा ही है कि अलग-अलग काम किया जाए। इसलिए अभी के लिए उन्होंने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है।

कलकत्ता यूनिवर्सिटी के कर्मचारी का किया तबादला, ‘जय श्रीराम’ का लगाया था नारा

पश्चिम बंगाल में ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाना एक अपराध बन चुका है, जिसके लिए सज़ा भी दी जाती है। ताज़ा मामला कलकत्ता यूनिवर्सिटी का है जहाँ एक कर्मचारी का तबादला सिर्फ़ इसलिए कर दिया गया क्योंकि उसने इंस्टीट्यूट में ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया था। ख़बर के अनुसार, पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी कर्मचारी परिषद ने यह दावा किया है कि कलकत्ता यूनिवर्सिटी अथॉरिटी ने कॉलेज कैंपस के एक कर्मचारी का तबादला मात्र इस बात पर कर दिया क्योंकि उसने ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाया था।

कर्मचारी परिषद ने इस संबंध में विश्वविद्यालय की कुलपति सोनाली चक्रवर्ती बनर्जी को एक प्रतिनियुक्ति सौंपी है। जानकारी के अनुसार, परिषद के सदस्य और नॉन टीचिंग स्टाफ़ प्रॉलोय दत्ता का तबादला स्ट्रीट कैंपस से नादिया ज़िले के हरिंगटा में कर दिया है।

प्रॉलोय दत्ता ने कहा:

‘‘मैं 6 साल से कुलपति के ऑफिस में काम कर रहा था। मैंने काफी लगन से काम किया। कुछ दिन पहले मैंने एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया था, जिसमें मैंने जय श्रीराम का नारा लगाया था। अब मेरा तबादला हरिंगटा कर दिया गया है, जो मेरे घर से काफी दूर है। कुलपति को अपने कर्मचारी का तबादला करने का पूरा अधिकार है, लेकिन मैंने कोई क्राइम नहीं किया है। मैंने उनसे अनुरोध भी किया था कि मेरा तबादला कैंपस के पास ही कर दिया जाए।’’

इस मामले की ख़बर जब पश्चिम बंगाल यूनिवर्सिटी कर्मचारी परिषद तक पहुँची तो उन्होंने इसकी कड़ी निंदा करते हुए 31 मई को यूनिवर्सिटी परिसर में ही विरोध-प्रदर्शन किया। इस दौरान उन्होंने महँगाई भत्ते की मंज़ूरी की माँग भी उठाई। विरोध-प्रदर्शन में ‘जय श्रीराम’ के नारे भी जमकर लगाए गए। पश्चिम बंगाल में ‘जय श्रीराम’ नारे को लेकर हर दिन बवाल होता रहता है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को यह नारा इतना नागवार गुज़रता है कि वो नारा लगाने वालों के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई तक का निर्देश दे डालती हैं।

‘जय श्रीराम’ नारे को लेकर ममता बनर्जी की तिलमिलाहट आए दिन उजागर होती रहती है। हद तो तब हो गई जब ममता सरकार ने ख़ुफ़िया एजेंसियों को उन स्थानों का पता लगाने का आदेश दिया, जहाँ ममता बनर्जी को देखकर ‘जय श्रीराम’ के नारे लगाए जाते हैं।

कार्ल मार्क्स के जीवन का राज़: नौकरानी हेलेन, अवैध संबंध और बेटा फ्रेड्रिक – जिसे पूरी दुनिया से छिपाया गया

14 मार्च, 1883 को कार्ल मार्क्स इस दुनिया को अलविदा कह गए। कुछ वर्षों बाद उनकी मौत को 150 वर्ष हो जाएँगे लेकिन आज भी उनके बात-विचार वामपंथ के अनुयायियों में नई उर्जा और जोश का संचार करते हैं। हालाँकि गौर से देखेंगे-पढ़ेंगे तो वैज्ञानिक समाजवाद की परिभाषा देने वाले मार्क्स विभिन्न वर्गों के बीच संघर्ष के कपटी सिद्धांत के पैगम्बर मात्र थे। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो उन्हें आर्थिक समतावाद का जनक मानते हैं। ऐसे में कार्ल मार्क्स की जिंदगी के बारे में बहुत कम चीजें ही हैं, जिनके बारे में लिखा-सुना गया हो, अन्यथा उनके व्यक्तिगत जीवन के बारे में बहुत कम ही लोगों को पता है। ग़रीबी और संताप्त्ता से पीड़ित मार्क्स एक मिथ्यावादी और अव्यावहारिक व्यक्ति थे, जो पूरी दुनिया पर अपने विचार थोपना चाहते थे।

उन्हें लगता था कि दुनिया उनके विचारों से प्रभावित नहीं हो रही है, इसीलिए वह लगातार पहचान पाने के लिए लालायित रहते थे। मार्क्स के जीवन का एक ऐसा राज़ भी है, जिसे छिपाने की उन्होंने भरपूर कोशिश की और वह उसमें सफल भी हुए, लेकिन उनकी मौत के बाद कई लोगों को इस विषय के बारे में पता चला। मार्क्स के घर में लम्बे समय तक काम करने वाली हेलेन देमुथ से उसका अवैध सम्बन्ध था और दोनों को एक बेटा भी हुआ था, जिसका नाम था- फ्रेड्रिक देमुथ। अपनी सार्वजनिक छवि को बिगड़ने और शादी को टूटने से बचाने के लिए मार्क्स ने बड़ी चालाकी से अपने इस कृत्य को छिपाने के लिए एक योजना तैयार की थी।

मार्क्स ने इसके लिए अपने दोस्त फ्रेड्रिक एंजेल्स की मदद ली थी, जिसने उस बच्चे के पिता होने का दावा किया और हेलेन देमुथ ने इस बात की सार्वजनिक पुष्टि की। इस तरह से मार्क्स और हेलन का बेटा अब एंजेल्स और हेलेन का बेटा हो गया। 40 वर्षों तक इस राज़ को कोई और नहीं जान पाया। 1895 में जब एंजेल्स मृत्युशैया पर थे, तब उन्होंने मार्क्स की बेटी इलिनर मार्क्स को यह बात बताई। इलिनर यह बात सुन कर सन्न रह गई। हालाँकि, मार्क्स की संतानों में तब तक 2 ही बचे थे, और 3 वर्षों बाद इलिनर ने भी आत्महत्या कर ली। इसी तरह 1911 में मार्क्स की एक अन्य बेटी लौरा ने भी आत्महत्या कर ली।

इस तरह अकेलेपन से पीड़ित फ्रेडिक देमुथ एक उपेक्षित बच्चे के रूप में बड़ा हुआ। मार्क्स उसके लिए कुछ नहीं कर सके। मार्क्स गुज़र-बसर के लिए एंजेल्स पर निर्भर थे और वह कभी-कभी कुछ रुपए-पैसे भी भेज दिया करते थे। ऐसे में मार्क्स और एंजेल्स, दोनों ने ही फ्रेडिक देमुथ से दूरी बना ली। मार्क्स कभी उसे देखने भी नहीं जाते थे, जिस कारण फ्रेडिक देमुथ की शिक्षा-दीक्षा अच्छे से नहीं हो पाई। वो जिंदगी भर मजदूर और कल-पूर्जे बनाने वाला काम करता रहा।

मार्क्स और एंजेल्स दोनों ने अपनी संपत्तियों में से कुछ भी फ्रेडिक देमुथ के लिए नहीं छोड़ा था हालाँकि मार्क्स की बेटियों ने अपनी संपत्ति में से कुछ रुपए फ्रेडी को दिए थे। आखिरकार 1929 में 78 वर्ष की उम्र में फ्रेडिक देमुथ की मृत्यु हुई, लंदन की एक ग़रीब बस्ती में – वो भी इस विश्वास के साथ कि वो फ्रेडिक एंजेल्स का बेटा है, ऐसा बेटा जो नालायक है, दुष्ट है, नकारा है। मार्क्स के अलावा जीवन भर हेलेन और एंजेल्स ही थे, जो इस राज़ को जानते थे। किसी और को इस राज़ के बारे में भनक तक नहीं लगी।

मार्क्स के अनुयायी फ्रेड्रिक देमुथ का जिक्र तक नहीं करते, जैसे इस विषय को दूर से देखना भी उनके लिए एक महापाप हो। मार्क्स के इस ‘नैतिक’ रवैये को छिपाकर उनका जो महिमामंडन किया गया है, आखिर वामपंथी उसे कैसे मिटने दे सकते हैं! आखिर मार्क्स भी ब्रिटेन के अन्य लोगों की तरह ही थे, वैसे ही विचार रखते थे, जो चीजें सबको डराती थीं, वो मार्क्स के लिए भी डरावनी थीं। तभी तो मार्क्स के मरने के बाद एंजेल्स ने उन सारी चिट्ठियों को भी लापता कर दिया, जिसमें फ्रेड्रिक देमुथ का जिक्र था।

(यह लेख ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के एक लेख पर आधारित है, जो जनवरी 14, 1983 को प्रकाशित किया गया था।)

‘राम के नाम पर बनी है सरकार, जल्द ही होगा भव्य राम मंदिर का निर्माण’

भाजपा की जीत के ठीक दस दिन बाद अयोध्या में संतों ने राम मंदिर निर्माण को लेकर सोमवार (जून 3, 2019) को मणिराम दास की छावनी में बैठक की। इस बैठक की अध्‍यक्षता रामजन्मभूमि न्यास अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास द्वारा की गई। इस दौरान मंदिर बनाने के वैकल्पिक रास्तों पर चर्चा हुई। सभी संतों ने मंदिर के निर्माण में देरी न हो, इसे लेकर एकमत राय दी। बैठक में कहा गया कि ये समय इस विषय पर फैसला लेने का सही समय है, क्योंकि राम के नाम पर ही सरकार बनी है।

इस बैठक में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को 15 जून को होने वाले ‘संत सम्मेलन’ में उठाने का निर्णय लिया गया। साथ ही सलाह दी गई कि जरूरत पड़े तो संतों के प्रतिनिधिमंडल को प्रधानमंत्री से मिलकर इस मुद्दे पर बात करनी चाहिए। महांत नृत्य गोपाल दास के उत्तराधिकारी कमल नयन दास ने इंडियन एक्सप्रेस से हुई बातचीत में बताया है कि चुनाव खत्म हो चुके हैं। राम के नाम पर और राम का नाम लेने से सरकार का भी निर्माण हो चुका है। ऐसे में अब समय आ गया है कि राम के नाम पर काम भी किया जाए।

बैठक में शामिल हुए विश्व हिंदू परिषद के नेताओं ने संतों को आश्वस्त किया कि अब सब कुछ ठीक चल रहा है। उन्होंने ये भी कहा कि मंदिर निर्माण के लिए बहुत ज्यादा प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ेगी। जल्द ही भव्य राम मंदिर का निर्माण होगा।

न्यास के वरिष्ठ सदस्य रामविलास वेदांती ने इस दौरान कहा कि राम मंदिर को लेकर इस वर्ष यह संतों की पहली बैठक है। उनका कहना है कि भगवान राम के आशीर्वाद से ही भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला है। उनके मुताबिक सरकार पहले चरण में कश्मीर की धारा 370 और 35 ए को खत्म करेगी, इसके बाद राम मंदिर का निर्माण शुरू करेगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाएगा क्योंकि खसरा और खतौनी दोनों ही राम के नाम पर है।

मीडिया में आई खबरों के मुताबिक मणिराम छावनी के महंत कमल नारायण ने इस बैठक के बारे में कहा कि बैठक हालाँकि महंत नृत्य गोपाल दास के जन्मदिवस समारोह के लिए आयोजित हुई थी, लेकिन इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि जब संत आपस में मिलते हैं तो राम मंदिर का मुद्दा उठता है।

बहन पर तेजाब डालने वाले इरफ़ान, रिज़वान और इमरान गिरफ्तार, गैर-मुस्लिम संग प्रेम का मामला

दादरी पुलिस ने रविवार (जून 3, 2019) की रात उन तीनों भाइयों को गिरफ्तार कर लिया है, जिन्होंने कुछ दिन पहले अपनी छोटी बहन पर तेजाब डालकर उसे मारने की कोशिश की थी। अभियुक्तों का नाम इरफान, रिजवान और इमरान है। तीनों बुलंदशहर के रहने वाले हैं। ये आरोपित अलग-अलग फैक्टरियों और कंस्ट्रक्शन स्थल पर बतौर मजदूर काम कर रहे थे।

पुलिस अधिकारी नीरज मलिक के मुताबिक 5 मई को इन तीनों भाइयों ने अपनी बहन को मारने के लिए प्लान बनाया। खबरों के अनुसार पहले गुलावठी की रामनगर निवासी सलमा को उसके भाई इरफ़ान और रिज़वान नोएडा घुमाने के बहाने लाए। इसके बाद कोट नहर के सामने भाइयों ने सलमा का गला दबाया, उसके मुँह पर तेजाब डाला और फिर उसे मृत समझकर चले गए।

दादरी कोतवाली क्षेत्र के  कोट नहर के पास सलमा को झुलसी हालत में देख उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ उसकी हालत गंभीर थी। सलमा के चेहरे और गले पर ज्यादा घाव बताए गए। अस्पताल पहुँचने के बाद सलमा का बयान लिया गया। दादरी पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और फरार आरोपितों पर 25,000 के इनाम की घोषणा की। रविवार रात पुलिस को इन तीनों भाइयों को दादरी रेलवे क्रॉसिंग के पास देखे जाने की खबर मिली। पुलिस ने वहाँ छापेमारी की और इन तीनों को गिरफ्तार कर लिया।

पुलिस अधिकारी नीरज मलिक ने बताया कि पूछताछ के दौरान तीनों ने अपने गुनाह को मान लिया है। आरोपितों ने बताया है कि उनकी बहन एक शादीशुदा व्यक्ति के साथ संबंध में थी। परिवार इस रिश्ते के ख़िलाफ़ था। सलमा को कई बार उस आदमी से दूर रहने के लिए कहा गया लेकिन वह नहीं मानी। 5 मई को जब वह लोग अलीगढ़ से किसी रिश्तेदार के घर से लौट रहे तो इरफान, रिजवान ने सलमा को स्कूटर से घर छोड़ने की बात कही। लेकिन घर ले जाने के रास्ते में ही दोनों ने उसका गला दबाया और उस पर तेजाब से हमला किया। इसके बाद उन्होंने उसे लुहारली ब्रिज से नीचे फेंक दिया, ये सोचकर कि वो मर गई है।

पुलिस का कहना है कि इरफान और रिजवान को अपराध करने के लिए गिरफ्तार किया गया है जबकि इमरान पर साजिश रचने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपितों के ख़िलाफ़ धारा 307 (हत्या की कोशिश), 326(A) (तेजाब फेंकने के लिए दंड), और 120 B (साजिश रचना) के तहत मामला दर्ज किया है। तीनों को पहले कोर्ट में पेश किया गया और फिर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया।

पीड़िता अब भी अस्पताल में भर्ती है। 22 वर्षीय सलमा का चेहरा इस घटना के बाद बुरी तरह झुलस गया था और उसकी आँखें तेज़ाब की वजह से जल गई थी। अभी उसके कंधे और गले पर जलने के काफ़ी घाव हैं। पुलिस ने बताया है कि सलमा को एक महीने अभी अस्पताल में और रखा जाएगा। उसके घरवालों ने उसके साथ रहने से मना कर दिया है। इसलिए लड़की की सुरक्षा में एक महिला कॉन्स्टेबल को उसकी देख-रेख के लिए तैनात किया गया है।

Fact Check: विदेशी पत्रकार ने फैलाया महाझूठ, साजिद के पिटने की वजह उसका मुस्लिम होना नहीं

दिल्ली के जैतपुर की एक सामान्य आपराधिक घटना को ‘मुस्लिमों के ख़िलाफ़ मोदी समर्थकों द्वारा किए जा रहे अत्याचार’ के रूप में पेश किया जा रहा है। अब इसमें अंतरराष्ट्रीय मीडिया भी कूद गई है। ‘मिडिल ईस्ट आई’ के पत्रकार सीजे वेर्लेमन ने एक सनसनीखेज दावा करते हुए ट्विटर पर लिखा, “28 मई को इस मुस्लिम युवक पर मोदी समर्थकों और हिन्दू कट्टरवादियों द्वारा हमला किया गया। इसे स्टील के रॉड से पीटा गया, सूअर का मांस खाने को मजबूर किया गया और उसके शरीर पर पेशाब करने की धमकी दी गई। मोदी के दोबारा जीतने के बाद इस तरह के हमले रोज़ हो रहे हैं।

‘चैनल द रेज’ नामक पॉडकास्ट को एंकर करने वाले पत्रकार वेर्लेमन ने इस ट्वीट के साथ एक विडियो भी पोस्ट किया, जिसमें साजिद नाम का मुस्लिम युवक इस घटना को लेकर आपबीती सुना रहा है। इसमें वो साफ़-साफ़ कह रहा है कि उसे जेबकतरों ने रोका और उससे उसका मोबाइल माँगा, लेकिन फिर भी इस विडियो को ‘हिन्दुओं द्वारा मुस्लिमों पर हमले’ या यूँ कहें कि ‘हेट क्राइम’ के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। हमने जब इस घटना को खंगाला तो हमें दिल्ली साउथ ईस्ट के डिप्टी कमिश्नर चिन्मय विश्वास का बयान मिला, जिसमें उन्होंने इस घटना के ‘हेट क्राइम’ होने से साफ़-साफ़ इनकार कर दिया है।

जैतपुर पुलिस स्टेशन में जो मामला दर्ज किया गया है, उसमें भी कहीं ‘सांप्रदायिक हिंसा’ या ऐसी किसी चीज का जिक्र नहीं है। बंधक बनाने और दुर्व्यवहार करने सम्बन्धी मामले दर्ज किए गए हैं, जो कहीं से भी यह साबित नहीं करते कि यह घटना साजिद के मुस्लिम होने के कारण हुई। पुलिस ने इसे ‘Mistaken Identity’ का मामला बताया है, जहाँ आरोपितों ने उक्त युवक को कोई और समझ लिया और उसे पीटा। आरोपितों ने यह समझा कि वो लोग जिसे खोज रहे हैं, वो साजिद ही है। सोशल मीडिया पर वेर्लेमन ने एक अज्ञात न्यूज़ चैनल का विडियो भी शेयर किया, जिसमें एंकर द्वारा बताया जा रहा है कि साजिद को मुस्लिम होने की वजह से पीटा गया।

हालाँकि, पुलिस द्वारा नकारने और ख़ुद साजिद द्वारा इस विडियो में आरोपितों को जेबकतरा बताने के बाद भी पत्रकारों व मीडिया संस्थानों द्वारा ज़हर फैलाने का काम किया जा रहा है। ऐसे कई मामले आए हैं, जहाँ पीड़ित के मुस्लिम होने पर अन्य आपराधिक घटनाओं को भी सांप्रदायिक हिंसा और मुस्लिमों पर कथित अत्याचार के रूप में पेश किया गया। इस मामले में भी यही हुआ है। सोशल मीडिया पर इस घटना का वीडियो भी वायरल हुआ है, जिसमें साजिद आरोपितों को कहता पाया जा रहा है कि वह वो व्यक्ति नहीं है, जिसे वे ढूँढ रहे हैं। जब यह किसी की पहचान ग़लत समझने का मामला है, तो इसमें ‘नरेन्द्र मोदी’, ‘कट्टरवादी हिन्दू’ और ‘मोदी समर्थक’ कहाँ से आ गए? ये नाम आ नहीं गए बल्कि जबरन लाए गए, ठूँसे गए क्योंकि इन लोगों को अपना हित साधना है, प्रोपेगेंडा सेट करना है।

सोशल मीडिया के माध्यम से बिना घटना को जाने-समझे उसे ‘एक निर्दोष मुस्लिम पर हिन्दुओं द्वारा हमला’ के रूप में प्रचारित किया गया। अभी हाल ही में गुरुग्राम में भी एक घटना हुई थी, जब एक मुस्लिम युवक के दावे झूठे पाए गए। उसने कहा था कि मुस्लिम होने की वजह से उसके साथ दुर्व्यवहार किया गया। सच्चाई समाने आने से पहले ही बयान देकर गौतम गंभीर जैसे नेताओं ने सुर्खियाँ भी बटोरीं।

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस: कौन है ‘तोंद वाला नेता और मूँछ वाला अंकल’, CBI पर भी लगे आरोप

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप केस में एक अज्ञात “तोंद वाले अंकल नेताजी” और एक “मूछ वाले अंकल जी” की भूमिका सामने आई है। पीड़ित बच्चियों ने इन दोनों ही अज्ञात ‘अंकलों’ पर उनका यौन शोषण करने का आरोप लगाया है। बता दें कि मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप और कईयों की हत्या के खुलासे का एक वर्ष पूरा हो गया है लेकिन अभी तक सीबीआई की जाँच किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुँची है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से दिल्ली के साकेत स्थित पॉस्को कोर्ट में इस मामले को ट्रान्सफर किया जा चुका है और वहीं सुनवाई भी चल रही है। नियमित सुनवाई में बच्चियों की गवाही ली जा रही है।

सीबीआई ने जाँच की प्रक्रिया पूरी करने के लिए 6 महीने का समय माँगा था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने जाँच एजेंसी को 3 महीने का अल्टीमेटम दिया है। एक और बड़ा और चौंकाने वाला खुलासा करते हुए सीबीआई ने अदालत को बताया है कि जाँच के दौरान 11 पीड़ित बच्चियों की हत्या किए जाने की बात सामने आई है। एक आरोपित से इस सम्बन्ध में पूछताछ भी की गई थी, जिसकी निशानदेही पर एक श्मशान घाट से खुदाई के बाद कुछ हड्डियों की टुकड़ियाँ बरामद की गई। इस मामले में ब्रजेश ठाकुर सहित कई आरोपित हैं। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर यह आरोप लगाया गया है कि वह सबूत होने के बावजूद जाँच में ढिलाई बरत रही है।

अब तक इस मामले में 20 आरोपितों को विभिन्न जगहों से पकड़ा जा चुका है। बच्चियों ने अपने बयान में कहा है कि उनका यौन शोषण किया जाता था और विरोध करने पर हत्या कर दी जाती थी। एडिशनल सोलिसिटर जनरल माधवी दीवान ने अदालत को बताया कि 2 बच्चियों के कंकाल बरामद किए गए हैं और फोरेंसिक जाँच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। दीवान ने सीबीआई द्वारा प्रभावशाली लोगों को बचाने वाले आरोपों को नकारते हुए कहा कि आरोपितों के ख़िलाफ़ कड़ी से कड़ी धाराएँ दर्ज की जा रही हैं।

निवेदिता झा द्वारा याचिका में कहा गया है कि बच्चियों को होटल भी ले जाया जाता था, जहाँ ‘बाहरी लोग’ आकर उनका रेप करते थे। ये सभी ब्रजेश ठाकुर के मित्र थे। झा का आरोप है कि सीबीआई इन लोगों को धर दबोचने मे नाकाम साबित हुई है। वकील अपर्णा भट ने अदालत से जल्द से जल्द जाँच निपटाने का आदेश देने की गुहार लगाई। उन्होंने कहा कि अगर जाँच लम्बी चलती है तो इससे पीड़ित बच्चियों को बार-बार वो भयावह घटनाएँ याद करनी पड़ेंगी, जो उनकी मानसिक स्थिति के लिए सही नहीं है। भट ने कहा कि उन बच्चियों के ख़िलाफ़ अप्राकृतिक सेक्स करने और इस कुकर्म का विडियो रिकॉर्ड करने के लिए आरोपितों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए।

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम रेप व हत्या केस में बिहार सरकार के मंत्रियों से लेकर कई प्रभावशाली व्यक्तियों के नाम सामने आए हैं। सीबीआई के ख़िलाफ़ याचिका में कहा गया है, “यह साफ़-साफ़ प्रतीत होता है कि ब्रजेश ठाकुर द्वारा एक बड़ा और व्यापक वेश्यावृत्ति रैकेट चलाया जा रहा था। सीबीआई ने तमाम लीड मिलने के बावजूद वास्तविक दोषियों को बचाने का काम किया है।