Tuesday, October 8, 2024
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‘घर’ ख़रीदने पर अब मात्र 1% GST: मिडिल क्लास को बड़ी राहत

गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) काउंसिल द्वारा रियल स्टेट क्षेत्र में माँग को बढ़ावा देने के लिए निर्माणाधीन परियोजनाओं में मकानों पर जीएसटी की दर 12% से घटाकर 5% कर दिया गया है। साथ ही इसमें इनपुट टैक्स क्रेडिट के लाभ को समाप्त करने का फ़ैसला किया है। काउंसिल की बैठक में जो फ़ैसला लिया गया है, उसका संबंध घर ख़रीदने वाले लोगों से है। उनके हित में किफ़ायती दर के मकानों पर भी जीएसटी 8% से घटाकर 1% करने का फ़ैसला लिया गया। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार (फ़रवरी 24, 2019) को जीएसटी काउंसिल की बैठक सम्पन्न होने के बाद इस फ़ैसले की जानकारी दी।

इस फैसले से दिल्ली-एनसीआर समेत महानगरों में 60 वर्गमीटर और छोटे शहरों में 90 वर्गमीटर कारपेट एरिया और ₹45 लाख तक मूल्य वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर अब मात्र 1 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इससे अधिक क्षेत्रफल वाले निर्माणाधीन फ्लैट पर 5 प्रतिशत जीएसटी देना होगा। इन महानगरों में चेन्नई, मुंबई और बेंगलूरु शामिल हैं।

जीएसटी काउंसिल की 33वीं बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं को लग रहा था कि बिल्डर इनपुट टैक्स पर छूट का लाभ उन्हें नहीं दिया जा रहा था। इसलिए रियल एस्टेट क्षेत्र में टैक्स प्रणाली में बदलाव की सिफ़ारिश के लिए मंत्रियों के समूह का गठन किया गया।

वित्त मंत्री ने बताया कि इनपुट टैक्स पर छूट खत्म होने के बाद रियल एस्टेट क्षेत्र का कारोबार कहीं फिर से पहले की तरह नकद लेन-देन का धंधा ना बन जाए, इसके लिए बिल्डर कंपनियों को निर्माण सामग्री का एक बहुत ऊंचा हिस्सा जीएसटी में पंजीकृत डीलरों से ख़रीदना अनिवार्य किया जाएगा। यह हिस्सा कितना प्रतिशत रखा जाएगा, यह एक समिति द्वारा तय किया जाएगा। मंत्रियों के समूह ने यह सीमा 80 प्रतिशत रखने का सुझाव दिया है।

जानकारी के अनुसार, आवासीय परियोजनाओं पर जीएसटी की ये दरें आगामी 1 अप्रैल से प्रभावी होंगी। वित्त मंत्री ने बताया कि काउंसिल ने फिटमेंट और लॉ कमिटी को रियल स्टेट से जुड़े ट्रांजिशन नियम बनाने के लिए भी कहा है। इस पर संभावना है कि आगामी 10 मार्च तक समिति द्वारा इन नियमों का प्रारुप तैयार कर लिया जाएगा।

बता दें कि ट्रांजिशन नियमों का फ़ायदा उन लोगों को मिलेगा, जिन्होंने अंडर-कंस्ट्रक्शन फ्लैट पहले से ही बुक किया हुआ है लेकिन उस प्रोजेक्ट को अभी तक कंप्लीशन सर्टिफिकेट ना मिला हो। जेटली के मुताबिक काउंसिल ने अफोर्डेबल हाउसिंग पर जीएसटी की दर को 8 प्रतिशत से घटाकर 1 प्रतिशत करने का उद्देश्य रियल स्टेट को बढ़ावा देना तो है ही, साथ ही इससे मध्यम वर्ग, निम्न वर्ग और कमज़ोर आय वर्ग को घर ख़रीदने में सुविधा भी मिलेगी।

केजरीवाल का बुरा हाल: चंडीगढ़ में खाली कुर्सियों को सुनाना पड़ा भाषण, बेइज्जती देख मिनटों में भागे

रविवार (फरवरी 24, 2019) को चंडीगढ़ में आयोजित आम आदमी पार्टी की रैली बुरी तरह फ्लॉप साबित हुई। रैली में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल और अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा के पहुँचने की ख़बर के बावजूद लोग नहीं जुटे। किरकिरी होते देख केजरीवाल ने मात्र 8-9 मिनटों में ही अपना भाषण ख़त्म कर दिया। रविवार को छुट्टी का दिन होने के बावजूद रैली में लोगों की नगण्य उपस्थिति ने आम आदमी पार्टी को सकते में डाल दिया है। चंडीगढ़ के सेक्टर 25 में आयोजित इस रैली में केजरीवाल ने अपना भाषण आनन-फानन में निपटा दिया।

केजरीवाल की रैली में लोगों का न आना अख़बारों में भी चर्चा का विषय बना

खाली कुर्सियाँ देख बौखलाए अरविन्द केजरीवाल ने ज़ल्दबाज़ी में पार्टी के लोकसभा प्रत्याशी हरमोहन धवन के लिए वोट माँगा और हरियाणा में एक और रैली सम्बोधित करने का बहाना बना कर वहाँ से निकल पड़े। मीडिया में आ रही ख़बरों के मुताबिक़, जो लोग रैली में उपस्थित थे, वो भी स्थानीय नहीं थे। उन्हें बाहर से रैली में लाया गया था। केजरीवाल के जाते ही ये लोग भी रैली स्थल से चलते बने। सोशल मीडिया पर लोगों ने केजरीवाल की इस रैली का खूब मज़ाक बनाया।

केजरीवाल की चंडीगढ़ रैली में खाली पड़ी कुर्सियाँ

बता दें कि चंडीगढ़ से आप के लोकसभा प्रत्याशी वरिष्ठ नेता हरमोहन धवन पहले भाजपा में थे। वह पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर की कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री रह चुके हैं। उस समय उन्होंने चंडीगढ़ से ही जीत दर्ज की थी। उस से पहले वह जनता पार्टी के अध्यक्ष भी बने थे। मंच पर केजरीवाल, भगवंत मान, हरमोहन और शत्रुघ्न सिन्हा की मौजूदगी के बावजूद लोगों का रैली में न आना चर्चा का विषय है। 2014 में चंडीगढ़ से भाजपा की किरण खेर ने जीत दर्ज की थी। आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी व पूर्व मिस इंडिया गुल पनाग तीसरे नंबर पर रही थीं। रैली में किरण खेर पर तंज कसते हुए केजरीवाल ने कहा:

“पिछली बार मोदी की हवा थी, इसलिए वे जीत गईं। उसके बाद वे कितनी बार लोगों के बीच आईं। संसद में भी बहुत कम आती हैं। आती हैं तो बोलती नहीं। वे एक एक्ट्रेस हैं। उन्हें मुंबई में फ़िल्में करनी है और उन फ़िल्मों से पैसा कमाना है। उन्हें सांसद का एक स्टेटस सिंबल चाहिए था, जो चंडीगढ़ के लोगों की वजह से उन्हें मिल चुका है। किसी को उनसे मिलना हो तो वे मिलती नहीं। उनसे मिलने के लिए लोगों को मुंबई जाना पड़ता है। क्या उन्होंने कोई स्कूल व अस्पताल बनवाया? क्या किसी बच्चे का एडमिशन करवाया? किसी ग़रीब मरीज़ का इलाज करवाया?”

भाजपा के बाग़ी नेता शत्रुघ्न सिन्हा ने रैली को सम्बोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ का मज़ाक बनाते हुए कहा कि अब दिल की बात होगी। उन्होंने मोदी सरकार को तानाशाही सरकार करार दिया। भगवंत मान ने प्रधानमंत्री पर व्यक्तिगत टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें कभी-कभी शक होता है कि मोदी को चाय बनानी भी आती है या नहीं? रैली में यशवंत सिन्हा के भी उपस्थित रहने की बात कही जा रही थी और पोस्टरों में भी इसका जिक्र किया गया था, लेकिन यशवंत सिन्हा रैली में नहीं पहुँचे।

Period. End of sentence: भारतीय प्रोड्यूसर की फिल्म को मिला ऑस्कर

पीरियड एक ऐसी मासिक प्रक्रिया है जो युवावस्था में कदम रखने वाली हर लड़की की सच्चाई है। फिर भी समाज ने इस आइने को हमेशा से पर्दे में रखने का प्रयास किया। नतीजन इस पर्दे के पीछे असहाय दर्द और परेशानियों से कराहती महिलाएँ न किसी से अपनी शिकायत कर पाईं और न ही अपने लिए कोई कदम उठा पाईं।

भारत में महिलाओं की इसी स्थिति का आकलन करते हुए एक भारतीय फिल्म प्रोड्यूसर गुनीत मोंगा ने ‘Period. End of sentence’ नाम की फिल्म प्रोड्यूस की। इसे बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट कैटेगरी फिल्म के लिए ऑस्कर अवार्ड (2019) मिला। इसका निर्देशन मैलिसा बर्टन और रयाक्ता जहताबची ने किया है।

इस अवार्ड के मिलने पर अपनी खुशी को ज़ाहिर करते हुए रयाक्ता ने कहा कि उन्हें यकीन ही नहीं हो पा रहा है कि पीरियड्स पर बनी फिल्म ने अवार्ड जीत लिया है। साथ ही गुनीत ने ट्वीट करते हुए लिखा, “हम जीत गए। धरती पर मौजूद हर लड़की इस बात को जान ले कि वह देवी है…”

क्या है फिल्म में

यह फिल्म भारतीय महिलाओं की पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्म है। इसमें पीरियड्स के मुद्दे को उजागर किया गया है। 26 मिनट की इस शॉर्ट फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं के पास पैड का विकल्प न होने के कारण वो बीमारियाँ की चपेट में आ जाती हैं और मासिक धर्म उनकी मौत का कारण बनता है। साथ ही छोटी बच्चियों को कैसे इस दौरान स्कूल जाने में दिक्कत होती है, जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ता है।

इस फिल्म की कहानी हापुड़ में स्थित गाँव की महिलाओं पर केंद्रित है। जिन्हें पैड की सुविधा उपलब्ध नहीं है और उपर्युक्त परेशानियों से उन्हें गुजरना पड़ रहा है। इन परेशानियों को मद्देनजर नजर रखते हुए वहाँ एक पैड मशीन लगाई जाती है, जिसके बाद से महिलाओं को पैड के बारे में पता भी चलता है और वह उसे स्वयं बनाने का फैसला भी करती हैं।

हालाँकि कुछ रूढ़िवादी लोगों द्वारा इस पर आपत्ति जताई जाती है, लेकिन महिलाएँ अपने इरादे से पीछे नहीं हटतीं और परेशानियों का डटकर सामना करती हैं। पैड निर्माण के इस प्रोजेक्ट को विदेश से भी सहायता मिलती है। गाँव में बनने वाली इस सैनिटरी नैपकिन को फ्लाई (Fly) का नाम दिया जाता है। जो दर्शाता है कि सैनिटरी पैड्स के साथ ही महिलाओं को मासिक धर्म से होने वाली परेशानियों से आजादी मिलती है और वो खुल कर बुलंदियों को हासिल कर सकती हैं।

गुनीत मोंगा द्वारा प्रोड्यूस की गई इस फिल्म का ऑस्कर में बेस्ट डॉक्युमेंट्री शॉर्ट कैटिगरी अवॉर्ड के लिए ‘ब्लैक शीप’, ‘एंड गेम’, ‘लाइफबोट’ और ‘अ नाइट ऐट दी गार्डन’ फिल्मों से मुकाबला था। लेकिन सबको पछाड़ते हुए उनकी इस फिल्म ने अवार्ड अपने नाम किया। बता दें कि इससे पहले गुनीत ‘लंच बॉक्स’ और ‘मसान’ जैसी फिल्मों को भी प्रोड्यूस कर चुकी हैं।

भारत सख़्त, इमरान पस्त: शांति के लिए PM मोदी से एक और मौक़े की लगाई गुहार

भारत द्वारा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान को चहुँओर घेरने के प्रयासों के बाद पाकिस्तान के तेवर ढीले पड़ते दिख रहे हैं। सुरक्षा परिषद द्वारा आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का नाम लेकर उसकी निंदा करने से लेकर FATF (फाइनेंसियल एक्शन टास्क फाॅर्स) द्वारा पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में बरकरार रखने तक- पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक के बाद एक झटके लग रहे हैं। कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती ने भी पाकिस्तान को घुटनों पर ला खड़ा किया है। ऐसे में, वहाँ के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान के तेवर भी अब ढीले पड़ते दिख रहे हैं। उन्होंने भारत से एक मौक़ा और देने की बात कही है।

पुलवामा में हुए आतंकी हमले में 40 भारतीय जवान वीरगति को प्राप्त हो गए थे। उसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दोषियों को न छोड़ने की बात कह भारतीय रुख को स्पष्ट कर दिया था। हाल ही में राजस्थान के टोंक में पाक पीएम इमरान ख़ान के बारे में बोलते हुए मोदी ने कहा था:

“जब पाकिस्तान को नया पीएम मिला तो मैंने उन्हें बधाई दी। जनता उन्हें क्रिकेटर के तौर पर जानती है। मैंने उनसे कहा था कि भारत और पाकिस्तान के बीच बहुत लड़ाई हो गई। पाकिस्तान को कभी कुछ नहीं मिला, हर लड़ाई हमने जीती। मैंने उन्हें बताया कि हमें ग़रीबी और अशिक्षा के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़नी चाहिए। उन्होंने (इमरान ख़ान) कहा- ‘मोदी जी मैं पठान का बेटा हूँ। मैं सच बोलता हूँ और अपने शब्दों पर कायम रहूंगा। अब वक्त आ गया है कि इमरान खान अपने शब्दों पर खरे उतरें। आतंकी संगठनों पर कार्रवाई करनी चाहिए।”

मोदी के इस बयान का जवाब देते हुए इमरान ख़ान ने पुलवामा हमले से जुड़े सबूत की माँग की है और कहा है कि अगर भारत ‘कार्रवाई करने योग्य’ सबूत देता है तो वह उपयुक्त क़दम उठाएँगे। इमरान ख़ान के कार्यालय की तरफ से जारी बयान में सबूत मिलने पर तत्काल कार्रवाई की बात कही गई है। विगत गुरुवार (फरवरी 19, 2019) को भी ख़ान ने भारत से सबूतों की माँग की थी। साथ ही उन्होंने भारत द्वारा किसी भी कार्रवाई का कड़ा प्रत्युत्तर देने की धमकी भी दी थी। रविवार (फरवरी 24, 2019) को इमरान ख़ान ने अपने बयान में कहा:

“दिसंबर 2015 में पीएम मोदी के साथ मेरी बैठक में, हम एक-दूसरे से इस बात पर सहमत हुए थे कि ग़रीबी उन्मूलन हमारे क्षेत्र के लिए एक प्राथमिकता है। हम किसी भी आतंकवादी घटना द्वारा शांति प्रयासों को पटरी से उतारने की उनकी योजना को सफल नहीं होने देंगे। हालाँकि, पुलवामा से बहुत पहले, ये प्रयास सितंबर 2018 में पटरी से उतर गए थे।”

उधर पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद क़ुरैशी ने भारत को धमकी देते हुए अपने रुख में बदलाव करने को कहा है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र को भी पत्र लिख कर हस्तक्षेप की माँग की है। क़ुरैशी ने गीदड़-भभकी देते हुए कहा कि भारत पाकिस्तान पर बुरी नज़र न डाले। एक तरफ़ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान मोदी से एक और मौक़े की माँग कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ़ उनके विदेश मंत्री भारत को आँखें दिखा रहे हैं। इमरान ख़ान ने यह भी कहा कि भारत में आगामी आम चुनाव के कारण शांति की उम्मीद बहुत कम है।

बड़ी ख़बर | ज्यादा रिस्क, ज्यादा पैसा: अर्धसैनिक बलों के ‘जोख़िम व कठिनाई भत्ते’ में 78% की वृद्धि

केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के जवानों को कुछ ही दिनों के भीतर दूसरा तोहफ़ा दिया है। सरकार ने जम्मू-कश्मीर व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात केंद्रीय सशस्त्र बलों के जवानों को मिलने वाले ‘जोख़िम व कठिनाई भत्ता’ में 78% की भारी वृद्धि की है। निचले स्तर के अधिकारियों का भत्ता विशेष लाभ के साथ हर महीने ₹7,600 और उच्च अधिकारियों का भत्ता ₹8,100 तक बढ़ा दिया गया है। पुलवामा में हुए आतंकी हमले के 10 दिन बाद सरकार ने यह क़दम उठाया है।

इससे पहले केंद्र सरकार ने अर्धसैनिक बलों के श्रीनगर जाने-आने के लिए हवाई यात्रा की व्यवस्था करने का निर्णय लिया था। इस आदेश से अर्ध सैनिक बलों के 7,80,000 जवानों में से जिनकी पोस्टिंग जम्मू-कश्मीर में होगी, उन को लाभ होगा। इनमें कॉन्स्टेबल, हेड कॉन्स्टेबल और एएसआई से लेकर वे सभी अन्य कर्मी शामिल हैं, जिन्हें अब तक हवाई यात्रा करने का अधिकार नहीं था। अब कठिनाई व जोख़िम भत्ता बढ़ाने के साथ ही सरकार ने 2017 से लंबित इस निर्णय को अंततः हरी झंडी दे दी है।

ताज़ा फ़ैसले के अनुसार, इंस्पेक्टर रैंक तक के जवानों को मिलने वाले भत्ते को ₹9,700 से बढ़ाकर ₹17,300 कर दिया गया है जबकि अधिकारियों का भत्ता ₹16,900 से बढ़ाकर ₹25,000 कर दिया गया है। इस भत्ते की समीक्षा के लिए 2017 में ही केंद्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में एक समीति गठित की गई थी, लेकिन अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका था। इस भत्ते से उन सभी जवानों को फ़ायदा मिलेगा, जो कठिन परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी कर रहे हैं। इस से जम्मू-कश्मीर के 10 जिलों – बडगाम, पुलवामा, अनंतनाग, कुपवाड़ा, बारामुला, शोपियां, कुलगाम, गांडेरबल, बांदीपोड़ा और श्रीनगर में तैनात जवानों को फ़ायदा होगा।

कश्मीर के अलावा सुकमा, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और बस्तर (छत्तीसगढ़), लातेहार (झारखंड), गढ़चिरौली (महाराष्ट्र) और मल्कानगिरि (ओडिशा) जिले में तैनात जवान भी कठिनाई भत्ते में वृद्धि से लाभान्वित होंगे। ये सभी नक्सल प्रभावित क्षेत्र हैं, जहाँ जवानों को काफ़ी कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। सीआरपीएफ के अनुसार, इस फैसले से नक्सल प्रभावित राज्यों और जम्मू-कश्मीर में तैनात सीआरपीएफ के 88,000 से अधिक जवानों और अधिकारियों को फायदा मिलेगा।

मोदी ने धोए पाँव, लेकिन नहीं पिया चरणामृत: माओवंशी पत्रकार गिरोह


नमस्कार

मैं दल-हित चिंतक पत्रकार!

जैसे-जैसे चुनाव पास आते जाते हैं, नेता लोग विचित्र तरह के काम करने लगते हैं। वोटरों को रिझाने के लिए विकास से लेकर प्रकाश तक की बातें की जाती हैं। जाती से याद आया कि जाति की बात सिर्फ मैं करता हूँ क्योंकि मैं अकेला व्यक्ति हूँ जो चाँद पर रखे अमेरिकी झंडे से भी पूछ लेता हूँ कि ‘कौन जात हो’। क्योंकि जाति पर ही सारा खेला होता है। हें, हें, हें…

हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी जी, अब सम्मान देना पड़ रहा है क्योंकि 2019 के बाद अगर वो आ गए तो मैं गंगा नहाकर हिमालय निकल लूँगा, और उसमें मुझे कोई खट-पट नहीं चाहिए, ने जिम कॉर्बेट में मेरे रिपोर्टों के अनुसार 10-12 बार जैकेट बदल कर पूरा फोटो शूट कराया। पुलवामा हमला जिस दिन हुआ, उसी दिन ये भी हुआ। दिन बताऊँगा, लेकिन समय नहीं। वो इसलिए क्योंकि मैं चालाक पत्रकार हूँ तो बोलूँगा कम, छुपाऊँगा ज़्यादा ताकि समझने वाले समझ जाएँ, जो न समझे वो अनाड़ी हैं। 

हालाँकि, इस बात का खंडन किया गया तो मैंने विज्ञान का सहारा लेते हुए रॉ फ़ुटेज माँगा कि डिस्कवरी वाले दे दें। भले ही मुझे ज्ञान नहीं है उसे जाँचने का, फिर भी जाँचने की बात करते हुए कुछ नई बात ही सामने आ जाती कि उनके कोट का दाम कितना है, किसने सिला, कितने में सिला आदि। राॅ फ़ुटेज तो मैंने अमेरिकी चाँद मिशन पर भी माँगी थी, जो कि नहीं मिली। लेकिन मुझे क्या, उनका मसला वो जानें। 

ज़्यादा नहीं घुमाऊँगा क्योंकि आप लोग चैनल बदल लेंगे या अमित शाह आपके घरों की छत पर बैठकर मेरे चैनल का तार काट देगा। आजकल तो इसरो वालों से भी इनकी बनने लगी है, क्या पता सैटेलाइट से ही हमारा चैनल अंधेरे में कर देते होंगे! ये जो तंत्र होता है, वो इतना व्यापक है कि कुछ भी हो सकता है। आप लोगों को लगेगा कि मैं पगला गया हूँ। आप ऐसा सोचने को स्वतंत्र हैं, लेकिन मैं एक पत्रकार हूँ, मैं आवाज उठाता रहूँगा। 

अमित शाह भले ही चाणक्य नीति का प्रयोग करके, संघियों से मंत्र पढ़वाकर मेरे चैनल का सिग्नल बाधित कर दें लेकिन मुझे यूट्यूब के महान लोगों से मिलने से कोई नहीं रोक सकता। मैं इसी स्टूडियो से हर रोज ‘मेरी आवाज़ दबाई जा रही है’ चिल्लाकर बोलता रहूँगा, बिकॉज़… व्हाय एफिंग नॉट! अंग्रेज़ी का स्लैंग हमको भी आता है जी… हें, हें, हें…

ताजा ख़बर यह आई है कि मोदी जी ने स्वच्छता कर्मियों के पाँव प्रच्छालन किए, चरण वंदना की, और आशीर्वाद लिया। हमने जब अपने खोजी कैमरा क्रू और रिपोर्टरों को इसकी खोज-ख़बर लेने प्रयागराज भेजा, तब तक मोदी जी वहाँ से जा चुके थे। उसके बाद वेबसाइटों पर से स्वच्छता दूतों की तस्वीर निकाल कर, सॉल्ट न्यूज वालों से उनके चेहरे का मिलान करके, उन लोगों को कैरे-बाईन मैगजीन के ख़ुशमिज़ाज मशरफ़ से फोन करवाकर उनकी जाति पता करवाई। 

इन सबसे जो ख़ुलासे हुए वो चौंकाने वाले थे। जैसा कि हम जानते हैं कि सफ़ाई कर्मचारी स्वयं साफ नहीं रहते। साफ नहीं रहते का मतलब है वो गंदगी में रहते हैं। रहते हैं का मतलब है कि उन्हें वैसा रहना पसंद हैं, उनका जीवन वैसा ही है। अब किसी के सामान्य जीवन में मोदी जी जाकर पानी डाल आए। उन्हें घरों से निकाला गया होगा, और उनके मना करने के बावजूद कि पीएम से पाँव नहीं धुलवाना, उन्हें डीएम ने स्वयं मोदी के लिए तैयार कराया होगा। मेरे पास कोई सबूत नहीं है, लेकिन मुझे ऐसा ही लगता है। 

इतना दिन काम किए हैं मीडिया में, तो ये सब तो पता लगिए जाएगा न जी! हें, हें, हें…

खैर, कहानी यह है कि इन गरीब लोगों को इनके रूटीन लाइफ से बाहर लाकर, नहलाया गया, डिटॉल से इनके कीटाणु साफ किए गए और गंगा के पानी से शुद्ध करने के बाद, उन्हें पीएम के पास लाया गया। हमारे साथी अनाकोंडा पोस्ट के पत्रकारों ने बताया कि कम से कम बहत्तर लोगों ने उन्हें कहा कि ऐसा ही हुआ होगा। इसलिए हमारे पास न मानने के कोई विकल्प नहीं हैं। 

अब आप ही यह बताइए कि मोदी जी कब तक गाँधी की मूर्ति के पास पर झाड़ू चलाकर, लोगों को बाहर लोटा लेकर प्रकृति के क़रीब बैठने से, उनके अंधेरे में रहने की आदत से, उनके घरों में जबरदस्ती उतना भारी सिलिंडर लगवाकर उनके जीवन में गैस भरवाने की नई टेंशन देकर, उन्हें अपने तरीके से जीने से रोकते रहेंगे? 

आप तो मुझे यही बता दीजिए कि आपके भक्त गण बोलते रहते हैं कि मोदी सड़कों पर झाड़ू ही देता रहेगा क्या? वो तो एक प्रतीकात्मक बात है कि लोग आस-पास साफ रखें। मने ठीक है, इतना कॉमन सेंस हम सब में है कि प्रधानमंत्री झाड़ू नहीं देता, वो एक बार घुमा देता है ताकि लोग इन्सपायर होते रहें। अंग्रेज़ी आती है भाई! ऐसे क्या देख रहे हैं? 

तो जिस दलित का पाँव धोया था, उसके साथ एक दिन बिता लेते। उसके घर में बने शौचालय में पानी डाल देते, उनके हाथ में मिट्टी देकर हाथ धुलवा देते, चापाकल से पानी चला देते। अरे, ज़्यादा कहाँ बोल रहा हूँ, सब प्रतीकात्मक ही तो है। 

आखिर ये आदमी भारत के सामान्य नागरिकों को इतना परेशान क्यों करता है? आखिर विकास हो ही क्यों रहा है? सड़कें बनवाकर ये आदमी वोट ही तो लेना चाहता है! आखिर बिजली के नहीं होने से कौन से लोग मर रहे थे? किसी भी आधिकारिक सर्वेक्षण में ऐसा डेटा नहीं मिला है कि लोग बिजली के बिना मर रहे थे। लोटा लेकर बाहर जाते हुए आदमी को एकाध बार साँप-बिच्छू ने काटा हो, वो अलग बात है, लेकिन किसी की जान तो नहीं जा रही थी!

फिर ये शौचालय की नौटंकी किस लिए? अगर आप समझदार हैं, जो कि हिन्दी के पाठकों को मैं नहीं मानता, खासकर उन्हें जो टीवी देखते हैं, तो आपको पता चलेगा कि टॉयलेट वाली योजना कितना बड़ा षड्यंत्र है। भारत में अधिकतर लोग जिनके घरों में टॉयलेट नहीं है, वो गरीब हैं, वंचित हैं, दलित हैं, और शायद अल्पसंख्यक भी। इन लोगों की संख्या भारत की तीन चौथाई आबादी है। इतने लोग सुबह-सुबह किसी खेत में जाते होंगे, और वहाँ खाद बनाते होंगे, जिससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ती है।

किसानों की बात करने वाले मोदी जी का यही है असली चेहरा। खेतों से लोगों को वापस लौटा कर नीम कोटेड यूरिया बेच रहे हैं, जबकि पूरी दुनिया को पता है कि पेशाब में यूरिया होता है। आखिर इतने पैसों से खाद क्यों बनाना जबकि उससे शिक्षा या स्वास्थ्य पर ख़र्च किया जा सकता था? मैंने तो यह भी सुना है कि खाद से बम बनाया जाता है, कहीं आतंकियों के हाथ लग गया तो? आप देखिए कि तंत्र किस तरीके से आपको पागल बनाता है। 

ऊपर से जो बातें आपको लगती हैं कि जीवन बदल देगी, उसकी जड़ में रिलायंस और अदानी होते हैं। ऐसे दलितों के सर पर छत लाकर रख दिया प्रधानमंत्री आवास योजना से… वाह मोदी जी वाह, एक ही दिल है कितनी बार लूटोगे! लेकिन आपने सर पर छत रखकर उनके जीवन का जो एक मोटिवेशन था, जिसके लिए वो व्यक्ति मेहनत करता था, वो भी आपने छीन लिया। अब उसका घर तो बन गया, वो काम क्यों करेगा? 

एक पूरी पीढ़ी को नकारा बनाने की साज़िश है मोदी सरकार! आप ही सोचिए कि ग़रीबों के घरों में रोशनी लाकर ये कौन सा भला कर रहे हैं? बचपन में मैं एक कहानी पढ़ा करता था कि स्ट्रीट लैंप के नीचे बैठकर पढ़ते थे ईश्वर चंद्र विद्यासागर। लेकिन अब तो घर में ही बिजली ला दी, वैसी कहानियाँ अब कहाँ से आएँगी। विद्यासागर तो छोड़िए, कोई विद्यापोखर भी बन पाएगा क्या? और स्ट्रीट लाइट की बिजली तो बेकार ही चली जाएगी अगर कोई उसके नीचे नहीं पढ़ेगा तो। आप अंदाज़ा लगाइए कि पूरे भारत में कितने बिजली के खम्भे हैं जिस पर बल्ब है। आपको पता चलेगा कि घरों में बिजली लाकर कितने नौनिहालों को पढ़ने से वंचित किया जा रहा है। पोल के नीचे कोई पढ़ लेता तो बिजली का इस्तेमाल हो जाता, लेकिन मेरी सुनता ही कौन है! 

बिजली से जुड़ी ये बात ज़रूर है कि तीन घरों में बिजली नहीं पहुँची थी, जिस पर मैंने कुल चालीस मिनट का शो किया था। एक ज़िम्मेदार पत्रकार को इससे मतलब नहीं होना चाहिए कि 18,000 गाँवों में बिजली पहुँच गई। उसका उद्देश्य यही होना चाहिए कि अगर ऐसा हो भी गया हो तो तीन घरों के तार काटकर, अंधेरे में बैठे परिवार को दिखाकर, चालीस मिनट का शो कर लेना चाहिए। यही असली पत्रकारिता है, सरकार अच्छा काम करे, तो उसको किसी भी तरह से बुरा बताओ। फिर एंटी-एस्टैबलिशमेंट का तमग़ा लेकर चौड़े में घूमो। 

ये सब बहुत ही व्यवस्थित तरीके से हो रहा है जनाब। नदी तैरकर स्कूल जाते थे राजेन्द्र प्रसाद और आपने नदियों पर बना दिए पुल। न तो तैरने वाले रहे, न ही केवट जो राम को पार ले जाए! और राम का नाम तो आप सोते-जागते लेते रहते हैं। अगर आप थोड़ी मेहनत करें, थोड़े अख़बार आदि पढें, थोड़े हेडलाइन देखें, थोड़ें स्टिंग पर नज़र दौड़ाएँ तो पता चलेगा कि विकास की हर योजना के पीछे बच्चों से उनकी कल्पना, मज़दूरों से उनकी मेहनत, ग़रीबों से उनकी रोज़मर्रा की जीवनशैली और दलितों से उनका दलित होना छीना जा रहा है। 

एक तय तरीके से मज़दूरों के बच्चों को स्कूल भेजकर, मिड डे मील के ज़रिए, बेहतर भविष्य के बहाने उनके जीवन का एकलौता उद्देश्य – बाल मजदूरी, बाल विवाह, बच्चे, वयस्क मजदूरी, पलायन – से बहुत दूर किया जा रहा है। आखिर सारे लोग पढ़ ही लेंगे तो मजदूरी कौन करेगा? आने वाली सरकारों के लिए क्या हम रोहिंग्या से मजदूरी करवाएँगे? आप तो उनको भी आने नहीं दे रहे! ये साज़िश है देश के खिलाफ कि मज़दूर बचे ही नहीं, ताकि आने वाली सरकारें कोई भी ढाँचागत विकास न कर सके। फिर उनकी जगह मशीन आएँगी और नौकरियाँ खत्म हो जाएँगी। 

अगर यह आपातकाल नहीं है तो मैं नहीं जानता आपातकाल क्या है। जाते-जाते दलितों के पाँव धोने से याद आया कि संस्कृत के शब्द- प्रच्छालन, चरण और वंदना लिख देने से दलितों को सम्मान नहीं मिल जाता। दलितों का सम्मान सिर्फ वही कर सकता है जिसके पार्टी का अजेंडा उनका वोट पाने का रहा हो। आपका क्या है, आप तो इन लोगों में फ़र्क़ भी नहीं कर पाते। आपके लिए तो ‘सबका साथ, सबका विकास’ है, जबकि ‘कुछ का साथ, कुछ का विकास’, हार्वर्ड, ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज के पढें लोगों की कॉन्ग्रेस पार्टी का मुद्दा रहा है। 

इससे कई फ़ायदे हैं। जैसे कि सबका विकास अगर हो ही जाएगा तो नेता लोग करेंगे क्या? सबका साथ, सबका विकास का मतलब है कि आप विधायिका को खत्म कर देना चाहते हैं, सबका विकास हो जाने के बाद चिर-परिचित और अनंत काल से चली आ रही ‘गरीबी हटाओ’ जैसे कालजयी नारों पर वोट लेने वाली पार्टियों का क्या होगा? ये एक चाल है कि विधायिका की प्रासंगिकता खत्म कर दी जाए और लोग बार-बार आपको ही चुनें। 

आप वो व्यक्ति हैं जो लोकतंत्र की अवघारणा के खिलाफ है। दलितों को भी अगर आपने वही स्तर दे दिया जो सवर्णों को हासिल है तो फिर राजनीति किस बात की होगी? मायावती जी जैसी महिला नेत्रियों का क्या होगा? आप दलितों की चरण वंदना करते हैं! ये सब एक चाल है। 

खैर छोड़िए, मुझे पता है कि रामदेव की स्पॉन्सरशिप टीम को छोड़कर मेरा प्रोग्राम बहुत कम लोग ही देखते हैं। आप तो बस यही बता दीजिए कि दलितों का पैर धोने के बाद उस पानी को आपने पिया क्यों नहीं? वो तो चरणामृत है, पी लेते तो कौन सा बुरा हो जाता? ये बात और है कि आप अगर पी लेते तो मैं नया प्राइम टाइम कर देता कि लोग वोटों के लिए पैर धोकर पी रहे हैं। हें, हें, हें…

मोदी जी, हमारे जैसे पत्रकार लिक्विड ऑक्सीजन हैं, लिक्विड आपको जीने नहीं देगा, और ऑक्सीजन आपको मरने नहीं देगा! 

कॉन्ग्रेस की सोशल मीडिया टीम में पाकिस्तान के सदस्य हैं, BJP प्रवक्ता ने दिखाया स्क्रीनशॉट

कॉन्ग्रेसी खेमे से एक चौंकाने वाली ख़बर का ख़ुलासा हुआ है। बीजेपी के प्रवक्ता सुरेश नखुआ ने दावा किया है कि कॉन्ग्रेस द्वारा चलाए जा रहे एक व्हाट्सएप ग्रुप में पाकिस्तान के कई सदस्य मौजूद हैं। इस बात की पुष्टि के लिए नखुआ ने अपने ट्विटर हैंडल से एक स्क्रीनशॉट शेयर किया।

व्हाट्सएप ग्रुप का नाम इंडिया पॉलिटिकल नेटवर्क है। भाजपा नेता द्वारा पोस्ट किए गए स्क्रीनशॉट को देखकर यह स्पष्ट है कि ग्रुप की एडमिन हसीबा अमीन हैं, जो कॉन्ग्रेस पार्टी के सोशल मीडिया विभाग की राष्ट्रीय संयोजक हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान कॉन्ग्रेस के विज्ञापनों में यह चेहरा नज़र आता था। बता दें कि अमीन को अगस्त 2017 में सोशल मीडिया सेल में राहुल गाँधी द्वारा नियुक्त किया गया था। कॉन्ग्रेस में शामिल होने से पहले, अमीन एक NSUI सदस्य थी।

जैसा कि स्क्रीनशॉट में दिखाया गया है, कई कॉन्ग्रेस नेता भी व्हाट्सएप ग्रुप में जुड़े हुए हैं। अगर ग़ौर करने पर आपको इस ग्रुप के जो सदस्य हैं उनके साथ देश की कोड 92 से शुरू होने वाले कई फोन नंबर दिख जाएँगे। टेलीफोन नेटवर्क के लिए भारत का देश कोड 91 है, जबकि कोड 92 पाकिस्तान का है।

इसका मतलब है, पाकिस्तान के कई यूज़र्स कॉन्ग्रेस पार्टी के इस व्हाट्सएप ग्रुप का हिस्सा हैं, जो विभिन्न सोशल मीडिया साइट्स पर पोस्ट करने वाले सदस्यों को निर्देश देता है।

ऐसे समय में जब पुलवामा आतंकी हमले के बाद देश में पाकिस्तान विरोधी भावनाएँ सबसे ज़्यादा हैं, सोशल मीडिया पर अपने प्रचार-प्रसार के लिए पाकिस्तानी नागरिकों का इस्तेमाल करने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी इस आरोप से कैसे बचाव करेगी, ये देखने की बात है।

ऑपइंडिया ने व्हाट्सएप ग्रुप के स्क्रीनशॉट के बारे में सुरेश नखुआ से संपर्क किया। उन्होंने पुष्टि की कि स्क्रीनशॉट वास्तविक हैं और उन्होंने बताया कि उन्हें विश्वसनीय स्रोतों से ही यह स्क्रीनशॉट मिले हैं। जब उनसे पूछा गया कि क्या कॉन्ग्रेस स्क्रीनशॉट के नकली होने का दावा करती है, तो इस पर उन्होंने कहा कि अगर ऐसा होता है तो वह इस बात का सबूत दें कि ये स्क्रीनशॉट असली हैं या नकली? उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि भले ही कॉन्ग्रेस पार्टी उन पर फ़ेक इमेज का दावा कर मुक़दमा दायर करे, लेकिन वो इस बात को जानने में पीछे नहीं हटेंगे कि आख़िर सच क्या है और अपने पास मौजूद सभी सबूतों के साथ हर स्थिति का डटकर मुक़ाबला करेंगे।

सुरेश नखुआ ने कॉन्ग्रेस से पूछा है कि कॉन्ग्रेस इस बात का जवाब दे कि जिस व्हाट्सएप ग्रुप में कॉन्ग्रेस के पदाधिकारी प्रशासक और सदस्य मौजूद हैं वहाँ पाकिस्तानी नागरिक क्या कर रहे हैं?

इस बार के कुंभ को डिजिटल कुंभ के तौर पर भी याद किया जाएगा – PM मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गोरखपुर में जनता को संबोधित करने के बाद सीधे प्रयागराज पहुँचे। कुंभ मेले में प्रयागराज पहुँचने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (फरवरी 24, 2019) को पवित्र संगम में डुबकी लगाई।

एक दिवसीय दौरे पर प्रयागराज पहुँचे प्रधानमंत्री के साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान संगम किनारे पूजा अर्चना भी की।

इस बीच प्रधानमंत्री ने जनता को संबोधित किया इसकी कुछ मुख्य बातें इस प्रकार हैं:

  • प्रधानमंत्री ने स्वच्छ और सुरक्षित कुंभ के आयोजन में योगदान देने वाले स्वच्छता कर्मियों एवं सुरक्षाकर्मियों को सम्मानित किया। पीएम ने सफाईकर्मियों के पैर धोए और नीचे बैठकर काफी देर तक बातचीत की।
  • अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि प्रयाग की भूमि पर आकर अपने आप को धन्य महसूस कर रहा हूँ। इस बार संगम में पवित्र स्नान करने का अवसर मिला।
  • प्रयागराज का तप और तप के साथ इस नगरी का युगों पुराना नाता रहा है। कुंभ में हठ योगी, तप योगी और मंत्र योगी भी हैं और इनके साथ मेरे कर्मयोगी भी हैं।
  • ये कर्मयोगी वो लोग हैं जो दिन रात मेहनत कर कुंभ में सुविधा मुहैया कराए हैं। इन कर्मयोगियों में नाविक भी हैं। इन कर्मयोगियों में स्थानीय निवासी भी हैं। कुंभ के कर्मयोगियों में साफ सफाई से जुड़े कर्मचारी भी शामिल हैं। इन्होंने साफ सफाई को पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना दिया।
  • पीएम मोदी ने कहा कि कुंभ ऐसे समय में हो रहा है जब देश गाँधीजी की 150वीं जयंती मना रहा हैं। गांधीजी ने 100 साल पहले स्वच्छ कुंभ की इच्छा जताई थी।
  • प्रयागराज के सभी स्वच्छाग्रही पूरे देश के लिए प्रेरणा हैं। साफ सफाई की बात आती है तो माँ गंगा के निर्मलता की भी चर्चा होती है। इसका अनुभव में मैंने खुद आज किया। इतना निर्मलता गंगा जी में पहले कभी नहीं थी।
  • अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि मुझे सियोल में जो राशि मिली उसको मैंने अपने पास नहीं रखा, उसको नमामि गंगे को दे दिया। बतौर पीएम मुझे जो भी इनाम मिला मैंने माँ गंगा को समर्पित किया।
  • इस कुंभ में बहुत से काम पहली बार हुए हैं। पहली बार श्रद्धालुओं को अक्षय वट का दर्शन करने का मौका मिला। मुझे बताया गया है कि हर रोज लाखों श्रद्धालु ने इसके दर्शन किए। इस बार के कुंभ को डिजिटल कुंभ के तौर पर भी याद किया जाएगा।
  • कुंभ में यूपी पुलिस की भूमिका की भी तारीफ हो रही है। कुंभ मेले में सेवामित्रों ने सराहनीय काम किया। पीएम मोदी ने कुंभ के सफल आयोजन के लिए योगी सरकार को बधाई दी। उन्होंने कहा कि इस बार के कुंभ ने स्वच्छता का मजबूत संदेश दिया है।

पीएम ने प्रयाग दौरे के दौरान सफाईकर्मियों पैर धोए, चरण वंदना की, जानिए क्या रही उनकी प्रतिक्रिया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रयागराज पहुँचकर सामाजिक समरसता का अनोखा और दिल को छू लेने वाला संदेश देते हुए सफाईकर्मियों की चरण वंदना की। पीएम मोदी प्रयाग कुंभ में शिरकत करने के लिए गए हुए हैं। गंगा स्नान और आरती के बाद उन्होंने सफाईकर्मियों के पैर धोए और उनको नमन किया। साथ ही, स्वच्छता कर्मियों, स्वच्छाग्रहियों व सुरक्षाकर्मियों को सम्मानित किया।

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स्वच्छता कर्मियों में पीएम मोदी द्वारा दिये गए इस सम्मान से बहुत उत्साह है। अपनी प्रतिक्रिया में सफाई कर्मियों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने खुद उनके पैर धोकर उन्हें सम्मान दिया है। इस वीडियो में एक सफाई कर्मी का कहना है, “प्रधानमंत्री ने खुद हमारे पाँव धोए, हमें प्रणाम किया और हमारा मान बढ़ाया। हमने कभी सोचा नहीं था कि हम लोगों को कोई इस तरह मान-सम्मान देगा।” उन्होंने बताया कि वो संगम में सफाई व्यस्था का काम देखते हैं।

स्वच्छता दूत प्यारेलाल का कहना है, “जिस तरह मौत का पता नहीं होता, उसी तरह पीएम मोदी हमारे पाँव धोएँगे यह हमें पता नहीं था।”

इस मौके पर उन्होंने कहा कि कुंभ की पहचान स्वच्छता से हुई है और स्वयं महात्मा गाँधी ने 100 साल पहले स्वच्छ कुंभ की इच्छा जताई थी, जब वह हरिद्वार कुंभ में गए थे।

अपने सहज व्यक्तित्व के कारण लोगों से घुलने-मिलने में नरेंद्र मोदी को परेशानी नहीं होती है और शायद यही वजह है कि देश के वंचित वर्ग के लोगों से उन्हें बहुत स्नेह मिलता है।

कॉन्ग्रेस के सहयोगी महान दल का ‘तौबा-तौबा’ मोमेंट, छलका पाकिस्तान प्रेम

महान दल ने कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन किया है। पार्टी के अध्यक्ष आज एक जनसभा को संबोधित कर रहे थे। वहाँ उन्होंने जो कहा, वो कॉन्ग्रेस के गठबंधन और पार्टी के पाकिस्तान की तरफ के झुकाव पर और भी प्रकाश डालता है। आज ही एक ख़बर आई कि कॉन्ग्रेस के सोशल मीडिया टीम में पाकिस्तान के लोग भी हैं।

महान दल के अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने अपनी पार्टी की कॉन्ग्रेस के लिए प्रतिबद्धता दिखाते हुए प्रत्याशियों के गुणों को नकार कर, आँख मूँदकर कॉन्ग्रेस के प्रत्याशियों को वोट करने कहा, चाहे वो पाकिस्तान से ही क्यों न आए हों।

उन्होंने कहा, “प्रत्याशी मत देखना। क्या देख कर वोट देख कर वोट दोगे? हाथ का पंजा देख लेना, उसी को वोट देना। प्रत्याशी कोई भी हो, अच्छा हो, बुरा हो, खराब हो, बाहर का हो, भीतर का हो, पाकिस्तान से भी आकर लड़े, महान दल के कार्यकर्ताओं को कोई ऐतराज़ नहीं होगा।”