Friday, October 4, 2024
Home Blog Page 5481

ज़ल्द ही भारतीय जवान करेंगे अत्याधुनिक अमेरिकी असॉल्ट राइफ़ल का इस्तेमालः रक्षा मंत्रालय

चीन और पाकिस्तान सीमा पर तैनात सेना के जवान अब अत्याधुनिक हथियारों का इस्तेमाल कर सकेंगे। दरअसल, रक्षा मंत्रालय ने सेना में आधुनिकीकरण को लेकर एक अहम फै़सला लिया है। सरकार ने अमेरिका से करीब 73,000 अत्याधुनिक राइफ़लें ख़रीदने को मंजू़री दे दी है। बता दें कि राइफ़लों की ख़रीद का ये प्रस्ताव लंबे समय से अटका हुआ था। रिपोर्ट की मानें तो इसका इस्तेमाल क़रीब 3,600 किलोमीटर लंबी सीमा पर तैनात जवान करेंगे।

यूरोपीय देशों में हो रहा है इस राइफ़ल का इस्तेमाल

बता दें कि, अमेरिकी सुरक्षा बल अत्याधुनिक असॉल्ट राइफ़ल प्रयोग करते हैं, साथ ही कई अन्य यूरोपीय देश भी इन राइफ़लों का इस्तेमाल सुरक्षा के लिए कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो यह अनुबंध एक सप्ताह में तय हो सकता है। अमेरिकी कंपनी को सौदा तय होने की तारीख से 1 साल के अंदर इन राइफ़लों को भारत भेजना होगा। अमेरिका द्वारा निर्मित ये राइफ़लें इंसास राइफ़लों का स्थान लेंगी।

बता दें कि, अक्टूबर 2017 में सेना ने क़रीब 7 लाख राइफ़लों, 44,000 लाइट मशीन गन और क़रीब 44,600 कार्बाइन को खरीदने की प्रक्रिया शुरू की थी। जिसके बाद लगभग18 महीने पहले सेना ने स्वदेशी असॉल्ट राइफल का फायरिंग टेस्ट करते हुए उसे फेल कर दिया था। इसके बाद सेना ने विदेशी कंपनियों से राइफ़लें ख़रीदने की माँग की थी।

दौपद्री वस्त्रहरण का पोस्टर लगवाने वाले कॉन्ग्रेसी नेता बताएँगे कि ‘महिला सशक्तिकरण’ क्या है?

मोदी सरकार के अंतरिम बजट में महिला सशक्तिकरण पर कॉन्ग्रेस के नेताओं की प्रतिक्रिया देश की महिलाओं के प्रति उनके वास्तविक रवैए को बताता है। यह बताता है कि किस तरह से विपक्ष में रहकर अच्छे कामों को कोसना चाहिए। बजट के बाद तमाम कॉन्ग्रेसी नेताओं ने ‘महिला सशक्तिकरण’ को लेकर अपने हिसाब से बिना सिर-पैर के सरकार पर निशाना साधा। महाराष्ट्र कॉन्ग्रेस के पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयंत पाटिल ने कहा कि मोदी सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कुछ नहीं किया है।

इन्हें नहीं लगता है कि सरकार के बजट में ‘उज्ज्वला योजना’ के तहत ₹30 करोड़ की वृद्धि से देश की महिलाएँ सशक्त होंगी। क्योंकि यह मुद्दा तो गैस चूल्हे से जुड़ा है। इन्हें यह भी नहीं पता है कि ‘राष्ट्रीय क्रेच योजना’ में सरकार ने ₹20 करोड़, महिला शक्ति केंद्रों की योजना में ₹35 करोड़, विधवा घरों के लिए ₹7 करोड़ की वृद्धि की है।

इसके बाद भी इनको सरकार की ‘महिला सशक्तिकरण’ को लेकर किया जा रहा प्रयास नहीं दिख रहा है, क्योंकि ये विपक्ष में हैं और इस लिहाज़ से आलोचना करना इनका जन्म-सिद्ध अधिकार है। सवाल उठता है कि जिस सरकार ने आने वाले तीन-चार महीने के बजट में महिलाओं के लिए इतना कुछ किया उसको लेकर वह कॉन्ग्रेस कैसे ताने दे सकती है जिसने 60 सालों तक देश में राज किया हो?

शायद इस बात को यूपी कॉन्ग्रेस के प्रवक्ता अंशु अवस्थी भी भूल गए, तभी उन्होंने भी आँख बंद करते हुए कह दिया कि मोदी सरकार महिलाओं के सशक्तिकरण को लेकर गंभीर नहीं है। जबकि सरकार ने महिलाओं की सशक्तिकरण को बजट में पूरी वैल्यू दी।

बजट में इस बार सरकार ने 2019-20 में ‘महिला सुरक्षा’ और ‘सशक्तिकरण मिशन’ के लिए
1330 करोड़ आवंटित किए हैं। इसके अलावा सरकार ने ‘प्रधानमंत्री मातृत्व योजना’ के तहत महिलाओं की मैटरनिटी लीव 12 हफ़्ते से बढ़ाकर मातृत्व अवकाश की अवधि को 26 हफ़्ते कर दिया है। सरकार के इन तमाम प्रयासों के बावजूद भी कॉन्ग्रेस के इन नेताओं को लगता है कि सरकार महिलाओं को लेकर गंभीर नहीं है। सही मायने में इनके लिए महिला सशक्तिकरण के मायने अलग हैं।

तेलंगाना में वस्त्रहरण का पोस्टर लगाकर किया गया महिलाओं का अपमान

दरअसल, सरकार के बजट में नुक्स निकालने वाले कॉन्ग्रेसी नेताओं के लिए महिलाओं का अपमान करना ही उनका सशक्तिकरण है। तभी तो तेलंगाना में इनके द्वारा चुनाव आयोग पर निशाना साधने के लिए एक पोस्टर लगाया जाता है, जिसमें दौपद्री का वस्त्रहरण किया जा रहा था। पोस्टर के माध्यम से तेलंगाना में लोकतंत्र को द्रौपदी और धृतराष्ट्र को चुनाव आयोग के रूप में कॉन्ग्रेस द्वारा प्रदर्शित किया गया था।

अब आप इनके ‘महिला सशक्तिकरण’ की सोच को इस पोस्टर लगाने के आधार पर अंदर तक आसानी से समझ सकते हैं, क्योंकि यही वो पार्टी है जिसने ऐसी हरक़त करते हुए हिंदू-मुस्लिम महिलाओं का न सिर्फ़ अपमान किया बल्कि, महिलाओं के प्रति अपनी सोच को भी उजागर किया।

महिला से अभद्रता करने वाले कॉन्ग्रेस के पूर्व सीएम कैसे समझ सकते हैं महिला सशक्तिकरण?

बीते दिनों कर्नाटक के पूर्व सीएम और कॉन्ग्रेसी नेता सिद्धारमैया का एक महिला से अभद्रता करने का मामला सामने आया था। जिसमें वो केवल इस बात को लेकर महिला से अभद्रता कर बैठते हैं क्योंकि उन्हें अपने बेटे के ख़िलाफ़ कुछ भी सुनना अच्छा नहीं लगता है। दरअसल, मामला सिर्फ़ इतना था कि महिला ने सीएम के विधायक बेटे की शिक़ायत लेकर उनके पास पहुँची थी। इस पर सिद्धारमैया ने महिला से न सिर्फ़ अभद्रतापूर्ण व्यवहार किया बल्कि हाथापाई के दौरान उस महिला से माइक तक छीन लिया। इस हाथापाई में उक्त महिला का दुपट्टा तक सिद्धरमैया के हाथों से गिर गया और अपने इस कृत्य के लिए उन्होंने माफ़ी माँगना तक उचित नहीं समझा।

ऐसे में यह सवाल उठना लाज़मी बन पड़ता है कि अगर सीएम जैसे पद पर रह चुके कॉन्ग्रेसी नेताओं का व्यवहार इस क़दर ज़मीन छूता है, तो सोचिए छुट-भइए नेता महिलाओं के बारे में क्या सोच रखते होंगे? कहते हैं देखने वाले को पत्थर में भी ईश्वर दिख जाता है और न देखने वालों के लिए वह महज़ एक पत्थर ही होता है। ठीक वैसी ही स्थिति कॉन्ग्रेसी नेताओं की है जिन्हें मोदी सरकार के बजट में महिलाओं की सुविधाओं से संबंधित योजनाएँ और व्यवस्थाएँ नज़र नहीं आती।


1983 बैच के IPS अधिकारी ऋषि शुक्ला बने नए CBI निदेशक

केंद्र सरकार ने आज (2 फरवरी 2019) ऋषि कुमार शुक्ला को केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) का नया निदेशक नियुक्त कर दिया है। ऋषि कुमार मध्य प्रदेश काडर के 1983 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी नियुक्ति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चस्तरीय चयन समिति की पिछले नौ दिनों में दो बार हुई बैठक के बाद की गई।

1983 बैच के मध्य प्रदेश काडर के आईपीएस अधिकारी फिलहाल मध्य प्रदेश पुलिस आवास निगम के अध्यक्ष हैं। बता दें कि ऋषि शुक्ला, आलोक वर्मा का स्थान लेंगे, जिन्हें 10 जनवरी 2019 को पद से हटा दिया गया था।

आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा की गई बैठकों में 1983-85 बैचों से संबंधित 80 योग्य अधिकारियों में से 30 आईपीएस अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इनमें से जिन पाँच के नाम पर विचार किया जा रहा था उनमें मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला (1983 बैच), सीआरपीएफ प्रमुख आर आर भटनागर (1984 यूपी), एनएसजी प्रमुख सुदीप लखटकिया (1984 यूपी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक जावेद अहमद (1985 यूपी) और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के प्रमुख महेश्वरी (1984 यूपी) शामिल थे।

चंद्रबाबू नायडू ने BJP विधायकों को आंध्र में आगे न बढ़ने देने की दी धमकी

शुक्रवार (1 फरवरी 2019) को विधानसभा में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपना आपा खो दिया और बीजेपी विधायकों को धमकी तक दे डाली। जानकारी के मुताबिक़ चंद्रबाबू नायडू ने बीजेपी विधायकों को धमकी दी और कहा कि अगर वो राज्य के साथ हुए अन्याय में केंद्र सरकार का साथ देंगे तो आंध्र प्रदेश में उन्हें ‘स्वतंत्र रूप से’ आगे नहीं बढ़ने दिया जाएगा।

चंद्रबाबू नायडू की नाराज़गी बीजेपी नेता पी विष्णु कुमार राजू से है जब वो राज्य में स्वीकृत विभिन्न केंद्रीय संस्थानों की सूची बना रहे थे। नायडू का आरोप है कि बीजेपी नेता ने उन सभी संस्थानों को सूची से बाहर कर दिया था जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा आंध्र प्रदेश के लिए मंज़ूरी मिल गई थी।

नायडू ने तल्ख अंदाज़ में कहा कि भगवा पार्टी के सदस्यों को शर्म नहीं आ रही है और केंद्र को समर्थन देने के बावजूद राज्य के साथ घोर अन्याय हो रहा है। राज्य के विकास के लिए उनकी कोई प्रतिबद्धता नज़र नहीं आती। नायडू ने पी विष्णु कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि वो जन प्रतिनिधि होने के लिए अयोग्य हैं। नायडू ने पूछा, ”आख़िर वो पैसा किसका है? एक नए राज्य के लिए, केंद्र को सभी संस्थानों को पैसा देना चाहिए। मुझे बताएँ कि हैदराबाद, दिल्ली, तमिलनाडु और गुजरात में कितने संस्थान हैं। उनकी तुलना करो। क्या आप तमाशा कर रहे हैं? इसके बाद नायडू ने कहा कि मेरा ख़ून उबल रहा है।”

कथित तौर पर, जब बीजेपी विधायकों ने उनकी टिप्पणी पर आपत्तियाँ जताईं, तो नायडू ने कहा, “आपकी आपत्तियों की परवाह कौन करता है?”

इसके बाद एक अनोखे अंदाज़ में नायडू ने कहा कि वह अमेरिकी नेताओं बिल क्लिंटन और हिलेरी क्लिंटन को नाम से बुलाते हैं, लेकिन उन्होंने पीएम मोदी को ‘सर’ कहकर संबोधित किया, बावजूद इसके कि प्रधानमंत्री उनसे उम्र में छोटे हैं।

उन्होंने कहा कि वह राज्य के लिए न्याय की माँग करेंगे और इसके लिए वो आगामी 11 फरवरी को एक ‘दीक्षा’ आयोजित करेंगे।

यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि चंद्रबाबू नायडू का यह रूप तब सामने आया जब उन्हें लोकतंत्र के संरक्षण और फासीवादी ताक़तों को हराने से संबंधित बताया गया। पश्चिम बंगाल में आयोजित, यूनाइटेड इंडिया की रैली के दौरान नायडू ने दावा किया था कि नरेंद्र मोदी देश की लोकतांत्रिक भावना को नष्ट कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री मोदी पर “फासीवादी” आरोप लगाने वाले ख़ुद फासीवादी हैं, इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। यहाँ तक ​​कि ममता बनर्जी जिनके शासनकाल में पश्चिम बंगाल राज्य में लोकतंत्र के संरक्षण को लेकर बीजेपी कार्यकर्ताओं की बड़े स्तर पर राजनीतिक हत्याएँ हुई हैं।

ग्राउंड रिपोर्ट #1: मोदी सरकार के काम-काज के बारे में क्या सोचते हैं बनारसी लोग?

प्रधानमंत्री चुने जाने के बाद नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में कहा था, “माँ गंगा की सेवा करना मेरे भाग्य में है।” यही नहीं न्यूयॉर्क के मैडिसन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने गंगा के प्रति अपनी चिंता प्रकट करते हुए कहा था, “अगर हम गंगा को साफ़ करने में क़ामयाब हो जाते हैं तो इससे देश की 40 प्रतिशत आबादी के लिए एक बड़ी मदद होगी।”

प्रधानमंत्री के पद पर बैठने के कुछ ही समय बाद नरेंद्र मोदी ने जून 2014 में गंगा को पुनर्जीवित करने के लिए महत्वाकांक्षी ‘नमामि गंगे’ परियोजना को प्रारंभ किया। सरकार बनने के बाद अपने पहले ही बजट में मोदी सरकार ने 2037 करोड़ ‘नमामि गंगे‘ परियोजना के लिए स्वीकार किया था। इसके साथ ही अगले पाँच सालों में गंगा की सफ़ाई के लिए 20 हजार करोड़ रूपए खर्च करने की मंजूरी सरकार द्वारा दी गई थी।

सरकार की गंगा के प्रति गंभीरता का पता इसी बात से चलता है कि इस महत्वाकांक्षी परियोजना के लिए मोदी सरकार ने अलग से एक मंत्रालय ही बना दिया है। ‘नमामि गंगे’ योजना पर सरकार की गंभीरता और विपक्ष के आरोप प्रत्यारोप के बीच ऑपइंडिया के रिपोर्टर ने ग्राउंड पर जाकर हक़ीक़त जानने की कोशिश की। वाराणसी व प्रयागराज के इस ग्राउंड रिपोर्ट को आप तीन खंडों में पढ़ पाएंगे। इसका पहला हिस्सा आप यहाँ पढ़ रहे हैं।

बाबतपुर हवाई अड्डे से बाहर आते हुए अंग्रेज़ीदाँ लोग, फर्श पर बिछे कालीन व एयर पोर्ट की चकाचौंध को देखकर एक पल के लिए मुझे भरोसा ही नहीं हो रहा था कि मैं बिस्मिल्ला ख़ान के बनारस में हूँ। लेकिन जैसे ही मैं हवाई अड्डे से बाहर निकलकर पार्किंग की तरफ़ बढ़ने लगा दीवारों पर लगी पान की पीक और बनारसी लोगों के अल्हड़ अंदाज़ को देखकर मुझे अहसास हो गया कि मैं सच में मस्तमौला बनारसी लोगों के बीच पहुँच गया हूँ।

आज से दो साल पहले के जिस बनारस को हमने देखा था, वो और आज के बनारस में बहुत फर्क़ आ गया है। हालाँकि, यह बात अलग है कि अंधरा पुल के संकरे रास्ते से गुजरते हुए आज भी हमें जाम का सामना करना पड़ता है, लेकिन कुछ ही समय बाद शहर की चमचमाते सड़कों पर एक्सलेटर दबाकर गाना गुनगुनाते हुए ड्राइवर जाम में लगने वाले समय को मैनेज कर लेता है।

होटल में थोड़ा आराम करने के बाद काशीनाथ सिंह की किताबों में वाराणसी के जिस अस्सी घाट को पढ़ा था, उसे देखने के लिए मैं अपने साथियों के साथ अस्सी घाट पर पहुँच गया। शाम के समय अस्सी घाट पर बैठकर दूर क्षितिज पर डूबते सूर्य को देखना निश्चित रुप से मेरे अंदर एक सकारात्मक उर्जा का संचार कर रहा था।

मेरे नजदीक बैठा एक आदमी मेरी ही तरह गंगा के उस छोर पर डूबते सूर्य के अलौकिक सौंदर्य को महसूस कर रहा था। कुछ ही देर में हमारी बातचीत शुरु हो गई फिर उसने बताया कि उसका नाम धीरेंद्र प्रताप है और वह बनारस के ही लंका क्षेत्र में रहते हैं।

वाराणसी के अस्सी घाट की सफाई तस्वीरों में देखी जा सकती है

धीरेंद्र ने ही मुझे बातचीत के दौरान देश की अध्यात्मिक और सांस्कृतिक नगरी वाराणसी के बारे में बताना शुरु कर दिया। उन्होंने बताया कि दरअसल वाराणसी का ही अपभ्रंश नाम बनारस है। धीरेंद्र के मुताबिक ‘वरूणा’ और ‘असि’ नाम की दो नदियाँ शहर से होकर बहती है, इसी वजह से इस शहर का नाम वाराणसी रखा गया है। यह बात अलग है कि गंगा से मिलने वाली यह दोनों ही नदि एक नाले का रुप ले चुकी है।

जब हमने धीरेंद्र से पूछा कि क्या मोदी जी के आने से बनारस में कुछ बदलाव हुआ है! इस सवाल के जवाब में धीरेंद्र कहते हैं कि आज जहाँ आप बैठे हैं पहले यहाँ चारों तरफ़ गंदगी का अंबार था, लेकिन अब आपको कहीं गंदगी नज़र नहीं आएगी। इसके साथ ही धीरेंद्र कहते हैं कि गंगा का पानी भी पहले की तुलना में अब काफ़ी साफ़ हुआ है। शहर के नाले की गंदगी को गंगा में गिरने से रोक दिया गया है। लेकिन जैसे ही हमने पूछा कि आप चुनाव में वोट किस पार्टी को करेंगे तो धीरेंद्र थोड़ा मुस्कराते हैं और फिर कहते हैं कि अभी मोदी को ही चांस मिलना चाहिए।

धीरेंद्र से बात करने के बाद हमने महसूस किया कि गंगा के उस पार सूर्यास्त होकर अंधेरा छा चुका है लेकिन अस्सी घाट पर शानदार लाइटिंग व्यवस्था की वजह से घाट जगमगा रहा है। धीरेंद्र ने बातचीत में मुझे बताया कि वो ब्राह्मण हैं। बनारस में ब्रह्मणों के ज्यादातर वोट मोदी के यहाँ से चुनाव लड़ने से पहले भी भाजपा के मुरली मनोहर जोशी को ही जाता रहा है।

ऐसे में धीरेंद्र से बात करने के बाद भले ही लोगों की राय जानने के लिए मेरी उत्सुकता बढ़ गई, लेकिन उनसे बात करने के बाद मुझे बहुत ज्यादा संतुष्टि नहीं मिली। इसीलिए मैंने कुछ और लोगों से बात करना उचित समझा।

धीरेंद्र के बाद मैंने घाट पर मौजूद मल्लाह जाति से ताल्लुक रखने वाले गोरखनाथ साहनी से बात करना उचित समझा। गोरखनाथ ने बताया कि ‘नमामि गंगे’ योजना ने काशी के साथ मेरी निजी जिंदगी को भी बदलकर रख दिया है। गोरख की मानें तो गंगा घाट की सफाई के बाद उनकी आमदनी तीन से चार गुणा अधिक हो गई है। पहले कम लोग अस्सी घाट की तरफ़ घूमने के लिए आते थे लेकिन जबसे घाट की सफ़ाई हुई है, घाट पर आने वाले लोगों की संख्या बढ़ गई है। गोरखनाथ से जब पूछा गया कि राहुल गाँधी  बोल रहे हैं, “मोदी चोर है।” इतना सुनते ही गोरखनाथ बोल उठते हैं कि ‘चोर के दाढ़ी में तिनका’ आपने सुना है। जो चोर होते हैं उन्हें दूसरे को चोर ही समझते हैं।

इसके साथ ही अखिलेश व मायावती के सवाल पर गोरखनाथ ने कहा कि अब जात-पात में समाज को बाँटने का समय नहीं रहा है। सीधी सी बात है कि इस सरकार ने मेरे हित में कुछ काम किया है इसलिए माँझी समाज के लोग मोदी जी को ही वोट करेंगे।

इसके बाद घाट पर ही गंगा आरती को देखते समय हमारी मुलाकात गोरखपुर के मदन मिश्रा और उनके परिवार से हुई। मदन जी के बजाय मैंने उनकी पत्नी क्षमा मिश्रा से बात करना ज्यादा उचित समझा। ऐसा इसलिए क्योंकि महिलाएँ सरकार के बारे में क्या सोच रही है, यह जानना बेहद जरूरी है।

Community awareness and cleanliness drive organised on Ganga Swacchta Sankalp Diwas at SultanGanj, Bihar
वाराणसी घाट पर गंगा में डुबकी लगाते लोग

क्षमा मिश्रा से जब हमने पूछा कि योगी और मोदी की जोड़ी उत्तर प्रदेश में काम कर रही है! इस सवाल के जवाब में क्षमा मिश्रा कहती है कि एक बच्चा को पैदा होने के बाद 20 साल तक पालना-पोसना होता है, तब दो दशक बाद आपके मेहनत का परिणाम दिखता है। मोदी सरकार को आए अभी बस 5 साल हुआ है, ऐसे में मोदी को अभी औऱ समय दिया जाना चाहिए। यदि हम मोदी को ओर कुछ समय देंगे तो फिर सारे विश्व में सिर्फ हम ही हम होंगे।

कॉन्ग्रेस पार्टी ने अभी हाल में प्रियंका गाँधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश के महासचिव की जिम्मेदारी दी है। यही नहीं गोरखपुर ओर बनारस से उनके चुनाव लड़ने की बात भी चारों तरफ सुनाई दे रही है। ऐसे में जब हमने क्षमा मिश्रा से इस संदर्भ में पूछा तो उन्होंने का ‘शेर के मुँह में चूहा’, इतना कहने के बाद थोड़ा ठहर कर क्षमा ने कहा कि जनता विकास चाहती है और मोदी के सामने प्रधानमंत्री पद के लिए कोई दूसरे जोर के उम्मीदवार नहीं हैं। ऐसे में इस बार भी मोदी को ही केंद्र सरकार के लिए चुना जाना चाहिए।

इस बातचीत के बाद अब हमलोग घाट से सीधे होटल के लिए निकल गए। कल सुबह मुझे वाराणसी के कुछ सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को देखने के लिए जाना था। ऐसे में हम आपको अपने ग्राउंड रिपोर्ट के अगले सीरिज में बताएंगे कि दो साल पहले और अभी के गंगा में क्या बदलाव हुआ है। सरकार के द्वारा शुरू की गई ‘नमामि गंगे योजना’ कितनी सफल या असफल हुई है। हजारों करोड़ खर्च के बाद जमीनी हकीकत क्या है?

मुलायम सिंह सरकार ने कारसेवकों को दफ़नाया, उनकी संख्या छिपाने के लिए रची साज़िश: REPUBLIC TV का खुलासा

रिपब्लिक टीवी के एक स्टिंग में चौकाने वाले खुलासे किए गए हैं। चैनेल के अनुसार 1990 में अयोध्या में मुलायम सिंह सरकार की पुलिस ने अनगिनत हिन्दू कारसेवकों को मौत के घाट उतार दिया था। स्टिंग में यहाँ तक दावा किया गया है कि मारे गए कारसेवकों का हिन्दू रीति से अंतिम संस्कार भी नहीं किया गया था बल्कि आँकड़े छिपाने के लिए उनको दफना दिया गया था।

स्टिंग के वीडियो में तत्कालीन जन्मभूमि थाना प्रभारी SHO वीर बहादुर सिंह को यह कहते सुना जा सकता है कि अधिकांश लोगों को दफ़न करने का आदेश दिया गया था। मारे गए कारसेवकों में से कुछ को ही जलाया गया था। उस समय की मुलायम सिंह सरकार ने बहुत कम कारसेवकों के मारे जाने का दावा करने का षड्यंत्र रचा था।

स्टिंग में यह भी कहा गया कि उस समय मुलायम सरकार ने साज़िशन केवल 16 कारसेवकों के मारे जाने का दावा किया था लेकिन यह संख्या सैकड़ों में थी। रिपब्लिक टीवी के अनुसार सरकार ने गलत संख्या बताने के लिए ही कुछ कारसेवकों को जलाने की बजाय दफना दिया था।

30 अक्टूबर और 2 नवम्बर 1990, आज़ादी के बाद के इतिहास कि वह दो काली तारीखें है, जब रामजन्मभूमि पर खड़े निहत्थे कारसेवकों पर सेक्युलर स्टेट ने गोली चलवाई थी।

2016 में मुलायम ने यह ख़ुद स्वीकार किया था कि कारसेवकों पर गोली चलवाना, मुस्लिमों की भावनाओं की रक्षा के लिए ज़रूरी था। हालाँकि उन्होंने बाद में यह भी कहा था, “मुझे अफ़सोस है कि मैंने कारसेवकों पर गोली चलाने का आदेश दिया।” मुलायम सिंह के अनुसार मुस्लिम अल्पसंख्यकों की रक्षा के लिए कारसेवकों पर गोली चलवाना ज़रूरी था इसलिए उस समय ऐसा करना पड़ा। मुलायम सिंह उस समय मुस्लिमों का भरोसा जीतना चाहते थे इसलिए उन्होंने ऐसा निर्णय लिया था।

पूर्वाग्रह से ग्रसित मीडिया का ये दृढ़ एजेंडा रहा है कि हिन्दुओं के प्रति जघन्य से जघन्य अत्याचार को भी छिपा ले जाने को अपनी महानता समझते हैं। कितना भयानक है कि जहाँ बुरी तरह से हिन्दुओं को मारा गया था, उस पर भी ये सभी तथाकथित स्वतंत्र पत्रकार मौन रहे। कमाल की बात ये है कि देश में ऐसे राजनेता आज भी सेक्युलरिज़्म के मसीहा बने हुए हैं।

12 साल की बच्ची पर मोहिउद्दीन ने पेट्रोल डालकर लगाई आग, 70% झुलसा शरीर

12 वर्ष की एक दलित बच्ची को 35 साल के मुस्लिम व्यक्ति ने आग की लपटों में झोंककर झुलसा दिया है। ये घटना आंध्र प्रदेश में कुरनूल जिले के कोथलम मंडल के बेदिनेहल गाँव की है। घटना के बाद पीड़िता की हालत अभी गंभीर बनी हुई है। पहले बच्ची को अडोनी के सामान्य अस्पताल में भर्ती कराया गया था फिर कुरनूल के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया। बता दें पीड़िता का शरीर लगभग 70 प्रतिशत तक झुलस चुका है।

पुलिस ने इस घटना के आरोपित की पहचान मोहिउद्दीन साहब नाम के शख़्स के रूप में की है। जो पिछले कई महीनों से लड़की का उत्पीड़न भी कर रहा था।

लड़की ने जब अपने साथ हो रहे उत्पीड़न के बारे में घर में बताया तो उसके माता-पिता ने मोहिउद्दीन को धमकाया कि वो उनकी बेटी से दूर रहे। इस बात का बदला लेने के लिए शनिवार (2 फरवरी 2019) को उसने बच्ची के ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा दी।

इस घटना पर अडोनी के सर्किल इंस्पेक्टर एम मुरली ने बताया है कि आरोपित एक विवाहित व्यक्ति है और चार बच्चों का पिता भी है। आरोपित के ऊपर कोथलम पुलिस स्टेशन द्वारा धारा 307 (हत्या का प्रयास), निर्भया अधिनियम और एससी-एसटी अत्याचार अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज कर लिया गया है।

अगले CBI निदेशक के लिए 5 नामों पर विचार कर रही है सरकार

शुक्रवार (फरवरी 1, 2019) को सीबीआई निदेशक की नियुक्ति पर प्रधानमंत्री मोदी की अगुवाई वाले चयन समिति ने 1983 और 1984 बैच के पाँच आईपीएस अधिकारियों के नाम पर अपनी सहमति बनाई है। शनिवार (फरवरी 2, 2019) को नए सीबीआई प्रमुख के नाम पर अंतिम निर्णय हो सकता है।

जानकारी के मुताबिक़ बैठक में 1983-85 बैचों से संबंधित 80 योग्य अधिकारियों में से 30 आईपीएस अधिकारियों को शॉर्टलिस्ट किया गया था। इनमें से जिन पाँच के नाम पर विचार किया जा रहा है उनमें मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी ऋषि कुमार शुक्ला (1983 बैच), सीआरपीएफ प्रमुख आर आर भटनागर (1984 यूपी), एनएसजी प्रमुख सुदीप लखटकिया (1984 यूपी), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ क्रिमिनोलॉजी एंड फॉरेंसिक साइंसेज के निदेशक जावेद अहमद (1985 यूपी) और पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो के प्रमुख महेश्वरी (1984 यूपी) शामिल हैं।

लोकसभा में कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने चयन प्रक्रिया पर आपत्ति दर्ज कराते हुए वरिष्ठता और अनुभव के आधार पर सरकार द्वारा पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया है।

हालाँकि नियुक्ति को अंतिम रूप देने के लिए समिति ने शनिवार को फिर से बैठक करने पर सहमति जताई है। पैनल अंतिम उम्मीदवार को मंज़ूरी देने के बाद जल्द ही शासनादेश जारी करेगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई प्रमुख नियुक्त करने में देरी पर नाराज़गी व्यक्त की है और सरकार से जल्द निर्णय लेने की उम्मीद की है।

मोदी की बंगाल रैली में भारी भीड़, हादसा टालने के लिए PM ने जल्दी समाप्त किया भाषण

प्रधानमंत्री का भाषण हो और लोग न जुटे ऐसा शायद ही कभी हुआ है। आमतौर पर प्रधानमंत्री अपने शानदार भाषणों के लिए विख्यात हैं। पश्चिम बंगाल में पीएम मोदी की रैली में आई अप्रत्याशित भीड़ ने बीजेपी के प्रति अपना समर्थन और ममता के प्रति नाराज़गी ज़ाहिर कर दी है। जिसका इज़हार प्रधानमंत्री ने यह कहकर किया, “अब उनका (ममता का) जाना तय है।” रैली में लगातार बढ़ती भीड़ से कोई अप्रत्याशित घटना न घट जाए इसलिए प्रधानमंत्री ने अपना भाषण थोड़े ही समय में समाप्त कर दिया।

चुनावी सरगर्मी के बीच आमतौर पर प्रधानमंत्री रैलियों में कई घंटों तक भाषण देते हैं लेकिन पश्चिम बंगाल के ठाकुरगढ़ में प्रधानमंत्री मोदी ने सिर्फ़ 14 मिनट का भाषण ही दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक दुर्गापुर की रैली में अप्रत्याशित भीड़ से स्थिति बेकाबू होने लगी। भीड़ इतनी ज्यादा थी कि प्रशासन के लिए संभालने में चुनौती बनता देख, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण को जल्दी ही समाप्त कर दिया।

बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ठाकुरगढ़ की रैली के साथ आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पश्चिम बंगाल में भाजपा के प्रचार अभियान की शुरुआत कर रहें थे। पीएम मोदी ने दुर्गापुर में 294 किलोमीटर लंबे अंदल-सैंथिया-पाकुर-मालदा रेलवे सेक्शन के इलेक्ट्रिफिकेशन को राष्ट्र को समर्पित किया।

रैली के दौरान अप्रत्याशित भीड़ को देखकर मोदी ने कहा, “यह दृश्य देखकर मुझे समझ आ रहा है कि दीदी हिंसा पर क्यों उतर आई हैं। यह आपका प्यार है कि लोकतंत्र के बचाव का नाटक करने वाले लोग लोकतंत्र की हत्या करने पर तुले हुए हैं।”  

पीएम मोदी ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा, “यह मैदान छोटा पड़ गया है। आप जहाँ हैं वहीं खड़े रहिए।” फिर उन्होंने भारत माता की जय के नारे लगवाए। रैली के दौरान पीएम मोदी ने कहा, “हम नागरिकता कानून लेकर आए हैं। हम चाहते हैं कि संसद में इसे पास करने दीजिए, हम अपने भाइयों और बहनों को इंसाफ दिलवाना चाहते हैं।” मोदी की सतर्कता बरतने के बाद भी कुछ लोग घायल हुए हैं। समय रहते प्रधानमंत्री ने अपना भाषण कम समय में इसलिए भी समाप्त कर दिया ताकि कोई बड़ा हादसा न घटित हो जाए।

पीएम मोदी ने कहा, “आपने देखा होगा कि अभी कुछ राज्यों में किसानों की कर्जमाफ़ी का ऐलान कर चुनाव जीता गया। सभी देख रहे हैं कि जिन्होंने कर्ज़ लिया ही नहीं, उनके भी कर्ज माफ़ हो रहे हैं। जिन्होंने लिया, उनके 2.5 लाख रुपए की जगह 13 रुपए कर्ज माफ़ हो रहे हैं, वह भी मध्य प्रदेश में।”

मोदी ने कहा कि हमारे देश में किसानों की कर्जमाफ़ी की बात करने वाले किसानों की आंखों में धूल झोंक रहे हैं। ये दस साल पर एक बार कर्जमाफ़ी कर उन्हें धोखा देते हैं।

प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि इस तरह से कर्जमाफ़ी का लाभ कुछ लोगों को ही मिल पाता था लेकिन अब कोई बिचौलिया नहीं होगा। अब आपको समझ आ रहा होगा कि मोदी बैंक खाता खुलवाने पर क्यों जोर दे रहा है।

बजट पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बजट तो एक शुरुआत है। चुनाव के बाद जब पूर्ण बजट आएगा तब किसानों, कामगारों की तस्वीर और भी बदल जाएगी।  

अमेरिका में वीज़ा घोटाले के आरोप में 129 भारतीय छात्र गिरफ़्तारः मदद में जुटा विदेश मंत्रालय

अमेरिका में ‘पे एंड स्टे यूनिवर्सिटी’ वीज़ा घोटाले में पुलिसकर्मियों ने 130 छात्रों को गिरफ़्तार किया है, जिसमें 129 भारतीय स्टूडेंट्स शामिल हैं। छात्रों की गिरफ़्तारी के बाद भारतीय विदेश मंत्रायल एक्टिव हो गया है। गिरफ़्तार किए गए छात्रों की मदद के लिए मंत्रालय ने 24/7 हॉटलाइन शुरू की है। मंत्रालय का कहना है कि छात्रों के साथ धोखा हो रहा है, उन्हें नहीं पता था कि विश्वविद्यालय अवैध तरीके से काम कर रहा था।

स्टूडेंट वीसा के गलत इस्तेमाल का आरोप

बताया जा रहा है की छात्र स्टूडेंट वीज़ा का गलत इस्तेमाल करके रह रहे थे और यहाँ कोई क्लास किए बिना उन्होंने यहाँ पैसा चुकाया है। दावा किया जा रहा है कि यह काम काफ़ी समय से चल रहा था जिसके बाद इसका भंडाफोड़ करने के लिए फार्मिगंटन नाम की एक फर्जी यूनिवर्सिटी बनाई गई। इसके बाद यहाँ एडमिशन भी लिए गए और बाद में वीज़ा की जाँच की गई तो फर्ज़ीवाड़ा सामने आया जिसके बाद छात्रों को गिरफ़्तार किया गया।

भारतीय विदेश मंत्रालय का कहना है कि गिरफ़्तार किए गए छात्रों को विश्वविद्यालय के फर्ज़ीवाड़े के बारे में जनाकारी नहीं थी। बता दें कि मंत्रालय ने छात्रों की गिरफ़्तारी पर भी सवाल खड़े किए हैं। वहीं अमेरिका के सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सभी छात्र जानबूझकर इस फर्ज़ीवाड़े में शामिल हुए। उन्हें पता था कि यहाँ कोई शैक्षणिक कार्यक्रम नहीं चलेंगे। उन्होंने कहा कि पूरे देश से ऐसा करने वालों को गिरफ़्तार किया जा रहा है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने जारी किया हॉटलाइन

मामला भारतीय छात्रों से जुड़ा होने के चलते विदेश मंत्रालय ने इसे गंभीरता से लिया है और छात्रों की मदद के लिए 24/7 हॉटलाइन शुरू की है। इसके तहत दो नंबर 202-322-1190 और 202-340-2590 को जारी किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय दूतावास के दो वरिष्ठ अधिकारी छात्रों की मदद के लिए चौबीस घंटे उपलब्ध रहेंगे। बता दें कि इसके अलावा एक ईमेल आईडी भी जारी की गई है जिसके ज़रिए गिरफ़्तार छात्र या उनके परिवार के सदस्य [email protected] पर दूतावास से संपर्क कर सकते हैं।