Thursday, October 3, 2024
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‘हिन्दू अमेरिकी’ के नाम पर टार्गेट करने वालों को सांसद तुलसी गबार्ड ने दिया जवाब

अमेरिका में 2020 में राष्ट्रपति चुनाव में अपनी दावेदारी पेश करने जा रहीं तुलसी गबार्ड ने उन आलोचकों को करारा जवाब दिया है, जिन्होंने उनपर हिंदू अमेरिकी होने का आरोप लगाया था। डेमोक्रैटिक पार्टी की सांसद तुलसी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मेरी मुलाकात को इस बात के साक्ष्य के लिए दर्शाया गया, जबकि किसी पीएम से मिलने वाले गैर हिंदू नेताओं पर कोई सवाल नहीं उठाया गया।

तुलसी ने कहा कि इससे पहले पीएम मोदी से राष्ट्रपति ओबामा, मंत्री (हिलेरी) क्लिंटन, राष्ट्रपति (डॉनल्ड ) ट्रंप और कॉन्ग्रेस के मेरे कई साथी मिल चुके हैं लेकिन उनको लेकर किसी ने कोई टिपप्णी नहीं की थी। यह दोहरे मापदंड को दर्शाता है। बता दें कि, 37 साल की तुलसी ने 2020 में राष्ट्रपति चुनाव लड़ने का फै़सला किया है, और ऐसा करने वाली वह अमेरिकी इतिहास में पहली हिंदू हैं।

अमेरिका कॉन्ग्रेस में चुनी गई पहली हिंदू महिला हैं तुलसी

बता दें कि तुलसी अमेरिकी कॉन्ग्रेस में चुनी जाने वाली न सिर्फ पहली हिन्दू महिला हैं बल्कि राष्ट्रपति की दावेदारी पेश करने वाली पहली हिंदू-अमेरिकी दावेदार भी हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू-अमेरिकी दावेदार होने का मुझे गर्व है।

बता दें कि, ‘रिलिजियस न्यूस सर्विसेज’ में एक संपादकीय में उनके, समर्थकों एवं दानकर्ताओं को टार्गेट करते हुए उन्हें हिंदू अमेरिकी बताया गया था। जिसपर उन्होंने कहा कि उनको, और उनके समर्थकों को, टार्गेट करते हुए ‘हिंदू अमेरिकी’ का टैग लगाया जा रहा है। उन्होंने पूछा कि क्या धर्म के आधार पर हमें बाँटना ठीक है? कल क्या किसी को यहूदी या मुस्लिम अमेरिकी कहना सही होगा? इन सभी बातों से केवल धार्मिक भेदभाव की ही बात सामने आती है।

‘राहुल को इस क़दर बेनक़ाब करूँगा कि वो लोगों को मुँह दिखाने के लायक नहीं रहेगा’

लोकसभा चुनाव से पहले ओडिशा में कॉन्ग्रेस पार्टी की नैय्या डूबती नज़र आ रही है। प्रदेश के मुख्यमंत्री ने कुछ दिनों पहले स्पष्ट कर दिया था कि लोकसभा चुनाव में बीजू जनता दल, कॉन्ग्रेस पार्टी के साथ मिलकर चुनाव नहीं लड़ेगी।

मुख्यमंत्री नवीन पटनायक द्वारा गठबंधन पर दिए गए बयान के बाद कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे वाला काम किया। गठबंधन से अलग होने के ऐलान के बाद राहुल ने चिटफंड घोटाले के बहाने ओडिशा के मुख्यमंत्री पर हमला किया।

राहुल गाँधी ने अपने बयान में कहा कि नवीन पटनायक प्रधानमंत्री मोदी द्वारा रिमोट कंट्रोल किए जा रहे हैं। जब इस मामले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से पत्रकारों ने सवाल किया तो उन्होंने राहुल के इस बयान पर सिर्फ़ दो शब्द ख़र्च करते हुए कहा – “बिल्कुल बकवास।”

ओडिशा में राहुल गाँधी की समस्या कम होने की बजाय और अधिक बढ़ती ही जा रही है। प्रियंका गाँधी को पूर्वी यूपी कॉन्ग्रेस महासचिव बनाए जाने के फ़ैसले ने भले ही हिंदी पट्टी के कॉन्ग्रेसी कार्यकर्ताओं में जोश भरा हो, लेकिन ओडिशा में इसका कोई भी असर देखने को नहीं मिल रहा है। यही वजह है कि एक के बाद एक कॉन्ग्रेस पार्टी के नेता अपना पाला बदल रहे हैं।

सोमवार को कॉन्ग्रेस पार्टी के पूर्व मंत्री श्रीकांत जेना ने राहुल गाँधी पर ज़ोरदार हमला करते हुए कहा कि वह राहुल को इस क़दर बेनक़ाब कर देंगे कि वो लोगों को मुँह दिखाने के लायक नहीं रह जाएँगे। श्रीकांत जेना ने राहुल गाँधी पर आरोप लगाते हुए कहा, “मैं ओडिशा में अवैध खनन, सामाजिक न्याय के मुद्दों पर राहुल गाँधी से उनका रुख़ जानना चाहता हूँ। वह कुछ कहते क्यों नहीं हैं? उन्हें स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि वह दोहरी बात कर रहे हैं।”

जानकारी के लिए आपको बता दें कि पिछले दिनों कॉन्ग्रेस पार्टी के ख़िलाफ़ आवाज उठाने की वजह से पूर्व विधायक कृष्णा चंद्र सागरिया के साथ श्रीकांत जेना को भी पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है।  

कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने बदला पाला

साल की शुरुआत में ही राहुल बाबा को तब झटका लगा जब उनकी पार्टी के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष नबा किशोर दास ने पार्टी छोड़कर बीजेडी ज्वॉइन कर ली। एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष होने के नाते राहुल गाँधी की असफलता की तौर पर नबा किशोर दास के इस फ़ैसले को देखा जाना चाहिए। ऐसा इसलिए नहीं क्योंकि कॉन्ग्रेस कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष ने पार्टी छोड़ा बल्कि इसलिए क्योंकि नबा किशोर दास ने पार्टी छोड़ते हुए कहा कि जनता चाहती है कि वो कॉन्ग्रेस की बजाय बीजेडी से चुनाव लड़े। नबा के इस बयान से साफ़ पता चलता है कि ओडिशा की जनता कॉन्ग्रेस को पसंद नहीं कर रही है।

पहले से कमज़ोर पार्टी की हालत और ख़स्ता हुई

ओडिशा में 147 विधानसभा सीट हैं। पिछले चुनाव में कॉन्ग्रेस सिर्फ़ 16 सीटों पर जीत दर्ज़ करा पाई थी। राज्य में लोकसभा की 21 सीटें हैं,कॉन्ग्रेस को इनमें से एक भी सीट नहीं मिली थी। इससे अंदाज़ा लगाना साफ़ है कि कॉन्ग्रेस पहले ही सरेंडर कर चुकी है। कॉन्ग्रेस से बाक़ी बची उम्मीद इसलिए मद्धिम हो रही हैं क्योंकि पिछले कुछ सालों में भाजपा मज़बूती से राज्य में उभरी है। ऐसे में जब कई विधायक पार्टी का साथ छोड़ चुके हैं ओडिशा में कॉन्ग्रेस की नैय्या अब डूबती ही नज़र आ रही है।

ग़रीब BJP विधायक को मिला जनता का साथ, पक्के मकान के लिए जनता ने दिया चंदा

मध्य प्रदेश में विजयपुर विधानसभा सीट के आदिवासी बीजेपी विधायक सीताराम का संघर्षपूर्ण जीवन किसी मिसाल से कम नहीं। आपको जानकर हैरानी होगी कि एक विधायक होने के बावजूद उनके सिर पर आज तक पक्की छत नहीं थी। वो अपनी पत्नी के साथ आज भी कच्चे मकान में ही रहते थे। आपको बता दें कि पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव में उन्होंने कॉन्ग्रेस के रामनिवास रावत को शिक़स्त दी थी। सीताराम इस सीट से लगातार तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं।

विधायक सीताराम को भले ही ग़रीबी के चलते कच्चे मकान में अपना गुजर-बसर करने में दिक़्कत ना हो, लेकिन उनका इस तरह की तंगी हालत में जीना उनके पड़ोसियों को बिल्कुल नहीं भाया। इसलिए उन सभी ने एकजुट होकर फ़ैसला लिया और ग़रीब विधायक सीताराम के कच्चे घर को पक्के घर में बदलने का बीड़ा उठाया। इसके लिए लोगों ने ₹100-1000 चंदे के रूप में दिए।      

विधायक सीताराम श्योपुर ज़िले के कराहल विकासखंड के पिपरानी गांव के रहने वाले हैं। यही वो गाँव है जहाँ वो दो कमरों के एक छोटे से कच्चे घर में अपना जीवन बिता रहे थे, जिसे अब पक्के मकान का स्वरूप दिया जा रहा है। क्षेत्रीय लोगों को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं थी कि उनका जनप्रतिनिधि झोपड़ीनुमा घर में रहे।

वहाँ के लोगों का कहना है कि सीताराम ने अपने जीवन में हमेशा संघर्ष किया। जिसे जब ज़रूरत होती है विधायक सीताराम उसके साथ होते हैं। किसी भी व्यक्ति की मदद करने में उन्हें कभी कोई संकोच नहीं होता। विधायक सीताराम ने कहा, ”मेरे पास पैसा नहीं है, इसलिए अपने परिवार के साथ कच्चे मकान में रहता हूँ। लोगों ने सहयोग के तौर पर पक्का मकान बनाने के लिए मुझे 100 से 1000 रुपए दिए हैं। ये पैसे लोगों ने मुझे विजयपुर सीट से जीतने के बाद स्वागत के दौरान दिये। इतना ही नहीं, विजयपुर में मुझे जनता ने सिक्कों से भी तौला है। इस रक़म से मकान निर्माण का शुरू कर दिया गया है।”

विधायक सीताराम की पत्नी इमरती बाई ने कहा कि उनके पति लंबे समय से संघर्ष करते चले आ रहे हैं। स्थानीय लोगों की मदद से अब स्थिति सुधरने के आसार नज़र आ रहे हैं। लोगों के इस व्यवहार के लिए उन्होंने कहा कि उनके पति जनता के काम को अपना काम मानते हैं और इसलिए जनता भी उन्हें अपना मानती है।

जानकारी के मुताबिक, साल 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के लिए सीताराम को जो शपथ पत्र दिया था, उसके मुताबिक़ अब उनके पास केवल ₹46,733 शेष हैं, जिनमें से ₹25,000 नक़द और ₹21,733 रूपये दो बैंक खातों में जमा हैं। इसके अलावा, उनके पास 2.817 एकड़ ज़मीन और 600 वर्ग फुट की झोपड़ी है, जो उन्हें विरासत में मिले हैं। इसकी अनुमानित क़ीमत क़रीब ₹5,00,000 हो सकती है।

1.8 अरब लोगों के लिए तैयार है ‘सलाम वेब’ ब्राउज़र, ‘शरिया’ के हिसाब से होगा इसका संचालन

अभी तक आपने इंटरनेट को इस्तेमाल करने के लिए बहुत ब्राउज़र्स के अलग-अलग नाम सुने होंगे। ऐसे में मलेशिया का ‘सलाम वेब’ नाम का टेक स्टार्टअप एक अलग ही मोबाइल ब्राउज़र लेकर आया है।

इस मोबाइल ब्राउज़र ‘सलाम वेब’ की ख़ासियत है कि यह शरिया क़ानून के अनुरूप आपको इंटरनेट इस्तेमाल करने का अनुभव प्रदान करेगा। इस्लाम में जिन कार्यों की नामंज़ूरी है उन सभी कार्यों के बारे में सर्च करने पर ये ब्राउज़र आपको अलर्ट भेजेगा। जैसे – पोर्नोग्राफ़ी, शराब और जुआ खेलना आदि।

सलाम वेब टेकनॉलजी की मैनेजिंग डॉयरेक्टर हसनी ज़रीना मोहम्मद ख़ान के अनुसार इस ब्राउज़र को मुख्य रूप से मलेशिया और इंडोनेशिया में उपयोगकर्ताओं के लिए बनाया गया है। ये ब्राउज़र मैसेज सेवा और समाचार का आदान-प्रदान करने वाली सेवाओं से भी सुसज्जित है।

मैनेजिंग डॉयरेक्टर का कहना है कि उनकी कंपनी का लक्ष्य है कि वो वैश्र्विक स्तर पर इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाली लगभग 1.8 बिलियन मुस्लमान आबादी को अपने साथ लें सकें।

वो इस ब्राउज़र पर बात करते हुए आगे बताती हैं कि इटरनेट पर अच्छी और बुरी दोनों ही चीज़ें उपलब्ध रहेंगी। इसलिए ‘सलाम वेब’ के ज़रिए वो उपभोक्ता के समक्ष सिर्फ़ अच्छी चीजों को लेकर आएँगी।

इस ब्राउज़र पर इस्लाम से जुड़ी अन्य जानकारियाँ भी उपलब्ध होंगी जिसमें आज़ान और दुआ के समय के बार में भी जानकारी दी जाएगी। इसमें ‘क़िबला’ को भी इंगित किया जाएगा जो कि जो मक्का में काबा की दिशा है जिसकी तरफ बैठकर लोगों को दुआ पढ़नी चाहिए।

AAP की विफलताओं को बेनक़ाब करने के लिए BJP ने शुरू किया ढोल आंदोलन

आम चुनावों के लिए अपने अभियान को तेज करते हुए, भारतीय जनता पार्टी ने रविवार (27-01-2019) को राजधानी में आम आदमी पार्टी के ख़राब शासन को बेनक़ाब करने के लिए ढोल आन्दोलन शुरू कर दिया।

अशोक रोड स्थित अपने आधिकारिक आवास से अभियान की शुरुआत करते हुए, केंद्रीय मंत्री विजय गोयल ने आरोप लगाया कि अरविंद केजरीवाल सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है।

अपने बयान में उन्होंने कहा कि अस्पतालों की स्थिति ख़राब है, मुहल्ला क्लीनिकों में कोई डॉक्टर नहीं हैं, सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में गिरावट दर्ज़ की गई है और प्रदूषण का स्तर भी काफ़ी बढ़ गया है। टैंकरों के माध्यम से मलिन बस्तियों और पुनर्वास कॉलोनियों में दूषित पानी वितरित किया जा रहा है।

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि न्यूनतम बिजली शुल्क में वृद्धि की गई है। दिल्ली में AAP सरकार सभी मोर्चों पर विफल रही है। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ता हर पार्क और इलाक़े में जाएँगे और दिल्लीवासियों को इस बारे में सूचित करेंगे।

दिल्ली भाजपा प्रमुख मनोज तिवारी ने कहा कि दिल्ली में सात सांसदों ने लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए ज़बरदस्त काम किया है, जिसे हर दिल्ली की जनता को बताया जाना चाहिए था। तिवारी ने कहा, “दिल्ली में सड़क नेटवर्क को बेहतर बनाने के लिए हमें केंद्र से अतिरिक्त 55,000 करोड़ रुपए मिले।”

AAP के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि मोदी के ख़िलाफ़ अपनी पार्टी के राष्ट्रव्यापी अभियान ने बीजेपी को केजरीवाल के ख़िलाफ़ अभियान शुरू करने के लिए प्रेरित किया है। “मतदाताओं के हित के लिए दिल्ली में एक ठोस बहस के लिए मैं तिवारी और गोयल जी को आमंत्रित करता हूँ। आइए एक-एक करके मोदी जी और केजरीवाल के चुनावी वादों की चर्चा करें।”

शर्मनाक! कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता और कर्नाटक के पूर्व सीएम ने की महिला के साथ अभद्रता

कर्नाटक में जहाँ गठबंधन की सरकार आपसी मुद्दे को निपटाने में जुटी है, वहीं कॉन्ग्रेस के पूर्व सीएम सिद्धारमैया अभी भी मुख्यमंत्री वाले अंदाज़ में ही जनता से मिल रहे हैं। अहम इतना हावी है कि एक महिला जब सिद्धारमैया से उन्हीं के बेटे की शिकायत लेकर उनके पास पहुँची, तो उन्होंने अभद्रता की। सिद्धारमैया ने महिला से अभद्रता करते हुए माइक छीन लिया और कंधा पकड़ जबरदस्ती बैठा भी दिया।

रिपोर्ट की मानें तो जमीला नाम की महिला उनके विधायक बेटे की शिकायत लेकर सिद्धारमैया के पास पहुँची थी। लेकिन जैसे ही उसने उनके सामने अपनी बात शुरू की, सिद्धारमैया भड़क गए और महिला से अभद्रता करते हुए उसके कंधे को झटकटे हुए उसे बैठा दिया।

बीजेपी ने की बर्खास्त करने की माँग

मामले के प्रकाश में आने के बाद बीजेपी ने कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी से उन्हें बर्खास्त करने की माँग की है। बीजेपी ने इस बहाने कॉन्ग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गाँधी, महासचिव प्रियंका गाँधी और अध्यक्ष राहुल गाँधी पर सवालिया निशान भी खड़े किए। बता दें कि, सिद्धारमैया वर्तमान में कर्नाटक में प्रतिपक्ष के नेता हैं और इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

गरीबों को गारंटी करके न्यूनतम आमदनी देंगे: राहुल गाँधी का ‘ऐतिहासिक निर्णय’

राजस्थान और मध्य प्रदेश में आम जनता को कर्ज़माफ़ी के वायदे करके जीतने वाले राहुल गाँधी ने नया चुनावी दाव फेंका है। इस बार उन्होंने एक ‘ऐतिहासिक निर्णय’ लिया है कि 2019 चुनाव जीतने के बाद वो गारंटी के साथ हर गरीब व्यक्ति को एक न्यूनतम आमदनी दिलवाएँगे।

राहुल गाँधी की इस घोषणा को कॉन्ग्रेस पार्टी के हैंडल से ट्वीट किया गया जहाँ उन्होंने कहा, “कांग्रेस पार्टी ने एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है कि 2019 चुनाव जीतने के एकदम बाद कांग्रेस पार्टी गारंटी करके न्यूनतम आमदनी देने जा रही है।”

‘यूनिवर्सल बेसिक इनकम’ एक ऐसा कॉन्सेप्ट है जहाँ सरकार अपने नागरिकों के लिए एक तय राशि उपलब्ध कराती है जिससे उनका जीवन चलता रहे और उन्हें बुनियादी परेशानियाँ न हों। इस सन्दर्भ में सिक्किम की सत्ताधारी पार्टी ने आगामी विधानसभा चुनाव के घोषणा पत्र में इसका ज़िक्र किया है।

राहुल गाँधी का यह कदम सतही तौर पर सुनने में अच्छा लगता है लेकिन उनके इस बयान से उनकी आर्थिक समझ पर भी सवाल खड़े होते हैं। जहाँ सरकारें लगातार फ़िस्कल डेफिसिट को तय दायरे में रखने में जूझती रही हैं, वहाँ इस तरह की बात करना लुभावनी खोखली घोषणा से ज़्यादा कुछ भी नहीं।

भारत में गरीबों के लिए सब्सिडी वाली तमाम योजनाएँ हैं जो उन्हें कम दाम पर अनाज से लेकर, घर, बिजली, पानी और गैस तक उपलब्ध करा रहे हैं। वैसे ही स्वास्थ्य के क्षेत्र में आयुष्मान योजना है जहाँ उनका मुफ़्त उपचार संभव है।

इसके ऊपर से इस तरह की बात करना, और कोई आँकड़ा न देना कि अगर ऐसा होता है तो वो इसे कैसे करेंगे, बताता है कि उनकी समझ में समस्या है। दूसरी बात यह भी है कि राहुल गाँधी के परिवार और पार्टी द्वारा शासित इस देश में आज भी ‘गरीबी हटाओ’ के वेरिएशन में नारे और घोषणाएँ क्यों हैं?

गरीब हैं इस देश में, और उन्हें मनरेगा के तहत रोज़गार देने से लेकर आवास, शौचालय, बिजली, अनाज, शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए कई योजनाएँ हैं जो उन्हें धीरे-धीरे स्वाबलंबी बनाने की ओर ले जाने वाले हैं। जबकि, हमारे समाज में चुनावों में हर चीज फ़्री में देने के बाद, अब हर महीने एक तय राशि की गारंटी की बात करना न तो आर्थिक रूप से संभव दिखता है, न ही गरीबों के भविष्य के लिए सही होगा।

हाँ, अगर उन्हें दी जाने वाली सब्सिडी से इसके लिए पैसा उपलब्ध कराया जाए तो एक बार ऐसा सोचा भी जा सकता है। राहुल गाँधी को सिर्फ़ घोषणा करने की जगह पूरा प्लान बताना चाहिए कि ये संभव कैसे होगा। सिक्किम एक छोटा राज्य है, वहाँ की सामाजिक स्थिति अलग है, तो वहाँ की सरकार इस पर सोच सकती है। लेकिन, पूरे देश के गरीबों को ये सुविधा देना, अर्थ व्यवस्था पर बहुत ज़्यादा दबाव डाल सकता है।

शुरुआत के लिए उन्हें राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में इस योजना को लागू करना चाहिए, और फिर लोगों को समझाना चाहिए कि ये करना भी है, तो कॉन्ग्रेस की तरह करो।

Health बजट: देश की सेहत के लिए मोदी सरकार बढ़ा सकती है दायरा!

2019 का बजट कई मायनों में ख़ास होने वाला है चूँकि ये बजट 2019 लोकसभा चुनाव से पहले और सरकार के पाँच साल के अंत में पेश किया जाएगा। सरकार 1 फरवरी को अंतरिम बजट 2019-20 पेश करेगी। बजट में सरकार की प्रमुखता में स्वच्छता, निवेश, रेलवे, टैक्स, सड़कों के साथ किसानों की आय बढ़ाना है।

स्वच्छता और स्वास्थ्य को लेकर हमेशा से गंभीर रही मोदी सरकार इस बार भी लोगों के स्वास्थ्य का ख़याल रखते हुए देश के लोगों को कई सौगात दे सकती है। कहते हैं कि जिस राष्ट्र में लोग स्वस्थ्य होते हैं उस राष्ट्र का विकास तेजी से होता है। देश के नागरिकों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मोदी सरकार स्वास्थ्य योजनाओं के दायरे में बदलाव कर सकती है, ऐसी सम्भावना व्यक्त की जा रही है।

‘आयुष्मान भारत योजना’ का बढ़ सकता है दायरा

मोदी सरकार अंतरिम बजट में प्राथमिक हेल्थ केयर के लिए आवंटित रकम में बढ़ोतरी कर सकती है। साथ ही ‘आयुष्मान भारत योजना’ के तहत 5,500 हेल्थ केयर सेंटरों की शुरुआत भी किया जा सकता है। बता दें कि सरकार 2017-18 के ₹52,800 करोड़ के स्वास्थ्य बजट में 5% की बढ़ोतरी कर सकती है। इसके अलावा निजी और सार्वजनिक क्षेत्र में ट्रॉमा और इमर्जेंसी सेवाओं की मजबूती को लेकर बड़ा कदम उठा सकती है।

‘जन आरोग्य योजना’ के बजट में भी हो सकता है इजाफ़ा

पिछले बजट की तुलना में इस बार प्रधानमंत्री ‘जन आरोग्य योजना’ के बजट को भी बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि इस योजना के अंतर्गत 10 करोड़ परिवारों के 50 करोड़ लोगों को ₹5,00000 की स्वास्थ्य बीमा देने पर भी विचार किया जा सकता है। इस योजना पर ₹12,000 करोड़ खर्च किया जाना है। बता दें कि सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य पॉलिसी के अनुसार स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च को साल 2025 तक GDP के 1.15% हिस्से से बढ़ाकर 2.25% करने का लक्ष्य रखा है।

100 दिनों में 6 लाख से ज्यादा लोगों को मिल चुका है लाभ

बता दे कि योजना के लागू होने के लगभग 4 महीने के अंदर ही इस योजना के परिणाम दिखने शुरू हो गए थे। प्रमाण स्वरुप दुनिया की दिग्गज टेक्नॉलजी कंपनी माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक और गेट्स फाउंडेशन के को-चेयरमैन बिल गेट्स ने केंद्र सरकार की इस महत्वाकांक्षी ‘आयुष्मान भारत योजना’ की तारीफ़ की थी। बिल गेट्स ने इस योजना की लॉन्चिंग के 100 दिनों में 6 लाख से ज़्यादा मरीजों द्वारा लाभ उठाए जाने पर सुखद आश्चर्य प्रकट किया। उन्होंने सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर स्वास्थ्य मंत्री जगत प्रकाश नड्डा ने के ट्वीट को रीट्वीट करते हुए लिखा था लिखा था, “आयुष्मान भारत के पहले 100 दिन के मौके पर भारत सरकार को बधाई। यह देखकर अच्छा लग रहा है कि कितनी बड़ी तादाद में लोग इस योजना का फ़ायदा उठा चुके हैं।”

ग़ौरतलब है कि मीडिया संस्थानों ने इसे ‘मोदीकेयर’ का नाम भी दिया है। आयुष्मान भारत के सीईओ डॉ. इंदु भूषण ने ट्वीट कर कहा था कि (जनवरी 16, 2019) तक तक़रीबन 8.50 लाख लोग आयुष्मान भारत योजना के तहत लाभान्वित हुए हैं।

मृतकों की ‘घर वापसी’ के लिए मोदी सरकार तैयार, 40% तक घटा किराया

किसी अपने को खो देने का एहसास बेहद दु:खद होता है। दु:ख के इस दौर से लगभग सभी परिचित हैं। यह दु:ख उन परिस्थितियों में और अधिक बढ़ जाता है, जब किसी अपने को खो देने के बाद उनके अंतिम दर्शन तो दूर अंतिम संस्कार की प्रक्रिया से भी कुछ परिवार वंचित रह जाएँ।

जिनके प्रियजनों की मृत्यु विदेशों में हो जाती थी, उनके परिवारों के लिए यह एक बड़ी समस्या थी क्योंकि उन्हें स्वदेश लाने की क़ीमत बहुत अधिक होती थी।

विदेश से शवों को लाने संबंधी समझौते पर सहमति

मध्य पूर्व में रह रहे भारतीयों के लिए यह चुनौती ज्यादा गंभीर है। यहाँ भारतीय आबादी लगभग 80 लाख है। इनमें ज्यादातर श्रमिक ही हैं। आधिकारिक अनुमान के अनुसार यहाँ हर दिन औसतन 10 लोगों की मृत्यु हो जाती है। यहाँ मृत्यु के अधिकतर कारणों में प्राकृतिक या सड़क दुर्घटनाएँ शामिल हैं।

इन परिवारों के दर्द को समझते हुए भारतीय समुदाय के नेता पिछले कई वर्षों से इस मामले को उठा रहे थे और इसके लिए विदेश मंत्रालय की एयर इंडिया से अनेकों बार बैठकें भी हुई थीं। अब जाकर इसके परिणामस्वरूप एक आम सहमति बनी और इस मामले को सुलझाया गया। सरकार ने एयर इंडिया से विदेश में मृत भारतीय नागरिकों को वापस स्वदेश लाने के लिए परिवार से उनका किराया फ्लैट रेट पर लेने को कहा है।

शवों को स्वदेश लाने का ख़र्च 40% कम

जनसंख्या की बात की जाए तो यूएई में 33 लाख, सऊदी अरब में 27 लाख, कुवैत में 9 लाख, ओमान में 8 लाख, क़तर में 6.5 लाख जबकि बहरीन में 3.5 लाख भारतीय रहते हैं। मिडिल-ईस्ट में इतनी बड़ी भारतीय जनसंख्या के होने का मतलब है, वहाँ से आने वाले मृतकों की संख्या भी अधिक होना। इसे देखते हुए केंद्र सरकार द्वारा एयर इंडिया से करार होने के बाद शवों को लाने में परिवार वालों को पहले के बजाय अब कम खर्च पड़ेगा। केंद्र सरकार ने एयर इंडिया से जो करार किया है, उसके कारण शवों को देश लाने में अब लगभग 40 प्रतिशत तक कम खर्च आएगा। जबकि 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों के शव लाने में यह ख़र्च फ्लैट रेट का भी आधा होगा।

मिडिल ईस्ट के इन देशों से एयर इंडिया द्वारा स्वदेश लाए जाने वाले शवों का फ्लैट किराया भाड़ा अलग-अलग तय (करेंसी एक्सचेंज के वर्तमान रेट के आधार पर) किया गया है। पहले के मुकाबले शवों का फ्लैट किराया भाड़ा लगभग 40% तक कम है।

  • यूएई से ₹28,500
  • सऊदी अरब से ₹41,700
  • कुवैत से ₹40,900
  • ओमान से ₹29,400
  • क़तर से ₹42,800
  • बहरीन से ₹42,500

हाल ही में वाराणसी में हुए प्रवासी भारतीयों के कार्यक्रम में विदेश मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि विदेश से भारतीयों के शव को वापस लाना सरकार की प्राथमिकता है। 2016 से 2018 के बीच केंद्र सरकार द्वारा गरीब और ज़रूरतमंद परिवारों के सगे-संबंधियों के 486 शवों को भारत लाने में अब तक कुल ₹1.6 करोड़ ख़र्च किए जा चुके हैं।

इसके अलावा अधिकारी ने जानकारी दी कि एयरलाइंस वज़न के अनुसार किराया लेती है। ऐसे में हर शव का किराया तक़रीबन ₹50,000 से ₹1 लाख तक चला जाता है। एयरलाइंस इस वजह से भी अधिक किराया वसूलती है क्योंकि शवों को यात्रियों के सामानों के साथ कारगो में नहीं रखा जाता बल्कि इसके लिए अगल से व्यवस्था करनी पड़ती है। इस लिहाज़ से शव को अधिक जगह देने की व्यवस्था की जाती है।

कमलनाथ के कैबिनेट मंत्री ने 3 चुनाव में 3 हलफ़नामे दायर किए, सभी में दी अलग-अलग जानकारी

मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार में कैबिनेट मंत्री इमरती देवी एक बार फिर से विवादों में फँस गई हैं। इमरती देवी मध्य प्रदेश के कमलनाथ सरकार में महिला एवं बाल विकास मंत्री हैं। दैनिक भास्कर ने अपने एक रिपोर्ट में लिखा है कि प्रदेश की कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने 12वीं की परीक्षा कब और कहाँ से पास की, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है।

भास्कर के रिपोर्ट में इस बात का दावा किया गया है कि तीनों ही विधानसभा चुनाव के दौरान इमरती देवी के हलफ़नामे में गलत शैक्षणिक जानकारी दी गई है।

कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने 2018 में मध्यप्रदेश के डबरा विधानसभा से चुनाव लड़े। इस चुनाव के हलफ़नामे में उन्होंने अपने शैक्षणिक योग्यता के बारे में बताया है कि उन्होंने 2009 में भिंड के एक सरकारी स्कूल से राज्य ओपन बोर्ड की हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की है। इमरती देवी ने यही जानकारी 2013 विधानसभा चुनाव के दौरान भी दी थी।

हालाँकि, 2008 विधानसभा चुनाव में इमरती देवी ने शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी बिल्कुल अलग जानकारी दी थी। इस समय इमरती देवी ने बताया था कि उन्होंने 12वीं की पढ़ाई ओपन बोर्ड के हायर सेकेंडरी से करने के बजाय माध्यमिक शिक्षा मंडल से किया है। इस चुनाव में इमरती देवी ने अपने पासिंग ईयर का भी जिक्र नहीं किया है। ऐसे में साफ़ ज़ाहिर है कि मंत्री ने अपनी
शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी जो जानकारी तीन अलग-अलग हलफ़नामें में दी है, वह हर जगह सही नहीं है।

इसके अलावा भास्कर ने रिपोर्ट में यह भी दावा किया कि मंत्री ने रिपोर्टर को जो जवाब दिया है वह निर्वाचन आयोग को दी गई जानकारी से बिल्कुल अलग है।

इस वजह से मंत्री के शैक्षणिक योग्यता पर उठा सवाल

– कैबिनेट मंत्री इमरती देवी ने रिपोर्टर को बताया कि उन्होंने 12वीं 2007 में ही भितरवार के एक सरकारी स्कूल से पास कर लिया था। ऐसे में यह सवाल उठता है कि यदि मंत्री ने 2007 में ही परीक्षा पास कर ली थी तो 2008 के हलफ़नामें में पासिंग ईयर का जिक्र क्यों नहीं किया?

– इमरती देवी ने 2008 या 2018 में से किस चुनाव के हलफ़नामे में शैक्षणिक योग्यता से जुड़ी सही जानकारी दी है? इमरती देवी ने सरकारी स्कूल के राज्य ओपन वोर्ड से पढ़ाई की है या फिर माध्यमिक शिक्षा मंडल भोपाल से हायर सेकेंडरी परीक्षा पास की  

– रिपोर्टर के एक सवाल के जवाब में इमरती देवी ने बताया कि मैंने 2007 में ही भितरवार से हायर सेकंडरी कर ली थी, जब मैं जिला पंचायत सदस्य थी। भिंड तो कभी पढ़ने गई ही नहीं। जबकि यह जानकारी अपने किसी चुनावी हलफ़नामे में नहीं दी है।