Friday, November 15, 2024

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राहुल गाँधी की सुस्त रणनीति से चिंतित मीडिया, ‘इन्वेस्टमेंट’ खतरे में

मीडिया के एक धड़े में कॉन्ग्रेस की संभावित हार को लेकर अफरा-तफरी का माहौल है। शायद इतना ‘दाँव’ पर लगा है कि अब खुलकर भाजपा को हराने की हिमायत उनकी मजबूरी है।

‘जब भारत के इतिहास में पहली बार किसी गैर वंशवादी पार्टी को मिला था पूर्ण बहुमत’

"कांग्रेस के काम करने का तरीका एकदम साफ है - पहले नकारो, फिर अपमानित करो और इसके बाद धमकाओ। उनकी सोच यही है कि सब गलत हैं, और सिर्फ कांग्रेस सही है। यानि ‘खाता न बही, जो कांग्रेस कहे, वही सही’।"

देशहित में कॉन्ग्रेस को वोट देकर 10% सीटें जिताइए, आपको राफेल की कसम है

जैसे शेयरिंग सवारियाँ ढोने वाला ऑटो ड्राईवर, आवश्यकतानुसार ट्रैफिक पुलिस वाले की मुट्ठी गर्म कर देता है, और प्रभु का तीसरा नेत्र भी इस दुर्लभ संयोग को देखने से वंचित रह जाता है। वैसे ही मोदी ने बंद मुट्ठी करके ₹15 हजार करोड़ के दो स्पेशल नोट जूनियर अम्बानी की जेब में डाल दिया होगा।

‘मोदी PM बना तो हिन्दू नंगी तलवारें लेकर दौड़ेंगे’ से ‘मोदी फिर PM बना तो चुनाव ही नहीं होंगे’ तक

गहलोत ने गम्भीरता से अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर मोदी दोबारा जीत जाता है तो या तो यहाँ चुनाव ही नहीं होंगे या भारत में रूस या चीन जैसी स्थिति हो जाएगी। गहलोत ने आगे बताया कि मोदी चुनाव जीतने के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

कॉन्ग्रेस कर रही है बेरोजगारों की भर्ती, CD वाले से लेकर ‘कमरा’ वाले कतार में

चौकीदार vs बेरोजगार ट्विटर पर चौकीदार और बेरोजगार की लड़ाई में योद्धा अपने अपने शिविर से निकल चुके हैं। सबने अपने पिछले रिकॉर्ड और...

चिरयुवा राहुल के ‘बूढ़ों की फ़ौज’ बनाम ‘रूढ़िवादी’ BJP के युवा मुख्यमंत्रियों की टोली

भाजपा और कॉन्ग्रेस के मुख्यमंत्रियों की औसत उम्र में डेढ़ दशक का फ़र्क़ है। अगर वंशवाद को हटा दें तो कॉन्ग्रेस में शायद ही कोई बड़ा युवा नेता हो। जबकि विपक्षियों द्वारा रूढ़िवादी कही जाने वाली भाजपा के किसी भी मुख्यमंत्री की उम्र 65 से ज्यादा नहीं है।

दावा-ए-एनडीटीवी: मोदी ‘चौकीदार चोर है’ से डर गए हैं

आश्चर्य नहीं अगर राहुल गाँधी ने मोदी को चौकीदारों का एक वोटबैंक बैठे-बिठाए पकड़ा दिया हो!

नए डेटा तो छोड़िए, पुराने हिसाब से भी मोदी सरकार के दौरान महंगाई घटी और रोजगार बढ़े

रोजगार के मामले में अगर NDA के तीन वर्ष के शासनकाल और UPA-2 के पिछले तीन वर्षों के कार्यकाल की तुलना करें तो पता चलता है कि मोदी के शासनकाल में रोजगार में दोगुनी दर से वृद्धि दर्ज की गई है।

दादी का घर घूमने वाली प्रियंका गाँधी ने कुछ ही दूर दादाजी फ़िरोज़ के क़ब्र को पूछा तक नहीं, जानिए क्यों?

फ़िरोज़ पारसी थे। क्या कॉन्ग्रेस इसीलिए फ़िरोज़ को याद नहीं करना चाहती क्योंकि उनका नाम आते ही उनके कारण नेहरू के मंत्री के इस्तीफा देने की बात फिर से छेड़ी जाएगी? क्योंकि बड़े कॉंग्रेस नेताओं व उद्योगपतियों के बीच संबंधों की बात फिर से चल निकलेगी?

Action के Reaction से सहमे प्रोपेगेंडाबाज़, होली पर नहीं दे रहे पानी बचाने की सलाह

इन मठाधीशों को लगता था कि वे ही सबसे बड़े ज्ञानी हैं लेकिन अब एक बच्चा भी इनके तर्कों को काट देता है। इसीलिए अब वे क्रिया की प्रतिक्रिया से सहमे हुए हैं। उनका प्रोपेगेंडा अब कार्य नहीं कर रहा है। राष्ट्रवादियों के लिए यह एक बड़ी सफलता है।

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