सन 1989-90 के दौरान कश्मीरी पंडितों को घाटी से पलायन करने पर मजबूर करने के लिए की गयी यह पहली हत्या थी। पंडितों के सर्वमान्य नेता पं० टपलू को मार कर अलगाववादियों ने स्पष्ट संकेत दे दिया था कि अब कश्मीर घाटी में ‘निज़ाम-ए-मुस्तफ़ा’ ही चलेगा।
पुलिस को शक है कि यह धमाका जैश ए मोहम्मद के आतंकियों ने करवाया है। रक्षा राज्य मंत्री सुभाष भामरे ने सुबह ही आश्वासन दिया था कि मामले की त्वरित जाँच के आदेश दे दिए गए हैं
दिसंबर 8, 1989 को रुबैया सईद के अपहरण के बाद पंद्रह दिनों तक ड्रामा चला था जिसके बाद वी पी सिंह सरकार द्वारा अब्दुल हमीद शेख़, शेर खान, नूर मोहम्मद कलवल, अल्ताफ अहमद और जावेद अहमद जरगर नामक आतंकियों को जेल से छोड़ा गया था।
जब भी कर्ण युद्धक्षेत्र में कोई बहादुरी का कार्य करता- उसका सारथी शल्य कुछ बेतुकी बातें कर उसका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता। राहुल गाँधी आज बिना सबूत रक्षा सौदों पर छींटाकशी कर शत्रु का काम आसान कर रहे हैं और देश का मनोबल तोड़ रहे हैं।
आयकर विभाग ने धारा 142 (1) के तहत लगभग 3 लाख व्यक्तियों को नोटिस जारी किया था। उस नोटिस में उन्हें अपने नक़दी जमा से संबंधित विवरण प्रदान करने और 2016-17 के लिए अपने I-T रिटर्न को प्रस्तुत करने को कहा गया था।
पाक सेना का दावा है कि जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में नहीं है। यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब जैश ने पुलवामा अटैक की जिम्मेदारी ली थी और कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी स्वीकार कर चुके हैं कि आतंकवादी संगठन का प्रमुख यहीं पर है।
बातचीत और समझौते की राह पर जाने की बात कहते हुए कोर्ट ने कहा कि ये विषय सिर्फ ज़मीन का नहीं, बल्कि करोड़ों लोगों की भावनाओं से जुड़ा हुआ है, इस पर मिल बैठकर बात करने से अगर रास्ता निकल आए तो वही बेहतर होगा।
उन्होंने उल्लेख किया कि हिंदू द्वारा प्रकाशित दस्तावेज "सीक्रेट" के रूप में चिह्नित हैं। उन्हें इस तरह सार्वजनिक डोमेन में पेश नहीं किया जा सकता। केके वेणुगोपाल ने कहा कि रक्षा दस्तावेज प्रकाशित होने के बाद भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को भारी नुकसान हुआ है।
शाह ने एक ऐसा चक्रव्यूह रचा है, जिसमें उन्हें पता होता है कि विपक्षी नेता किस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरने वाले हैं। उनकी पार्टी तैयार रहती है। वे 'सबूत-सबूत' चिल्लाते रहते हैं, शाह संगठन मज़बूत करने में लगे रहते हैं और एजेंडा सेट करते हैं।