गौतम बुद्ध के साथ जो घटित हुआ, वो इस संसार के हर इंसान के साथ घट सकता है। बस इसके लिए हमें अपने जीवन में गहराई लानी होगी। आज बुद्ध पूर्णिमा पर बुद्ध के मानवता को दिए गए महत्वपूर्ण योगदान के न सिर्फ स्मरण बल्कि उसे आत्मसात कर खुद भी उसी जागरण की दिशा में अग्रसर करने की चेतना जागृत करने का दिन है।
यूएन से सम्मान मिलने की बात पर आचार्य बालकृष्ण का कहना है कि यूएन ने भी मान लिया है कि योग और आयुर्वेद, स्वास्थ्य के लिए बहुत आवश्यक है। उन्होंने इस बात को भी माना है कि पतंजलि द्वारा जो कार्य किया जा रहा है वह प्रभावशाली है।
घूँघट को नायिका की सुंदरता का पर्याय मानकर कई गीत लिखने वाले जावेद अख़्तर के लिए अब यह एक कुरीति हो गई है क्योंकि 'उनके' बुर्क़े पर आँच जो आ गई है। घूँघट को समझने के लिए जावेद अख़्तर को 'मृच्छकटिकम्' पढ़नी चाहिए, विजयनगर साम्राज्य पर इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता जाननी चाहिए।
1780 ई के बाद, वाराणसी शहर सबसे बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। पीएम मोदी के नेतृत्व में, शहर का भव्यतम निर्माण कार्य काशी विश्वनाथ कॉरिडोर के रूप में परिवर्तन की आधुनिक लहर से गुजर रहा है।
दोनों पुस्तकों के पिछले कई महीनों से बाज़ार में उपलब्ध होने का अर्थ यह है कि इनके पाठकों की संख्या उनसे कई गुना अधिक है जो निमंत्रण पाकर या गाहे बगाहे बुक लॉन्च में पहुँचते। बुक लॉन्च जैसे आयोजन लेखकों को अपनी वह बात कहने का मंच देते हैं जो वे पुस्तक में नहीं लिख पाते।
सब कुछ विश्लेषण करने के बाद अपनी ज़मीन वापस पाने के लिये 13 अप्रैल 1984 को बाकायदा ऑपरेशन मेघदूत चलाया गया जिसकी नायक थे लेफ्टिनेंट जनरल प्रेम नाथ हून और लेफ्टिनेंट कर्नल डी के खन्ना। तब से हमारी सेनाएँ सियाचिन की रखवाली कर रही हैं।
ऐसे बहुत से विदेशी नागरिक हैं जो भारतीय परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं और उसे आत्मसात करने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे देश की सभ्यता का गुणगान जब दूसरे देश के लोग करते हैं तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जिसका सिर गर्व से ऊँचा नहीं उठेगा।
अगर स्त्री शक्ति नष्ट हो गई, तो जीवन की सभी सुंदर, सौम्य, सहज और पोषणकारी प्रवृत्तियाँ लुप्त हो जाएँगी। जीवन की अग्नि हमेशा के लिए नष्ट हो जाएगी। यह बहुत बड़ा नुकसान है, जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
अजातशत्रु के अभियंताओं ने ऐसे रथों का अविष्कार किया, जिनमें घूमते चक्र थे। फारसी रथों में लगी हुई दरांतियाँ इसी से प्रेरित थीं। प्राचीन व्यक्तियों ने कृत्रिम जीवन, रोबोट आदि बनाने के बारे में तब सोचना शुरू कर दिया था, जब वे इसे निष्पादित करने से कोसों दूर थे।
माँ भारती के अमर सपूतों वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरू को उनके सर्वोच्च बलिदान के लिए देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता हैं। इसके साथ ही अद्वितीय विचारक, क्रांतिकारी तथा अप्रतिम देशभक्त डॉ. राम मनोहर लोहिया को उनकी जयंती पर सादर नमन।