कमलेश के 2015 में दिए एक बयान के चलते कई इस्लामिक संगठन उन्हें टारगेट कर रहे थे। माना भी यही जा रहा है कि कमलेश की हत्याके पीछे पैगम्बर पर उनके बयान से भड़के उन तमाम कट्टरपंथियों का हाथ है जो खुले-आम तिवारी का सर कलम करने की बात कर रहे थे।
ज़्यादा संभावना इस बात की है कि पुलिस को मामले में किसी भी 'एंगल' के सबूत अब तक न मिले हों, जिसमें कोई आश्चर्य नहीं किया जा सकता, क्योंकि हत्या को अभी 24 घंटे भी नहीं हुए हैं। ऐसे में सबूत न मिलने को बहुत सम्भव है कि मीडिया में क्लीन चिट मिलने के रूप में दिखाया जा रहा है।
आरोपितों और तिवारी के बीच किसी मुस्लिम लड़की की हिन्दू लड़के से शादी की कोई बात चल रही थी। इसके बाद उन गुंडों ने नौकर सतेंद्र को 100 रुपए का नोट दिया और गोल्ड फ्लैक्स पाँच सिगरेट लाने को कहा। वो पैसे लेकर बगल की दुकान से सिगरेट लेने चला गया, शायद वो लोग मौक़ा ढूँढ़ रहे थे।
पूरी घटना में कहीं भी करवा चौथ का जिक्र न होने के बावजूद हेडलाइन में करवा चौथ लिखकर ये दिखाने का प्रयास किया गया कि जरूर किसी हिन्दू पति ने ही अपनी पत्नी के साथ ये घृणित अत्याचार किया होगा। जबकि सच्चाई ये है कि मोहम्मद शफीक की दो बीबियाँ थी, जिसके बीच लड़ाई हुई और इस बीच शफीक ने अपनी दूसरी बीबी मीना खातून की जीभ काट दी।
एडीजी ने बताया, "यह जोड़ी दूसरे देशों से अपने बैंक खातों में पैसा ट्रान्सफर करती थी और बाद में इसे वापस ले लेती थी। फ़हीम इस पैसे को आतंकी गतिविधियों के लिए दिल्ली ले गया था।"
केरल सरकार में तो ऐसे लोगों के 'कल्याण' के लिए पूरा एक विभाग है जिन्होंने हिंदू धर्म त्यागकर ईसाई पंथ अपनाया। सरकार ने हिन्दू से ईसाई बनने वाले लोगों लिए एक पूरी कंपनी खोल रखी है। हिन्दू धर्म छोड़ कर ईसाई बनने वालों के लिए विशेष तौर पर सुरक्षित किए गए इन पदों का वेतन ₹45,800 से ₹89000 तक है।
मुस्लिम पक्षकारों के वकील एजाज मकबूल ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता पैनल द्वारा की गई रिपोर्ट की सिफारिशों को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
हिन्दू महासभा के अध्यक्ष रहे कमलेश तिवारी को पैगंबर मोहम्मद के ख़िलाफ़ टिप्पणी करने के एक मामले में रासुका के तहत गिरफ़्तार कर जेल भेजा गया था। इसके बाद साल 2017 में उन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले हिन्दू समाज पार्टी का गठन किया था।