Wednesday, June 26, 2024

विचार

विदेशी फंडिंग वाली इन संस्थाओं का विरोध कीजिए, वरना कल को बड़ों के पाँव छूना भी कहलाएगा ‘अंधविश्वास’: बागेश्वर धाम से इसीलिए भड़के हैं...

आप किसकी तरफ हैं - ईसाई मिशनरियों के या फिर बागेश्वर धाम सरकार के? एक 27 वर्ष का युवक इतना बड़ा कार्य कर रहा है तो उसका समर्थन तो बनता है।

अधम जाति मैं बिद्या पाएँ… 3 मुकदमे वाले करोड़पति मंत्री चंद्रशेखर यादव ने कर दिया अर्थ का अनर्थ! ये तुलसीदास के बोल हैं ही...

जिस चौपाई का जिक्र चंद्रशेखर यादव ने किया, उसे काकभुशुण्डि कह रहे होते हैं, एक ऋषि जो काग (कौवा) के रूप में रहा करते थे। चंद्रशेखर यादव ने इसे गलत अर्थ में पेश किया।

हिंदुओं को दो हथियारों का लाइसेंस और सस्ती जमीन: J&K में सुरक्षा समिति बनाना वक्त की माँग, आतंकियों के रहनुमाओं को कुचलना होगा

सरकार को इस्लामी आतंकियों की रहनुमाई करने वाले नेताओं और सामाजिक संगठनों के खिलाफ भी सरकार को कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।

माना कि तू खुद से खुदा हुए जा रहा है, पर इश्क में शहर होना नहीं है लोकसभा में उनके सामने खड़े होना

मैं लोकसभा में हूँ उनके सामने...... रवीश कुमार की उन आकांक्षाओं का प्रस्फुटन हुआ है, जो ब्रजेश पांडेय में पूरा नहीं हो पाया।

डरने का नहीं, हिंदुओं को सुरक्षित बसाने का समय है: कश्मीर में आतंकियों की कमर तोड़ने के लिए उठाने होंगे और कड़े कदम, अब्दुल्ला-मुफ्ती...

कश्मीर में अनुच्छेद 370 और 35 ए की समाप्ति हुए 3 वर्ष से अधिक समय बीत गया है। केंद्र सरकार ने इस दौरान वहाँ जमीनी बदलाव लाने के लिए अनेक काम किए हैं।

अब यूट्यूब पर देखने की भी आदत बदलिए, क्योंकि वैचारिक स्खलन की नई मीनार गढ़ते कहीं भी दिख सकते हैं रवीश कुमार

रवीश कुमार विलायती वेब सीरिज के उस सुरक्षाकर्मी की हालत में जा चुके हैं, जिसे इंतजार है कि वो आए और वे निस्तेज गति को प्राप्त हो जाएँ।

दिल्ली में आए 50 हजार किसान, अपनी बात कह लौट गए खेत-खलिहान: न कोई टेंट गड़ा-न किसी पर ट्रैक्टर चढ़ा, फिर ‘बक्कल उतार दूँगा’...

'किसान आंदोलन' से रेप-हत्या की खबरें आती थीं, 'किसान गर्जना रैली' में अलग-अलग संस्कृतियों का प्रदर्शन दिखा। आक्रोश तो था, लेकिन दुर्भावना नहीं। टिकैत जैसों को ये फर्क देखना चाहिए। यहाँ टुकड़े-टुकड़े की बातें करने वाले खालिस्तान नहीं थे, 'भारत माता' थीं।

न मकसद, न प्रभाव: ‘लाल सिंह चड्ढा’ जैसी ही लुटी पिटी है ‘भारत जोड़ो यात्रा’… हम निठल्ले होकर अंताक्षरी खेलते हैं, राहुल गाँधी चल...

राहुल गाँधी इतने खाली हैं कि वो इस यात्रा के नाम पर बस चले जा रहे हैं। उनकी दाढ़ी लाल सिंह चड्ढा के आमिर खान की तरह बढ़ती जा रही है।

सुशासन बाबू! हम बिहारियों को मार डालिए, अपने बड़े भाई की तरह रौंद डालिए; पर हमारे बिहार को माफ कर दीजिए

सिद्धांत, शुचिता, मर्यादा, आत्म नियंत्रण... से चले नीतीश कुमार ने पहले अंतरात्मा, लोकलाज, आदर्श को मारा। अब बिहार को क्यों मारने पर तुले हैं?

काफिरों पर कहर: मोरक्को की हार या जीत से नहीं, कट्टरपंथी इस्लामी मानसिकता और 72 हूरों के लिए दंगे-आतंक

हार में हिंसा, जीत में आतंक... कट्टरपंथी भीड़ बिल्कुल तटस्थ - हूरों की याद में! फुटबॉल वर्ल्ड कप में मोरक्को की जीत/हार इसका ताजा उदाहरण।

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