दिल्ली सरकार के बाल विकास विभाग का अधिकारी रहते प्रेमोदय खाखा ने दोस्त की बेटी का जिस तरीके से शोषण किया, उसका दर्द जिस्मानी से कहीं अधिक जेहनी होता है, जो ताउम्र नासूर सा सालता रहता है।
सत्ता में रहते हुए गुलाम नबी आजाद ने भी तुष्टिकरण के उस एजेंडे को पूरी तरह लागू किया जिसकी कॉन्ग्रेस जनक रही है। उनकी 'उपलब्धियाँ' भी मुस्लिमों के राजनीतिक ठेकेदार जैसी ही हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 1947 से पहले की पीढ़ी को राष्ट्र के लिए बलिदान देने का मौका मिला था, हमारी पीढ़ी को राष्ट्र के निर्माण में लगने और जीने का मौका मिला है।
बतौर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10वीं बार स्वतंत्रता दिवस पर देश को संबोधित किया। इस पारंपरिक संबोधन के जरिए ही उन्होंने 2024 की लड़ाई की लकीर भी खींच दी है।