Monday, May 6, 2024

राजनैतिक मुद्दे

राष्ट्रवाद विरोधी इकोसिस्टम के हाथों में खेलता ट्विटर, लोकतंत्र के लिए जरूरी है यह जानना कि कौन कहाँ खड़ा है

ट्विटर इंडिया के लिए सरकार द्वारा उठाए गए प्रश्नों की अनदेखी न तो कानून सम्मत है और न ही आम भारतीय की अभिव्यक्ति के स्वतंत्रता के पक्ष में है।

कुंभ से कोरोना, चुनावी रैली स्थगित कर रोना… लेकिन ‘किसानों’ को समर्थन देना: देश के संघर्ष में यह है विपक्षी दलों का चरित्र

यह कैसी राजनीति है? पंजाब की सरकार दिल्ली में किसानों के धरने को पूरा समर्थन देती हैं पर पंजाब में उनके धरने को संक्रमण फैलाने का साधन बताती हैं? दिल्ली में किसानों के धरने को दिल्ली सरकार का पूरा समर्थन है।

अजीबोगरीब कल्पनाओं वाली नेहरू की विदेश नीति: मुस्लिम राष्ट्रों ने ठुकराया, इजरायल को भारत से कर दिया था दूर

इसे दुर्भाग्य के अलावा क्या ही कहा जाएगा कि एक लोकतान्त्रिक संप्रभु देश की विदेश नीति को तुष्टिकरण के द्वारा तय किया जाता था।

2024 के लोकसभा चुनाव की बात करना जल्दबाजी है फिर भी हमें बात करनी होगी: जानिए क्यों?

पूरा कॉन्ग्रेस-लेफ्ट इकोसिस्टम 2024 तक इस बदलाव की झूठी उम्मीदों को जिन्दा रखने की पूरी कोशिश करेगा। फासीवाद का रोना रोकर भी जो अवसर न मिल पाया, इस इकोसिस्टम को वह अवसर कोरोना वायरस में दिखाई दिया है।

इजरायल के विपक्ष से कुछ तो सीखें हमारे नेता… हमारी लोकतान्त्रिक शक्तियाँ राष्ट्रहित को कब आगे रखेंगी?

जब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर राष्ट्रहित की बात आती है तो हमारे कुछ दलों और उनके नेता हर बार गलत जगह खड़े दिखाई देते हैं। इजरायल में ऐसा नहीं।

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत को लज्जित करने के उद्देश्य के पीछे केजरीवाल की मंशा क्या है?

केजरीवाल को यह विचार करने की आवश्यकता है कि उनके ऐसा बार-बार करने से क्या केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्र सरकार या भारत की छवि...

नेहरू से राहुल तक, अयोध्या से कुंभ तक… इस्लामी कट्टरपंथियों की तरह कॉन्ग्रेस के निशाने पर हिंदू

जब भी बात हिंदुओं, उनके आस्था और परंपराओं की होती है, कॉन्ग्रेस और कट्टरपंथी एक ही नाव के सवार दिखते हैं।

कोरोना से जंग का कर्मयोगी: जमीन पर उतर मोर्चा लेने की CM योगी की ताकत, दूसरी लहर पर UP ने ऐसे पाया काबू

देश देख रहा है कि उपलब्ध सीमित संसाधनों में भी कौन सा मुख्यमंत्री अपने राज्य के लोगों के लिए मेहनत कर रहा और कौन केवल शिकायतें।

प्रोपेगेंडा का यह पाप भारी: टूलकिट से पल्ला झाड़ना कॉन्ग्रेस के लिए मुमकिन नहीं, इकोसिस्टम से बाहर नहीं चलेगा ‘फेक’ वाला जुमला

इस टूलकिट को बनाने वाले और उसके क्रियान्वयन की ज़िम्मेदारी लेने वाले देसी हैं, कॉन्ग्रेस के लिए इससे खुद को अलग कर पाना लगभग असंभव होगा।

यूनिफॉर्म सिविल कोड और जनसंख्या नियंत्रण कानून वक्त की जरूरत, क्योंकि उनका कोई विशेषाधिकार नहीं

भारत बहुत वर्षों से इस नासूर से ग्रस्त है। जहाँ वह कम संख्या में हैं, विक्टिम हैं। बहुसंख्या में आते ही वे शरिया-शरिया चिल्लाते हैं।

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