Sunday, September 29, 2024

राजनैतिक मुद्दे

2500 ‘हिंदू’ गाँवों का नाम बदल इस्लामीकरण: ‘दुर्गा’ इंदिरा थीं तब PM, CM के लिए हिंदू थे ‘भारत सरकार के मुखबिर’

शेख और इंदिरा गाँधी के बीच 1975 में एक समझौता हुआ। शेख कॉन्ग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री बने... जबकि उनकी पार्टी का एक भी विधायक नहीं था।

हिंदू-मुस्लिम एंगल देकर सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट रोकने की साजिश: विधायक, कलाकर, मीडिया… सब इस खेल में शामिल

"मौजूदा संसद भवन और राजपथ दुनिया की इस्लाम प्रभावित सबसे महत्वपूर्ण निशानी... मोदी भारत की सभी इस्लामिक इमारतों और 20 करोड़ मुसलमानों को नेस्तनाबूद करने से कम कुछ भी नहीं चाहते।"

भारत के सदानंद मास्टर हों या चीन का थियानमेन चौक: वामपंथी छल-बल ने मानवता को दिए हैं बेहिसाब घाव

4 जून 1989 वामपंथी पाखंड का एक नमूना है। उसका इतिहास से लेकर वर्तमान तक, हिंसा और रक्त से ही सना है।

‘हिंदुत्व ठगों’ को धमकी, भगवा व स्वस्तिक का अपमान: जो राकेश पंडिता के हत्यारों की भाषा, लेफ्ट और विपक्ष की वही है बोली

हिंदुत्व को गाली, भगवा ध्वज व स्वस्तिक का अपमान और 'फासिस्ट' शब्द का प्रयोग - आतंकियों की भाषा वही है, जिसका इस्तेमाल भारत का लेफ्ट और कुछ विपक्षी नेता पीएम मोदी को निशाना बनाने के लिए करते हैं।

मुस्लिमों के बीच काला लिबास, हिन्दुओं के बीच चंदन लगाना: प्रियंका के बहरूपिया पर विश्वास कर कौन देगा वोट?

उलेमाओं के साथ मीटिंग करके कॉन्ग्रेस अधिक से अधिक किसी संभावित गठबंधन के लिए बार्गेनिंग पावर इकट्ठा करने की कोशिश भले कर सकती है पर...

रक्षा के आत्मनिर्भर मोर्चे पर ‘108 कदम’ और चली मोदी सरकार, UPA जमाने में गोला-बारूद का भी था टोटा

देश दो वर्षों से महामारी की चपेट में है और यह सोचकर ही सिहरन हो जाती है कि अगर गलती से कॉन्ग्रेस और उसके लगुए-भगुए शासन में रहते तो क्या होता?

अब किस कठघरे में होगा सेंट्रल विस्टा… क्योंकि प्रोपेगेंडा ही उनकी फितरत

दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के बाद भी सेंट्रल विस्टा पर टूलकिटी प्रोपेगेंडा बंद होगा, इसकी संभावना कम है।

…तो ट्विटर देश के भी PM नहीं रहेंगे राहुल गाँधी, ट्रेंड में अब पटक ना दें बंगाली दीदी

आज ट्विटर पर एक ट्रेंड चला #BengaliPrimeMinister जिसमें ट्वीट के जरिए ममता बनर्जी को 2024 में प्रधानमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट किए जाने को लेकर ट्वीट देखे गए।

कश्मीर वाली ‘आग’ में अब लक्षद्वीप को झुलसाने की चाल, क्योंकि नेहरू सब बुझते थे-मोदी को कुछ पता नहीं

कश्मीर और लक्षद्वीप में समानता वह मजहबी सोच है जो चाहती है कि उनके अलावा कोई और न रहे।

न तेल, न तेल की धार, फिर यूपी की सियासी खेत में कितना दौड़ेगा ‘किसान आंदोलन’ का ट्रैक्टर

किसान आंदोलन के नेताओं ने एक बार फिर से गोल पोस्ट उठाकर दूसरी जगह रख दिया है। इससे उनका कितना भला हो पाएगा?

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