अगर पोप और शीर्ष इमाम के बीच का चुम्मा-बंधन पूरा हो तो पोप को हिन्दू मंदिरों पर ईसाई कट्टरवादियों द्वारा किए जा हमले और ननों के यौन शोषण पर भी चुप्पी तोड़नी चाहिए।
Nike वाला डिज़ाइनर हिजाब किसी विशेष धर्म की कुरीतियों को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है कि अब दौड़ के मैदान में भी एक लड़की 'खिलाड़ी' बनकर नहीं बल्की 'मुस्लिम खिलाड़ी' बनकर दौड़ेगी।
इंडिया टुडे जैसे प्रकाशनों से शुरू हुई ये व्यवस्था प्रचलित अखबार टाइम्स ऑफ़ इंडिया में आई। अब तो इसमें “द हिन्दू”, जनसत्ता और “इंडियन एक्सप्रेस” जैसे तथाकथित विचारधारा वाले अखबार भी शामिल हैं।
गौपालन प्रोत्साहन पर सरकार ने ज़ोर दिया है। निर्धन व कम भूमि वाले किसानों को आर्थिक मदद मिलेगी। मत्स्यपालन के लिए अलग विभाग बनाने का निर्णय लिया गया। कृषकों को सस्ता ऋण।
ग़रीबों को सस्ता अनाज के लिए आवंटन दोगुना। मनरेगा का बजट हुआ तिगुना। बस्तियों में सड़कों का बिछा जाल। घर-घर में पहुँची बिजली। 10 लाख लोगों ने उठाया मुफ़्त चिकित्सा का लाभ। आर्थिक आधार पर आरक्षण।
एक प्रधानमंत्री की पहुँच अगर इतनी है कि वो एक साथ लाखों विद्यार्थियों से जुड़ जाए, तो क्या रवीश जी यह चाहते हैं कि 10,000 बच्चे इस साल आत्महत्या कर लें, तब तक सरकार हर स्कूल में काउंसलर की वेकन्सी निकाले?
संघ प्रमुख का मानना है कि यह समस्या किसी एक मंदिर, पंथ या राज्य की नहीं है बल्कि अन्य मंदिरों पर भी इसके दूरगामी परिणाम होंगे। यह वामपंथी ताक़तों के ख़िलाफ़ पूरे देश की लड़ाई है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अतिरिक्त यदि कोई इस बँटवारे का प्रखर विरोधी था तो वो गाँधी थे। मुस्लिम लीग की ज़िद के आगे कॉन्ग्रेस ने घुटने टेक दिए थे, न कि गाँधी ने।
विवादित ढाँचा गिराए जाने से पूर्व ऐसे एक-दो नहीं बल्कि 14 स्तंभों को के के मुहम्मद की टीम ने प्रत्यक्ष देखा था। उसी प्रकार के स्तंभ और उसके नीचे के भाग में ईंट का चबूतरा विवादित ढाँचे की बगल में और पीछे के भाग में उत्खनन करने से प्राप्त हुआ था।
जब गंगा साफ़ दिख रही है तो हिन्दुओं की आस्था पर आक्रमण किया जा रहा है। अब संत में पाप दिख रहा है। संत जिस धर्म के प्रतीक हैं, उसे 'नंगा' कहा जा रहा है। क्योंकि यही धर्म है जहाँ यह कहने और सुनने की गुंजाइश है। वरना मज़हब तो ऐसे भी हैं जो झंडे पर नाम लिखकर, तलवार, बम और बंदूक लेकर उतर जाते हैं।