Sunday, December 22, 2024

सामाजिक मुद्दे

प्रिय सुप्रीम कोर्ट, हिन्दुओं को निशाना बनाने के लिए इतना समय कहाँ से लाते हो?

भावनाएँ आहत होना हमारा राष्ट्रीय उद्योग बन चुका है, और सुप्रीम कोर्ट का हर भावना को बचाने के लिए समय निकाल कर दही हाँडी की ऊँचाई से लेकर जलीकट्टू के सांड की सींग और होली के पानी तक के प्रयास का आम जनता जबरदस्ती सम्मान करती रही है।

जावेद अख़्तर : स्क्रिप्ट-राइटर और गीतकार से लेकर ट्रोल तक का सफ़र

जावेद अख्तर ने फ़िल्म लेखक, गीतकार, सांसद और न जाने कितनी भूमिकाएँ निभाई है, लेकिन अब वह एक हास्यास्पद ट्विटर ट्रोल के किरदार में उतर आए हैं। उनके भाषा से वह शालीनता गायब हो गई है, जो उनके गीतों में दिखती थी।

‘संस्कृत’ से नहीं उन्हें ‘संस्कृति’ से गुरेज़ है, उन्हें ‘श्लोक’ से नहीं ‘हिंदू-धर्म’ से परहेज़ है

अब कोर्ट इसका निर्णय करेगा कि विद्यालयों में ‘असतो मा सदगमय’ (मुझे झूठ से सच की ओर ले चलें) जैसी प्रार्थनाएँ गाई जा सकती हैं या फिर नहीं।

‘भारत माता की जय’ की गूंज, देश-विरोधी खालिस्तानी समर्थकों पर पड़ा कंटाप है!

इस पूरे प्रकरण के बाद दावा किया गया कि अमेरिका में भारतीय दूतावास के सामने भारतीय झंडा जलाया गया। लेकिन वहाँ की मीडिया ने इस दावे की मिट्टी पलीद कर दी।

मोदी सरकार की वो योजनाएँ जिन्होंने बदल दी ग्रामीण महिलाओं की ज़िंदगियाँ

पिछली सरकार 55 फ़ीसदी लक्ष्य ही पूरा कर सकी जबकि मोदी सरकार ने 90 फ़ीसदी लक्ष्य प्राप्ति कर लगभग हर ग्रामीण महिला को चूल्हे के धुएँ से आज़ादी दिला दी।

24 जनवरी: ‘राष्ट्रीय बालिका दिवस’ बस एक दिन नहीं, हमारी सामाजिक सच्चाई का आईना है

इनमें 77% महिलाओं ने वर्बल सेक्शुअल हैरस्मेंट (भद्दी गली, छींटाकशी, सीटी मारना, अश्लील कमेंट करना) का सामना किया। 51% महिलाओं का कहना रहा कि उन्हें बिना उनकी मर्ज़ी के हाथ लगाया गया। 41% ने बताया कि वो ऑनलाइन यौन शोषण का शिकार हुई हैं।

जब सूट-बूट वाली सरकार ने आम आदमी को वो दिया जो उन्हें 50 साल पहले मिलना था

लड़कियाँ स्कूल सिर्फ इस कारण नहीं जाना चाहती हैं क्योंकि वहाँ उनके पास शौचालय जाने जैसे सुविधाएँ ही नहीं मिल पाती हैं। उन्हें उन तमाम मनोवैज्ञानिक असुविधाओं से गुजरना होता है, जिनके बारे में हम कल्पना तक नहीं कर सकते हैं।

इम्तियाज़ और अब्दुल ने कॉन्स्टेबल प्रकाश को पिकअप ट्रक चढ़ाकर मार दिया, कहीं ख़बर पढ़ी?

अब आप इसी हत्या की कहानी के नाम बदल दीजिए, प्रकाश को ट्रक पर बिठा दीजिए, फ़ैयाज़ और क़ुरैशी को पुलिस बना दीजिए। तब ये घटना, भले ही इसमें घृणा का एंगल न हो, साम्प्रदायिक हो जाएगी।

विश्व की सबसे बड़ी सेनिटेशन योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ से हमें क्या मिला

साठ के दशक के आरंभिक दिनों में जब विद्याधर सूरजप्रसाद नायपॉल अपने पुरखों की भूमि भारत आए थे तब उन्हें कश्मीर से लेकर मद्रास...

राहुल गाँधी जी, हवाबाज़ी थोड़ा कम कीजिए! ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ ने ज़िंदगियाँ बदली हैं

'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' योजना की प्रमुख ज़रूरत देशव्यापी जागरूकता अभियान भी है। पर राहुल और उनके पिट्ठू मीडिया को वास्तविक तथ्यों से अवगत हो और उसे सच्चाई के साथ पेश करने की उम्मीद करना बड़ा सवाल है।

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