47 साल के मोहम्मद फलील के अनुसार, "पुलिस देखती रही, वे गली में थे। उन्होंने किसीको भी नहीं रोका है। उन्होंने हमें अंदर जाने के लिए कहा। हमने पुलिस को कहा कि इसे रोको, लेकिन पुलिस ने गोली नहीं चलाई। पुलिस को ये रोकना था, लेकिन पुलिस ने ऐसा नहीं किया।"
इन दंगों में अब तक कई घरों और मस्जिदों पर हमला किया जा चुका है। दंगाई हाथ में लाठी और हथियार लिए आते हैं और सीधा हमला कर देते हैं। इस समय श्री लंका में अल्पसंख्यक मुस्लिमों में और सिंहलियों में काफ़ी तनातनी का माहौल है।
आज का मीडिया 'जिहाद' शब्द का ग़लत प्रयोग कर रहा है। इसका अर्थ बुराई के ख़िलाफ़ संघर्ष करना होता है जबकि मीडिया में इसे 'पवित्र युद्ध' की तरह पेश किया जा रहा है। 'पवित्र युद्ध' का कॉन्सेप्ट कई सौ साल पहले आया था, जब ईसाईयों ने अपने धर्म को फैलाने के लिए ज़ोर-ज़बरदस्ती की और हज़ारों लोगों के ख़ून बहाए।
लोकसभा चुनाव 2019 के अंतिम चरण में बशीरघाट में मतदान होगा। ध्यान देने वाली बात यह है कि बशीरघाट में 50 फ़ीसदी से अधिक लोग मुस्लिम हैं, पिछले साल वहाँ 2 बार साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएँ हो चुकी हैं।
ग्रेटा कहती हैं कि इन समस्याओं से जूझने के लिए सबसे बड़ा उपाय है कि हर व्यक्ति को पढ़ना चाहिए और खुद को शिक्षित बनाना चाहिए। तभी लोग समझ पाएँगे कि उन्हें क्या करना है। वो कहती हैं कि वो सिर्फ़ एक बच्ची हैं और संदेशवाहक की भूमिका में है।
श्री लंका में स्थिति अभी भी तनावपूर्ण बनी हुई है। स्थानीय आबादी और समुदाय विशेष के बीच ताजा तनातनी एक फेसबुक पोस्ट को लेकर हुई और देखते ही देखते कर्फ्यू लगाने की स्थिति आ गई। यह घटना चिलॉव नाम के शहर में हुई है। स्थानीय पुलिस ने...
अधिकारियों को इस बात की पुष्टि करने के लिए लगभग एक दशक से अधिक समय लगा। होगेल ने 43 लोगों की हत्या करने की बात तो स्वीकार कर ली है, साथ ही अन्य 52 लोगों को मारने से भी इनकार नहीं किया। लेकिन, अन्य पाँच लोगों को मारने से इनकार किया है।
प्रदर्शनकारियों ने हरे झंडे बैनर के साथ मंदिर निर्माण का विरोध करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इस पर बैनर पर साफ-साफ लिखा है कि अगर उन्होंने मंदिर निर्माण का कार्य प्रारंभ किया तो वो जिहाद को अंजाम देने के लिए तैयार हैं।