Wednesday, July 3, 2024
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मोहम्मद जुबैर ने 3 बार ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों पर करवाया अपना ‘मुँह काला’: हर बार करता है डिफेंड, हर बार सच आ जाता है सामने

मोहम्मद जुबैर ने एक नहीं, दो नहीं, बल्कि तीन-तीन बार 'पाकिस्तान जिंदाबाद' का नारा लगाने वालों को डिफेंड करने का प्रयास किया है। खास बात ये है कि वो हर बार इस मामले में अपनी फजीहत करवाता है लेकिन फिर अगर कोई इस मामले में फँसता दिखता है तो उनके बचाव में उतर जाता है।

कर्नाटक में 27 फरवरी 2024 को राज्यसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस प्रत्याशी नासिर हुसैन की जीत हुई थी। इसी जश्न का एक वीडियो वायरल हुआ जिसमें कुछ लोग ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ जैसा नारा लगाते सुनाई दिए। पुलिस ने स्वतः संज्ञान लेते हुए केस दर्ज कर के जाँच शुरू कर दी। इसी जाँच के दौरान अचानक मोहम्मद जुबैर की एंट्री होती है जो फैक्ट चेक की आड़ में अपना ख़ास मजहबी एजेंडा बड़े स्तर पर चला रहा है। आनन-फानन में जुबैर ने संदिग्धों को क्लीन चिट दे डाली और अपनी स्वघोषित रिपोर्ट में यह बता दिया कि नारे में ‘नासिर साहब जिंदाबाद’ बोला गया था।

जुबैर की यह साजिश तब फ़ौरन ही कामयाब होती दिखी जब कर्नाटक कॉन्ग्रेस सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी उसकी हाँ में हाँ मिला दी। हालाँकि बाद में FSL रिपोर्ट आई जिसमें संदिग्धों द्वारा लगाए गए नारों में पाकिस्तान जिंदाबाद बोले जानी की पुष्टि हो गई। पुलिस ने इल्ताज, मुनव्वर और मोहम्मद नाशीपुडी को गिरफ्तार भी कर लिया। इसके बावजूद भी मोहम्मद जुबैर अपनी करतूत पर अड़ा रहा और उसने अपने ट्वीट को डिलीट नहीं किया।

सनातन को खत्म करने की कसम खाने वाले एक मुख्यमंत्री से सम्मानित होने के बाद अपनी हरकतों के चरम पर पहुँच चुके मोहम्मद जुबैर द्वारा ऐसी हरकत पहली बार नहीं की गई। ऐसे मामले में जुबैर के कलंकित इतिहास की फेहरिस्त काफी लम्बी है। मोहम्मद जुबैर के इसी एजेंडे वाले इतिहास में सबसे अहम बात ये है कि जहाँ सच्ची घटना होती है वहाँ वो भ्रम फैलाने लगता है लेकिन जहाँ भ्रामक घटनाएँ होती हैं उसे वह सच साबित करने में जुट जाता है।

मजहबी क्लीन चिट पर भारी FSL रिपोर्ट

कर्नाटक में 27 फरवरी 2024 को लगे ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ के नारों के बाद जुबैर उसी दिन रात 8:44 पर अपनी थ्योरी लेकर आ जाता है। फैक्ट चेकिंग के लिए उसने Inshot ऐप का प्रयोग किया। ऐप से वीडियो को स्लो मोशन कर के उसने इसे उच्च तकनीकि वाला साबित करने की भरसक कोशिश की। अपनी मजहबी अदालत में उसने कन्नड़ चैनलों के तमाम स्क्रीनशॉट शेयर करते हुए उन्हें और भाजपा समर्थको को दोषी भी करार दे दिया। भ्रम की दीवार बेहद मजबूत हो जाए इसके लिए उसने आदतन/साजिशन नीचे कई थ्रेड भी डाल दिए।

हालाँकि मोहम्मद जुबैर की मुस्लिम ब्रदरहुड वाली मजहबी क्लीन चिट पर कर्नाटक पुलिस की कार्रवाई भारी पड़ी। 4 मार्च 2024 को FSL रिपोर्ट में आरोपितों द्वारा लगाए गए पाकिस्तान जिंदाबाद के नारों की पुष्टि हुई। पुलिस ने मोहम्मद नशीपुडी, मुनव्वर और इल्ताज को गिरफ्तार कर लिया। इस मामले की रिपोर्ट कर्नाटक के गृहमंत्री को भी प्रेषित की जा रही है। इतने के बावजूद मजहबी जुबैर को अपनी करतूत पर अब इतनी भी शर्म नहीं कि वह अपने उस ट्वीट को डिलीट कर ले जिसमें AIMIM पार्टी के कई कट्टरपंथी उसकी शह पर बेहद आपत्तिजनक शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं।

ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक प्रतीक सिन्हा तो उनसे भी 2 कदम आगे निकल गए। उन्होंने अपनी एजेंडे वाली वेबसाइट ALT News पर तो बाकायदा आर्टिकल पब्लिश कर डाला। आर्टिकल में उन्होंने नासिर साहब जिंदाबाद बोले जाने का एलान FSL रिपोर्ट आने से पहले ही कर डाला। इस से भी बड़ी बात ये है कि यह आर्टिकल अभी तक ज्यों की त्यों मौजूद है। इस आर्टिकल को ओशिनी भट्टाचार्य द्वारा लिखा गया है।

बेलगावी मामले पर भी डाला था पर्दा

जैसा हम पहले ही बता चुके हैं कि पाकिस्तान परस्तों की पैरवी मोहम्मद जुबैर ने पहली बार कर्नाटक के बेंगलुरु में नहीं की है। इससे पहले उसने यही हरकत कर्नाटक के ही बेलगावी में की थी। तब राज्यसभा चुनावों में कॉन्ग्रेस पार्टी की जीत हुई थी। इसी क्रम में बेलगावी विधानसभा से कॉन्ग्रेस प्रत्याशी आसिफ जीत कर विधानसभा पहुँचे थे। उस समय उनके विजय जुलूस में नारेबाजी हुई थी जिसमें ‘पाकिस्तान जिंदाबाद’ कहे जाने का आरोप लगा था।

27 सेकेंड लम्बे इस वीडियो में कुछ इस्लामी टोपी पहने लोग पुलिस की मौजूदगी में आपत्तिजनक नारेबाजी करते दिखे थे। इसी वीडियो के बैकग्राउंड में कुछ लोगों को यह कहते सुना गया था कि ‘वीडियो बनाओ, कुछ लोग पाकिस्तान जिंदाबाद बोल रहे हैं’।

इस मामले में भी फ़ौरन ही मोहम्मद जुबैर ने एंट्री की थी। पहले उसने @total_woke_ के ट्वीट को कोट कर के मामले को भटकाने के लिए बताया कि पुलिस ने कहा कि दूसरे प्रत्याशी की जीत पर कुछ मत बोलो। इसके बाद 13 मई 2024 को एक अन्य ट्वीट में उसने बेलगावी इंस्पेक्टर दयानन्द से बातचीत का दावा करते हुए कहा कि पुलिस के मुताबिक अभी तक पाकिस्तान जिंदाबाद बोले जाने को ले कर कुछ भी साफ़ नहीं कहा जा सकता। इसी ट्वीट की अंतिम लाइन में जुबैर ने बताया कि पुलिस ने उन्हें आगे की जाँच के लिए वीडियो के FSL में भेजे जाने की बात कही है।

बाद में प्रदेश के ADG लॉ एंड ऑर्डर ने 14 मई 2023 को अपने ट्वीट में बताया था कि FIR दर्ज करके आरोपितों के विरुद्ध कार्रवाई की जा रही है। ADG L/O के बयान के बावजूद मोहम्मद जुबैर के रुख और ट्वीट में ज़रा सी भी तब्दीली नहीं आई। जुबैर का वह भ्रामक ट्वीट अभी भी ज्यों का त्यों कायम रह कर भ्रम फैला रहा है।

भीलवाड़ा में भी किया जाँच को प्रभावित

मोहम्मद जुबैर खुद को और अपनी वेबसाइट ALT News को एक अदालत के तौर पर बनाने का प्रयास कर रहा है जहाँ से कोई भी पाकिस्तान समर्थक प्रथम दृष्टया क्लीन चिट ले सकता है। वह न सिर्फ संदिग्धों को क्लीन चिट देता है बल्कि उनकी हरकतों को दिखाने वाले मीडिया संस्थानों पर भी ऐसा दबाव बनाने की कोशिश करता है जिससे वो भविष्य में पाकिस्तान परस्तों की हरकतों को नजरअंदाज कर दें।

इसी क्रम में एक अन्य घटना राजस्थान के भीलवाड़ा की है। मई 2022 में जुबैर ने राजस्थान के भीलवाड़ा जिले की घटना का जिक्र करते हुए एक बार फिर से पाकिस्तान परस्तों को कवर किया था। यह घटना फरवरी 2021 की थी जब प्रतिबंधित आतंकी समूह PFI की राजनैतिक शाखा SDPI के नेता अब्दुल सलाम अंसारी ने एक रैली निकली थी। इस रैली में पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगे थे। इस वीडियो को ABP और दैनिक भास्कर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों ने खबर के तौर पर चलाया।

घटना के लगभग सवा साल बाद 19 मई 2022 को आदतन जुबैर इस मामले में भी पकिस्तन परस्तों के साथ सीना तान कर खड़ा हो गया था। उसने दैनिक भास्कर और ABP को ही गलत ठहराते हुए घोषित कर दिया कि नारे के तौर पर ‘SDPI जिंदाबाद’ बोला गया था।

हालाँकि, 22 नवंबर 2022 को इस वीडियो की फॉरेंसिक रिपोर्ट सामने आ गई। फॉरेंसिक जाँच में पाकिस्तान जिंदाबाद नारे की पुष्टि हुई थी। तब भीलवाड़ा पुलिस ने PFI के जिलाध्यक्ष अब्दुल सलाम अंसारी को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बावजूद मोहम्मद जुबैर, उसकी वेबसाइट ALT News और सहयोगी अर्चित अपने झूठ पर अड़े रहे। वो खबर, ट्वीट इत्यादि अभी भी ज्यों की त्यों अपनी जगह मौजूद है।

इसके अलावा कई अन्य मौकों पर जुबैर और उसके गिरोह ने पुलिस या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की जाँच से पहले ही अपनी कथित अदालत से फैसला सुना दिया था। दबाव बनाने की यह साजिश न सिर्फ प्रशसनिक अधिकारियों बल्कि मीडियाकर्मियों के खिलाफ भी लक्षित होती है। हालाँकि इस बात की संभावना न के बराबर है कि बार-बार अपनी पोल खुलने के बावजूद जुबैर और उसके गिरोह की हरकतों में जरा सा भी सुधार होगा। फ़िलहाल पाकिस्तान परस्तों में जुबैर की पोल बार-बार खुलने और भ्रामक दबाव काम न करने की वजह से थोड़ी मायूसी जरूर है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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