चीन से गतिरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट में कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी और पार्टी के कुछ अन्य नेताओं के खिलाफ एक याचिका दायर की गई है। वकील शशांक शेखर झा की ओर से दायर इस याचिका में 2008 में यूपीए सरकार और चीनी सरकार के बीच हुए समझौते के संबंध में जानकारी माँगी गई है।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट से माँग की गई है कि वो राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) से इस मामले की जाँच गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत कराने के संबंध में आदेश या निर्देश जारी करे।
A petition has been filed in SC by a lawyer, against Sonia Gandhi, Rahul Gandhi&some other Congress leaders on “a MoU between the UPA govt&Chinese Govt in 2008”. Petition seeks SC’s order directing NIA to investigate the agreement under Unlawful Activities(Prevention) Act,1967
— ANI (@ANI) June 24, 2020
याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा और सेवियो रॉड्रिग्स ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत यह जनहित याचिका दायर करके कॉन्ग्रेस और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीसी) के बीच समझौते के विस्तृत डिटेल को उजागर करने की माँग की है। शशांक शेखर झा पेशे से वकील हैं, जबकि रॉड्रिग्स गोवा क्रॉनिकल के एडिटर-इन-चीफ हैं।
बुधवार (जून 24, 2020) को दायर याचिका में में यह भी कहा गया है कि पार्टी ने इस समझौते की बारीकियों से देश को अंधेरे में रखा। राष्ट्रहित से जुड़ी जानकारी भी सार्वजनिक नहीं हुई। लिहाजा NIA जाँच जरूरी है।
याचिका में कॉन्ग्रेस और चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच 2008 में हुए करार के संबंध में जानकारी देने की माँग की गई है। इस करार के तहत दोनों के बीच हाई लेवल जानकारी का आदान प्रदान और सहयोग शामिल है।
वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी ने भी गैरकानूनी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम के तहत समझौते की एनआईए जाँच की माँग की थी।
उल्लेखनीय है कि दोनों पार्टियों ने महत्त्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर एक दूसरे से परामर्श लेने और उच्च स्तरीय संपर्क को सुलभ बनाने के लिए 2008 में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए थे। बता दें कि 2008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान UPA चेयरपर्सन सोनिया गाँधीऔर कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी चीन गए थे। इसी दौरान कॉन्ग्रेस पार्टी और कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के बीच समझौता हुआ था। ये समझौता शी जिनपिंग की मौजूदगी में हुआ था।
बता दें कि बात सिर्फ़ इस समझौते ज्ञापन की नहीं है। राहुल के संबंध चीन के साथ कुछ समय पहले डोकलाम विवाद पर भी उजागर हुए थे। जब उन्होंने चीन के साथ एक नहीं दो बार गुप्त बैठकें की थी।
पहली मीटिंग 2017 में हुई थी, जब उन्होंने चीनी राजदूत लुओ झाओहुई के साथ उस समय बैठक की थी, जब भारत और चीन के बीच डोकलाम विवाद छिड़ा था। इसके बाद कैलाश मानसरोवर मामले पर चीन के नेताओं से हुई गुप्त बैठक के बारे में तो राहुल गाँधी ने खुद ही खुलासा कर दिया था। राहुल उस समय पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। जिसके कारण उनका इस तरह चीन अधिकारियों व नेताओं से बैठक करने ने कई सवाल खड़े कर दिए थे।