रामजन्मभूमि पर दिए गए फ़ैसले में सुप्रीम कोर्ट ने गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस का भी जिक्र किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने 1045 पेज के जजमेंट माना है कि वाल्मीकि रामायण की तरह ही रामचरितमानस भी हिन्दुओं के बीच काफ़ी लोकप्रिय है और इसे श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हिन्दू धर्म में रामचरितमानस सबसे बड़े साहित्यों में से एक है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में मानस के बालकाण्ड में वर्णित उन चौपाइयों का जिक्र किया है, जिसे और कोई नहीं बल्कि स्वयं भगवान विष्णु ने कहा है। विष्णु द्वारा कही गई बातें सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले में भी शामिल हुईं।
इससे पहले बता दें कि सीजेआई रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने अयोध्या मामले में शनिवार (नवम्बर 9, 2019) को जो फ़ैसला सुनाया, उसमें हिन्दुओं की आस्था पर मुहर लगाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर के निर्माण का आदेश दिया गया। इसके साथ ही ये विवाद भी ख़त्म हो गया, क्योंकि मुस्लिमों को भी मस्जिद बनाने के लिए अलग से 5 एकड़ ज़मीन दी जाएगी। फ़ैसले का मुख्य बिंदु ये रहा कि सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को एक ट्रस्ट बना कर तीन महीने के भीतर राम मंदिर निर्माण के लिए योजना बनाने को कहा।
अब वापस रामचरितमानस की चौपाई पर आते हैं। जब पूरे विश्व में रावण का आतंक बढ़ गया था, तब उससे न सिर्फ़ मनुष्य बल्कि देवता और ऋषि-मुनि भी भयभीत थे। ऐसे में भगवान विष्णु के अलावा उनका सहारा कौन हो सकता था। सारे देवी-देवता, ऋषि-मुनि और गन्धर्व भाग कर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे मदद माँगी। भगवान ने भी उनके दुःख हरने का आश्वासन देते हुए कहा:
जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा। तुम्हहि लागि धरिहउँ नर बेसा॥
अंसन्ह सहित मनुज अवतारा। लेहउँ दिनकर बंस उदारा॥
कस्यप अदिति महातप कीन्हा। तिन्ह कहुँ मैं पूरब बर दीन्हा॥
ते दसरथ कौसल्या रूपा। कोसलपुरीं प्रगट नर भूपा॥
तिन्ह कें गृह अवतरिहउँ जाई। रघुकुल तिलक सो चारिउ भाई॥
नारद बचन सत्य सब करिहउँ। परम सक्ति समेत अवतरिहउँ॥
अर्थात, भगवान विष्णु ने सभी लोगों ने कहा:
“हे मुनि, सिद्ध और देवताओं के स्वामियो! डरो मत। तुम्हारे लिए मैं मनुष्य का रूप धारण करूँगा और उदार (पवित्र) सूर्यवंश में अंशों सहित मनुष्य का अवतार लूँगा। कश्यप और अदिति ने बड़ा भारी तप किया था। मैं पहले ही उनको वर दे चुका हूँ। वे ही दशरथ और कौसल्या के रूप में मनुष्यों के राजा होकर अयोध्यापुरी में प्रकट हुए हैं। उन्हीं के घर जाकर मैं रघुकुल में श्रेष्ठ चार भाइयों के रूप में अवतार लूँगा। नारद के सब वचन मैं सत्य करूँगा और अपनी पराशक्ति सहित अवतार लूँगा।“
सुप्रीम कोर्ट ने तुलसीदास रचित और भगवान विष्णु द्वारा कही गई इन बातों को न सिर्फ़ अपने जजमेंट में शामिल किया है, बल्कि साथ-साथ इनका अंग्रेजी अनुवाद भी उद्धृत किया है। सुप्रीम कोर्ट ने बताया है कि किस तरह भगवान विष्णु ने श्रीराम के रूप में अयोध्या में जन्म लेने की बात कही है। इससे उनलोगों की भी पोल खुल जाती है, जो लगातार कहते हैं कि तुलसीदास ने कभी जन्मभूमि का जिक्र नहीं किया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फ़ैसले में कहा है कि उपर्युक्त चौपाइयाँ न सिर्फ़ ये बताते हैं कि विष्णु मानव रूप में अवतार लेंगे, बल्कि ये भी बताती हैं कि वो दशरथ और कौशल्या के यहाँ अवतरित होंगे।
बकौल सुप्रीम कोर्ट जजमेंट, इन चौपाइयों में भगवान विष्णु ने कहा है कि वो ‘किस जगह’ पर अवतरित होंगे। ‘तिन्ह के गृह’ के अर्थ हुआ ‘दशरथ और कौशल्या के घर’। अफ़सोस की बात ये है कि यही बात अब जब सुप्रीम कोर्ट कह रहा है तो चर्चा हो रही है, लेकिन ये चीजें घर-घर में मौजूद मानस में पहले से ही हैं। किसी ने अनायास इन चौपाइयों को ढूँढ कर नहीं पेश कर दिया, हजारों-लाखो लोग इसका पाठ करते हैं। फिर भी, राम मंदिर को लेकर इतने दिन विवाद की स्थिति बना कर रखी गई। ये चौपाइयाँ सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हिस्सा बन कर ऐतिहासिक नहीं हुईं, बल्कि सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें इसीलिए अपने जजमेंट में शामिल किया क्योंकि ये ऐतिहासिक हैं।
#AyodhyaVerdict | Ain-i-Akbari, a 16th century document which deals with the administration of Mughal Emperor Akbar, mentions the time of birth of Lord Ram in the Treta Yuga in the city of Ayodhya, the Supreme Court said.https://t.co/a7MCbcCQTl
— The Hindu (@the_hindu) November 10, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने अपने बहुप्रतीक्षित फ़ैसले में कहा है कि रामचरितमानस को सं 1574-75 (विक्रम संवत 1631) में लिखा गया था। यानी बाबर के आक्रमण के बाद। सुप्रीम कोर्ट ने गुरु नानक देव के अयोध्या दौरे का भी जिक्र किया, जिसके हिसाब से यह पता चलता है कि बाबर के आक्रमण से पहले भी अयोध्या में पूजा-पाठ होता था और वो एक तीर्थस्थल था। इसी तरह स्कन्द पुराण और वाल्मीकि रामायण के श्लोकों का भी सुप्रीम कोर्ट ने जिक्र किया है, जिससे तय होता है कि राम का जन्म अयोध्या में ही हुआ था। यही सारे कारण हैं कि इस विवाद का फ़ैसला हिन्दुओं के पक्ष में आया और नवम्बर 9, 2019 का दिन इतिहास में दर्ज हो गया।