Friday, April 26, 2024
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द्वारका और श्रीकृष्ण पर फिल्म लेकर आ रहा साउथ का धाकड़ हीरो: कहा- बॉलीवुड ने हमारी संस्कृति को नीचा दिखाया, PM मोदी सबके लिए प्रेरणा

"नरसंहार एक शर्मनाक चीज है। 'द कश्मीर फाइल्स' एक ऐसी फिल्म हैं, जो पूरे साहसपूर्वक उन डरावनी घटनाओं का चित्रण करती है, ताकि कश्मीरी पंडितों को अंततः न्याय मिले। साथ ही इसे लेकर जागरूकता फैले, ताकि इस तरह की भयानक चीजें दोबारा न हों।"

तेलुगु में एक फिल्म आ रही है, ‘कार्तिकेय 2’, जिसका हिंदी टीजर हाल ही में वृन्दावन के इस्कॉन मंदिर में रिलीज किया गया। बॉलीवुड में ऐसा नहीं होता, इसीलिए आप चौंक गए होंगे। किसी मंदिर में या तीर्थ स्थल पर फिल्म का टीजर लॉन्च? इसके पीछे कारण है। बॉलीवुड में हमारी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासतों पर फ़िल्में भी तो नहीं बनतीं। ‘कार्तिकेय 2’ के लीड हीरो निखिल सिद्धार्थ हैं, जो तेलुगु सिनेमा के उभरते युवा कलाकारों में से एक हैं।

ये फिल्म द्वारका और भगवान श्रीकृष्ण के रहस्यों से पर्दा उठाती हैं। इसके निर्माता अभिषेक अग्रवाल हैं, जो ‘द कश्मीर फाइल्स’ के निर्माता भी थे। अब वो रवि तेजा की पैन-इंडिया फिल्म ‘टाइगर नागेश्वर राव’ को प्रोड्यूस कर रहे हैं। ‘कार्तिकेय 2‘ के निर्देशक चंदू मोंडेति हैं, वहीं फिल्म में मुख्य अभिनेत्री अनुपमा परमेश्वरन हैं। अनुपम खेर भी एक किरदार में दिखाई देंगे। हमने निखिल सिद्धार्थ से इस फिल्म और विभिन्न विषयों पर एक्सक्लूसिव बातचीत की, जिसे हम हूबहू आपके सामने नीचे पेश कर रहे हैं।

‘कार्तिकेय 2’ के हीरो निखिल सिद्धार्थ का इंटरव्यू: बॉलीवुड और हिंदी भाषा से लेकर PM मोदी और ‘द कश्मीर फाइल्स’ तक पर की बात

सवाल: आपकी आने वाली फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ समुद्र में डूबी द्वारका नगरी के इर्दगिर्द घूमती है। इस थीम को चुनने का क्या कारण था? आपको इसमें रुचि कहाँ से आई?

जवाब: ये देख कर काफी हैरानी होती है कि हमारी कुछ सांस्कृतिक विरासतों को मिथक और कल्पना बता कर उन्हें नकार दिया गया, जबकि उन्हें लेकर हमारे पास वास्तविक सबूत हैं, वास्तुकला एवं स्थापत्य के रूप में। द्वारका और राम सेतु का अस्तित्व वास्तव में है, और हमें इस अस्तित्व का सम्मान करने की ज़रूरत है। मैंने इस थीम को इसीलिए चुना, क्योंकि इतिहास/माइथोलॉजी मुझे शुरू से उत्तेजित करता रहा है, जब मैं बच्चा था तभी से। श्रीराम, शिव और कृष्ण भगवान की कहानियों ने हमेशा मुझे मुग्ध किया है।

सवाल: असल जीवन में आप खुद को भगवान श्रीकृष्ण से कैसे जुड़ा हुआ पाते हैं? हाल ही में आपने इस्कॉन मंदिर का दौरा किया और इसके पदाधिकारी राधा रमण दास से मुलाकात की। इस सम्बन्ध में आप अपने अनुभव साझा करें।

जवाब: मैं यादव समुदाय से आता हूँ, ऐसे में मेरा परिवार हमेशा से कृष्णाष्टमी (श्रीकृष्ण जन्माष्टमी) एक बड़े स्तर और मनाता रहा है। ये हमेशा से हमारे परिवार का सबसे मुख्य उत्सव रहा है। वृन्दावन इस्कॉन मंदिर में राधा रमण दास जी से मिलना और मंदिर परिसर से आ रही सकारात्मक ऊर्जा ने मुझे ‘कृष्ण तत्व’ के साथ प्रेम में डाल दिया।

सवाल: ‘कार्तिकेय 2’ को लेकर उत्तर भारतीयों के लिए आपका कोई सन्देश है? वो इस फिल्म को देखें, इसके लिए आप उन्हें क्या कहना चाहेंगे? हाल ही में ‘RRR’, ‘KGF 2’ और ‘पुष्पा’ जैसी फ़िल्में हिंदी बेट में बड़ी हिट बन कर गई हैं।लेकिन, ये सभी एक्शन फ़िल्में थीं। जबकि, आपने जो जॉर्न चुना है वो अलग है।

जवाब: मैं ‘एक भारत और एक फिल्म इंडस्ट्री’ की धारणा में मजबूती से विश्वास रखता हूँ। उपर्युक्त तीनों ही फ़िल्में एक्शन से भरपूर थीं और यहाँ तक कि ‘कार्तिकेय 2’ में भी कुछ जोश भर देने वाले एक्शन दृश्य हैं और शानदार VFX हैं, जो फिल्म देखने के अनुभव को उच्च-स्तर पर लेकर जाएँगे। हम जिस जॉनर की बात कर रहे हैं, वो है – भगवान श्रीकृष्ण के जीवन से जुड़े रहस्य और राज़, और वो वास्तव में थे कौन – जिसे आज तक कवर नहीं किया गया।

सवाल: क्या आपको लगता है कि भारतीय फिल्म इंडस्ट्री, खासकर बॉलीवुड हमारी प्राचीन संस्कृति और आर्कियोलॉजी के बारे में दिखाने में पीछे रह गई? हमारे ऐतिहासिक और आध्यात्मिक विषयों पर फ़िल्में नहीं बनीं, इसके पीछे आप क्या कारण मानते हैं?

जवाब: मैं खुद हिंदी फ़िल्में देखते हुए बड़ा हुआ हूँ। शाहरुख़ खान मेरे पसंदीदा अभिनेता हुआ करते थे और मैं स्कूल में या रोजाना के जीवन में बड़े होते हुए उनकी नक़ल उतारा करता था। हालाँकि, पिछले कुछ समय में बॉलीवुड के निर्देशकों की कुछ फ़िल्में हमारी संस्कृति को नीचा दिखाने और राष्ट्र की भावनाओं को आहत करने की तरफ मुड़ गईं। ये एक सही रास्ता नहीं है और इसका अनुसरण करना ठीक नहीं है। लेकिन, मैं फिर भी मेनस्ट्रीम बॉलीवुड फ़िल्में देखना पसंद करता हूँ और हाल ही में मैंने ‘भूल भुलैया 2’ और ‘द कश्मीर फाइल्स’ को थिएटर में देखा।

सवाल: हाल ही में महेश बाबू ने कहा कि हिंदी फिल्म इंडस्ट्री उन्हें अफॉर्ड नहीं कर सकती। वहीं अल्लू अर्जुन ने कहा कि अगर बॉलीवुड में काम करने की ज़रूरत आती है तो वो इसके लिए सब कुछ झोंक देंगे। आप इनमें से किनसे सहमत हैं? या फिर बॉलीवुड में काम करने को लेकर आप अलग राय रखते हैं?

जवाब: महेश बाबू एक डेमीगॉड की तरह हैं और उनके फैंस वस्तुतः उनकी पूजा करते हैं। उन्होंने मजाक में एक बात कही, जिसे सन्दर्भ से हट कर ले लिया गया। ये हर अभिनेता का सपना होता है कि वो ज्यादा से ज्यादा दर्शकों तक पहुँचे। सही सन्देश देने वाली मेरी फ़िल्में अधिकतम दर्शकों तक पहुँचे, इसके लिए मैं अपना सब कुछ झोंक दूँगा। जैसे कि मैं चाहता हूँ कि अधिक से अधिक दर्शक ‘कार्तिकेय 2’ की कहानी का आनंद लें। ये हमारे सनातन धर्म और भगवान श्रीकृष्ण की कहानी है।

सवाल: ‘कार्तिकेय 2’ के निर्माता अभिषेक अग्रवाल हैं। ये वही शख्स हैं, जिन्होंने ‘द कश्मीर फाइल्स’ का निर्माण किया था। ये एक ब्लॉकबस्टर फिल्म साबित हुई। कश्मीरी पंडितों की दुर्दशा को लेकर आपके क्या विचार हैं?

जवाब: नरसंहार एक शर्मनाक चीज है। ‘द कश्मीर फाइल्स’ एक ऐसी फिल्म हैं, जो पूरे साहसपूर्वक उन डरावनी घटनाओं का चित्रण करती है, ताकि कश्मीरी पंडितों को अंततः न्याय मिले। साथ ही इसे लेकर जागरूकता फैले, ताकि इस तरह की भयानक चीजें दोबारा न हों। अभिषेक अग्रवाल जी के पास ‘द कश्मीर फाइल्स’ को बनाने के लिए वो हिम्मत और हृदय था। मैं खुश हूँ कि उन्होंने हमारी फिल्म ‘कार्तिकेय 2’ का बीड़ा उठाया, जो हमारे देवी-देवताओं, राष्ट्रीय विरासत एवं हिंदी वस्तु-कला चमत्कार सम्बंधित एक अन्य दबा दिए गए मुद्दे को उठाती है।

सवाल: तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम और हिंदी भाषा में आपके प्रिय अभिनेता कौन-कौन से हैं?

जवाब: इस सवाल का जवाब देना कठिन है, लेकिन तेलुगु में पवन कल्याण, तमिल में विजय सर, मलयालम में मोहनलाल सर, कन्नड़ में दिवंगत पुनीत राजकुमार और हिंदी में हमेशा के लिए शाहरुख़ खान।

सवाल: हाल ही में किच्चा सुदीप और अजय देवगन के बीच एक विवाद देखने को मिला। जहाँ एक ने कहा कि हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा नहीं है तो दूसरे ने पूछ दिया कि फिर आप अपनी फ़िल्में हिंदी में डब ही क्यों करते हो? भाषा के इस संघर्ष में आपकी राय क्या है? आपके हिसाब से भारत को कौन सी भाषा एक कर सकती है?

जवाब: हमारे देश की सबसे खास सुंदरता विविधता में एकता और कई अलग-अलग भाषाएँ भी हैं। किसी भी एक भाषा को कभी राष्ट्रभाषा नहीं बनाया जा सकता। लेकिन, मैं इस तथ्य से सहमत हूँ कि मैंने अपनी पहली भाषा के रूप में हिंदी ही सीखी थी, ताकि बड़ी संख्या में लोगों से संवाद बनाए रखने में आसानी हो। ठीक इसी तरह, हर भाषा का सम्मान किया जाना चाहिए और हमारे भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसे सहेज कर रखा जाना चाहिए।

सवाल: क्या हम आपके आने वाले प्रोजेक्ट्स के बारे में जान सकते हैं? वो फ़िल्में जो आप शूट कर रहे हैं या जिन्हें लेकर बातचीत कर रही हो।

जवाब: मैं प्रतिष्ठित प्रोडक्शन हाउस ‘गीता आर्ट्स’ के साथ ’18 Pages’ नामक फिल्म कर रहा हूँ। इसके अलावा एक एक्शन एक्सट्रावगांजा ‘SPY’ में भी मैं दिखाई दूँगा, जिसका निर्माण ‘ED Entertainments’ कर रही है। ये फिर से एक मल्टी-लैंग्वेज फिल्म होगी।

सवाल: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई बार हमारी राष्ट्रीय विरासतों को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय बनाने का लगातार प्रयास किया है। जैसे कि उन्होंने चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तमिलनाडु के मल्ल्पुरम में आमंत्रित किया, वहीं हाल ही में उन्होंने तेलंगाना के मुचिंतल में संत रामानुजाचार्य की ‘Statue Of Equality’ का उद्घाटन किया। आप उनके प्रयासों को किस तरह देखते हैं? पीएम मोदी को लेकर आप क्या सोचते हैं?

जवाब: नरेंद्र मोदी हर किसी के लिए प्रेरणा हैं। चाय बेचने वाला एक सीधा-सादा व्यक्ति भी विश्व के सबसे मजबूत शख्शियतों में से एक बन सकता है। ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को लेकर उनके सभी प्रयास अद्भुत उपक्रम हैं। हालाँकि, मैं सबसे ज्यादा खुश तब होऊँगा जब सरकार राम सेतु और द्वारका को सहेज कर रखने के मुद्दों पर काम करेगी और इन्हें ताजमहल की तरह से ‘विश्व का सांस्कृतिक अचंभा’ वाला आकर्षण बनाएगी।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
चम्पारण से. हमेशा राइट. भारतीय इतिहास, राजनीति और संस्कृति की समझ. बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में स्नातक.

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