Sunday, June 15, 2025
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एक ही जगह 4 अगल-अलग सभ्यता के निशान: पत्थर के औजार, रोम की सुराही, सोने के गहने और भगवान की मूर्तियाँ: चेन्नई का यह गाँव ASI के लिए खास

897 ई. की मूर्तियों और सोने के गहने से लेकर 2000 वर्ष पहले के नक्काशी किए गए बर्तन, दुहत्थी रोमन सुराही... और 12000 साल पहले के पत्थर वाले औजार (हाथ वाली कुल्हाड़ी, छुरी के आकार के काटने लायक औराज) - सब एक ही गाँव में मिला।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की एक टीम ने चेन्नई के पास से 12,000 साल पुरानी कलाकृतियाँ और कुछ प्राचीन पत्थर के औजार खुदाई से निकाले हैं। आश्चर्य यह कि इसी जगह से चार अलग-अलग सभ्यताओं के निशान मिले हैं। ASI का मानना है कि ये चारों सभ्यता एक-दूसरे से सैकड़ों वर्ष पुराने हैं।

प्राप्त जानकारियों के मुताबिक ASI की टीम को चेन्नई के बाहरी इलाके ओरगदम (Oragadam) से 5 किलोमीटर दूर वडक्कुपट्टू (Vadakkupattu) गाँव में कई प्राचीन पत्थर और धार्मिक कलाकृतियाँ मिली हैं। बताया जा रहा है कि इन कलाकृतियों में हाथ वाली कुल्हाड़ी, खरोंचने वाले औजार, फोड़ने वाले औजार और छुरी के आकार के काटने लायक औराज भी शामिल हैं।

पत्थर के औजार से लेकर सोने के गहने और भगवान की मूर्तियाँ भी (फोटो साभार: टाइम्स ऑफ इंडिया)

इस खोज में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने 10mx10m के एक गड्ढे की ऊपरी परत से संगम युग (2000 वर्ष से भी पहले) की कलाकृतियों को निकाला। इसमें नक्काशी किए गए बर्तन, दुहत्थी रोमन सुराही के टुकड़े और काँच की मोतियाँ भी मिलीं। इससे साबित होता है कि उस समय रोमन साम्राज्य के साथ यहाँ के व्यापारिक रिश्ते थे।

इनके अलावा ASI की टीम को सोने के गहने, टेराकोटा के खिलौने, मोती, चूड़ियों के टुकड़े, बर्तन के टुकड़े और सिक्के भी मिले। इसी जगह के आस-पास के क्षेत्र में जमीन की ऊपरी सतह पर ASI की टीम ने पल्लव युग की शुरुआत (275 ईसवी) से पल्लव वंश के आखिरी राजाओं (897 ईसवी) तक की मूर्तियों को भी खोजा है।

एक ही जगह 4 अलग-अलग सभ्याताओं के निशान (फोटो साभार: टाइम्स ऑफ इंडिया)

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की टीम ने वडक्कुपट्टू (Vadakkupattu) गाँव में जब खुदाई शुरू की तो जमीन से कुछ ही सेंटीमीटर नीचे सोने के गहने, टेराकोटा के खिलौने, मोती, चूड़ियों के टुकड़े, बर्तन के टुकड़े और सिक्के आदि मिले। इससे थोड़ी और खुदाई के बाद नक्काशी किए गए बर्तन, दुहत्थी रोमन सुराही के टुकड़े और काँच की मोतियाँ मिलीं। इसके बाद जमीनी सतह से करीब 75 सेंटीमीटर नीचे दबे मिले पत्थरों वाले औजार – हाथ वाली कुल्हाड़ी, खरोंचने वाले औजार, फोड़ने वाले औजार और छुरी के आकार के काटने लायक औराज।

भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण टीम के एक सदस्य का कहना है कि यह एक ऐसी जगह की तरह दिखता है, जहाँ प्राचीन लोग शिकार करने वालों के लिए पत्थर के औजार बनाते थे। आपको बता दें कि वडक्कुपट्टू गाँव से 1 किलोमीटर दूर एक गाँव है – गुरुवनमेदु। यहाँ एक प्राचीन स्थल है, जो पहले के जमाने में मृतकों को दफनाने के काम आती थी। उस जगह की पहचान पुरातत्वविदों ने 1922 में की थी।

राज्य पुरातत्व विभाग से सेवानिवृत्त हुए पुरातत्वविद के श्रीधरन ने मीडिया को बताया कि इस खोज से ऐसा प्रतीत होता है कि वडक्कुपट्टू (Vadakkupattu) गाँव में कई हजार वर्षों से निरंतर इंसानों का निवास रहा है। यहाँ मिले नए प्रमाणों से यह भी पता चलता है कि यह एक सांस्कृतिक और पुरातात्विक रूप से महत्वपूर्ण स्थल भी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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