Saturday, July 27, 2024
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चंद्रयान-3 जैसे 2 मिशन के लिए चाहिए जितने पैसे, उतने मोदी सरकार ने कबाड़ बेचकर जुटाए: सबसे ज्यादा रेलवे से हुई कमाई

इस साल गाँधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने कार्यालयों की सफाई के लिए विशेष अभियान शुरू किया था। 31 अक्टूबर 2023 तक चले इस अभियान के दौरान सरकारी दफ्तरों का कबाड़ बेचकर 557 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। इसमें से सबसे ज्यादा पैसा रेलवे से आया। रेल मंत्रालय को कबाड़ बेचने से करीब 225 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

मोदी सरकार ने कबाड़ बेचकर जितने पैसे इकट्ठा किए हैं, उससे चंद्रयान-3 जैसे दो मिशन पूरे किए जा सकते हैं। अक्टूबर 2021 से लेकर अब तक कबाड़ से केंद्र सरकार ने 1163 रुपए की कमाई की है। वहीं चंद्रयान-3 मिशन का बजट 600 करोड़ रुपए के करीब था। यह वही मिशन है जिसकी सफलता ने पूरी दुनिया को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) का मुरीद बना दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2021 के बाद केंद्र सरकार के कार्यालयों में 96 लाख फाइलों का निपटारा किया गया है। इससे कार्यालयों में करीब 355 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई है। साथ ही दफ्तरों के कॉरिडोर भी खाली हुए हैं। जगह खाली होने के कारण अब दफ्तरों में रिक्रिएशनल एक्टिविटीज की भी गुंजाइश बनी है।

इस साल गाँधी जयंती यानी 2 अक्टूबर को केंद्र सरकार ने कार्यालयों की सफाई के लिए विशेष अभियान शुरू किया था। 31 अक्टूबर 2023 तक चले इस अभियान के दौरान सरकारी दफ्तरों का कबाड़ बेचकर 557 करोड़ रुपए की कमाई हुई है। इसमें से सबसे ज्यादा पैसा रेलवे से आया। रेल मंत्रालय को कबाड़ बेचने से करीब 225 करोड़ रुपये की कमाई हुई है।

इसके बाद कबाड़ बेच सबसे अधिक कमाई करने वाला विभाग रक्षा मंत्रालय रहा। मंत्रालय ने कबाड़ बेच 168 करोड़ रुपए कमाए। कबाड़ बेच 56 करोड़ रुपए कमाई कर पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय तीसरे नंबर पर रहा तो 34 करोड़ रुपए का कबाड़ बेच कोयला मंत्रालय चौथे नंबर पर रहा।

इस साल सरकारी दफ्तरों में कबाड़ को ठिकाने लगाने से कुल 164 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई है। जगह खाली होने के मामले में कोयला मंत्रालय अव्वल रहा। यहाँ 66 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई। दूसरे नंबर पर भारी उद्योग मंत्रालय में 21 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई। जगह के मामले में रक्षा मंत्रालय यहाँ सबसे पीछे रहा। कबाड़ बेचने से यहाँ 19 लाख वर्ग फुट जगह खाली हुई।

इस साल लगभग 24 लाख फाइलें सरकारी दफ्तरों से कबाड़ में बेची गई। इस मामले में विदेश मंत्रालय पहले नबंर पर रहा। यहाँ 3.9 लाख फाइलें में छंटनी कर उन्हें कबाड़ में निकाला गया। इसके बाद दूसरे नंबर पर सैन्य मामलों का विभाग रहा। यहाँ 3.15 लाख फाइलें को छाँट कर उनका निपटारा किया गया। इस साल के स्वच्छता अभियान में 2.58 लाख सरकारी दफ्तर शामिल थे।

स्क्रैप की बिक्री से 1163 करोड़ रुपए के राजस्व का आँकड़ा दर्शाता है कि पीएम मोदी का स्वच्छता अभियान सरकारी कार्यक्रम कितना असरदार और अहम रहा है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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