Tuesday, September 10, 2024
Homeविविध विषयअन्यनेहरू की बहन ने घर से भाग जिस मुस्लिम से किया निकाह, उसे ही...

नेहरू की बहन ने घर से भाग जिस मुस्लिम से किया निकाह, उसे ही बनाया भारत का एंबेसडर: रिश्ते तुड़वाने में गाँधी का भी हाथ

''स्यूद, जो आप कह रहे हैं वह सही नहीं है। तुम मुसलमान हो और मैं हिंदू। हमारे लिए यह सब ठीक नहीं है। तुम मेरे भाई हो, लेकिन एक पति के रूप में मैं तुम्हें कभी नहीं स्वीकार सकती।''

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और राष्ट्रपिता महात्मा को भारत को एक धर्मनिरपेक्ष राज्य बनाने के लिए लंबे समय से सम्मानित किया जा रहा है। वहीं, जवाहरलाल नेहरू के पिता मोतीलाल नेहरू एक मुस्लिम पत्रकार के साथ अपनी बेटी के निकाह के विरोध में थे। यहाँ तक कि दोनों के रिश्ते को खत्म करने के लिए महात्मा गाँधी ने मोतीलाल नेहरू की मदद की थी।

शीला रेड्डी ने अपनी पुस्तक ‘मिस्टर एंड मिसेज जिन्ना: द मैरिज दैट शुक इंडिया’ में ऐतिहासिक पहलुओं का जिक्र किया है। इसमें उन्होंने कहा कि मोतीलाल नेहरू द्वारा धर्मनिरपेक्षता का चोला ओढ़ना सिर्फ एक दिखावा था। उन्होंने अपनी पुस्तक में बताया कि कैसे वह एक मुस्लिम व्यक्ति के साथ अपनी बेटी के प्रेम संबंधों के विरोध में थे।

मोतीलाल नेहरू की बड़ी बेटी और जवाहरलाल नेहरू की बहन, ‘नन’ जिन्हें विजया लक्ष्मी पंडित के नाम से भी जाना जाता है। विजया ऑक्सफोर्ड में पढ़े मुस्लिम पत्रकार और एक अंग्रेजी अखबार इंडिपेंडेंट के युवा संपादक स्यूद हुसैन दिल दे बैठी थीं। दोनों एक दूसरे से बेइंतहा मोहब्बत करते थे। जब मोतीलाल नेहरू को उनके अफेयर के बारे में पता चला, तब तक बहुत देर हो चुकी थी, क्योंकि दोनों परिवार वालों से छिप कर निकाह कर चुके थे। इस प्यार की शुरुआत तब हुई थी, जब मोतीलाल ने अपने भव्य निवास आनंद भवन में स्यूद को रहने के लिए आमंत्रित किया था।

बात उन दिनों की है जब नेहरू कथित तौर पर हुसैन की देशभक्ति से काफी प्रभावित हुए थे। वे अपना समाचार पत्र लॉन्च करने के लिए एक संपादक की तलाश कर रहे थे। उन्होंने अपने अंग्रेज मित्र और बॉम्बे क्रॉनिकल के संस्थापक संपादक बीजी हॉर्निमन के कहने पर युवा पत्रकार हुसैन को काम पर रख लिया था। हालाँकि, स्यूद ने इंग्लैंड में पढ़ाई की और वह अपने घर के सबसे लाडले थे। ऐसे में उन्हें इलाहाबाद में रहने ने काफी दिक्कतें आ रही थी। वह यहाँ बीमार हो गए थे, जिसके बाद मोतीलाल नेहरू ने उन्हें आनंद भवन में रहने के लिए आमंत्रित किया था।

जैसे ही हुसैन और विजया ने एक ही छत के नीचे रहना शुरू किया, दोनों एक-दूसरे के बेहद करीब आ गए। जब तक मोतीलाल को पता चला कि उनकी बेटी हुसैन से प्यार करती है, तब तक दोनों ने छिपकर निकाह कर लिया था। यह बात मोतीलाल नेहरू को अच्छी नहीं लगी। उन्हें इस रिश्ते से एक ही शिकायत थी कि हुसैन एक मुसलमान थे। हिन्दू-मुस्लिम एकता की कथित मिसाल कायम करने वाले के परिवार के सदस्यों की बात आई, तो उनके लिए इस सच को अपनाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि उनकी बेटी एक मुस्लिम व्यक्ति से प्यार करती थी और उसने गुपचुप तरीके से निकाह कर लिया था।

रेड्डी ने अपनी किताब में यह भी लिखा है कि किस तरह से इन दोनों को अपना रिश्ता खत्म करने के लिए मजबूर किया गया था। विजया ने बाद में बताया था कि कैसे हुसैन के साथ अपने रिश्ते को खत्म करने के लिए उसके परिवार वालों ने उन पर दबाव बनाया था। इसका एक ही कारण था कि वह एक मुस्लिम थे और धर्म से बाहर जाकर शादी करना गलत था।

रेड्डी ने आगे लिखा कि मैंने सोचा कि उस समय जिन लोगों ने हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल कायम की। एक ऐसा परिवार जिसके सबसे अधिक मुस्लिम दोस्त थे। उन्हें अपनी बेटी का धर्म से बाहर जाकर निकाह करना स्वीकार्य होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ वे रूढ़िवादी विचारधारा के थे।

यही नहीं मोतीलाल नेहरू ने अपनी बेटी का रिश्ता खत्म करने के लिए महात्मा गाँधी की भी मदद ली थी। गाँधी ने कथित तौर पर नन से कहा था, “सरूप (शादी से पहले उनका दिया गया नाम), अगर मैं आपकी जगह होता तो मैं खुद को कभी भी स्यूद हुसैन के करीब नहीं आने देता। उसे केवल मित्रता रखने की अनुमति ही देता।” गाँधी ने जवाहर लाल नेहरू की बहन को समझाते हुए कहा था कि मान लीजिए कि स्यूद ने कभी मेरी तारीफ की होती, या मुझसे प्यार का इजहार किया होता, तो मैं कभी भी उसके प्रति आकर्षित नहीं होता। मैं कहता, ”स्यूद, जो आप कह रहे हैं वह सही नहीं है। तुम मुसलमान हो और मैं हिंदू। हमारे लिए यह सब ठीक नहीं है। तुम मेरे भाई हो, लेकिन एक पति के रूप में मैं तुम्हें कभी नहीं स्वीकार सकती।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

फेसबुक चाहता है वामपंथियों का टूल बना रहे विकिपीडिया, भारत विरोधी प्रचार में आता रहे काम: हमने बनाया 186 पन्नों का डोजियर, उन्होंने रिपोर्ट...

सरकार को Wikimedia Foundation पर यह प्रभाव डालना चाहिए कि वे कानूनी रूप से भारत में एक आधिकारिक उपस्थिति स्थापित करे और भारतीय कानूनों के अनुसार वित्तीय जाँच से गुजरें।

जब राहुल गाँधी के पिता थे PM, तब सिखों की उतारी पगड़ियाँ-काटे केश… जलाए गए जिंदा: 1984 नरसंहार का वह इतिहास जिसे कॉन्ग्रेस नेता...

राहुल गाँधी ने अमेरिका में यह बताने की कोशिश की है कि भारत में भारत में सिखों को पगड़ी और कड़ा पहनने की इजाजत नहीं है, जबकि इसी कॉन्ग्रेस के रहते सिखों का नरसंहार किया गया था।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -