Saturday, April 20, 2024
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यदि यूज करते हैं डेबिट और क्रेडिट कार्ड तो यह खबर आपके लिए है, 1 जनवरी 2022 से बदल रहे नियम: टोकन लेने के बाद हो पाएगी शॉपिंग

1 जनवरी 2022 के बाद आप जब भी किसी मर्चेंट को डिजिटल भुगतान करेंगे तो नए नियमों के तहत आपको दो ऑप्शन दिए जाएँगे। एक कार्ड विवरण का और दूसरा टोकन का।

ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के दौरान साइबर फ्रॉड की घटनाएँ न हो इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने नए नियम बनाए हैं। अभी तक आप जब भी कुछ डिजिटल खरीददारी करते थे तो आपको अपने क्रेडिट/डेबिट कार्ड की डिटेल किसी साइट पर देनी पड़ती थी, इससे ऑनलाइन धोखाधड़ी के केस दिन पर दिन बढ़ रहे थे। इनकी रोकथाम के लिए और यूजर की निजता का ख्याल करते हुए रिजर्व बैंक ‘इन्क्रिप्टिड’ टोकन सिस्टम लेकर आया है। बैंक ने सभी मर्चेंट (व्यापारियों) और पेमेंट गेटवे को ग्राहकों के संवेदनशील डाटा को हटाने के लिए निर्देश दिए हैं। ये नए नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होंगे।

रिपोर्ट्स के अनुसार, एचडीएफसी बैंक जैसे बैंकों ने पिछले हफ्ते मैसेज भेजकर अपने उपभोक्ताओं को ये जानकारी दी है कि 1 जनवरी 2022 के बाद आप जब भी भुगतान करेंगे तो नए नियमों के तहत आपको दो ऑप्शन दिए जाएँगे। एक कार्ड विवरण का और दूसरा टोकन का। कार्डधारक को निर्णय लेना है कि वो कार्ड की पूरी डिटेल देगा या फिर टोकन के जरिए पेमेंट करेगा। अगर उसे टोकन से भुगतान करना हुआ इसके लिए टोकन जारी किया जाएगा।

एचडीएफसी द्वारा भेजे गए मैसेज में लिखा है, “नए नियम 1 जनवरी 2022 से लागू होंगे। आरबीआई के आदेशानुसार, कार्ड (डेबिट/क्रेडिट) की सुरक्षा को बढ़ाने के लिए मर्चेंट वेबसाइट/ऐप पर संभाले गए आपके एचडीएफसी बैंक कार्ड की जानकारी को डिलीट कर दिया जाएगा। पेमेंट करने के लिए, हर बार कार्ड की पूरी जानकारी डालें या टोकनाइजेशन का विकल्प चुनें।”

बता दें कि नियमों में बदलाव का फैसला कोई हाल-फिलहाल में नहीं लिया गया। इस पर विमर्श पहले से हो रहा था और आरबीआई ने भी सितंबर में नोटिस जारी करके नए नियम के बारे में बताया था। सितंबर 2021 में जारी किए गए नए दिशा-निर्देश के मुताबिक, कंपनियों को साल के आखिर तक नियमों का पालन करने और उन्हें टोकन का विकल्प उपलब्ध करवाने के लिए समय दिया गया था।

टोकनाइजेशन (Tokenisation) क्या है?

अभी तक जिस डिजिटल लेन-देन के लोग आदी हैं उसके लिए वह डेबिट या क्रेडिट कार्ड का उपयोग करते हैं। फिर उसपर लिखी जानकारी और वन टाइम पासवर्ड के आधार पर ट्रांजेक्शन होता है। अब टोकनाइजेशन (Tokenisation) इससे थोड़ा अलग है। ये आपके कार्ड की जानकारी को एक यूनिक वैकल्पिक कोड में बदलेगा जिसके इस्तेमाल से ट्रांजेक्शन संभव होगी। इस प्रक्रिया में आपको अपने कार्ड के सीवीवी (तीन डिजिट वाला नंबर) और ओटीपी (वन टाइम पासवर्ड) की जरूरत पड़ेगी। इसके अलावा आपको अतिरिक्ट ऑथेन्टिकेशन के लिए भी अपनी सहमति देनी होगी।

टोकन कैसे प्राप्त होगा?

खरीददारी के दौरान जब आप टोकन का विकल्प चुनेंगे तब मर्चेंट कार्ड का टोकनाइजेशन शुरू करेगा। आपकी सहमति लेकर टोकनाइजेशन के लिए कार्ड नेटवर्क को अनुरोध भेजा जाएगा। यहाँ ये कार्ड नेटवर्क आपके कार्ड नंबर (16 डिजिट का नंबर जो कार्ड पर अंकित होता है) की बजाय आपको एक टोकन देगा। अब मर्चेंट वो टोकन आपको देगा और आप इस तरह अपनी लेन-देन बिन कार्ड की जानकारी साझा किए कर पाएँगे। हर बार आपको लेन-देन के लिए आपके सीवीवी और ओटीपी की आवश्यकता पड़ेगी। लेकिन 16 डिजिट वाले नंबर की नहीं।

टोकनाइजेशन कितना सुरक्षित?

अभी तक आप जब किसी मर्चेंट से लेन-देन करते थे तो कई बार मजबूर किया जाता था कि वो आपकी कार्ड डिटेल सेव कर लें। इस तरह डेटा चोरी होने का खतरा काफी बढ़ जाता था। हालाँकि नए सिस्टम में कार्ड का विवरण इन्क्रिप्टिड ढंग से सेव किया जाएगा यानी जो डेटा लीक का खतरा पहले होता था वो इस प्रक्रिया में कम हो जाएगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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