Friday, April 26, 2024
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Tokyo Olympics: भारत के ये 7 गोल्ड-सिल्वर-ब्रॉन्ज विजेता, जिनके दम पर देश ने तोड़ा ओलंपिक में मेडल का रिकॉर्ड

टोक्यो ओलंपिक के खेल कार्यक्रमों में भारत ने 1 गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके साथ ही भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज जीतते हुए कुल 7 मेडल हासिल किए। यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इसके पहले साल 2012 में लंदन में आयोजित समर ओलंपिक में भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज सहित कुल 6 मेडल जीते थे।

इस साल टोक्यो में आयोजित ओलंपिक खेलों में भारत ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। अभी तक संपन्न हुए टोक्यो ओलंपिक के खेल कार्यक्रमों में भारत ने 1 गोल्ड मेडल हासिल किया। इसके साथ ही भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज जीतते हुए कुल 7 मेडल हासिल किए। यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। इसके पहले साल 2012 में लंदन में आयोजित समर ओलंपिक में भारत ने 2 सिल्वर और 4 ब्रॉन्ज सहित कुल 6 मेडल जीते थे।

कुछ इस प्रकार रही भारत के लिए 7 मेडल्स की कहानी

जैवलिन थ्रो में भारत के स्टार खिलाड़ी नीरज चोपड़ा ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को गोल्ड मेडल दिलाया। हरियाणा के रहने वाले 23 वर्षीय नीरज ने क्वलीफिकेशन राउंड में भी शानदार प्रदर्शन किया था और पहले स्थान पर रहे थे। इसके बाद फाइनल में 6 राउंड में भी कोई उनसे आगे नहीं निकल पाया।

महिला वेटलिफ्टिंग इवेंट के 49 किलोग्राम वर्ग में भारतीय वेटलिफ्टर मीराबाई चानू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए भारत को सिल्वर मेडल दिलाया। टोक्यो ओलंपिक में चानू ने ही भारत का खाता खोला था और दूसरे ही दिन सिल्वर मेडल जीत लिया था।

भारत को दूसरा सिल्वर मेडल कुश्ती में मिला। पुरुषों की 57 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती में रेसलर रवि दहिया ने भारत को सिल्वर मैडल दिलाया। हालाँकि भारत के समर्थकों को इस इवेंट में गोल्ड की उम्मीद थी लेकिन खेल में हार-जीत भी लगी ही रहती है लेकिन 2012 के बाद पहली बार है कि कोई अकेला पुरुष भारत के लिए सिल्वर लेकर आया हो।

कुश्ती में ही भारत को दूसरा मेडल मिला। बजरंग पुनिया ने कजाकिस्तान के दौलेट नियाज़बेको को हराते हुए ब्रॉन्ज मेडल हासिल किया। पूनिया की माँ ने अपने बेटे की जीत के लिए शिवरात्रि का व्रत रखा था। वहीं उनके पिता भी अपने बेटे की जीत को लेकर आश्वस्त थे। उन्होंने भरोसा जताया था कि बेटा देश के लिए मेडल ज़रूर लेकर आएगा। उनके पिता ने ही उन्हें पहलवानी का ककहरा सिखाया था।

टोक्यो ओलंपिक का सबसे गौरवशाली क्षण तब रहा जब भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने लगभग 4 दशकों बाद हॉकी में मेडल दिलाया। भारत 49 वर्ष (1972 ओलंपिक) बाद ओलंपिक के सेमीफाइनल में पहुँची थी। भारत ने आखिरी बार मास्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था, लेकिन वह म्यूनिख ओलंपिक 1972 के बाद पहली बार सेमीफाइनल में पहुँचा था।

भारत के लिए तीसरा ब्रॉन्ज मेडल बैडमिंटन खिलाड़ी पीवी सिंधु ने जीता। रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वीली पीवी सिंधु को सेमीफाइनल मुकाबले में चीनी ताइपे ताई जु यिंग से हार का सामना करना पड़ा था और वो फाइनल में पहुँचने से चूक गई थीं, लेकिन ब्रॉन्ज मेडल के लिए खेले गए मुकाबले में उन्होंने जीत हासिल कर भारत की सिर गर्व से ऊँचा कर दिया।

भारत के लिए चौथा ब्रॉन्ज मेडल महिला बॉक्सर लवलीना बोरगेहेन ने जीता। असम के गोलाघाट स्थित एक छोटे से गाँव की रहने वाली बोरगेहेन सेमीफाइनल के पहले दोनों राउंड में लवलीन ने अच्छी शुरुआत की थी लेकिन तुर्की की खिलाड़ी ने अंतिम कुछ सेकेंड्स में वापसी की और मैच जीत लिया था। हालाँकि उन्होंने पहले ही भारत के लिए मेडल सुनिश्चित कर लिया था।

हालाँकि अभी ओलंपिक का आखिरी दिन बाकी है। 08 अगस्त 2021 को टोक्यो ओलंपिक समाप्त हो जाएगा लेकिन खेलों का यह महाकुम्भ इसलिए भी याद रखा जाएगा क्योंकि इस बार कई ऐसे भारतीय रहे जो मेडल के करीब पहुँचकर चूक गए। भारतीय निशानेबाज मनु भकर, तीरंदाज दीपिका कुमारी, टेबल टेनिस प्लेयर मणिका बत्रा समेत कई खिलाडियों के पास मेडल जीतने की क्षमता थी लेकिन थोड़े अंतरों से ये सभी मेडल की रेस से बाहर हो गए। महिला हॉकी टीम ने भी शानदार प्रदर्शन किया और सेमीफाइनल में जगह बनाई। हालाँकि सेमीफाइनल और फिर ब्रॉन्ज मैडल के लिए खेले गए मैच में भारतीय महिला हॉकी टीम हार गई लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर एक आम इंसान भी महिला टीम के खेल पर गर्व किए बिना नहीं रह सके।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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