Monday, October 7, 2024
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भारत में कोविशील्ड के डोज का गैप OK है, एस्ट्राजेनेका ने किया समर्थन: कहा- ‘देश-परिस्थितियों के हिसाब से सही फैसला’

''वैक्सीन सिंगल डोज के बाद दूसरे और तीसरे महीने में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है, यानी इसका सुरक्षा का स्तर और भी बढ़ जाता है। ऐसे में भारत द्वारा डोज के गैप बढ़ाने के फैसले में हमें कोई कमी नजर नहीं आती है।''

भारत में कोरोना वैक्सीन कोविशील्ड की दो डोज के बीच 12 से 16 सप्ताह के गैप का ब्रिटिश फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका ने समर्थन किया है। एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड ने ही इस वैक्सीन का फॉर्मूला तैयार किया है। भारत में सीरम इंस्टीट्यूट इसे कोविशील्ड नाम से बना रहा है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एस्ट्राजेनेका के क्लिनिकल ट्रायल के मुख्य जाँचकर्ता प्रोफेसर एंड्रयू पोलार्ड ने शुक्रवार (18 जून 2021) को एक इंटरव्यू में कहा कि दोनों देशों की वैक्सीनेशन पॉलिसी की तुलना नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि दोनों देशों में अलग-अलग परिस्थितियों के कारण अलग-अलग फैसले लिए गए हैं। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन ने दो डोज के गैप को कम किया है, क्योंकि उसकी आबादी के एक बड़े हिस्से का वैक्सीनेशन हो चुका था।

एंड्रयू पोलार्ड ने कहा, ”वैक्सीन सिंगल डोज के बाद दूसरे और तीसरे महीने में ज्यादा सुरक्षा प्रदान करती है, यानी इसका सुरक्षा का स्तर और भी बढ़ जाता है। ऐसे में भारत द्वारा डोज के गैप बढ़ाने के फैसले में हमें कोई कमी नजर नहीं आती है।”

पोलार्ड ऑक्सफोर्ड वैक्सीन ग्रुप के डायरेक्टर भी हैं। उन्होंने कहा, “एक टीकाकरण नीति का लक्ष्य जल्द से जल्द अधिक संख्या में लोगों को वैक्सीन की कम से कम एक डोज देना होता है, जो भारत की वर्तमान परिस्थितियों में समझ आता है।”

अब तक 26.89 करोड़ कोविड-19 वैक्सीन

भारत में अब तक 26,89,60,399 (26.89 करोड़) कोविड-19 वैक्सीन की डोज दी जा चुकी हैं। वैज्ञानिक ने कहा कि दो खुराक की जरूरत है। एक अच्छा हो सकता है, लेकिन सुरक्षा की दृष्टि से दूसरे की भी जरूरत है।

ब्रिटेन में ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में बाल चिकित्सा संक्रमण और प्रतिरक्षा के प्रोफेसर पोलार्ड ने कहा कि एस्ट्राजेनेका एक खुराक वाले टीके पर काम नहीं कर रहा है। उन्होंने कहा कि टीके की कमी की स्थिति में कम संख्या में लोगों के लिए बेहतर स्तर की सुरक्षा प्रदान करने के बजाय अधिक से अधिक लोगों के लिए सुरक्षा के उपाय सुनिश्चित करना समझ में आता है। यह सही फैसला है।

उन्होंने इस बात को समझाया कि एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की एक डोज, जिसे भारत में कोविशील्ड के नाम से जाना जाता है, गंभीर बीमारी और अस्पताल में भर्ती होने से 70 प्रतिशत से अधिक सुरक्षा प्रदान करती है।

पोलार्ड आगे कहते हैं, ”इस तथ्य से विचलित नहीं होना चाहिए कि एक खुराक लक्षण वाली (सिप्टोमैटिक) बीमारी के खिलाफ केवल 30 प्रतिशत सुरक्षा प्रदान करती है।”

अब गैप 12 से 16 हफ्ते का

मालूम हो कि भारत में कोविशील्ड की दो खुराकों के बीच का अंतर पहले 4 से 6 सप्ताह का था। फिर इसे बढ़कर 6 से 8 सप्ताह किया गया और अब यह गैप 12 से 16 हफ्ते का है।

वहीं, इससे पहले कोविड वर्किंग ग्रुप के चीफ डॉ. एनके अरोड़ा ने भी इस फैसले को वैज्ञानिक सबूतों के आधार पर सही बताया था। कोविशील्ड के दो डोज का अंतर बढ़ाए जाने के बाद से चल रही बहस के बीच उन्होंने कहा था कि इस वैक्सीन का सिंगल डोज कोरोना के डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ 61% तक कारगर है।

ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया गया है कोविशील्ड

बता दें कि कोविशील्ड को सीरम इंस्टीट्यूट ने ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ मिलकर बनाया है। एस्ट्राजेनेका एक एडेनोवायरस वेक्टरेड वैक्सीन है। इस वैक्सीन को चिम्पैंजी के एडिनोवायरस को जैनिटिकली इंजीनियर्ड करके कोरोना के स्पाइक प्रोटीन को डालकर तैयार किया जाता है। एडिनो वायरस मानव के लिए नुकसानदायक नहीं होता है, बल्कि यह कोरोना संक्रमण से बचाने में मददगार होगा।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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