जम्मू कश्मीर में चेनाब नदी पर बना दुनिया का सबसे ऊँचा रेलवे पुल लगभग तैयार है और इसका अधिकारियों ने निरीक्षण भी किया है। ये पुल रामबन से रियासी को रेलवे संपर्क से जोड़ेगा। नॉर्दर्न रेलवे ने जानकारी दी है कि यहाँ जल्द ही सेवा शुरू की जाएगी। फ़िलहाल कन्याकुमारी से कटरा तक रेलवे सेवा मौजूद है। साथ ही बारामुला से संगलदान तक भी कश्मीर घाटी में रेलवे सेवा मौजूद है। रियासी के डिप्टी कमिश्नर विशेष महाजन ने इस बारे में अधिक जानकारी दी है।
उन्होंने बताया, “ये आधुनिक दुनिया में इंजीनियरिंग का एक चमत्कार है। जिस दिन ट्रेन रियासी पहुँचेगी, ये जिले के लिए एक बड़े बदलाव का पल होगा। ये हमारे लिए भी बहुत गर्व का क्षण है, क्योंकि हमारे ही इंजीनियरों ने इस चमत्कार को बनाया है। एक तरह से ये दुनिया का 8वाँ आश्चर्य है। पुल, हवा की गति, यहाँ इसकी ताकत – सब अद्भुत है। सटीक तारीख़ तो नहीं बताई जा सकती, लेकिन ये जल्द ही चालू होगा।” रेलवे के अधिकारियों ने यहाँ बृहद निरीक्षण किया है।
‘कोंकण रेलवे’ के डिप्टी इंजीनियर संजय कुमार ने बनाया कि इस परियोजना को पूरा करना काफी चुनौतीपूर्ण था। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के लोग इस परियोजना से बेहद खुश हैं। उधमपुर-गर-बारामुला रेल लिंक (USBRL) प्रोजेक्ट इस साल के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें बनिहाल और संगलदान के बीच ये 48.10 किलोमीटर का प्रोजेक्ट भी शामिल है। 20 फरवरी, 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया था। इस प्रोजेक्ट का फेज-1 काजीगुंड-बारामुला स्टेशनों के बीच है, जो 118 किलोमीटर का है।
#WATCH | जम्मू-कश्मीर: रेलवे अधिकारियों ने रामबन जिले के संगलदान और रियासी के बीच नवनिर्मित दुनिया के सबसे ऊंचे रेलवे पुल-चिनाब रेल ब्रिज का बड़े स्तर पर निरीक्षण किया। इस लाइन पर रेल सेवाएं जल्द ही शुरू होंगी।@RailMinIndia | #chenabbridge pic.twitter.com/Mk7b6vXzSZ
— डीडी न्यूज़ (@DDNewsHindi) June 16, 2024
वहीं बनिहाल-काजीगंज रेलवे लाइन का उद्घाटन जून 2013 में हुआ और 25 किलोमीटर लंबे उधमपुर-कटरा रेलवे लाइन का उद्घाटन इसके अगले साल जुलाई 2014 में हुआ। जहाँ तक चेनाब रेल ब्रिज का सवाल है, ये नदी से 359 मीटर (109 फ़ीट) की ऊँचाई पर स्थित है। ये एफिल टॉवर से भी 35 मीटर ऊँचा है। 1.315 किलोमीटर का ये पुल एक बड़ी सोच का हिस्सा है, जिसके तहत पूरी घाटी को रेल सेवा से जोड़ा जाएगा।
ये पुल 15,000 करोड़ रुपए की लागत से बना है। इसमें 30,000 मीट्रिक टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। ये 260 किलोमीटर/घंटे की हवा की रफ़्तार और -40 डिग्री सेल्सियस का तापमान झेल सकता है।अगर इसके किनारों को मापें तो ये किसी फुटबाल फिल्ड का एक चौथाई होगा। बता दें कि रियासी में हाल ही में हुए एक आतंकी हमले में 10 श्रद्धालु मारे गए थे, ऐसे में इस एरिया में कनेक्टिविटी बढ़ाने से सुरक्षा व्यवस्था भी मजबूत होगी।