राजस्थान के कोटा के जेकेलोन अस्पताल में बच्चों की मौत का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले 5 दिनों में यहाँ 14 और बच्चों की मौत हो गई है। जिसके बाद इस अस्पताल में एक महीने के भीतर मरने वाले बच्चों की संख्या 77 से 91 पहुँच गई है। खुद, जेके लोन के नए अधीक्षक सुरेश दुलारा ने सोमवार को इसकी जानकारी देते हुए बताया कि अस्पताल के NICU और PICU में 25 दिसंबर से 29 दिसंबर के बीच 6 नवजात समेत 14 बच्चों की मौत हुई है। उन्होंने बताया कि इससे पहले 24 दिसंबर तक 77 शिशुओं की यहाँ मौत हुई थी और इनमें से 10 शिशुओं की मौत 23 दिसंबर और 24 दिसंबर को 48 घंटे के भीतर हुई थी।
‘कब्रगाह’ साबित हो रहा कोटा का अस्पताल, 14 और मौत के साथ एक महीने में 91 बच्चों की गई जान https://t.co/mvXntcPhQW
— JITENDRA SHUKLA (@jeetshukla22) December 31, 2019
बाल रोग विभाग के प्रमुख ने इस संबंध में कहा कि वह 25 दिसंबर तक 77 शिशुओं की मौत के पीछे के कारणों का विश्लेषण कर रहे हैं। बाद में जिन 14 शिशुओं की मौत हुई, उनमें से 4 की मौत गंभीर निमोनिया, 1 की मौत मेनिंगोएनसेफेलाइटिस, 4 की मौत जन्मजात निमोनिया, 3 की मौत सेप्सिस और 1 की मौत सांस संबंधी बीमारी के कारण हुई।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण (NCPCR) ने भी लिया संज्ञान
गौरतलब है कि अस्पताल में नवजात बच्चों की लगातार हो रही मौत पर राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण (NCPCR) ने भी संज्ञान लिया है। NCPCR के अध्यक्ष ने अस्पताल में हालातों को मुआएना करने के बाद कोटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) को तलब कर राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, NCPCR के अधिकारियों ने बताया कि आयोग ने कोटा के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) बीएस तंवर को 3 जनवरी तक पेश होने को कहा है। वहींं, राज्य के चिकिस्ता शिक्षा विभाग के सचिव वैभव गालरिया को भी कारण बताओ नोटस जारी कर 3 दिन के अंदर इस मामले की रिपोर्ट आयोग को सौंपने के लिए कहा गया है।
यहाँ बता दें कि NCPCR की रिपोर्ट के मुताबिक, अस्पताल की जर्जर हलात और वहाँ पर साफ-सफाई को बरती जा रही लापरवाही बच्चों की होतीं मौत का एक अहम कारण है। अपनी रिपोर्ट में NCPCR ने बताया है कि अस्पताल की ख़िड़कियों में शीशे नहीं हैं, दरवाजे टूटे हुए हैं, जिस कारण अस्पताल में भर्ती बच्चों को मौसम की मार झेलनी पड़ती है। इसके अलावा अस्पताल के कैंपस में सूअर भी घूमते पाए गए।
Kota infant deaths: Broken windows, shortage of staff, pigs inside hospital campus, says National Commission for Protection of Child Rights report
— Press Trust of India (@PTI_News) December 30, 2019
बच्चों की होती लगातार मौत पर भाजपा सख्त
राजस्थान सरकार एक ओर जहाँ इन मौतों को पिछले सालों के मुकाबले सबसे कम बताकर दरकिनार करने की कोशिश कर रही है, वहीं विपक्षी पार्टी भाजपा ने इस पर अपना कड़ा रुख अख्तियार किया हुआ है। इसके मद्देनजर बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने जाँच के लिए 4 सांसदों का एक पैनल बनाकर उन्हें 3 दिन में अपनी रिपोर्ट सौंपने को कहा है। इस पैनल में लोकसभा सांसद जसकौर मीणा, लॉकेट चटर्जी, भारती पवार और राज्यसभा सांसद कांता कर्दम शामिल हैं। अब यह टीम मंगलवार को यानी आज अस्पताल का दौरा करेगी और बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा को इसकी रिपोर्ट सौंपेगी।
इसके अलावा, नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के शीर्ष नेता एवं राजस्थान में भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने रविवार को अचानक अस्पताल का निरीक्षण कर पहले ही दावा किया है कि अस्पताल में मासूम बच्चों को साफ हवा के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। यही नहीं, बीजेपी नेता का कहना है कि अव्यवस्था के बीच गंभीर बीमारियों से जूझते इन बच्चों की देखभाल के लिए नर्स नहीं, बल्कि उनकी माँ खड़ी रहती हैं।
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