केरल में नाबालिगों के यौन शोषण के मामले गंभीर चिंता का विषय बन गए हैं। जानकारी सामने आई है कि वहाँ 2016 से अब तक में 44 पीड़ितों ने दुष्कर्म के बाद आत्महत्या कर ली है। केरल में यह स्थिति कम्युनिस्ट पार्टी के कार्यकाल में पैदा हुई है, जिसमें पिछले आठ वर्षों में 31,000 से अधिक POCSO मामले दर्ज किए गए हैं। इन आँकड़ों को देख राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग चिंतित है।
केरल राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पीड़ितों को उचित मनोवैज्ञानिक सहायता की आवश्यकता होती है। आघात से गुजरने वाले बच्चे अक्सर गहरे अवसाद का सामना करते हैं, जो उनकी मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। आयोग ने सभी संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि वे पीड़ितों को हर प्रकार की सहायता प्रदान करें।
इंडियन एक्सप्रेस में सरकार द्वारा जारी आँकड़ों का हवाला देते हुए कहा गया कि जून 2016 से लेकर साल 2024 तक में केरल ने 31, 171 केस पॉक्सो में रिपोर्ट किए। वहीं गिरफ्तारी 28, 728 की हुई। रिपोर्ट ये भी बताती है कि साल 2022 के बाद से नाबालिगों से संबंधित यौन उत्पीड़न के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। जहाँ 2016 और 2021 के बीच हर साल लगभग 3,000 मामले दर्ज किए गए थे, वहीं 2022 में यह संख्या बढ़कर 4,518 हो गई।
इसके बाद 2023 में 4,641 और 2024 में 4,594 मामले दर्ज हुए। इस प्रकार की घटनाओं ने समाज और सरकार दोनों को चिंतित किया है। केवल 2025 की बात करें तो साल की शुरुआत के 17 दिनों में 271 केस पॉक्सो के तहत दर्ज हो चुके हैं और करीबन 175 गिरफ्तारियाँ भी हुई हैं।
बता दें कि केरल में नाबालिगों की स्थिति पर ये रिपोर्ट उस समय सामने आई है जब पिछले दिनों एक पठानमठिठ्ठा की दलित लड़की ने आरोप लगाया था कि 62 लोगों ने उसका यौन शोषण किया। इसमें उसके रिश्तेदार से लेकर उसके टीचर और दोस्त भी शामिल हैं। लड़की की शिकायत के बाद ये मामला सनसनी की तरह फैला, फिर राज्य में अन्य मामलों पर चर्चा शुरू हो गई और सामने आया कि कैसे नाबालिगों के साथ यौन उत्पीड़न मामले न केवल बढ़े हैं बल्कि उनके आत्महत्या के मामले भी दर्ज किए गए हैं।